NCERT Class 12 Biology Chapter 11 जीव और समष्टियाँ

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NCERT Class 12 Biology Chapter 11 जीव और समष्टियाँ

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Chapter: 11

अभ्यास

1. उन गुणों को बताइए जो व्यष्टियों में तो नहीं पर समष्टियों में होते हैं।

उत्तर: समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो व्यष्टि जीव में नहीं होते। व्यष्टि जन्मता और मरता है लेकिन समष्टि में जन्म दरें और मृत्यु दरें होती हैं। समष्टि में इन दरों को क्रमशः प्रति व्यक्ति जन्म दर और मृत्यु दर कहते हैं। इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों के संबंधों में संख्या में परिवर्तन (वृद्धि या हास) के रूप में प्रकट किया उदाहरण के लिए अगर किसी ताल में पिछले साल कमल के 20 पौधे थे और जनन द्वारा 8 नए पौधे और हो जाते हैं जिससे वर्तमान समष्टि 28 हो जाती है, तो हम जन्म दर को 8/20 = 0.4 संतति प्रति कमल प्रतिवर्ष के हिसाब से परिकलन (कैल्कुलेट) करते हैं। अगर प्रयोगशाला समष्टि में 40 फलमक्खियों में से 4 व्यष्टि किसी विशिष्टीकृत समय अंतराल में, मान लीजिए एक सप्ताह के दौरान मर जाते हैं, तो उस समय के दौरान समष्टि में मृत्यु दर 4/40= 0.1 व्यष्टि प्रति फलमक्खी प्रति सप्ताह कहलाएगी।

निर्धारित समय में समष्टि भिन्न आयु वाले व्यष्टियों से मिलकर बनती है। यदि समष्टि के सदस्यों की आयु वितरण को आलेखित किया जाए तो इससे बनने वाली संरचना आयु पिरैमिड कहलाती है। पिरैमिड का आकार समष्टि की स्थिति को प्रतिबिबित करता है।

(i) क्या यह बढ़ रहा है।

(ii) स्थिर है या।

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(iii) घट रहा है।

समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति को दर्शाता है। यह सजातीय एवं परजातीय प्रतिस्पर्धा, कीट नियंत्रण, पर्यावरणीय परिस्थितियाँ आदि कारकों से प्रभावित होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे समष्टि घनत्व कहा जाता है। समष्टि घनत्व का मूल्यांकन विभिन्न विधियों से किया जाता है। किसी विशेष जाति के लिए इसका घनत्व स्थायी नहीं होता, बल्कि समय के साथ बदलता रहता है। इसका मुख्य कारण भोजन की उपलब्धता, पर्यावरण में बदलाव, परभक्षण आदि होते हैं।

समष्टि की वृद्धि चार प्रमुख घटकों पर निर्भर करती है जन्मदर और आगमन (आप्रवासन) वृद्धि में योगदान करते हैं, जबकि मृत्युदर और पलायन (उत्प्रवासन) समष्टि को घटाते हैं। यदि प्रारंभिक समष्टि  हो, और एक निश्चित समय अंतराल के बाद समष्टि  हो, तो इसे निम्न समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है:

Nt = No + (B + I) – (D + E) = No + B + I – D – E

इस समीकरण से स्पष्ट होता है कि यदि जन्म (B) और आप्रवासन (I) की संयुक्त संख्या, मृत्यु (D) और उत्प्रवासन (E) की कुल संख्या से अधिक है, तो समष्टि घनत्व में वृद्धि होगी, अन्यथा इसमें कमी आएगी।

2. अगर चरघातांकी रूप से (एक्पोनेन्शियली) बढ़ रही समष्टि 3 वर्ष दोगुने साइज की हो जाती है, तो समष्टि की वृद्धि की इंट्रीनिजक दर (r) क्या है?

उत्तर: चरघातांकी वृद्धि किसी जीवसमूह की संख्या में होने वाली वह अबाधित वृद्धि है जो उसके पास उपलब्ध संसाधनों जैसे कि भोजन, आवास, और स्थान की प्रचुरता पर निर्भर करती है। जब संसाधनों की कोई सीमा नहीं होती, तब यह वृद्धि अपनी अधिकतम गति से होती है। डार्विन ने अपने प्राकृतिक वरण सिद्धांत में इसी प्रकार की वृद्धि को रेखांकित किया था। इसे चरघातांकी या ज्यामितीय वृद्धि के रूप में जाना जाता है। यदि किसी समष्टि का आकार N हो, जन्मदर को “b” और मृत्युदर को “d” से दर्शाया जाए, तो किसी समयावधि “t” में समष्टि की वृद्धि dN/dt = (b – d)N द्वारा व्यक्त की जा सकती है। यदि (b – d) = r हो, तो समीकरण बनता है: dN/dt = rN, जहाँ “r” को प्राकृतिक वृद्धि की अंतर्निहित दर (intrinsic rate) कहा जाता है। यह दर समष्टि वृद्धि पर जैविक एवं अजैविक कारकों के प्रभाव का आकलन करने में सहायक होती है। यदि कोई समष्टि तीन वर्षों में अपने आकार को दोगुना कर लेती है, तो उसकी वृद्धि की अंतर्निहित दर लगभग 3r मानी जाती है।

3. पादपों में शाकाहारिता (हर्बिवोरी) के विरूद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ बताइए।

उत्तर: पादपों में शाकाहारिता (हर्बिवोरी) के विरूद्ध रक्षा करने की महत्त्वपूर्ण विधियाँ  इस प्रकार हैं:

(i) पादपों पर कांटे या सख्त बाल होते हैं, जो जानवरों को खाने से रोकते हैं।

(ii) पत्ते या तना बहुत सख्त होता है, जिससे जानवर उसे चबाना मुश्किल हो जाता है।

(iii) पत्तियों में तेज सिलिकेटेड किनारों का विकास।

(iv) पत्ती की सतह पर मोटी क्यूटिकल का निर्माण।

(v) बहुत से पादप ऐसे रसायन उत्पन्न और भंडारित करते हैं जो खाए जाने पर शाकाहारियों को बीमार 

कर देते हैं। उनकी पाचन का संदमन करते हैं। उनके जनन को भंग कर देते हैं। यहाँ तक कि मार देते हैं, जैसे: कैलोट्रोपिस अत्यधिक विषैला पदार्थ ग्लाइकोसाइड उत्पन्न करता है।

4. ऑर्किड पौधा, आम के पेड़ की शाखा पर उग रहा है। ऑर्किड और आम के पेड़ के बीच पारस्परिक क्रिया का वर्णन आप कैसे करेंगे?

उत्तर: आम के पेड़ की शाखा पर उगने वाला ऑर्किड एक अधिपादप (एपीफाइट) है, जो सहभोजिता का उदाहरण है। इसमें ऑर्किड को लाभ मिलता है, जबकि पेड़ पर कोई असर नहीं होता। ऑर्किड पेड़ से सिर्फ सहारा लेता है और अपना भोजन खुद बनाता है। वांडा नामक ऑर्किड की हवाई जड़ें हवा में लटकती हैं और वेलामेन नामक ऊतक की मदद से नमी सोखती हैं।

5. कीट पीड़कों (पेस्ट/इंसेक्ट) के प्रबंध के लिए जैव-नियंत्रण विधि के पीछे क्या पारिस्थितिक सिद्धांत है?

उत्तर: कृषि पीड़कनाशी के नियंत्रण में अपनाई गई जैव नियंत्रण विधियाँ परभक्षी की समष्टि नियमन की योग्यता पर आधारित हैं। परभक्षी जीव, शिकार जातियों के बीच प्रतिस्पर्धा की तीव्रता को कम करके किसी पारिस्थितिक समुदाय में जातीय विविधता बनाए रखने में भी मदद करते हैं। ये परभक्षी कीटों का शिकार करके उनकी संख्या को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित रखते हैं। उदाहरण के रूप में, गेम्बूसिया मछली मच्छरों के लार्वा का सेवन करती है, जिससे मच्छरों की संख्या नियंत्रित रहती है और फसलों को नुकसान से बचाया जाता है।

6. समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।

उत्तर: समष्टि (Population) एक ही प्रजाति के उन व्यष्टियों का समूह होती है जो किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में पाई जाती है और आपस में संकरण (प्रजनन) करने में सक्षम होती है। उदाहरण के लिए, किसी तालाब में पाए जाने वाले राना टिग्रीना प्रजाति के सभी मेंढक एक समष्टि बनाते हैं। उसी तालाब में उगने वाले जलकुंभी (इचोर्निया) पौधों का समूह एक अलग समष्टि होगा। एक ही प्रजाति के जीव भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग समष्टियाँ बना सकते हैं।

7. निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए –

(क) सहभोजिता (कमेंसेलिज्म)।

उत्तर: यह दो विभिन्न प्रजातियों के जीवों के बीच का पारस्परिक संबंध है, जिसमें एक जीव को लाभ होता है जबकि दूसरे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता  न लाभ और न हानि।

उदाहरण: आम के पेड़ की शाखाओं पर उगने वाला ऑर्किड। 

(ख) परजीविता (पैरासिटिज्म)।

उत्तर:  परजीविता को आम तौर पर दो जीवित जातियों के बीच के संबंधों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक जीव को दूसरे की कीमत पर लाभ मिलता है। जिस जीव को लाभ मिलता है उसे परजीवी कहा जाता है, जबकि जिस जीव को हानि पहुँचाता है उसे परपोषी कहा जाता है।

उदाहरण: पक्षियों में अंड परजीविता (ब्रूड पैरासिटिज्म), परजीविता का लुभावना उदाहरण है जिसमें परजीवी पक्षी अपने अंडे परपोषी के घोंसले में देता है और परपोषी को उन अंडों को सेने (इंक्युबेट) देता है।

(ग) छ‌द्मावरण (कैमुफ्लॉज)।

उत्तर: जीवों के द्वारा अपने आपको परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगा होना, छद्मावरण कहलाता है। 

उदाहरण : कीट एवं मेंढक की कुछ जातियाँ ।

(घ) सहोपकारिता (म्युचुऑलिज्म)।

उत्तर: दो जातियों के बीच पारस्परिक संबंध जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है, सहोपकारिता कहलाती है। 

उदाहरण: शैवाल एवं कवक से मिलकर बना हुआ लाइकेन।

(च) अंतरजातीय स्पर्धा (इंटरस्पेसिफिक कंपीटीशन)।

उत्तर: जब निकट रूप से संबंधित जातियाँ उपलब्ध संसाधनों (भोजन, आवास) के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं, अंतरजातीय स्पर्धा कहलाती है। 

उदाहरण: गेलापेगोस द्वीप में बकरियों के आगमन से एबिंग्डन का विलुप्त होना। बार्नेकल बेलनेस के द्वारा बार्नेकल चैथेमैलस को भगाना।

8. उपयुक्त आरेख (डायग्राम) की सहायता से लॉजिस्टिक (संभार तंत्र) समष्टि (पॉपुलेशन) वृद्धि का वर्णन कीजिए।

उत्तर: प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित संसाधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में ‘योग्यतम्’ व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में, दिए गए आवास के पास अधिकतम संभव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि संभव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।

किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरंभ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अन्ततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है।

9. निम्नलिखित कथनों में परजीविता (पैरासिटिज्म) को कौन सा सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है –

(क) एक जीव को लाभ होता है।

(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है।

(ग) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित नहीं होता है।

(घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।

उत्तर: (घ) एक जीव को लाभ होता है दूसरा प्रभावित होता है।

10. समष्टि (पॉपुलेशन) की कोई तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।

उत्तर: जनसंख्या की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं:

(i) जन्म और मृत्यु दर।

(ii) आयु संरचना।

(iii) लिंग अनुपात।

(i) जन्म दर और मृत्यु दर: जन्म दर बताती है कि हर साल प्रति 1,000 लोगों में कितने बच्चों का जन्म होता है। मृत्यु दर बताती है कि हर साल प्रति 1,000 लोगों में कितने लोगों की मृत्यु होती है।

(ii) आयु संरचना: यह जनसंख्या को तीन हिस्सों में बांटती है  प्रजनन-पूर्व (बच्चे), प्रजनन (युवा-वयस्क) और प्रजनन-पश्चात (बुजुर्ग)। इससे पता चलता है कि जनसंख्या बढ़ेगी या घटेगी।

(iii) लिंग अनुपात: यह प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या को दर्शाता है। जैसे, भारत में 2001 में 1,000 पुरुषों पर 933 महिलाएं थीं। महिलाओं की संख्या जन्म दर को प्रभावित कर सकती है।

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