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NCERT Class 11 Psychology Chapter 6 मानव स्मृति
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मानव स्मृति
Chapter: 6
समीक्षात्मक प्रश्न
1. कूट संकेतन, भंडारण और पुनरुद्धार का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: कूट संकेतन, भंडारण और पुनरुद्धार का तात्पर्य:
(i) कूट संकेतन (Encoding): यह वह प्रक्रिया है जिसमें कोई नई सूचना हमारे मस्तिष्क द्वारा संग्रहीत करने योग्य रूप में परिवर्तित की जाती है। जब भी कोई बाह्य उद्दीपक हमारी ज्ञानेंद्रियों को प्रभावित करता है तो वह तांत्रिका आवेग उत्पन्न करता है और इन्हें हमारे मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों में पुनः प्रक्रमण के लिए ग्रहण किया जाता है। कूट संकेतन में आने वाली सूचना को ग्रहण किया जाता है तथा उससे कोई अर्थ व्युत्पन्न किया जाता है। उसे इस प्रकार से प्रस्तुत किया जाता है कि उसका पुनः प्रक्रमण किया जा सके।
(ii) भंडारण (Storage): भंडारण स्मृति की द्वितीय अवस्था है। सूचना, जिसका कूट संकेतन किया गया, उसका भंडारण भी आवश्यक है जिससे उस सूचना का बाद में उपयोग किया जा सके। अतः भंडारण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा सूचना कुछ समय सीमा तक धारण की जाती है।
(iii) पुनरुद्धार (Retrieval): यह विभिन्न प्रकार के संज्ञानात्मक कार्यों; जैसे समस्या समाधान, निर्णयन इत्यादि को करने के लिए जब संचित सूचना को पुनः चेतना में लाया जाता है तो इस प्रक्रिया को पुनरुद्धार कहा जाता है। यह एक रोचक तथ्य है कि स्मृति की विफलता इनमें से किसी भी अवस्था में हो सकती है। आप किसी सूचना का पुनःस्मरण इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि आपने उसका ठीक ढंग से कूट संकेतन नहीं किया या आपका भंडारण कमजोर था। अतः आवश्यकता पड़ने पर उसका पुनरुद्धार नहीं किया जा सका।
2. संवेदी, अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक स्मृति तंत्र से सूचना का प्रक्रमण किस प्रकार होता है?
उत्तर: संवेदी, अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक स्मृति तंत्र से सूचना का प्रक्रमण निम्नलिखित प्रकार होता है–
(i) संवेदी स्मृति (Sensory Memory): यह बहुत ही अल्पकालिक होती है और बाहरी इंद्रियों से प्राप्त सूचना को कुछ सेकंड तक धारण करती है। अक्सर इस तंत्र को संवेदी स्मृति या संवेदी पंजिका कहते हैं, क्योंकि समस्त संवेदनाएँ यहाँ उद्दीपक की प्रतिकृति के रूप में ही संग्रहित की जाती हैं।
(ii) अल्पकालिक स्मृति (Short-Term Memory): जिन सूचनाओं पर हम ध्यान देते हैं वे हमारी द्वितीय स्मृति भंडार में प्रवेश करती हैं जिसे अल्पकालिक स्मृति कहा जाता हैइसमें सूचना थोड़े समय (लगभग 30 सेकंड) के लिए संग्रहीत होती है। एटकिसन एवं शिफ्रिन के अनुसार अल्पकालिक स्मृति में सूचना का कुठ संकेतन मुख्य रूप से ध्वन्यात्मक होता है। यदि इसका निरंतरअभ्यास न किया जाए तो 30 सेकण्ड से कम समय में ही अल्पकालिक स्मृति से बाहर चली जाती है। ध्यान दीजिए कि अल्पकालिक स्मृति कमजोर तो होती है लेकिन संवेदी पंजिका की भाँति नहीं, जहाँ एक सेकण्ड से भी कम समय में सूचना का क्षय हो जाता है।
(iii) दीर्घकालिक स्मृति (Long-Term Memory): ऐसी सामग्री, जो अल्पकालिक स्मृति की क्षमता एवं धारण अवधि की सीमाओं को पार कर जाती है, वह दीर्घकालिक स्मृति में प्रवेश करती है जिसकी क्षमता व्यापक है। यह स्मृति का ऐसा यह स्थायी स्मृति भंडारण होती है, जिसमें जानकारी लंबे समय तक संरक्षित रहती है।
3. अनुरक्षण एवं विस्तृत पूर्वाभ्यास में क्या अंतर है?
उत्तर: अनुरक्षण एवं विस्तृत पूर्वाभ्यास में अंतर:
(i) अनुरक्षण पूर्वाभ्यास (Maintenance Rehearsal): इसमें सूचना को दोहराने से अल्पकालिक स्मृति में बनाए रखा जाता है।
(ii) विस्तृत पूर्वाभ्यास (Elaborative Rehearsal): इसमें नई जानकारी को पुरानी जानकारी से जोड़कर इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि वह दीर्घकालिक स्मृति में सुरक्षित रह सके।
4. घोषणात्मक एवं प्रक्रियामूलक स्मृतियों में क्या अंतर है?
उत्तर: घोषणात्मक एवं प्रक्रियामूलक स्मृतियों में यह अंतर है–
घोषणात्मक स्मृति तथ्यात्मक जानकारी (जैसे नाम, तारीखें, घटनाएँ) से संबंधित होती है भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ, मेंढक उभयचर प्राणी है, जैसे तथा मैं और मेरे मित्र का एक ही नाम है, घोषणात्मक स्मृति के अंग हैं। दूसरी ओर, प्रक्रियामूलक स्मृति उन स्मृतियों से संबंधित है जिनमें किसी कार्य को पूरा करने के लिए कुछ कौशल की आवश्यकता होती है; जैसे साइकिल चलाना, बास्केटबॉल खेलना, चाय बनाना इत्यादि। घोषणात्मक स्मृति से संबंधित तथ्यों का शाब्दिक वर्णन किया जा सकता है जबकि प्रक्रियामूलक स्मृति को सहजता से वर्णित नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, हम यह तो बता सकते हैं कि क्रिकेट कैसे खेला जाता है, लेकिन यदि कोई पूछे कि साइकिल कैसे चलाई जाती है तो यह बताना हमारे लिए कठिन होता है।
5. विस्मरण क्यों होता है?
उत्तर: विस्मरण के कई कारणों से होते हैं, जैसे स्मृति संकेतों की अनुपलब्धता, जानकारी को ठीक से कूटबद्ध न करना, समय के साथ जानकारी का लुप्त हो जाना, और अवरोध (Interference) आदि। जब व्यक्ति अपने भूतकाल के अनुभवों को चेतन में लाने में असफल हो जाता है, तब उसे विस्मृति कहते हैं। जिस प्रकार से जीवन को उपयोगी तथा सुखी बनाने के लिए स्मृति आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे जीवन में विस्मृति की भी उपयोगिता तथा महत्व है।
6. अवरोध के कारण विस्मरण, पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर: अवरोध के कारण विस्मरण और पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण में अंतर:
(i) अवरोधजनित विस्मरण: इसमें नई और पुरानी जानकारियाँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार सीखने और याद करने में विभिन्न पदों के बीच साहचर्य स्थापित होता है और एक बार साहचर्य स्थापित हो जाने के बाद यह स्मृति में अक्षत रहता है। व्यक्ति बहुत सारे साहचर्य अर्जित करते रहते हैं और ये बिना किसी आपसी द्वंद्व के स्वतंत्र रूप से स्मृति में रहते हैं। तथापि पुनरुद्धार के समय इनमें अवरोध उत्पन्न होता है क्योंकि भिन्न-भिन्न साहचर्यों में पुनरुद्धार के लिए प्रतिस्पर्धा होती है।
(ii) पुनरुद्धार से संबंधित विस्मरण: यह न केवल एक समय के बाद स्मृति चिह्नों के ह्रास के कारण होता है (जैसा अनुपयोग सिद्धांत सुझाता है) या प्रत्याह्वान के समय स्वतंत्र रूप से संचित साहचर्यों के बीच प्रतिद्वंद्विता के कारण होता है (जैसा अवरोध सिद्धांत सुझाता है), बल्कि प्रत्याह्वान के समय पुनरुद्धार के संकेतों के अनुपस्थित रहने या अनुपयुक्त होने के कारण भी होता है। पुनरुद्धार के संकेत वे साधन हैं जो हमें स्मृति में संचित सूचनाओं को पुनः प्राप्त करने में मदद करते हैं। यह विचार टलविंग (Tulving) और उनके साथियों द्वारा प्रतिपादित किया गया था, जिन्होंने यह दिखाने के लिए कई प्रयोग किए कि स्मृति की सामग्री अक्सर हमें इसलिए नहीं प्राप्त होती, क्योंकि पुनरुद्धार के संकेत प्रत्याह्वान के समय या तो अनुपस्थित होते हैं या अनुपयुक्त।
7. स्मृति-सहायक संकेत क्या हैं? अपनी स्मृति सुधार के लिए एक योजना के बारे में सुझाव दीजिए?
उत्तर: स्मृति से संबंधित विभिन्न प्रक्रियाओं को जानने के बाद हम अवश्य ही यह जानना चाहेंगे कि हम अपनी स्मृति को कैसे सुधार सकते हैं। स्मृति सुधार की बहुत सारी युक्तियाँ हैं जिन्हें स्मृति-सहायक संकेत कहा जाता है।
गहन स्तर का प्रक्रमण कीजिए: यदि कोई भी व्यक्ति किसी सूचना को अच्छी तरह से याद करना चाहते हैं तो गहन स्तर का प्रक्रमण करना चाहिए। क्योंकि क्रैक एवं लॉकहार्ट ने यह प्रदर्शित किया है कि सूचना के सतही गुणों पर ध्यान देने के बजाय उसके अर्थ के रूप में प्रक्रमण किया जाए तो अच्छी स्मृति होती है। गहन स्तर के प्रक्रमण में सूचना से संबंधित जितना संभव हो ऐसे प्रश्न पूछे जाना चाहिए जो उसके अर्थ तथा संबंधों से जुड़े हों। इस प्रकार नयी सूचना हमारे पूर्वस्थापित ज्ञान तथा दृष्टिकोण का एक हिस्सा बन जाएगी, और इन्हें याद रहने की संभाव्यता बढ़ जाएगी।

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