NCERT Class 12 Political Science Chapter 10 नियोजित विकास की राजनीति

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 10 नियोजित विकास की राजनीति

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Chapter: 10

स्वतंत्र भारत में राजनीति

1. ‘बॉम्बे प्लान’ के बारे में निम्नलिखित में कौन-सा बयान सही नहीं है।

(क) यह भारत के आर्थिक भविष्य का एक ब्लू-प्रिंट था।

(ख) इसमें उद्योगों के ऊपर राज्य के स्वामित्व का समर्थन किया गया था।

(ग) इसकी रचना कुछ अग्रणी उद्योगपतियों ने की थी।

(घ) इसमें नियोजन के विचार का पुरजोर समर्थन किया गया था।

उत्तर: (ख) इसमें उद्योगों के ऊपर राज्य के स्वामित्व का समर्थन किया गया था।

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2. भारत ने शुरुआती दौर में विकास की जो नीति अपनाई उसमें निम्नलिखित में से कौन-सा विचार शामिल नहीं था?

(क) नियोजन।

(ख) उदारीकरण।

(ग) सहकारी खेती।

(घ) आत्मनिर्भरता।

उत्तर: (ख) उदारीकरण।

3. भारत में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का विचार-ग्रहण किया गया थाः

(क) बॉम्बे प्लान से।

(ख) सोवियत खेमे के देशों के अनुभवों से।

(ग) समाज के बारे में गाँधीवादी विचार से।

(घ) किसान संगठनों की माँगों से।

(i) सिर्फ़ ख और घ।

(ii) सिर्फ़ क और ख।

(iii) सिर्फ़ घ और ग।

(iv) उपर्युक्त सभी।

उत्तर: (ii) सिर्फ़ क और ख।

4. निम्नलिखित का मेल करें:

(क) चरण सिंह(i) औद्योगीकरण
(ख) पी.सी. महालनोबिस(ii) जोनिंग
(ग) बिहार का अकाल(iii) किसान
(घ) वर्गीज कूरियन(iv) सहकारी डेयरी

उत्तर: 

(क) चरण सिंह(iii) किसान
(ख) पी.सी. महालनोबिस(i) औद्योगीकरण
(ग) बिहार का अकाल(ii) जोनिंग
(घ) वर्गीज कूरियन(iv) सहकारी डेयरी

5. आज़ादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद क्या थे? क्या इन मतभेदों को सुलझा लिया गया?

उत्तर: आज़ादी के समय विकास के सवाल पर प्रमुख मतभेद निम्नलिखित है —

(i) विकास के क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि हो तथा सामाजिक न्याय भी मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार कौन-सी भूमिका निभाए? इस सवाल पर मतभेद थे।

(ii) राज्य को योजनाओं के ज़रिए आर्थिक और सामाजिक विकास का नेतृत्व करना चाहिए (जैसे – समाजवाद की ओर झुकाव)। दूसरी ओर, कुछ लोग चाहते थे कि सरकार कम हस्तक्षेप करे और बाज़ार को स्वतंत्र रूप से काम करने दे।

(iii) कुछ लोग किसानों और ग्रामीण भारत को विकास की प्राथमिकता देना चाहते थे, जबकि कुछ का मानना था कि भारी उद्योग और शहरी विकास पहले होना चाहिए।

(iv) विकास का अर्थ समाज के प्रत्येक वर्ग हेतु अलग-अलग होता है। कुछ अर्थशास्त्री तथा रक्षा व पर्यावरण विशेषज्ञों का मत था कि पश्चिमी देशों की तरह पूँजीवाद व उदारवाद को महत्त्व दिया जाए जबकि अन्य लोग विकास के सोवियत मॉडल का समर्थन कर रहे थे। पूँजीवादी मॉडल औद्योगीकरण का समर्थक था जबकि साम्यवादी मॉडल कृषिगत विकास एवं ग्रामीण क्षेत्र को गरीबी को दूर करने पर बल देता था।

(v) कुछ अर्थशास्त्री केन्द्रीय नियोजन के पक्ष में थे जबकि कुछ अन्य विकेन्द्रित नियोजन को विकास के लिए आवश्यक मानते थे।

हाँ अंत में इन मतभेदों को बातचीत के द्वारा सुलझा लिया गया। फलस्वरूप भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया गया है जिसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों आते हैं। औद्योगीकरण और कृषि दोनों को समान रूप से महत्त्व देने का निर्णय लिया गया।

6. पहली पंचवर्षीय योजना का किस चीज पर सबसे ज्यादा जोर था? दूसरी पंचवर्षीय योजना पहली से किन अर्थों में अलग थी?

उत्तर: प्रथम पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य यह था कि भारत को गरीबी और पिछड़ेपन के जाल से बाहर निकालना था। इस योजना में विशेष रूप से कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया गया, क्योंकि देश का विभाजन हाल ही में हुआ था और इससे कृषि को भारी नुकसान पहुँचा था। योजना के अंतर्गत बाँधों और सिंचाई की बड़ी परियोजनाओं में निवेश किया गया, जैसे भाखड़ा–नांगल। भूमि-सुधार को भी इस योजना में एक आवश्यक तत्व माना गया, क्योंकि भूमि के असमान वितरण को कृषि विकास में सबसे बड़ी बाधा समझा गया। योजनाकारों ने यह भी कोशिश किया कि लोगों की आय और राष्ट्रीय बचत में वृद्धि हो, हालांकि इसमें अपेक्षित सफलता नहीं मिली।

दूसरी पंचवर्षीय योजना पहली से अलग थी इसमें धीमे सुधारों की जगह तेज़ औद्योगीकरण पर जोर दिया गया। पी.सी. महालनोबिस के नेतृत्व में तैयार की गई इस योजना का लक्ष्य था—संरचनात्मक बदलाव के जरिए भारी उद्योगों का विकास करना। इस योजना में सरकार ने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए आयात पर भारी शुल्क लगाए और सार्वजनिक क्षेत्र में इस्पात, बिजली, मशीनरी, रेलवे जैसे बड़े उद्योगों को स्थापित किया गया। जहाँ पहली योजना में प्राथमिकता कृषि थी, वहीं दूसरी योजना में औद्योगिक आधार को मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए गए।

7. निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें:

आज़ादी के बाद के आरंभिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी प्रवृत्तियाँ पनपीं। एक तरफ राष्ट्रीय पार्टी कार्यकारिणी ने राज्य के स्वामित्व का समाजवादी सिद्धांत अपनाया, उत्पादकता को बढ़ाने के साथ साथ आर्थिक संसाधनों के संकेंद्रण को रोकने के लिए अर्थव्यवस्था के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों का नियंत्रण और नियमन किया। दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय सरकार ने निजी निवेश के लिए उदार आर्थिक नीतियाँ अपनाई और उसके बढ़ावे के लिए विशेष कदम उठाए। इसे उत्पादन में अधिकतम वृद्धि की अकेली कसौटी पर जायज ठहराया गया।

फ्रैंकिन फ्रैंकल:

(क) यहाँ लेखक किस अंतर्विरोध की चर्चा कर रहा है? ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम क्या होंगे?

उत्तर: लेखक फ्रैंकल यहाँ कांग्रेस पार्टी के भीतर दो परस्पर विरोधी को लेकर चर्चा कर रहे हैं।  ऐसे अंतर्विरोध के राजनीतिक परिणाम यह होंगे कि पार्टी के अंदर मतभेद गहरे हो जाएँ, अनुशासन में कमी आए, और लंबे समय में जनता का विश्वास कम हो सकता है।

(ख) अगर लेखक की बात सही है तो फिर बताएँ कि कांग्रेस इस नीति पर क्यों चल रही थी? क्या इसका संबंध विपक्षी दलों की प्रकृति से था?

उत्तर: कांग्रेस एक तरफ पूँजीवादी विरोधी दलों की नीति अपनाकर निजी क्षेत्र को दूसरी तरफ वामपंथी विरोधी दलों की साम्यवादी या समाजवादी नीतियों के अंतर्गत नियोजन, सार्वजनिक क्षेत्र को बढ़ावा देना।

(ग) क्या कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था?

उत्तर: हाँ, कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और इसके प्रांतीय नेताओं के बीच भी कोई अंतर्विरोध था।

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