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NCERT Class 12 Political Science Chapter 9 एक दल के प्रभुत्व का दौर
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एक दल के प्रभुत्व का दौर
Chapter: 9
स्वतंत्र भारत में राजनीति |
1. सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरेंः
(क) 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ-साथ __________ के लिए भी चुनाव कराए गए थे। (भारत के राष्ट्रपति पद/राज्य विधानसभा/राज्यसभा/प्रधानमंत्री)
उत्तर: 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभा के लिए भी चुनाव कराए गए थे।
(ख) __________ लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही। (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी/भारतीय जनसंघ/भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी/भारतीय जनता पार्टी)
उत्तर: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही।
(ग) __________ स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था। (कामगार तबके का हित/रियासतों का बचाव/राज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था/संघ के भीतर राज्यों की स्वायत्तता)
उत्तर: राज्य के नियंत्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था स्वतंत्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धांत था।
2. यहाँ दो सूचियाँ दी गई हैं। पहले में नेताओं के नाम दर्ज़ हैं और दूसरे में दलों के। दोनों सूचियों में मेल बैठाएँ:
(क) एस.ए, डांगे | (i) भारतीय जनसंघ |
(ख) श्यामा प्रसाद मुखर्जी | (ii) स्वतंत्र पार्टी |
(ग) मीनू मसानी | (iii) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
(घ) अशोक मेहता | (iv) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
उत्तर:
(क) एस.ए, डांगे | (iv) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी |
(ख) श्यामा प्रसाद मुखर्जी | (i) भारतीय जनसंघ |
(ग) मीनू मसानी | (ii) स्वतंत्र पार्टी |
(घ) अशोक मेहता | (iii) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी |
3. एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ चार बयान लिखे गए हैं। प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ:
(क) विकल्प के रूप में किसी मजबूत राजनीतिक दल का अभाव एकल पार्टी-प्रभुत्व का कारण था।
उत्तर: सही।
(ख) जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ।
उत्तर: गलत।
(ग) एकल पार्टी प्रभुत्व का संबंध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है।
उत्तर: सही।
(घ) एकल पार्टी प्रभुत्व से देश में लोकतांत्रिक आदशों के अभाव की झलक मिलती है।
उत्तर: गलत।
4. भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए:
(क) ऐसे दो राज्य जहाँ 1952-67 के दौरान कांग्रेस सत्ता में नहीं थी।
(ख) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में कांग्रेस सत्ता में रही।
उत्तर:
5. निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक समूह से निसंग रखकर उसे एक सर्वांगसम तथा अनुशासित राजनीतिक पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित कॉडर से युक्त एक सगुफित पार्टी के रूप में उभरे। ‘यथार्थवादी’ होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज्यादा तरजीह देते थे। अगर “आंदोलन को चलाते चले जाने” के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाली अनुशासित तथा धुरंधर राजनीतिक पार्टी के रूप में बदलने की पटेल की धारणा भी उसी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशकों में निभाना था।
रजनी कोठारी
(क) लेखक क्यों सोच रहा है कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए?
उत्तर: लेखक इसलिए सोच रहा है कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए क्योंकि रजनी कोठारी का मानना है कि कांग्रेस की शक्ति उसकी समन्वयवादी भूमिका में थी, जहाँ वह विभिन्न विचारों और सामाजिक समूहों को एक साथ लेकर चलती थी।
(ख) शुरुआती सालों में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर: शुरुआती सालों में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के निम्नलिखित उदाहरण है—
(i) कांग्रेस में समाज के विभिन्न वर्गों किसान, मजदूर, व्यापारी, और बुद्धिजीवी का प्रतिनिधित्व था।
(ii) कांग्रेस ने दलित, मुस्लिम, सवर्ण, आदिवासी सभी समुदायों के नेताओं को स्थान दिया।
(iii) यह पार्टी एक “छाते” के रूप में काम करती थी, जिसमें विभिन्न विचारधाराओं को जगह दी जाती थी।

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