NCERT Class 11 History Chapter 7 आधुनिकीकरण के रास्ते

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NCERT Class 11 History Chapter 7 आधुनिकीकरण के रास्ते

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Chapter – 7

विश्व इतिहास के कुछ विषय

अनुभाग तीन – बदलती परंपराएँ

अभ्यास

संक्षेप में उत्तर दीजिए:

1. मेजी पुनर्स्थापना से पहले की वे अहम घटनाएँ क्या थीं, जिन्होंने जापान के तीव्र आधुनिकीकरण को संभव किया?

उत्तर: 1867-68 में जापान में एक युगांतकारी घटना मेजी पुनस्थापना के रूप में घटी। सदियों पूर्व जापान में दो अहम प्रशासनिक शक्तियाँ थीं-सम्राट तथा प्रधान सेनापति अथवा शोगुन। 16 वी शताब्दी के अत तक जापान में कई परिवर्तन आए जिनमें पहला किसानों से हथियार ले लिया जाना था जिससे शाति व्यवस्था को बल मिला। हालाँकि प्रशासन की समस्त शक्तियाँ शोगुन में केंद्रित थीं। सम्राट मात्र राजनैतिक मुखौटा होता था। 1668 ई. में एक आंदोलन के परिणामस्वरूप शोगुन का पद समाप्त कर दिया गया, और उसके सभी अधिकार सम्राट को सौंप दिए गए। चौदह वर्षीय सम्राट मुत्सुहितो ने सत्ता संभालते ही “मेजी” की उपाधि ग्रहण की। मेजी पुनर्स्थापना से पहले जापान में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जिन्होंने आधुनिकीकरण की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया।

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2. जापान के विकास के साथ-साथ वहाँ की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में किस तरह बदलाव आए? चर्चा कीजिए।

उत्तर: जापान में तेजी से विकास, निजी बहाली के बाद कई सामाजिक और आर्थिक बदलाव हुए। पहले कृषि आधारित अर्थव्यवस्था थी, लेकिन औद्योगीकरण के कारण लोग शहरों की ओर बढ़े और शहरीकरण तेज़ हुआ। रेलवे और संचार साधनों के विकास से व्यापार और आवागमन आसान हुआ। जैसे-जैसे जापानी समृद्ध होते गए, नए विचार सामने आए। पुरानी पितृसत्तात्मक व्यवस्था मिटने लगी।

3. पश्चिमी ताकतों द्वारा पेश की गई चुनौतियों का सामना छींग राजवंश ने कैसे किया?

उत्तर: पश्चिमी ताकतों की औपनिवेशिक नीतियों के विरु‌द्ध छींग राजवंश  ने कई नीतिया बनाई औए लम्बे अरसे तक उनका सामना किया। ओपियम युद्धों (1839-42, 1856-60) में हार के बाद चीन को असमान संधियों पर हस्ताक्षर करने पड़े, जिससे विदेशी ताकतों का हस्तक्षेप बढ़ा। 1898 में ‘सौ दिन सुधार’ किए गए, लेकिन परंपरावादी गुटों ने इसे विफल कर दिया। 1900 में बॉक्सर विद्रोह हुआ, जिसे विदेशी शक्तियों ने निर्ममता से दबा दिया। इसके बाद, छींग राजवंश ने सेना और शिक्षा प्रणाली में सुधार करने का प्रयास किया, लेकिन ये बदलाव जनता की असंतोष को शांत करने में विफल रहे। अंततः 1911 की क्रांति के परिणामस्वरूप छींग राजवंश का पतन हो गया।

4. सन यात-सेन के तीन सिद्धांत क्या थे?

उत्तर: सन यात-सेन के तीन सिद्धांत यह थे:

(i)  राष्ट्रीयता चीन को विदेशी प्रभाव से मुक्त कर स्वायत्त राष्ट्र बनाना।

(ii) लोकतंत्र चीन में गणराज्य की स्थापना और जनता को राजनीतिक अधिकार देना।

(iii) जनकल्याण समाजवाद और आर्थिक सुधारों द्वारा जनता की भलाई सुनिश्चित करना। ये सिद्धांत चीन की राजनीतिक विचारधारा का आधार बने और आगे चलकर साम्यवादी व राष्ट्रवादी विचारधारा में भी प्रभावी रहे।

5. कोरिया ने 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना किस प्रकार किया?

उत्तर: 1997 में विदेशी मुद्रा संकट का सामना करना पड़ा। इस संकट को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) द्वारा आपात वित्तीय सहायता के जरिए संभालने की कोशिश की गई। यही नहीं, इस आर्थिक संकट में पूरे देश ने एक साथ प्रयास किए, नागरिकों ने गोल्ड कलेक्शन मूवमेंट के माध्यम से विदेशी ऋण भुगतान के लिए सक्रिय रूप से योगदान दिया।

संक्षेप में निबंध लिखिए

6. क्या पड़ोसियों के साथ जापान के युद्ध और उसके पर्यावरण का विनाश तीव्र औद्योगीकरण की जापानी नीति के चलते हुआ?

उत्तर: हाँ, जापानी औपनिवेशिक शासन 35 साल के बाद अगस्त 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के साथ समाप्त हुआ, हालाँकि यह कोरिया के भीतरी और बाहरी स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं का लगातार प्रयास था, जो जापान की हार के बाद कोरिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित कर पाया। 1894-95 का सिनो-जापानी युद्ध और 1904-05 का रूस-जापान युद्ध इस नीति का परिणाम थे। औद्योगिकरण ने प्रदूषण और संसाधनों के अति-शोषण को भी बढ़ावा दिया, जिससे पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हुईं।

7. क्या आप मानते हैं कि माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी दल ने चीन को मुक्ति दिलाने और इसकी मौजूदा कामयाबी की बुनियाद डालने में सफलता प्राप्त की?

उत्तर: हाँ, माओ त्सेतुंग और चीन के साम्यवादी पार्टी ने चीन को विदेशी नियंत्रण और आंतरिक संघर्षों से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की स्थापना के साथ, साम्यवादी सरकार ने भूमि सुधार, औद्योगीकरण, और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा में सुधार किए। हालाँकि, “महान उन्नति अभियान” और “सांस्कृतिक क्रांति” जैसी नीतियाँ विवादास्पद रहीं, लेकिन दीर्घकालिक रूप से चीन की आर्थिक सफलता की नींव रखी गई। बाद में डेंग शियाओपिंग के नेतृत्व में बाजार सुधारों से चीन आर्थिक महाशक्ति बना।

8. क्या साउथ कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में योगदान दिया?

उत्तर: हाँ, दक्षिण कोरिया की आर्थिक वृद्धि ने इसके लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1960-80 के दशक में आर्थिक सुधारों और औद्योगिकीकरण के कारण देश की मध्यम वर्ग का विस्तार हुआ, जिससे लोकतंत्र के प्रति समर्थन बढ़ा। 1987 में व्यापक जन आंदोलनों के बाद सैन्य शासन समाप्त हुआ और लोकतांत्रिक चुनाव हुए। आर्थिक स्थिरता और शिक्षा के प्रसार ने नागरिकों को अधिक स्वतंत्रता और राजनीतिक जागरूकता प्रदान की, जिससे कोरिया मजबूत लोकतंत्र बन सका।

INTEX QUESTIONS

1. जापानियों और एज़टेकों का यूरोपीय लोगों से जो संपर्क टकराव हुआ, उसके अंतरों की पहचान करिए।

उत्तर: 

जापानएज़टेकों
16वीं शताब्दी में पुर्तगाली व्यापारियों के आगमन के साथ जापान का यूरोपीय देशों से संपर्क स्थापित हुआ। लेकिन जापान ने यूरोपीय लोगों के साथ अपने संबंध को नियंत्रित करने के लिए एक नीति अपनाई।स्पेनिशों ने 16वीं शताब्दी में एज़टेकों को जल्दी और क्रूरता से पराजित किया, जिससे उनकी सभ्यता नष्ट हो गई।
जापान ने कुछ पश्चिमी तकनीकों और विचारों को अपनाया, लेकिन अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखा।स्पेनिशों ने एज़टेकों की संस्कृति, धर्म और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश की।
जापान ने यूरोपीय लोगों के साथ व्यापार से आर्थिक लाभ प्राप्त किया, लेकिन उन्होंने अपनी आर्थिक शक्ति को बनाए रखने के लिए यूरोपीय लोगों पर निर्भरता से बचने की कोशिश की।स्पेनिशों ने एज़टेकों की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को बदल दिया, जिससे वे एक उपनिवेश बन गए।
19वीं सदी में अमेरिकी एडमिरल मैथ्यू पेरी के नेतृत्व में अमेरिकी जहाजों के जापान आने के बाद जापान ने पश्चिमी शक्तियों के साथ संबंध स्थापित करने के लिए एक नई नीति अपनाई।स्पेनिशों के साथ संपर्क के बाद एज़टेकों में यूरोपीय बीमारियों के कारण मृत्यु दर बहुत बढ़ गई।
जापान ने पश्चिमी शक्तियों से प्रेरणा लेकर औद्योगिकीकरण और आधुनिकीकरण किया, जिससे वह एक शक्तिशाली राष्ट्र बन गयास्पेनिशों ने एज़टेकों के संसाधनों का शोषण किया, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई।

2. भेदभाव का अहसास लोगों को कैसे एकतावद्ध करता है?

उत्तर: भेदभाव का अनुभव लोगों के भीतर अन्याय के खिलाफ जागरूकता और संघर्ष की भावना को उत्पन्न करता है। यह समान परिस्थितियों से गुजरने वाले व्यक्तियों को एकजुट करता है, जिससे वे अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज़ उठाते हैं। इतिहास में कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों की जड़ें इसी सामूहिक चेतना और एकता में रही हैं, जो भेदभाव के विरुद्ध बदलाव लाने की प्रेरणा देती हैं।

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