Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 13 भ्रमण, Assam Jatiya Vidyalaya | অসম জাতীয় বিদ্যালয় হিন্দী Class 6 Question Answer to each chapter is provided in the list of SEBA so that you can easily browse through different chapters and select needs one. Assam Jatiya Bidyalay Chapter 13 भ्रमण Class 6 Hindi Question Answer can be of great value to excel in the examination.
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भ्रमण
Chapter – 14
অসম জাতীয় বিদ্যালয়
পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ
ভ্রমণ শিক্ষাৰ এটা মহত্ত্বপূর্ণ অংগ। ভ্ৰমণৰ দ্বাৰা বাস্তৱিক জ্ঞানৰ লগতে মনোৰঞ্জনো হয়। এইবাবে বিদ্যালয়ৰ ফালৰ পৰাও যিমান দূৰ সম্ভৱ ভ্ৰমণ কৰাব লাগে। |
পূর্বাচল জাতীয় বিদ্যালয়ত আজি যথেষ্ট উৎসাহ-উদ্দীপনা। কিয়নো স্কুলৰ সকলো বিদ্যার্থী আজি অসমৰ দুখন প্রসিদ্ধ গাঁৱৰ ফালে ৰাওণা হ’ব।
স্কুলৰ বিদ্যার্থী আৰু শিক্ষক-শিক্ষয়িত্ৰী এখন পর্যটন বাছৰ দ্বাৰা প্ৰথমে অসমৰ প্ৰসিদ্ধ বস্ত্ৰ নগৰী শুৱালকুছিৰ পিনে ৰাওণা হ’ল। ৰাস্তাৰ দুয়োপিনে খেতিৰ সেউজীয়া পাৰ হৈ বাছখন লাহে-লাহে শুৱালকুছিত উপস্থিত হ’ল।
এই গাঁৱৰ উত্তৰ দিশত বিশাল খেতিপথাৰ আছে, পূবত ঘাটিয়া পাহাৰ আৰু এছিয়া মহাদেশৰ সকলোতকৈ ডাঙৰ পানীৰ টেংক। পশ্চিমত সিদ্ধেশ্বৰী পাহাৰ আৰু দক্ষিণত ব্রহ্মপুত্র নদ। শুৱালকুছিৰ প্ৰাকৃতিক সৌন্দর্য মনোৰম।
শিক্ষক-শিক্ষয়িত্ৰীয়ে বিদ্যাৰ্থীসকলক এক লগ কৰালে। পুনৰ শৃংখলাবদ্ধভাবে তাৰ মানুহবিলাকৰ ঘৰলৈ গৈ কাপোৰ বোৱাৰ বিবল কলাৰ দৰ্শন কৰিলে। গুৱালকুছিৰ ঘৰে ঘৰে শাল আছে আৰু কাপোৰ বোৱাটো অন্যতম জীবিকা। ইয়াত মূলতে ‘পাট-মুগা’ৰ কাপোৰ বোৱা হয়। এইটো মানুহবিলাকৰ পৰম্পৰা। ইয়াত পাঁট-মুগাৰ বহুতো শাল আছে। 1980 চনলৈকে কাপোৰ বিক্ৰী কৰাৰ সুবিধা নাছিল। কিন্তু আজিকালি ‘অসম সমবায় ৰেচম প্রতিষ্ঠান’ৰছাৰা কাপোৰ বিক্ৰী কৰাটো সহজ হৈ পৰিছে। ইয়াৰ পাৰ্ট-মুগাৰ কাপোৰ পিন্ধি মানুহে যি ধৰণে গৌৰৱ কৰে, ঠিক সেইধৰণে গৌৰৱ কৰে তাৰ শিপিনী বিলাকে। স্বয়ং গান্ধীজীয়ে ইয়ালৈ আহি কাপোৰৰ প্ৰশংসা কৰিছিল আৰু নিজকে ধন্য মানিছিল।
শুৱালকুছি এছিয়া মহাদেশৰ ভিতৰত আটাইতকৈ ডাঙৰ গাঁও। ইয়াক অসমৰ মানচেষ্টাৰ বুলি কোৱা হয়। শংকৰদেৱৰ ‘নামঘৰ’ শুৱালকুছিৰ প্ৰাণস্বৰূপ। শংকৰ উৎসৱ’, নাম কীর্তন আদি বৰ ধাৰ্মিক আড়ম্বৰভাৱে পালন কৰা হয়। প্রতি বছৰে ‘ৰাস মহোৎসৱো’ পালন কৰা হয়।
চাওঁতে চাওঁতে তেওঁলোকে সম্পূর্ণ দুই ঘণ্টা শুৱালকুছিতে অতিবাহিত কৰিলে। তেওঁলোকে আনন্দৰ কাৰণেই ইমান সময় কেনেকৈ পাৰ হৈ গ’ল গমেই নাপালে! এইবাবে শুৱালকুছি ভ্রমণ তাতেই সমাপ্ত কৰি তেওঁলোক সকলোৱে বাছত উঠিল আৰু দক্ষিণ কামৰূপৰ এখন প্ৰসিদ্ধ ঠাই ছয়গাঁৱলৈ ৰাওণা হ’ল।
বাছ জালুকবাৰীৰ ‘ৰাজীৱ চোক’ হৈ পশ্চিমফালে যাবলৈ ধৰিলে। তাৰ পিছত মিৰ্জাত অলপ ৰৈ সকলোৱে চাহ খাই ল’লে। এইবাৰ অন্তাক্ষৰী আৰম্ভ হ’ল আৰু বাছ চলি গ’ল। প্রায় আধাঘণ্টাতে তেওঁলোক ছয়গাঁৱত উপস্থিত হ’ল আৰু পোনচাটেই ‘চণ্ডিকা দেৱালয়’ পালে। সকলোৱে মুখ-হাত ধুই ল’লে, মন্দিৰ চালে আৰু দেৱীক প্রণাম কৰিলে।
ছয়গাঁও দক্ষিণ কামৰূপৰ এখন প্ৰসিদ্ধ গাঁও। ইয়াৰ বেছিভাগ মানুহে খেতি কৰে। কিছু মানুহে চাকৰি, ব্যৱসায়ো কৰে। মুগা, এড়ী উৎপাদনৰ ক্ষেত্ৰত এই অঞ্চল প্রসিদ্ধ। ইয়াত প্ৰসিদ্ধ ‘চণ্ডিকা দেৱালয়’ আৰু চান্দ সদাগৰৰ মেৰঘৰো’ অৱস্থিত।
চণ্ডিকা দেৱালয়ৰ নির্মাণ সম্পর্কে কথিত আছে যে ভগৱান শিৱই যেতিয়া সতীৰ শ কান্ধত লৈ ঘূৰি ফুৰিছিল তেতিয়া শৰীৰৰ এটা অংগ তাত পৰিছিল। এই কাৰণে এই ঠাইখিনিত ‘চণ্ডিকা দেবালয়’ নিৰ্মাণ কৰা হৈছে। অসমৰ বিভিন্ন ঠাইৰ পৰা হেজাৰ হেজাৰ ভক্ত মাৰ দৰ্শনৰ উদ্দেশ্যে ইয়ালৈ আহে।
এইদৰে সতী বেউলাৰ পতি লক্ষীন্দাৰক বিষহৰিৰ পৰা উদ্ধাৰ কৰিবৰ বাবে। চান্দ সদাগৰে ইয়াত মেৰঘৰ সাজিছিল। কিন্তু এক জনশ্রুতি অনুসৰি পাণত চুপ। নিদিয়াৰ অপৰাধত বিশ্বকৰ্মাই ঘৰত এটা বিন্ধা ৰাখি থৈছিল। সেই বিন্ধাৰে সোমাই বিষহৰিয়ে লক্ষীন্দাৰক দংশিলে। কিন্তু পত্নী বেউলাৰ স্বামী-ভক্তি আৰু সতীত্বৰ কাৰণে লক্ষীন্দাৰে পুনৰ জীৱন লাভ কৰে।
ছয়গাঁও বিভিন্ন জাতি, ধৰ্মৰ মানুহৰ সমন্বয়থলী। ইয়াত হিন্দু, মুছলমান, খৃষ্টিয়ান আদি ধৰ্মৰ মানুহ মিলিজুলি বাস কৰে। ‘ৰাসলীলা’ ইয়াৰ আটাইতকৈ ডাঙৰ উৎসৱ। ৰঙালী বিহুৰ সময়ত পালন কৰা ‘সুঁৱৰী উৎসৱ’ও এটা মহত্ত্বপূর্ণ উৎসৱ। শিক্ষক প্রণয় মহোদয়ৰ পৰা ছয়গাঁৱৰ বিষয়ে ইমানবোৰ কথা শুনি সকলো প্রসন্ন হ’ল। সকলোৱে শিক্ষক মহোদয়ক ধন্যবাদ দিলে। এইদৰে ছয়গাঁও আৰু গুৱালকুছিৰ বিষয়ে মহত্ত্বপূর্ণ জানিবলগীয়া কথাবোৰ জানিব পাৰি তেওঁলোক সুখী হ’ল।
शब्द (শব্দ) | अर्थ (অৰ্থ) | |
महोत्सव | बड़ा उत्सव | ডাঙৰ উৎসৱ |
आड़म्बर | शान-शौकत | আড়ম্বৰ |
समन्वय | मिलन | মিলন, সমন্বয় |
जुलाहिन | कपड़े बुननेवाली महिला | শিপিনী |
कहावत | जनश्रुति | জনশ্রুতি |
पशन-अभयास (প্রশ্ন অভ্যাস)
चर्चा मे (আলোচনা কৰা) :
1. तुम भ्रमण हेतु कहाँ-कहाँ जा चुके हो ? किसी एक जगह का वर्णन करो (তুমি ভ্ৰমণৰ উদ্দেশ্যে ক’লৈ-কলৈ গৈছা ? কোনো এখন ঠাইৰ বৰ্ণনা কৰা)
उत्तर : मैं पहले बार भ्रमण करने के लिये उड़िस्या के पुरी, शिवसागर जिला के रंगघर-कारेंघर और बरपेटा जिला के बरपेटा सत्र को गया था।
बरपेटा सत्र और बरपेटा शहर महापुरुष शंकरदेव और श्रीमाधवदेव के पवित्र आदर्श से पल्लवित शहर है। बरपेटा के लोग शिक्षा-दीक्षा और वाणिज्य में आगे है।
2. लोग क्यों भ्रमण करने निकलते हैं ? भ्रमण से क्या-क्या लाभ होते है ? चर्चा करो। (মানুহে কিয় ভ্রমণ কৰিবলৈ ওলায়। ভ্রমণৰ পৰা কি কি লাভ হয় ? আলোচনা কৰা।)
उत्तर : लोग अनजाने को जानने के लिए अनदेख को देखने के लिए और ज्ञान अर्जन के लिए भ्रमण में जाते हैं। भ्रमण स्वाथ्य रक्षा के लिए जरूरी है।
3. असम के कुछ इतिहास प्रसिद्ध जगहों के नाम बताओ और वे किसलिए प्रसिद्ध हैं? वर्णन करो। (অসমৰ কিছু ইতিহাসসিদ্ধ ঠাই নাম কোৱা আৰু কিয় প্রসিদ্ধ আলোচনা কৰা)
उत्तर : असम के कोई इतिहास प्रसिद्ध जगह निम्नलिखित वस्तु के लिए श्रेष्ठ है।
शिवसागर- शिवद ‘ल, जयसागर पुखुरी, रंघर, तलातल घर
-आहोम युग के कृति चिह्न ৷
गुवाहाटी- कामाख्या मन्दिर, भुवनेश्वरी मन्दिर, वशिष्ठाश्रम, नवग्रह मन्दिर आदि।
-मठ-मन्दिर के लिए प्रसिद्ध ৷
प्रश्न : 4. सम्पूर्ण वाक्य में उत्तर लिखो : (সম্পুৰ্ণ বাক্যত উত্তৰ লিখা)
(i) पूर्वाचल जातीय विद्यालय के विद्यार्थी भ्रमण हेतु कहाँ गए थे ?
उत्तर : पूर्वाचल जातीय विद्यालय के विद्यार्थी असम के प्रसिद्ध गाँव शुवालकुछि और छयगाँव गए थे।
(ii) शुवालकुछि कहाँ है ? यह जगह किसलिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर : शुवालकुछि ब्रह्मपुत्र के उत्तरी दिशा में है। इसकी उत्तरी दिशा में विशाल खेतका मैदान है, पूरब में घाटिया पहाड़ और एशिया महादेश का सबसे बड़ा पानी टैंक है। पश्चिम में सिद्धेश्वड़ी पहाड़ और दक्षिण में ब्रह्मपुत्र नद है।
शुवालकुछि मूलत : “पाट-मुगा” के कपड़े उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
(iii) शुवालकुछि के लोगों की अन्यतम आजीविका क्या है ?
उत्तर : शुवालकुछि के लोगों की अन्यतम आजीविका है कपड़ा बुनना।
(iv) शुवालकुछि को और किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : शुवालकुछि को असम का मानचेस्टार नाम से जाना जाता है।
(v) छयगाँव कहाँ है ? यहाँ के लोग क्या काम करते हैं ?
उत्तर : छयगाँव दक्षिण कामरूप में है।
यहाँ के लोग खेती करते हैं। कुछ लोग नौकरी, व्यवसाय भी करते हैं। मूगा, एड़ी उत्पादन केन्द्र भी है।
(vi) ‘चण्डिका देवालय’ का निर्माण क्यों किया गया है ?
उत्तर : ‘चण्डिका देवालय’ का निर्माण के सन्दर्भ में कहावत है कि भगवान शिवजी जब सती के शव को कंधे पर लाडकर घूम रहे थे तब उनके शरीर का एक अंग यहाँ गिर पड़ा था। इसलिए इस जगह पर ‘चण्डिका देवालय’ का निर्माण किया गया।
(vii) लक्षीन्दर का क्यों पुनः जीवन दान किया था ?
उत्तर : लक्षीन्दर को जब विषहरि ने काटा था तब पत्नी वेउला ने स्वामी भक्ति और सतीत्व के कारण लक्षीन्दार को पुनः जीवन दान मिला था।
(viii) मेरघर का निर्माण किसने और क्यों करवाया था ?
उत्तर : चान्द सदागर ने सती बेठला के पति लक्षीन्दार को बिषहरि से बचाने के लिए मेरघर बनवाया था।
प्रश्न : 5. चित्रों को पहचानो और कहाँ पर हैं लिखो : (চিত্ৰ চাই ক’ত আছে কোৱা)
उत्तर :
कामाख्या | गुवाहाटी में |
रंगघर | शिवसागर में |
वशिष्ठाश्रम | गुवाहाटी में |
तलातल घर | शिवसागर में |
प्रश्न : 6. प्रश्नबोधक वाक्य बनाओ (প্ৰশ্নবোধक বাক্য সাজা) :
उदाहरण : वे भ्रमण हेतु निकल पड़े।
वे क्यों निकल पड़े ?
(i) शुवालकुछि के घर-घर में ‘शाल’ है।
उत्तर : शुवालकुछि के घर-घर में क्या है ?
(ii) रहीम खेल रहा है।
उत्तर : रहीम क्या कर रहा
(iii) मैं एक शिक्षक बनना चाहता हूँ।
उत्तर : तुम क्या बनना चाहते हो ?
(iv) हम रेल से यात्रा करेंगे।
उत्तर : तुमलोग कैसे यात्रा करोगो ?
(v) वहाँ प्रणव और उसके दोस्त खेल रहे हैं।
उत्तर : वहाँ कौन-कौन खेल रहे हैं ?
प्रश्न : 7. वचन परिवर्तन करके वाक्यों को फिर से लिखो (বচন পৰিবর্তন কৰি বাক্যটো পুনৰ লিখা)
उत्तर :
(i) लड़का पढ़ता है। | लड़के पढ़ते हैं। |
(ii) मैं जाती हूँ। | हम जाते हैं। |
(iii) बालिका आयी। | बालिकाएँ आयी। |
(iv) आदमी आया। | आदमी आये। |
(v) वह खेलता है। | वे खेलते हैं। |
प्रश्न : 8. पत्र की रूपरेखा को ध्यान से देखते भ्रमण के बारे में बताते हुए एक पत्र लिखो। (পত্ৰ লিখা আৰ্হিৰে তোমাৰ নিজৰ ভ্ৰমণৰ কথা বৰ্ণাই বন্ধুলৈ চিঠি এখন লিখা)
उत्तर :
दिनांक : 10 जिसम्बर, 2010
स्थान : गुवाहाटी
प्यारे दोस्त,
सबसे पहले मेरा प्यार स्वीकार करना। भगवान की कृपा से हम यहाँ सकुशल हैं। आशा है कि तुम भी वहाँ सकुशल होंगे।
दोस्त, पिछले 14 नवम्बर को हम हाजो भ्रमण हेतु गये थे। वहाँ हमने केदारनाथ मन्दिर, हयग्रीव माधव मन्दिर, पोवामक्का, गणेश और कामेश्वर मन्दिर, पंचतीर्थ देखे। गर्मी की छुट्टियों में तुम कहाँ-कहाँ गए धे बताना। भ्रमण से हमें बहुत सारी बातें जानने को मिलता है। पत्र क जवाब देना अच्छा दोस्त, आज के लिए बस इतना ही।
तुम्हारे प्यारे दोस्त
श्री……
सेवा में टिकट
नाम :
गाँव/ नगर :
डाकघर :
जिला :
डाक सूच्यांक :
प्रश्न : 9. कपड़े बुनने में जरूरी सामग्रियों के नाम :
पावदान
भरनी/तरकी
लपेटा
तकली/ तकला
चरखा
ताना
बाना
अटेरन
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