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NIOS Class 12 Geography Chapter 13 प्राकृतिक संकट और आपदाएं
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प्राकृतिक संकट और आपदाएं
Chapter: 13
TEXTUAL QUESTION ANSWER |
पाठगत प्रश्न 13.1
1. मौतें और बुनियादी ढांचे का विनाश होता है:
उत्तर: (i) प्राकृतिक।
(ii) मानवकृत।
2. आपदा समीकरण
(____________ + _____________+ __________) = आपदा
उत्तर: (प्राकृतिक संकट + भेद्यता जोखिम) / क्षमता = आपदा।
3. निम्नलिखित को मिलाएं:
प्राकृतिक आपदा का प्रकार | प्राकृतिक आपदा का स्रोत |
(I) मौसम विज्ञान। | (i) सतही और उपसतह जल ताजा और खारा पानी |
(II) हाइड्रोलॉजिकल। | (ii) बाह्य अंतरिक्ष सामग्री और उल्कापिंडों का गिरना |
(III) बाह्य पार्थिव। | (iii) जीवित प्राणी |
(IV) जैविक। | (iv) अल्पकालिक सूक्ष्म और मेसो वायुमंडलीय स्थितियाँ |
(V) भूभौतिकीय। | (v)दीर्घजीवी मेसो और मैक्रो वायुमंडलीय प्रक्रिया |
(VI) जलवायु संबंधी। | (vi) पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न |
उत्तर:
प्राकृतिक आपदा का प्रकार | प्राकृतिक आपदा का स्रोत |
(I) मौसम विज्ञान | (iv) अल्पकालिक सूक्ष्म और मेसो वायुमंडलीय स्थितियाँ |
(II) हाइड्रोलॉजिकल | (i) सतही और उपसतह जल, ताजा और खारा पानी |
(III) बाह्य पार्थिव | (ii) बाह्य अंतरिक्ष सामग्री और उल्कापिंडों का गिरना |
(IV) जैविक | (iii) जीवित प्राणी |
(V) भूभौतिकीय | (vi) पृथ्वी के आंतरिक भाग से उत्पन्न |
(VI) जलवायु संबंधी | (v) दीर्घजीवी मेसो और मैक्रो वायुमंडलीय प्रक्रिया |
4. सही या गलत:
(i) सभी आपदाओं से संपत्ति को नुकसान होता है और जानमाल की हानि होती है।
उत्तर: सत्य।
(ii) लोग खतरों से प्रभावित होते हैं।
उत्तर: असत्य।
(iii) खतरे हमेशा आपदा बन जाते हैं।
उत्तर: असत्य।
(iv) आपदा के दौरान लोग आनंद लेते हैं।
उत्तर: असत्य।
पाठगत प्रश्न 13.2
1. बाढ़ के प्रकारों के नाम बताइये।
उत्तर: (i) नदी बाढ़।
(ii) फ्लैश बाढ़।
(iii) तटीय बाढ़।
2. रिक्त स्थान भरें:
(i) बांध विफलता के कारण होने वाली बाढ़ ________ या _________ के कारण होती है।
उत्तर: भूकंप या मानव।
(ii) चक्रवात में हवा की दिशा उत्तरी गोलार्ध में ______________ और दक्षिणी गोलार्ध में ___________ की दिशा में होती है।
उत्तर: वामावर्त (Anticlockwise) और दक्षिणावर्त (Clockwise)।
(iii) सूखे को हिंदी में _________ और _________ कहा जाता है।
उत्तर: सूअकाल और अनावृष्टि ।
(iv) सूखे के कारण __________ और ___________ की कमी होती है।
उत्तर: भोजन और पानी ।
3. भूस्खलन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर: भूस्खलन वह प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों, मिट्टी और मलबे का एक बड़ा भाग ढलान या पहाड़ी से अचानक नीचे की ओर खिसक जाता है। यह प्रायः वर्षा, भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या मानव क्रियाओं के कारण होता है।
4. पानी के भीतर भूकंप के कारण क्या उत्पन्न होता है?
उत्तर: पानी के भीतर (समुद्र में) भूकंप के कारण सुनामी उत्पन्न होती है।
5. सही और गलत :
(i) चक्रवात का शांत केंद्र ‘आँख’ कहलाता है।
उत्तर: सत्य।
(ii) भारी वर्षा बाढ़ के मुख्य कारणों में से एक है।
उत्तर: सत्य।
(iii) भूकंपों का पूर्वानुमान करना आसान है।
उत्तर: असत्य
(iv) दीर्घकालिक सूखे प्रभावित क्षेत्रों में वर्षों की मात्रा 75 सेमी से कम होती है।
उत्तर: सत्य।
(v) स्थानांतरण खेती भूस्खलन को कम करती है।
उत्तर: असत्य
पाठगत प्रश्न 13.3
1. निम्नलिखित को मिलाएँ:
आपदा | प्रभावित क्षेत्र प्रतिशत में |
1. सूखा प्रवण क्षेत्र | (I) 58.6% भूमि क्षेत्र |
2. भूकंप प्रवण क्षेत्र | (II) 8% भूमि क्षेत्र |
3. बाढ़ प्रवण क्षेत्र | (III) 68% भूमि क्षेत्र |
4. हिमस्खलन प्रवण क्षेत्र | (IV) 15% भूमि क्षेत्र |
5. जंगली आग प्रवण क्षेत्र | (V) 12% भूमि क्षेत्र |
उत्तर:
आपदा | प्रभावित क्षेत्र प्रतिशत में |
सूखा प्रवण क्षेत्र | (III) 68% भूमि क्षेत्र |
भूकंप प्रवण क्षेत्र | (I) 58.6% भूमि क्षेत्र |
बाढ़ प्रवण क्षेत्र | (IV) 15% भूमि क्षेत्र |
हिमस्खलन प्रवण क्षेत्र | (V) 12% भूमि क्षेत्र |
जंगली आग प्रवण क्षेत्र | (II) 8% भूमि क्षेत्र |
2. भारत का पूर्वी तट भारतीय तट पर कुल _________ चक्रवातों का गवाह है।
उत्तर: 85%
3. वर्तमान में ___________ देश के कुल भूमि क्षेत्रफल के बाद प्रवण होने का अनुमान लगाया गया है।
उत्तर: 12%
4. वर्तमान में देश के 640 जिलों (2011 की जनगणना) में से ___________ जिले वर्षा की कमी वाली श्रेणी में आते हैं।
उत्तर: 283 जिले।
पाठगत प्रश्न 13.4
1. किन्हीं पाँच आपदा प्रबंधन गतिविधियों के नाम बताइए।
उत्तर: (i) रोकथाम।
(ii) कम करना।
(iii) तैयारी।
(iv) प्रतिक्रिया।
(v) पुनरुत्थान।
2. आपदाओं के तीन चरण क्या है?
उत्तर: (i) आपदा पूर्व।
(ii) आपदा के दौरान।
(iii) आपदा के बाद।
पाठगत प्रश्न 13.5
1. बाढ़ नियंत्रण के लिए भारत सरकार द्वारा अपनाई गई प्रमुख योजनाएँ और कार्यक्रम लिखिए?
उत्तर: बाढ़ नियंत्रण हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई गई प्रमुख योजनाएँ एवं कार्यक्रम:
(i) सीमा क्षेत्रों से संबंधित नदी प्रबंधन गतिविधियाँ और कार्य (आरएमबीए)।
(ii) राष्ट्रीय बाढ़ आयोग।
(iii) जल संसाधन के लिए राष्ट्रीय आयोग।
(iv) राष्ट्रीय जल नीति 2012।
2. भूस्खलन खतरा जोनेशन माइक्रो जोनेशन _________ पैमाना है।
उत्तर: 1:10,000
3. बाढ़ नियंत्रण के लिए अपनाए गए तीन मुख्य उपाय बताइए।
उत्तर: बाढ़ को नियंत्रित करने के लिए अपनाए गए तीन मुख्य उपाय जो चक्रवात संभावित क्षेत्र में भी उपयोगी:
(i) जलाशय।
(ii) तटबंध।
(iii) वनरोपण।
पाठगत प्रश्न 13.6
1. संक्षिप्ताक्षरों का पूरा रूप लिखिए:
(i) रा. आ.प्र.प्रा. (एनडीएमए)
(ii) रा. आ.मो.ब. (एनडीआरएफ)
(iii) रा. अ.प्र.प्रा. (एसडीएमए)
(iv) जि.आ.प्र.प्रा. (डीडीएमए)
(v) डब्ल्यूसीडीआरआर
(vi) रा. आ.प्र.सं. (एनआईडीएम)
उत्तर: (i) एनडीएमए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण।
(ii) एनडीआरएफ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल।
(iii) एसडीएमए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण।
(iv) डीडीएमए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण।
(v) डब्ल्यूसीडीआरआर विश्व आपदा जोखिम संयमन की विश्व कांफ्रेंस।
(vi) एनआईडीएम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान।
पाठांत प्रश्न |
1. संकट और आपदा के बीच में अंतर बताइए।
उत्तर:
बिंदु | संकट (Crisis) | आपदा (Disaster) |
परिभाषा | संकट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति या समाज को अचानक कठिनाई या परेशानी का सामना करना पड़ता है। | आपदा एक ऐसी घटना है, जिससे बहुत अधिक जन-धन की हानि होती है और सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। |
प्रभाव क्षेत्र | सीमित, कभी-कभी व्यक्तिगत या छोटी सीमा तक ही सीमित रहता है। | व्यापक स्तर पर समाज, क्षेत्र या देश को प्रभावित करता है। |
कारण | व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक या स्वास्थ्य संबंधी कारण हो सकते हैं। | प्राकृतिक (भूकंप, बाढ़, चक्रवात आदि) या मानवजनित (आग, दुर्घटना) कारण हो सकते हैं। |
उदाहरण | नौकरी छूटना, परीक्षा में असफलता, बीमारी का संकट | बाढ़, भूकंप, सूखा, सुनामी, जंगल की आग आदि |
2. प्रवाह चार्ट की सहायता से विभिन्न प्रकार की आपदाओं और उनके कारणों को पहचानिए।
उत्तर:

मुख्य कारण (Causes):
(i) प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters):
- भूकंप: पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट्स का टकराना
- बाढ़: अत्यधिक वर्षा, नदियों का उफान
- सूखा: बारिश की कमी
- चक्रवात: समुद्र में दबाव का अंतर
- भूस्खलन: अधिक वर्षा, पहाड़ी इलाकों में ढलान
- ज्वालामुखी: पृथ्वी के भीतर के ज्वालामुखीय क्रियाएँ
(ii) मानवजनित आपदाएँ (Man-made Disasters):
- औद्योगिक दुर्घटना: फैक्ट्रियों में गैस, केमिकल रिसाव
- अग्निकांड: लापरवाही, शॉर्ट सर्किट
- सड़क दुर्घटना: तेज गति, यातायात नियमों का उल्लंघन
- रासायनिक दुर्घटना: जहरीले रसायनों का रिसाव
- युद्ध: देशों या समूहों के बीच संघर्ष
3. आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा की गई पहलों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में निम्नलिखित महत्वपूर्ण पहलें की हैं:
(i) आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: इस अधिनियम के तहत आपदा प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार किया गया, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना की गई है।
(ii) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): NDMA आपदा प्रबंधन के लिए नीतियाँ और दिशानिर्देश तैयार करता है तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सहयोग प्रदान करता है।
(iii) राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA): हर राज्य में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थापित किया गया है, जो राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाता है।
(iv) आपदा प्रबंधन योजना: केंद्र और राज्य सरकारों ने आपदा प्रबंधन योजनाएँ बनाई हैं, जिनमें आपदा के समय राहत और बचाव कार्य के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश शामिल हैं।
(v) प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: सरकार ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर विशेष जोर दिया है, ताकि आपदा के समय प्रभावी ढंग से कार्य किया जा सके।
(vi) प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: सरकार ने प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को सुदृढ़ किया है, ताकि आपदा आने से पहले ही लोगों को सूचित किया जा सके और आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
4. निम्नलिखित आपदाओं के प्रबंधन में क्या गतिविधियां शामिल है? विस्तार से व्याख्या कीजिए।
(i) बाढ़।
उत्तर: बाढ़ (Flood) प्रबंधन के मुख्य गतिविधियाँ:
- पूर्वानुमान एवं चेतावनी: बाढ़ की संभावना के पूर्वानुमान हेतु मौसम विभाग, अलार्म सिस्टम व समय पर सूचना देना।
- तटबंध और जल निकासी व्यवस्था: नदी तटबंध, डैम, बैराज, जल निकासी नालियों का निर्माण और नियमित रखरखाव।
- पुनर्वास एवं राहत: बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना, राहत शिविर लगाना, भोजन-पानी और दवाइयों की व्यवस्था।
- जनजागरूकता: बाढ़ से बचाव के लिए स्कूलों, गाँवों में प्रशिक्षण, आपदा अभ्यास और जागरूकता अभियान चलाना।
- पुनर्निर्माण: बाढ़ के बाद क्षतिग्रस्त सड़कों, मकानों, पुलों आदि का मरम्मत व पुनर्निर्माण।
(ii) भूकंप।
उत्तर: भूकंप (Earthquake) प्रबंधन के मुख्य गतिविधियाँ:
- संकट पूर्व तैयारी: भूकंप-रोधी भवन निर्माण, भवनों में सुदृढ़ीकरण (retrofit), सुरक्षित स्थान चिह्नित करना।
- चेतावनी और सूचना: यथासंभव अलार्म सिस्टम व आपातकालीन नम्बर प्रचारित करना।
- राहत व बचाव: प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को बाहर निकालना, चिकित्सा सहायता, अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराना।
- प्रशिक्षण एवं जनजागरूकता: लोगों को भूकंप के समय क्या करें- क्या न करें की जानकारी देना, मॉक-ड्रिल्स कराना।
- पुनर्निर्माण: सुरक्षित तरीके से पुनर्निर्माण, क्षतिग्रस्त ढांचों को दुरुस्त करना।
(iii) चक्रवात।
उत्तर: चक्रवात (Cyclone) प्रबंधन के मुख्य गतिविधियाँ:
- पूर्वानुमान और चेतावनी: मौसम विभाग द्वारा समय पर चक्रवात की सूचना व चेतावनी देना।
- तटवर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा: समुद्री बांध, शेल्टर हाउस, सुरक्षित स्थल विकसित करना।
- जनसंख्या का स्थानांतरण: समय रहते लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना।
- राहत व पुनर्वास: चक्रवात के बाद भोजन, पानी, दवा, आश्रय और कपड़ों की व्यवस्था करना।
- पुनर्निर्माण: क्षतिग्रस्त मकान, सड़क, पुल आदि का मरम्मत व निर्माण।
(iv) भूस्खलन।
उत्तर: भूस्खलन (Landslide) प्रबंधन के मुख्य गतिविधियाँ:
- जोखिम का आकलन: संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करना और उनकी निगरानी।
- वनरोपण एवं ढलान का संरक्षण: पेड़ लगाना, घास या नेटिंग लगाना ताकि मिट्टी न खिसके।
- जल निकासी व्यवस्था: वर्षा जल के निकास के लिए उचित ड्रेनेज सिस्टम।
- जनजागरूकता: लोगों को भूस्खलन के लक्षण व बचाव उपाय बताना।
- राहत एवं पुनर्वास: प्रभावित लोगों को त्वरित राहत, अस्थायी आवास और जरूरी मदद।
(v) सूखा।
उत्तर: सूखा (Drought) प्रबंधन के मुख्य गतिविधियाँ:
- जल संरक्षण: वर्षा जल संचयन, तालाब, कुएं, बांधों का निर्माण व रखरखाव।
- सूखा-रोधी फसलों का प्रचार: कम पानी में उगने वाली फसलें अपनाना।
- सिंचाई प्रबंधन: ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी आधुनिक सिंचाई विधियाँ।
- पशुधन संरक्षण: चारा भंडारण, जल प्रबंधन, पशु शिविर।
- राहत पैकेज: किसानों को आर्थिक सहायता, खाद्य वितरण, रोजगार गारंटी योजनाएं।
- जनजागरूकता: जल बचत के उपायों का प्रचार, सामुदायिक सहभागिता।
5. भारत में बाढ़ आपदा प्रवण क्षेत्रों की पहचान करें, भारत के मानचित्र पर वितरण भी कीजिए।
उत्तर: भारत में बाढ़ आपदा प्रवण क्षेत्रों की पहचान करने से हमें इन क्षेत्रों में बाढ़ के प्रभाव को कम करने और प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है। भारत के विभिन्न भागों में बाढ़ प्रवण क्षेत्रों का वितरण निम्नलिखित है:

भारत में बाढ़ आपदा प्रवण क्षेत्र मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:
(i) असम: ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी सहायक नदियाँ।
कारण: भारी वर्षा, नदी का तलछटीकरण, घाटी की चौड़ाई कम होना।
(ii) बिहार एवं उत्तर प्रदेश: गंगा की सहायक नदियाँ (कोसी, गंडक, राप्ती, घाघरा, शारदा)।
कारण: बड़ी संख्या में सहायक नदियाँ, मार्ग परिवर्तन, अपवाह संकुलन।
(iii) पंजाब-हरियाणा: सतलज, ब्यास, रावी, चेनाब।
कारण: नदियों का उफान, जल निकासी की कमी।
(iv) पश्चिम बंगाल: महानंदा, भागीरथी, दामोदर।
कारण: डेल्टा क्षेत्र, तलछटीकरण।
(v) आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल: महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
कारण: डेल्टा क्षेत्र, वनोन्मूलन, चक्रवातीय तूफान ।
6. भारत में सूखा आपदा-प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए।
उत्तर: भारत में सूखा-प्रवण क्षेत्र मुख्य रूप से पश्चिमी राजस्थान, कच्छ का रण, पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, झारखंड और ओडिशा के कुछ हिस्सों में स्थित हैं। इन क्षेत्रों में अनियमित वर्षा, कम वर्षा और जल संसाधनों की कमी के कारण सूखे की स्थिति अक्सर देखी जाती है।
7. भारत में भूकंप आपदा प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए।
उत्तर: भारत में भूकंप आपदा प्रवण क्षेत्रों की पहचान:
(i) हिमालय क्षेत्र: जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश I
(ii) गंगा-सिंधु मैदान: दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल I
(iii) पूर्वोत्तर भारत: असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा I
(iv) पश्चिमी और मध्य भारत: गुजरात (कच्छ, सौराष्ट्र), महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश I
(v) प्रायद्वीपीय भारत: महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ क्षेत्र I
8. भारत में चक्रवात आपदा प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए।
उत्तर: भारत में चक्रवात आपदा के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र पूर्वी तट के राज्य हैं, जैसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु। ये क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के पास स्थित हैं, जहाँ चक्रवात अधिक तीव्रता और बारंबारता के साथ आते हैं। I पश्चिमी तट पर गुजरात और महाराष्ट्र राज्य भी अरब सागर से आने वाले चक्रवातों से कभी-कभी प्रभावित होते हैं, लेकिन यहाँ चक्रवात अपेक्षाकृत कम आते हैं।
इसके अलावा, पुडुचेरी (केंद्र शासित प्रदेश) और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह भी चक्रवात के प्रति संवेदनशील क्षेत्र हैं। I
चक्रवात संवेदनशीलता को मुख्य रूप से भौगोलिक स्थिति (तटीय क्षेत्र), समुद्री सतह के तापमान, तटीय आबादी की घनता, और कमजोर बुनियादी ढांचे जैसी बातें प्रभावित करती हैं। I
9. भारत में भूस्खलन आपदा-प्रवण क्षेत्रों की पहचान कीजिए।
उत्तर: भारत में भूस्खलन आपदा-प्रवण क्षेत्र मुख्य रूप से पहाड़ी और पर्वतीय इलाकों में पाए जाते हैं। इनमें उत्तर-पूर्वी हिमालय क्षेत्र, जैसे असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं। I उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड आते हैं, जहाँ पहाड़ियों की तीव्र ढलान के कारण अक्सर भूस्खलन होते हैं। I पश्चिमी घाट के क्षेत्र महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु भी भूस्खलन के लिए संवेदनशील हैं। I इसके अलावा, तमिलनाडु के नीलगिरि पहाड़ी क्षेत्र, आंध्र प्रदेश के पूर्वी घाट का अरकू क्षेत्र तथा दक्कन के पठार के कुछ हिस्से भी भूस्खलन से प्रभावित होते हैं, विशेषकर वहाँ जहाँ खनन जैसी मानवीय गतिविधियाँ होती हैं। I
विशेष रूप से कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़, शिवमोग्गा, चिक्कमगलुरु, उत्तर कन्नड़, कोडागु, उडुपी और हासन जिले भूस्खलन के लिए अति संवेदनशील माने जाते हैं, जिनमें उत्तर कन्नड़ सबसे बड़ा प्रभावित क्षेत्र है। I इन क्षेत्रों में भूस्खलन के प्रभाव को कम करने के लिए तीव्र ढाल वाली पहाड़ियों पर सड़क निर्माण से बचना, वनीकरण, जल प्रवाह नियंत्रण, सीढ़ीनुमा खेती, जल संचयन, उचित जल निकासी व्यवस्था, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और प्रभावी आपदा प्रबंधन योजनाओं को अपनाना आवश्यक है। I
10. भारत के मानचित्र पर आपदा भेद्यता के स्तर दिखाइए।
उत्तर:

Moderate Vulnerability (मध्यम):
(i) Low (न्यूनतम भेद्यता): हल्के पीले रंग से दिखाए गए राज्य जैसे राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि इन क्षेत्रों में आपदा का खतरा अपेक्षाकृत कम है।
(ii) Moderate (मध्यम भेद्यता): हल्के नारंगी रंग में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना आदि राज्य आते हैं, जहां पर आपदा का खतरा मध्यम स्तर का है।
(iii) High (उच्च भेद्यता): नारंगी रंग में उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार, झारखंड, केरल, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के कई हिस्से आते हैं, जो आपदा के लिहाज से अधिक संवेदनशील हैं।
(iv) Very High (बहुत अधिक भेद्यता): गहरे नारंगी या लाल रंग में असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और पश्चिम बंगाल के कुछ भाग शामिल हैं। इन क्षेत्रों में बाढ़, भूकंप, चक्रवात, भूस्खलन जैसी आपदाओं का खतरा सबसे अधिक रहता है।
11. आपदा प्रबंधन के तीन चरणों को विस्तार से समझाइये।
उत्तर: आपदा प्रबंधन के तीन प्रमुख चरण हैं: आपदा पूर्व (पूर्व-आपदा), आपदा के दौरान, और आपदा के बाद (पुनर्वास)। इन चरणों में विभिन्न गतिविधियाँ और रणनीतियाँ शामिल होती हैं जो आपदा के प्रभाव को कम करने और समुदायों को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं।
I. पूर्व-आपदा:
आपदा पूर्व चरण में आपदा के आने से पहले की जाने वाली तैयारियाँ और गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इस चरण का उद्देश्य आपदा के प्रभाव को कम करना और समुदायों को सुरक्षित रखना होता है।
(i) जोखिम आकलन और मानचित्रण: आपदा के संभावित जोखिमों और प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करना।
(ii) आपदा प्रबंधन योजना: आपदा के समय और बाद में की जाने वाली गतिविधियों की योजना बनाना।
(iii) जागरूकता और शिक्षा: समुदायों को आपदा के बारे में जागरूक करना और उन्हें आपदा के समय सुरक्षित रहने के तरीके सिखाना।
(iv) पूर्व-चेतावनी प्रणाली: आपदा के आने से पहले चेतावनी देने के लिए प्रणाली स्थापित करना।
(v) बुनियादी ढांचे का मजबूतीकरण: भवनों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचों को आपदा प्रतिरोधी बनाना।
II. आपदा के दौरान:
आपदा के दौरान चरण में आपदा के समय की जाने वाली गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इस चरण का उद्देश्य समुदायों को सुरक्षित रखना और आपदा के प्रभाव को कम करना होता है।
(i) आपदा प्रतिक्रिया: आपदा के समय तत्काल प्रतिक्रिया देना और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करना।
(ii) खोज और बचाव अभियान: प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को खोजना और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना।
(iii) चिकित्सा सहायता: प्रभावित लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
(iv) आपदा राहत: प्रभावित लोगों को भोजन, आश्रय और अन्य आवश्यक सामग्री प्रदान करना।
III. आपदा के बाद (पुनर्वास)
आपदा के बाद चरण में आपदा के बाद की जाने वाली गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इस चरण का उद्देश्य समुदायों को पुनर्वास करना और उन्हें आपदा के प्रभाव से उबरने में मदद करना होता है।
(i) पुनर्वास और पुनर्निर्माण: प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्य करना।
(ii) आर्थिक सहायता: प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
(iii) मनोवैज्ञानिक सहायता: प्रभावित लोगों को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना।
(iv) आपदा प्रबंधन योजना की समीक्षा: आपदा प्रबंधन योजना की समीक्षा करना और आवश्यक सुधार करना।
12. आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेंडाई फ्रेमवर्क का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर: सेंडाई फ्रेमवर्क फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसे मार्च 2015 में जापान के सेंडाई में आयोजित तीसरी संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण सम्मेलन में अपनाया गया था। यह फ्रेमवर्क 2015-2030 की अवधि के लिए वैश्विक आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है।
सेंडाई फ्रेमवर्क के मुख्य उद्देश्य:
(i) आपदा से होने वाली मौतों को कम करना: सेंडाई फ्रेमवर्क का एक प्रमुख उद्देश्य आपदा से होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है।
(ii) आपदा से प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना: फ्रेमवर्क का उद्देश्य आपदा से प्रभावित लोगों की संख्या को कम करना और उनकी आजीविका को सुरक्षित रखना है।
(iii) आर्थिक नुकसान को कम करना: सेंडाई फ्रेमवर्क का उद्देश्य आपदा से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करना और बुनियादी ढांचों की सुरक्षा करना है।
(iv) महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों की सुरक्षा: फ्रेमवर्क का उद्देश्य महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों की सुरक्षा करना और उनकी कार्यक्षमता को बनाए रखना है।
सेंडाई फ्रेमवर्क के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र:
(i) आपदा जोखिम की समझ: आपदा जोखिम की समझ बढ़ाने और जोखिम आकलन को मजबूत करने के लिए।
(ii) आपदा जोखिम प्रबंधन: आपदा जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने और आपदा प्रतिरोधी विकास को बढ़ावा देने के लिए।
(iii) आपदा जोखिम न्यूनीकरण: आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए रणनीतियों और पहलों को लागू करने के लिए।
(iv) आपदा प्रतिक्रिया और पुनर्वास: आपदा प्रतिक्रिया और पुनर्वास को मजबूत करने और प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान करने के लिए।
सेंडाई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन के लिए रणनीतियाँ:
(i) राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर आपदा जोखिम प्रबंधन: राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर आपदा जोखिम प्रबंधन को मजबूत करने के लिए।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए।
(iii) निजी क्षेत्र की भागीदारी: निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और आपदा जोखिम न्यूनीकरण में उनकी भूमिका को मजबूत करने के लिए।
(iv) जागरूकता और शिक्षा : आपदा जोखिम के बारे में जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए।

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