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NCERT Class 8 Hindi Vasant Chapter 13 बाज और सॉप
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बाज और सॉप
Chapter: 13
वसंत
प्रश्न-अभ्यास
शीर्षक और नायक
1. लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर: लेखक ने कहानी के दो पात्रों, बाज और साँप, को प्रतीकात्मक रूप से चुना है। बाज स्वतंत्रता और ऊँचाई का प्रतीक है, जबकि साँप सीमाओं और धरती से जुड़े रहने का संकेत देता है। कहानी में बाज ने साँप को देखकर उसकी जीवनशैली से प्रेरणा ली, लेकिन अंततः उसे अपनी स्वतंत्रता और वास्तविकता का अहसास हुआ। इसीलिए, यह शीर्षक कहानी की भावना को दर्शाने के लिए उपयुक्त है।
कहानी से |
1. घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: घायल होने के बाद भी बाज ने “मुझे कोई शिकायत नहीं है” इसलिए कहा क्योंकि उसने अपना जीवन पूरी तरह से जिया था। उसने अपनी शक्ति और स्वतंत्रता का भरपूर आनंद लिया, ऊँचाइयों तक उड़ान भरी और आकाश की विशालता को महसूस किया। उसे इस बात का संतोष था कि उसने हर सुख का अनुभव किया और अपने जीवन को सार्थक बनाया। इसलिए, जीवन के अंतिम क्षणों में भी उसे कोई अफसोस नहीं था, बल्कि गर्व और संतुष्टि का अनुभव हो रहा था।
2. बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?
उत्तर: बाज साहसी और स्वतंत्रता प्रेमी था। उसने आकाश की असीम ऊँचाइयों को नापा और समझौतावादी जीवन कभी स्वीकार नहीं किया। वह कायर की मौत मरने के बजाय अंतिम क्षण तक संघर्ष करना चाहता था, क्योंकि उसने जीवन से हार नहीं मानी थी।
3. साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
उत्तर: साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था, लेकिन बाज के आकाश प्रेम और बलिदान ने उसे विचलित कर दिया। उसने सोचा कि आकाश में जरूर कोई रहस्य या आकर्षण है, जिसके लिए बाज ने अपने प्राण तक दे दिए। इस जिज्ञासा ने उसे भी उड़ने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। हालाँकि, उसने जीवन भर रेंगना ही सीखा था, इसलिए उड़ नहीं सका और नीचे गिर पड़ा।
4. बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
उत्तर: बाज स्वतंत्रता और साहस का प्रतीक था, जिसने आकाश की ऊँचाइयों को नापा और अंत तक हार नहीं मानी। उसकी मृत्यु के बाद लहरों ने मानो उसकी वीरता और संघर्ष को सम्मान देते हुए गीत गाया। यह प्रकृति की ओर से उसके अदम्य साहस और स्वतंत्रता प्रेम को श्रद्धांजलि थी।
5. घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
उत्तर: बाज साँप का शत्रु था और उसे अपना आहार बनाता था। लेकिन अब, घायल बाज असहाय था और साँप को कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता था। इसलिए, बाज की यह अवस्था देखकर साँप खुश हुआ होगा।
कहानी से आगे |
1. कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।
उत्तर: कहानी की स्वतंत्रता से संबंधित पंक्तियाँ –
(i) जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं वचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उड़ानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ।
(ii) “आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड़ पाता।”
(iii) पर वह समय दूर नहीं है, जव तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
(iv) हमारा यह गीत उन साहसी लोगों के लिए है जो अपने प्राणों को हथेली पर लिए घूमते हैं।
2. लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
उत्तर: लहरों का गीत सुनकर साँप गहरे विचारों में डूब गया। उसने सोचा कि बाज अभागा नहीं, बल्कि साहसी था, जिसने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। लहरों के गीत ने उसके मन में एक नया सवाल जगा दिया—क्या सच में वही चतुर है जो जीवन के हर खतरे का सामना बहादुरी से करता है? इस विचार ने साँप को विचलित कर दिया। उसने आकाश में उड़ने की अपनी असफल कोशिश को याद किया और मन में एक नया संकल्प लिया। हालाँकि वह उड़ नहीं सकता था, लेकिन अब वह अपने जीवन को सीमाओं में बाँधकर नहीं जीना चाहता था। उसने तय किया कि वह अपने डर और सीमाओं को छोड़कर दुनिया को नए दृष्टिकोण से देखने का प्रयास करेगा।
3. क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर: पक्षियों के लिए उड़ना केवल एक स्वाभाविक क्रिया ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और सहज आनंद का अनुभव भी हो सकता है। जब वे खुले आकाश में पंख फैलाते हैं, ऊँचाइयों को छूते हैं और हवा के प्रवाह के साथ उड़ते हैं, तो यह उनके लिए सुखद अनुभव हो सकता है। पक्षियों की चहचहाहट और खेलभावना से भरी उड़ान इस आनंद को दर्शाती है। हालाँकि, उड़ान उनके जीवन के लिए आवश्यक भी है, लेकिन स्वतंत्र होकर आकाश में विचरण करना निश्चित रूप से उनके लिए एक आनंददायक अनुभूति हो सकती है, जैसे मनुष्यों को खुली हवा में दौड़ने या तैरने में आनंद मिलता है।
4. मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।
उत्तर: मनुष्य ने प्राचीन काल से ही पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है और विज्ञान व तकनीक की मदद से इसे संभव बनाया है। आज मनुष्य हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, ग्लाइडर, पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून और रॉकेट जैसे साधनों से उड़ने की इच्छा पूरी करता है। हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर यात्रा और परिवहन के प्रमुख साधन हैं, जबकि पैराग्लाइडिंग और हॉट एयर बैलून मनोरंजन और रोमांच के लिए उपयोग किए जाते हैं। अंतरिक्ष यात्रा के लिए रॉकेट का उपयोग किया जाता है, जिससे मनुष्य न केवल पृथ्वी के आकाश में बल्कि अंतरिक्ष में भी उड़ने का सपना साकार कर रहा है।
अनुमान और कल्पना |
1. यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर: अगर बाज और साँप की जगह कहानी के पात्र एक साहसी युवक और एक परंपरावादी वृद्ध होते, तो कहानी साहस और सुरक्षित जीवन के बीच संघर्ष को दर्शाती। युवक ने अपने सपनों को पाने के लिए जोखिम उठाया, ऊँचाइयों को छुआ, जबकि वृद्ध अपने सुरक्षित दायरे में संतुष्ट था। युवक के साहस और स्वतंत्रता की चाह ने वृद्ध के मन में भी एक नई जिज्ञासा जगा दी कि क्या सच्चा आनंद जोखिम उठाकर ही मिलता है।
भाषा की बात |
1. कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर: (i) मन में आशा जागना – कठिनाइयों के बाद भी मन में आशा जागना हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
(ii) पंख फैलाना – नए अनुभवों के लिए उसने अपने पंख फैलाना शुरू कर दिए और नए आयाम छूने की कोशिश की।
(iii) नाक काटना – उसकी शानदार जीत ने प्रतियोगिता में उसके प्रतिद्वंद्वी की नाक काट दी।
(iv) हिम्मत बाँधना – मुश्किल घड़ियों में साहस जुटाने के लिए उसने दिल में हिम्मत बाँध ली।
(v) अंतिम साँस गिनना – उसकी स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि डॉक्टरों ने कहा कि अब वह अंतिम साँस गिनने के कगार पर है।
2. ‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर: (i) ‘द’ प्रत्यय – सुखद, हितद।
(ii) ‘प्रद’ प्रत्यय – सुखप्रद, ज्ञानप्रद।
(iii) ‘दाता’ प्रत्यय – आनंददाता, जीवनदाता।
(iv) ‘दाई’ प्रत्यय – सुखदाई, शांतिदाई।