Class 9 Ambar Bhag 1 Chapter 4 पथ की पहचान

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Class 9 Hindi (MIL) Ambar Bhag 1 Chapter 4 पथ की पहचान

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पथ की पहचान

पाठ – 4

Group – A: पद्य खंड

कवि – परिचय:

हरिवंश राय ‘बच्चन’ हिंदी साहित्य के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। बच्चन जी का जन्म 27 नवंबर, 1907 को इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। इलाहाबाद के कायस्थ पाठशाला तथा गवर्नमेंट कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा काशी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। सन् 1941 से 1952 तक आप इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के व्याख्याता रहे। 1952 से 1954 तक आप इंग्लैंड में रहकर ईट्स के काव्य पर शोधकार्य किया, जिससे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इन्हें पीएच.डी. की डिग्री प्रदान किया। स्वदेश लौटकर वे पुन: व्याख्याता का पद सुशोभित किए। कुछ समय तक आप आकाशवाणी इलाहाबाद में हिंदी के प्रोड्यूसर रहे। फिर आप विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ तथा राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे। सन् 1972 से 1982 तक आप कभी दिल्ली तथा कभी मुम्बई में रहकर अंत में स्थायी रूप से दिल्ली में रहने लगे। भारतीय फिल्म जगत के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन उनके सुपुत्र हैं। 18 जनवरी, 2003 को आपका स्वर्गवास हुआ।

हरिवंश राय ‘बच्चन’ हिंदी के लोकप्रिय कवि रहे। आपने आत्मानुभूति एवं आत्माभिव्यक्ति के बल पर काव्य-रचना की। जब छायावाद की कविताएँ साधारण पाठकों के लिए सहज ग्राह्य नहीं रही। ऐसी स्थिति में बच्चन जी अपनी सीधी-साधी जीवंत भाषा एवं सहज गेय शैली में अपने मन की बात कहने लगे। तब पाठकों को लगा कि उन्हीं के मन की बात गीत बनकर आ रही है। इस प्रकार पाठकों के बीच बच्चन जी की लोकप्रियता बढ़ने लगी। जिन परिस्थितियों में प्रगतिवादी काव्यधारा का जन्म हुआ, उन्हीं परिस्थितियों से बच्चन का मधुकाव्य प्रस्फुटित हुआ था। बच्चन जी के काव्य में व्यक्ति का रूढ़ियों के प्रति विद्रोह मुखरित हुआ। आम आदमी के सुखदुःख और सपनों को सहज अभिव्यक्ति मिली।

बच्चन जी ने अनेक पुस्तकों की रचना की है। ‘मधुशाला’ उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति है। ‘मधुशाला’ में बच्चन जी ने हाला- प्याला- मधुशाला और साकीबाला के प्रतीकों के माध्यम से सामयिक परिस्थितियों एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं को समुचित समझाने का प्रयास किया है। इसके अतिरिक्त कवि बच्चन द्वारा रचित अन्य काव्य कृतियाँ इस प्रकार हैं –

मधुबाला, मधुकलश, निशा-निमंत्रण, एकांत संगीत, आकुल अंतर, सतरंगिनी, हलाहल, खादी के फूल, मिलन यामिनी आदि। इसके अलावे बच्चन जी डायरी, आलोचना, निबंध आदि भी लिखते थे।

कवि-संबंधी प्रश्न एवं उत्तर:

1. हरिवंश राय ‘बच्चन’ किस काल के प्रमुख कवि हैं?

उत्तर: हरिवंश राय ‘बच्चन’ उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवि हैं।

2. कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ का जन्म कब और कहाँ हुआ?

उत्तर: कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ का जन्म नवंबर, 1907 को इलाहाबाद में हुआ।

3. हरिवंश राय ‘बच्चन’ ने उच्च शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?

उत्तर: हरिवंश राय बच्चन’ ने उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय और काशी विश्वविद्याल से प्राप्त की।

4. कवि बच्चन ने किस विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्य किया?

उत्तर: कवि बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में व्याख्याता के पद पर कार्य किया।

5. हरिवंश राय ‘बच्चन’ इंग्लैंड में कितने वर्षों तक?

उत्तर: हरिवंश राय ‘बच्चन’ इंग्लैंड में दो वर्षों तक रहें।

6. ‘किस विषय’ पर शोध करने पर बच्चन जी को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की?

उत्तर: ईट्स के काव्य पर शोध करने पर कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने बच्चन जी को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की।

7. हरिवंश राय ‘बच्चन’ ने किन-किन क्षेत्रों में कार्य किया?

उत्तर: हरिवंश राय ‘बच्चन’ ने आकाशवाणी इलाहाबाद में हिंदी प्रोड्यूसर, विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ तथा राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रहे।

8. ‘बच्चन’ जी की कविताएँ पाठकों के मन पर क्या प्रभाव डालती हैं?

उत्तर: ‘बच्चन’ जी सीधी-साधी एवं सहज भाषा में कविता लिखते थे, जो पाठकों को उनके मन की बात गीत के रूप में प्रतीत होती थी।

9. बच्चन जी का देहावसान कब हुआ?

उत्तर: बच्चन जी का देहावसान 18 जनवरी, 2003 को हुआ।

10. कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ की सबसे प्रसिद्ध रचना कौन-सी है?

उत्तर: कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ की सबसे प्रसिद्ध काव्य-रचना है- मधुशाला।

11. कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ की दो काव्य-ग्रंथों के नाम बताओ।

उत्तर: कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ की दो प्रमुख काव्य-ग्रंथ हैं- मधुबाला, निशानिमंत्रण।

सारांश:

‘पथ की पहचान’ कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ की बेहद प्रेरणादायक कविता है। इसमें कवि ने लोगों को यह संदेश दिया है कि जीवन-पथ पर आगे बढ़ने से पहले अपने लिए उद्देश्यपूर्ण सुमार्ग की पहचान कर लेनी चाहिए।

हमारा जीवन-पथ अनेक संभावनाओं, अनिश्चितताओं एवं बाधाओं से भरा होता है। कौन-सा मार्ग हमारे लिए उपयुक्त है। इसकी जानकारी हमें खुद करनी पड़ती है। पुस्तकीय ज्ञान हमेशा उचित मार्गदर्शन नहीं कराता, परंतु हमारे पूर्वजों ने जो मार्ग दिखाया है, हम उसका भी अनुशरण करके उचित मंजिल प्राप्त कर सकते हैं। यदि एक मार्ग पर चलना असंभव लगने लगे तो उसे छोड़कर दूसरा मार्ग भी अपनाया जा सकता है। इससे हमारी यात्रा सरल होगी।

जीवन-पथ अनेक अनिश्चितताओं से भरा होता है। पथ में तरह-तरह की सुंदर चीजें दिखाई पड़ेंगी। नदी, पहाड़, झरना, बगीचे एवं पहाड़ों की हरियाली हमारा मन आकर्षित करेंगी। परंतु यह भी अनिश्चित है कि सुंदर फूलों के बदले काँटे अर्थात् बाधाओं से भी सामना करना पड़ेगा। यह भी अनिश्चित है कि कब हमारी यात्रा समाप्त हो जाए। अचानक आपका साथी आपसे बिछड़ जाए या कोई नया साथी आपसे मिल जाए।

सपना देखने या कल्पना करने का सबको अधिकार है, लेकिन केवल कल्पना पर ही भरोसा मत करो। सत्य हमेशा सत्य रहता है। जीवन के यथार्थ से भी पूर्ण परिचित होना आवश्यक है। साहस, मेहनत, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प के द्वारा ही उन सपनों को साकार किया जा सकता है। जीवन की बाधाओं को हिम्मत एवं सूझ-बूझ के साथ सामना करना चाहिए। जीवन में आए संकटों से भी हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन विघ्न-बाधाओं से सबक लेकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

शब्दार्थ:

पूर्व: पहले

बटोही: राही, पथिक

बाट: रास्ता

जबानी: मुखस्थ

अनगिनत: जिसकी गिनती न हो सके

मूक: गूँगा

पंथी: राही, पथिक

पंथ: रास्ता

पग: कदम

सरल: आसान

चित्त: हृदय

निशानी: पहचान, चिह्न

व्यर्थ: बेकार

अवधान: ध्यान, मनोयोग

सरित: नदी

गिरि: पर्वत

गहर: गुफा

बाग: बगीचा, फुलवारी

सुमन: फूल

कंटकों: काँटों/पथ में आनेवाली बाधाएँ

शर: वाण, तीर

सहसा: अचानक, एकाएक

आन: अभिमान, गर्व, घमंड

यल: प्रयत्न, कोशिश

ध्येय: उद्देश्य

नयन: आँख

निलय: घर

जग: संसार

मुग्ध: आकर्षित होना, लुभाना

दृग-कोरकों में: आँख के छोरों में

दीप्ति: आभा, प्रकाश, चमक

पगों को: पैरों को

ललकती: ललचाती हुई, लालसा लिए हुए

उन्मुक्त: स्वच्छंद, आजाद

अनोखी: विचित्र

सीख: शिक्षा, ज्ञान

सम्मान: आदर

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर:

बोध एवं विचार:

1. सही विकल्प का चयन कीजिए –

(क) जीवन-पथ पर आगे बढ़ने से पहले हमें किसकी पहचान कर लेनी चाहिए?

(i) सुमार्ग

(ii) मंजिल

(iii) शक्ति

(iv) धन-दौलत

उत्तर: (i) सुमार्ग

(ख) ‘कंटकों’ की इस अनोखी

सीख का सम्मान कर ले।’

यहाँ ‘कंटक’ किसका प्रतीक है?

(i) काँटे

(ii) सुख

(iii) बाधाएँ

(iv) जंगल

उत्तर: (iii) बाधाएँ

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए:

(क) ‘पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले।’- इसमें ‘बटोही’ किसे कहा गया है?

उत्तर: इसमें ‘बटोही’ जीवन-पथ पर आगे बढ़ने वाले मनुष्य को कहा गया है।

(ख) किसकी कहानी पुस्तकों में भी नहीं मिलती?

उत्तरः सुमार्ग पर चलने की कहानी (सीख) पुस्तकों में भी नहीं मिलती।

(ग) स्वप्न देखने का अधिकार किसे है?

उत्तरः प्रत्येक व्यक्ति को स्वप्न देखने का अधिकार है।

(घ) कवि ने पथिक को किस पर मुग्ध होने से मना किया है?

उत्तर: कवि ने पथिक को स्वप्न अर्थात् कल्पना लोक पर मुग्ध होने से मना किया है।

(ङ) ‘पाँव का दिल’ कौन चीर देता है?

उत्तर: काँटा पाँव का दिल चीर देता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) कवि ने किसकी कहानी पुस्तकों में नहीं छपने की बात की है?

उत्तरः सुमार्ग खोजने की कहानी पुस्तकों में नहीं छपी होती। मनुष्य को स्वविवेक से अपना सही जीवन-लक्ष्य चुनना पड़ता है। अर्थात् जीवन-पथ पर चलने के लिए पुस्तकीय ज्ञान हमारा सहारा नहीं बनता। इसे हमें अपने स्वाभिमान एवं अनुभव से प्राप्त करना पड़ता है।

(ख) पथ की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?

उत्तर: जीवन-पथ अनेक कठिनाइयों से भरा होता है। इसमें सफलता – असफलता दोनों मिलती है। स्वविवेक, स्वाभिमान एवं अनुभव के द्वारा हम अपना जीवन-पथ चुन सकते हैं। इस कार्य में हमारे पूर्वजों के बताए मार्ग भी बहुत हद तक हमारी सहायता करते हैं। हम अपने पूर्वजों द्वारा बताए मार्गों चलकर भी अपनी मंजिल को पा सकते हैं।

(ग) हमारे किन पूर्वजों का सुयश किन रूपों में अभी भी कायम है?

उत्तरः कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण के दिए गीता के उपदेश, भगवान बुद्ध के बताए गए सत्य एवं अहिंसा के मार्ग, कबीर, तुलसी एवं सूरदास के उपदेश तथा महात्मा गाँधी के बताए गए सत्याग्रह एवं अहिंसा के मार्ग आज भी हमारा मार्ग-दर्शन कर रहे हैं। सम्राट अशोक के द्वारा देश-विदेशों में प्रचारित बौद्ध धर्म आज भी कायम है।

(घ) यात्रा सरल बनाने के लिए कवि ने क्या सुझाव दिया है?

उत्तर: जीवन-पथ पर आगे बढ़ने को कवि ने यहाँ जीवन-यात्रा का नाम दिया है। इस जीवन यात्रा को सरल बनाने के लिए मनुष्य को व्यर्थ के विवादों से बचना चाहिए। यात्रा में हमें कष्ट मिलेगा या सुख प्राप्त होगा। सफलता मिलेगी या असफलताइसकी परवाह किए बिना निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। इससे यात्रा सरल होगी।

(ङ) यात्रा में क्या-क्या अनिश्चित है?

उत्तर: हमें यात्रा में अनेक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ सकता है। हमारी यात्रा सरल होगी या कठिन, यात्रा में हमें कष्ट मिलेगा या सहुलियत होगी। यात्रा सफल होगी या असफल -इन सबकी कोई गारंटी नहीं है। यात्रा में अनेक बाधाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। मार्ग में अनेक मनोरम स्थान भी मिल सकते हैं। सुंदर-सुंदर पहाड़, वन, बाग भी देखने को मिल सकते हैं तथा काँटे भी चुभ सकते हैं।

(च) कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने की मनाही क्यों की है?

उत्तर: कायर और कामचोर लोग ही स्वप्न पर विश्वास करते हैं तथा मुग्ध होते हैं। साहसी और पुरुषार्थी व्यक्ति सत्य का सहारा लेते हैं तथा स्वप्न अथवा कल्पना को भी साकार करने की कोशिश करते हैं। अर्थात् जीवन में यथार्थ 

से परिचित होना ओत्यन्त आबश्यक है ।बिसलिये कबि नेसौपों पर मुग्द होने से मना करते हैं। गम नहीं किया यहसग से परिचित होना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए कवि ने स्वप्न पर मुग्ध होने से मना करता है।

(छ) ‘पथ की पहचान’ कविता से क्या सीख मिलती है? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: ‘पथ की पहचान’ कविता हमें जीवन में हमेशा आगे बढ़ने की सीख देती है। मनुष्य जब अपने जीवन-पथ पर आगे बढ़ता है तो उसके सामने कई प्रकार की चुनौतियाँ होती हैं। जीवन में सही मार्गदर्शन न मिले अथवा व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में उचित मार्ग से भटकने लगे तो उसका साहस, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प ही उसे विचलिन होने से रोकता है। अतः जीवन मार्ग में आने वाली बाधाओं से सबक लेकर आगे बढ़ने की यह कविता हमें सीख देती है।

4. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) यह निशानी मूक होकर

भी बहुत कुछ बोलती है।

उत्तर: ये पंक्तियाँ ‘पथ की पहचान’ शीर्षक कविता की है। हरिवंश राय ‘बच्चन’ इसके कवि हैं। इन पंक्तियों में हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित स्मृति-चिह्नों से सबक लेकर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि हमारे पूर्वजों द्वारा संचित धरोहर तथा उनके पद-चिह्न हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। यद्यपि ये पद-चिह्न और निशानियाँ मूक धरोहर होती हैं तथापि उनमें सफलता के अनगिनत ज्ञान छिपे होते हैं।

(ख) स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो,

सत्य का भी ज्ञान कर ले।

उत्तर: ये पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ द्वारा रचित ‘पथ की पहचान’ कविता की है। इसमें कवि ने कल्पना अथवा स्वप्न पर भरोसा न करके जीवन के यथार्थ से परिचित होने की बात कही है।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि कल्पना या स्वप्न के सहारे हम जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते। हमें प्रगति करने के लिए ठोस आधार की आवश्यकता होती है। अतः कल्पना को साकार करने पर जोर देना चाहिए।

(ग) रास्ते का एक काँटा

पाँव का दिल चीर देता।

उत्तरः ये पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय ‘बच्चन’ द्वारा रचित कविता ‘पथ की पहचान’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने पथ में आने वाली बाधाओं के प्रति सजग किया है।

इन पंक्तियों का आशय यह है कि जिस प्रकार पैरों में यदि एक काँटा भी चुभ जाए तो हम चल नहीं सकते उसी प्रकार जीवन में आनेवाली एक भी बाधा हमारी उन्नति पर पानी फेर देती है। इसलिए हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ते समय काफी सजग और सावधान रहना चाहिए।

भाषा एवं व्याकरण:

1. निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए:

बटोही, पग, नदी, पर्वत, जंगल, आँख

उत्तरः बटोही – पथिक, राही, यात्री

पग – कदम, डेग, पैर

नदी – सरिता, तटिनी, तरंगिनी

पर्वत – पहाड़, गिरि, अचल

जंगल – वन, विपिन, कानन

आँख – नेत्र, चक्षु, नयन

2. निम्नलिखित संज्ञा- शब्दों के विशेषण-रूप लिखिए:

राह, यात्रा, बाट, सफलता, मुख, भूत, दिन, हृदय

उत्तर: राह – राही

बाट – बटोही

मुख – मुखर, मौखिक

दिन – दैनिक

यात्रा – यात्री

सफलता – सफल

भूत – भौतिक

हृदय – हार्दिक

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए:

असंभव, ज्ञात, मूक, बुरा, सरल, विश्वास, अनिश्चित, सफलता, सत्य, स्वर्ग, ज्ञान, सम्मान

उत्तर: असंभव – संभव

मूक – वाचाल

सरल – कठिन

अनिश्चित – निश्चित

सत्य – असत्य

ज्ञान – अज्ञान

ज्ञात – अज्ञात

बुरा – भला

विश्वास – अविश्वास

सफलता – विफलता, असफलता

स्वर्ग – नरक

सम्मान – अपमान

योग्यता-विस्तार:

1. ‘पथ की पहचान’ कविता का सस्वर वाचन कीजिए।

उत्तरः विद्यार्थीगण स्वयं करें।

2. ‘पथ की पहचान’ कविता से मिलती-जुलती कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता ‘पथ भूल न जाना’ पढ़िए और पठित कविता से उसकी तुलना कीजिए।

उत्तरः विद्यार्थी स्वयं करें।

अतिरिक्त प्रश्न एवं उत्तर:

1. मनुष्य अपनी कल्पना अथवा सपनों को साकार कैसे कर सकता है?

उत्तर: मनुष्य अपने साहस, मेहनत, लगन, अनुभव एवं शुद्ध संकल्प के द्वारा अपने सपनों को साकार कर सकता है।

2. जीवन की बाधाएँ हमें क्या सीख देती हैं?

उत्तर: जीवन में आनेवाली बाधाएँ हमें कठिन परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने की सीख देती हैं।

3. यदि मानव जीवन में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए तो क्या होगा?

उत्तरः बाधाएँ हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों से लड़कर आगे बढ़ने की शिक्षा देती हैं। यदि मानव-जीवन में बाधाएँ नहीं आएँ तो मनुष्य बेपरवाह और अनुभवहीन रह जाएगा। उसे जीवन-यात्रा का असली मजा नहीं मिलेगा।

4. जीवन-मार्ग में हमें किस प्रकार के दृश्य देखने को मिलते हैं?

उत्तरः जीवन-मार्ग में हमें अनेक प्रकार के दृश्य देखने को मिलते हैं। मार्ग में हमें कलकल करती नदियाँ, झर-झर बहते झरने, हरियाली भरे पर्वत, ऊँचे-ऊँचे पर्वत, भयंकर एवं अंधेरी गुफाएँ, सुंदर-सुंदर फूलों से भरे बाग-बगीचे, छायादार वृक्ष, सघन वन एवं काँटेदार झाड़ियाँ देखने को मिलती हैं।

5. स्वप्नों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

उत्तरः स्वप्न क दाचित हमारे जीवन को बहुत हद तक एक सुदृढ़ आधार प्रदान करता है। ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है।’ जब हम किसी चीज की आवश्यकता महसूस करते हैं तो उसे बनाने की कल्पना करते हैं। उसी कल्पना के सहारे हम हकीकत तक पहुँचते हैं। समय आने पर हम अपने साहस, मेहनत और लगन के साथ उक्त वस्तु को पाने में लग जाते हैं। समय आने पर हमारी मेहनत रंग लाती है और हमारा सपना साकार हो उठता है। चिड़ियों को आकाश में उड़ते देखकर ही हवाई जहाज बनाने की लालसा राईट बंधुओं के मन में जगी थी और समय आने पर यह साकार हो उठा।

6. सही विकल्प का चयन कीजिए:

(क) कवि ने किस पर मुग्ध होने से मना किया है?

(i) सत्य

(ii) स्वप्न

(iii) कंटक

(iv) सरित

उत्तर: (ii) स्वप्न

(ख) आँख में हो ______ लेकिन पाँव पृथ्वी पर टिके हों,______ खाली स्थान भरिए।

(i) आँसू

(ii) चमक

(iii) स्वर्ग

(iv) आकाश

उत्तर: (iii) स्वर्ग

(ग) यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ _____ है, _____ खाली स्थान भरिए।

(i) बोलती

(ii) घोलती

(iii) डोलती

(iv) खोलती

उत्तर: (i) बोलती

(घ) ______ में है नहीं छापी गई इसकी कहानी, ______ खाली स्थान भरिए।

(i) पत्र

(ii) पुस्तकों

(iii) दुनिया

(iv) देशों

उत्तर: (ii) पुस्तकों

7. एक शब्द / वाक्य में उत्तर दीजिए –

(क) ‘पथ की पहचान’ कविता के कवि कौन हैं?

उत्तर: हरिवंश राय ‘बच्चन’।

(ख) किस जगह पर हमारी यात्रा खत्म हो जाएगी – यह भी निश्चित है या अनिश्चित?

उत्तरः अनिश्चित।

(ग) जीवन-पथ में सुंदर वन-बाग मिलेंगे- यह भी निश्चित है या अनिश्चित?

उत्तरः अनिश्चित।

(घ) हमारी आँखों में किसे देखने का सपना होना चाहिए?

उत्तरः स्वर्ग देखने का।

(ङ) जब हमें स्वर्ग का सपना आता है तो क्या होता है?

उत्तर: हमारी आँखों में चमक आ जाती है और हमारे पैरों को पंख लग जाते हैं।

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