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NCERT Class 10 Science Chapter 10 मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
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मानव नेत्र तथा रंग-बिरंगा संसार
Chapter – 10
GENERAL SCIENCE
Page no – 181 Question
1. नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर: मानव को दूर और पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए अपनी आँखों के लेंस को अनुकूलित करना पड़ता है। यह प्रक्रिया, जिसमें लेंस अपनी फोकस दूरी को समायोजित करता है, ‘समंजन क्षमता’ कहलाती है।
2. निकट दृष्टिदोष का कोई व्यक्ति 1.2m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस किस प्रकार का होना चाहिए?
उत्तर: इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लेंस अवतल लेंस होना चाहिए।
3. मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु तथा निकट बिंदु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर: मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिंदु अनंत दूरी पर तथा निकट बिदु नेत्र से 25cm की दूरी पर होते है।
4. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर: यह विद्यार्थी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित है। इस दोष को किसी उपयुक्त क्षमता के अवतल लेंस (अपसारी लेंस) के उपयोग द्वारा संशोधित किया जा सकता है।
अभ्यास |
1. मानव नेत्र अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है-
(a) जरा-दूरदृष्टिता।
(b) समंजन।
(c) निकट-दृष्टि।
(d) दीर्घ-दृष्टि।
उत्तर: (b) समंजन।
2. मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं वह है-
(a) कॉर्निया।
(b) परितारिका।
(c) पुतली।
(d) दृष्टिपटल।
उत्तर: (d) दृष्टिपटल।
3. सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग-
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर: (c) 25 cm
4. अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है-
(a) पुतली द्वारा।
(b) दृष्टिपटल द्वारा।
(c) पक्ष्माभी द्वारा।
(d) परितारिका द्वारा।
उत्तर: (c) पक्ष्माभी द्वारा।
5. किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए- 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिए उसे +1.5 डाइऑप्टर क्षमता के लेंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की फोकस दूरी क्या होगी-
(i) दूर की दृष्टि के लिए।
उत्तर: दूर की दृष्टि के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता P₁ = 5.5 D
अत:उसकी फोकस-दूरी-
f₁ = 1 /P₁ = 1 / – 5.5 D = – 0.18 m
(ii) निकट की दृष्टि के लिए।
उत्तर: निकट की दृष्टि के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता = P₂ = +1.5 D
अतः उसकी फोकस-दूरी-
f₂ = 1 /P₂ = 1/ +1.5D = +0.67 m
6. किसी निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिंदु नेत्र के सामने 80 cm दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर: निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए:
u = – ∞
v = – 80cm
[ताकि अनंत दूरी पर स्थिति वस्तु का प्रतिबिंब v = – 80cm पर बन जाए।]
संशोधित लेंस की फोकस दूरी, f = ?
1/v – 1/u = 1/f (लेंस सूत्र द्वारा)
1/(- 80) – 1/(- ∞) = 1/f
1/(- 80) = 1/f
f = – 80 cm = – 0.8m (अवतल लेंस)
संशोधित लेंस की क्षमता-
P = 1/f = 1/(- 0.8m) = – 1.25D
अतः इस दोष को संशोधित करने के लिए -1.25 D क्षमता वाले एक अवतल लेंस का प्रयोग करना चाहिए।
7. चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ-दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है। एक दीर्घ – दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लेंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर:
दीर्घ-दृष्टि दोष को उपयुक्त क्षमता के उत्तल लेंस का उपयोग करके संशोधित किया जा सकता है।
वस्तु की दूरी, u = – 25cm
प्रतिबिंब की दूरी, v = -1m = -100cm
माना फोकस दूरी लेंस के सूत्र के अनुसार-
1/f = 1/v – 1/u
1/f = 1/-100 – 1/-25
1/f = -1 + 4 /-100 = 3/100
f = 100/3 m = ⅓ m
अतः संशोधित लेंस की क्षमता
P = 1/f = 1/(1/3) = +3D (उत्तल लेंस)
8. सामान्य नेत्र 25cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर: सामान्य नेत्र से किसी वस्तु को आराम से सुस्पष्ट देखने के लिए इसे नेत्रों से कम से कम 25cm की दूरी पर होना चाहिए क्योंकि यह सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी होती है। अत्यत निकट रखी वस्तु का प्रतिबिंब धुंधला बनता है।
9. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी का क्या होता है?
उत्तर: अभिनेत्र लेंस की यह क्षमता होती है कि वक्रता में परिवर्तन होने पर इसकी फोकस दूरी भी परिवर्तित हो जाती है। जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिंब-दूरी नही बदलती है। अभिनेत्र लेंस फोकस दूरी को समायोजित कर प्रतिबिंब को दृष्टिपटल पर ही बनाता है।
10. तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर: तारों से आने वाले प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद तारे के प्रकाश को विभिन्न अपवर्तनांक वाले वायुमंडल से गुजरना होता है, इसलिए प्रकाश का लगातार अपवर्तन होते रहने के कारण प्रकाश की दिशा बदलती रहती है, जिससे तारे टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं।
11. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते।
उत्तर: हम जानते हैं कि ग्रह तारों की तुलना में पृथ्वी के बहुत करीब स्थित होते हैं और इन्हें एक विस्तृत प्रकाश स्रोत के रूप में देखा जाता है। अगर हम ग्रहों को बिंदु आकार के कई छोटे प्रकाश स्रोतों का समूह मानें, तो इन सभी स्रोतों से हमारी आँखों में आने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा। इसके कारण ग्रहों का टिमटिमाना प्रभाव लगभग न के बराबर हो जाता है।
12. किसी अतंरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर: सूर्य का प्रकाश वायुमंडल से प्रकीर्णित होकर हमारे नेत्रों तक पहुँचता है इसलिए हमे आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। अधिक ऊँचाई पर प्रकाश का प्रकीर्णन सुस्पष्ट नहीं होता इसलिए अतंरिक्षयात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।