Class 12 Hindi Chapter 8 छोटा मेरा खेत

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Class 12 Hindi Chapter 8 छोटा मेरा खेत

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छोटा मेरा खेत

Chapter – 8

काव्य खंड

कवि परिचय: उमाशंकर जोशी जी जन्म सन् 1911 ई. में गुजरात में हुआ था। जोशी जी का साहित्यिक अवदान न केवल गुजराजी साहित्य बल्कि पूरे भारतीय साहित्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने बीसवीं सदी की गुजराती कविता और साहित्य को नयी भंगिमा और नया स्वर दिया। कालिदास के अभिज्ञान शांकुतलम और भवभूति के उत्तर रामचरित का उन्होंने गुजराती में अनुवाद किया। कवि उमाशंकर जी ने गुजराती कविता को न केवल प्रकृति से जोड़ा, बल्कि आम जिंदगी के अनुभवों से परिचित कराया तथा उसे नयो शैली प्रदान की। भारतीय आधुनिकतावादियों में अन्यतम स्थान रखने वाले जोशी जी सामान्य बोलचाल की भाषा को ही कविता में प्रयोग किया। कविता के साथ-साथ साहित्य की अन्य विधाओं में भी उन्होंने अपना बहुमूल्य योगदान दिया। साहित्य के आलोचक के रूप में उन्होंने अपना अलग पहचान बनाई है। जोशी जी गुजराती साहित्य में एक निबंधकार के रूप बेजोड़ माने जाते हैं। एक साहित्यकार होने के साथ-साथ जोशी जी एक स्वतंत्रता संग्रामी भी थे। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इन्हें जेल भी जाना पड़ा। इन्होंने सन् 1947 में संस्कृति पत्रिका का संपादन किया था। इनकी मृत्यु सन् 1988 ई. में हुआ।

प्रमुख रचनाएँ: एंकाकी : विश्व शांति, गंगोत्री, निशीथ, प्राचीना, आतिथ्य, वसंत वर्षा, महाप्रस्थान, अभिज्ञा।

कहानी: सापना भारा, शहीद। 

उपन्यास: श्रावणी मेणो, विसामो निबंध पारकाजण्या।

संपादन: गोष्ठी, उधाड़ीबारी, क्लांतकवि, म्हारासॉनेट, स्वप्नप्रयाण।

1. छोटे चौकोने खेत को कागज का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित हैं?

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उत्तर: कवि ने चौकोने खेत की तुलना कागज के पन्ने के साथ की है। जिस प्रकार कृषक खेत में एक क्षण बीज बोता हैं, जो खाद आदि के कारण प्रस्फुटित होता हैं। और एक समय ऐसा आता है, कि वह बड़ा पेड़ के रूप में परिवर्तित होता है, जिसमें अलौकिक रस प्रदान करने वाले फल लगते है। उसी प्रकार कवि मन में भी एक क्षण भावनात्मक आँधी के कारण बीज रूपी विचारों का उद्भव होता है, जो कल्पना का सहारा लेकर विकसित होती हैं। जिससे उसकी अभिव्यक्ति कवि कागज के पन्नें पर करता है। और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है।

2. रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या हैं?

उत्तर: रचना के संदर्भ में अंधड़ का आशय भावनात्मक आँधी से है, तथा बीज का अर्थ विचारों से है।

3. रस का अक्षयपात्र से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया हैं?

उत्तर: कवि ने रचना कर्म की कई विशेषताओं की ओर इंगित किया है.

क) उत्तम साहित्यिक कृति कालजयी होती है।

ख) साहित्य का रस अलौकिक होता है।

ग) साहित्य का रस कभी क्षय नहीं होता है। वह असंख्य पाठकों द्वारा असंख्य बार पढ़ा जाता है।

4. ‘छोटा मेरा खेत’ के कवि कौन है?

उत्तर: ‘छोटा मेरा खेत’ के कवि उमाशंकर जोशी जी है। 

5. उमाशंकर जोशी जी का जन्म कब और कहां हुआ है?

उत्तर: उमाशंकर जोशी का जन्म सन् 19111 के गुजरात में हुआ था। 

6. उमाशंकर जोशी की एक एकांकी का नाम लिखे। 

उत्तर: उमाशंकर जोशी की एक एकांकी का नाम है महाप्रस्थान |

7. उमाशंकर जोशी की एक निर्बंध का नाम बताएं।

उत्तर: पारकांजण्या।

8. उमाशंकर जोशी ने किन पत्रिकाओं का संपादन किया था?

उत्तर: गोष्ठी, उघाड़ीबारी, कलांतकवि, म्हारासानेट, स्वप्नप्रयाण l

9. उमाशंकर जोशी ने ‘संस्कृति’ पत्रिका का संपादन कब किया था?

उत्तर: उन्होंने सन् 1947 में संस्कृति पत्रिका का संपादन किया।

10. उमाशंकर जोशी की मृत्यु कब हुई थी? 

उत्तर: उमाशंकर जोशी की मृत्यु सन् 1988 में हुई।

11. कवि ने कागज के पन्ने को किसके साथ तुलना की है?

उत्तर: कवि ने कागज के पन्ने को चौकोर खेत के साथ तुलना की है।

12. ‘झूमने लगे फल’ यहाँ फल से कवि का तात्पर्य क्या है? 

उत्तर: यहाँ फल से कवि का तात्पर्य साहित्यिक कृति से है।

13. ‘छोटा मेरा खेत’ कविता का सारांश लिखे।

उत्तर: प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि उमाशंकर जोशी ने खेती के रूपक के रूप में कवि कर्म के हर चरण को बाँधने की कोशिश की है। कागज का चौकोर पन्ना जिस पर कवि अपने विचारों को शब्दबद्ध करता है, कवि को एक चौकोर खेत की तरह लगता है। कवि के इस खेत में किसी क्षण अंधड़ यानी भावनात्मक आँधी के प्रभाव से एक बीज बोया जाता है। यह बीज-रचना विचार और अभिव्यक्ति का होता है, और इस प्रक्रिया में स्वयं विगलित होता है। जिससे शब्दों के अंकुर निकलते है और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है। यह साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस धारा फूटती है, वह क्षण में होने वाली रोपाई का परिणाम है। जो अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती है। कवि कहते है, खेत में पैदा होने वाला अन्न कुछ समय के बाद समाप्त हो जाता है, किंतु साहित्य का रस कभी नहीं चुकता है।

14. प्रस्तुत कविता में वर्णित प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर: कवि उमाशंकर जोशी ने प्रस्तुत कविता प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन बहुत ही मनमोहक ढंग से किया है। उन्हें बादलों से भरे आसमान में उड़ने वाले श्वेत बगुलों की पंक्तियां कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होती है। यह दृश्य कवि को नयनाभिराम देता है, वे सबकुछ भूलकर उसी में खो आते हैं। मानो प्राकृतिक सौंदर्य रूपी यह माया उन्हें अपने ही बंधन में बाँध रही हो। यह प्राकृतिक सौंदर्य केवल कवि को ही नहीं बल्कि हर मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।

15. प्रस्तुत कविता का हिंदी रूपांतरण किसने किया है? 

उत्तर: रघुवीर चौधरी और भोलाभाई पटेल ।

16. कवि किससे बचने की गुहार लगाते है?

उत्तर: कवि प्राकृतिक सौंदर्य रूपी माया से बचने की गुहार लगाते है।

व्याख्या कीजिए

1. छोटा मेरा…….बोया गया।

शब्दार्थ: चौकोना – जिसके चार कोण हो, अंधड़ आँधी। 

अर्थ: कवि ने चौकोने खेत को कागज के पन्ने के साथ तुलना करते हुए कहते हैं कि जिसप्रकार खेत में अनाज पैदा करने के लिए बीज बोया जाता है, ठीक उसी प्रकार कागज के चौकोने पन्ने पर जब कवि के भावात्मक आँधी का प्रभाव पड़ता है, तब उस पन्ने पर रचना शब्दबद्ध होती है। कवि कहते है कि भावनात्मक आधी के प्रभाव से किसी क्षण (समय) विचारों का बीज बोया जाता हैं, और वह अभिव्यक्ति के रूप में उस पन्ने पर शब्दबद्ध की जाती है।

2. कल्पना के रसायनों…….. नमित हुआ विशेष।

शब्दार्थ: निःशेष- पूरी तरह समाप्त, अंकुर बीज का फूटना, पल्लव कली, पुष्प फूल आदि।

उत्तर: कवि कहते है कि जिस प्रकार बीज खेत में डाले गये खाद के कारण, पानी के कारण अंकुरित होता है। और उसके पश्चात् पल्लवित पुष्पित होता है। उसी प्रकार कवि मन में उठने वाले विचार कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और इस प्रक्रिया में स्वयं विगलित होता है। जिससे शब्दों के अंकुर कागज के चौकोने पन्ने पर निकलते है। जिससे कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है।

3. झूमने लगे…….. खेत चौकोना। 

शब्दार्थ: अलौकिक – इस लोक से परे, अक्षय जो कभी क्षय (समाप्त) नहीं होता,पात्र बर्तन, सदा हमेशा आदि।

अर्थ: कवि कहते है अब अंकुर बड़ा होकर एक परिपक्व पेड़ में परिवर्तित हो जाता है, जिसमें फल झूमने लगता है, उसका रस अलौकिक होता है। उससे अमृत धाराएं फूटती हैं। ठीक उसी प्रकार साहित्यिक कृति से जो रस धाराएँ फूटती है, वह क्षण में होने वाले रोपाई के कारण ही होता है। पर यह रस धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती है। क्योंकि उत्तम साहित्य को कालजयी माना जाता है। जो असंख्य पाठकों द्वारा कई बार पढ़ा जाता है।

4. व्याख्या करे:

क) शब्द के अंकुर फूटे,

पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक आरोह (भाग-2) के काव्य खंड के ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से ली गई है, इसके कवि है उमाशंकर जोशी जी।

यहां कवि ने खेती के रुपक में कवि-कर्म के हर चरण की बाँधने की कोशिश की है। कवि कहते है कि जिस प्रकार कृषक चौकोर खेत में किसी क्षण बीज बोता है, वह बीज खाद-पानी पाकर अंकुरित होता है और एक दिन वह एक परिपक्व स्थिति की प्राप्ति होता हैं, जो फल प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार कवि मन में भी किसी क्षण के भावनात्मक आँधी के कारण विचार रूपी बीज उद्भव होता है। यह विचार कवि मन में कल्पना का सहारा लेकर विकसित होते है, जिससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं, और अंततः कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है, जो कृषि कर्म के लिहाज से पुष्पित पल्लवित होती है।

विशेष:

1. यहाँ कवि ने कृषक कर्म और कवि कर्म के बीच एक सांमजस्य स्थापित करने की कोशिश की है।

2. ‘पल्लव-पुष्पों’ में (यहां ‘प’ वर्ण की आवृति एक से अधिक बार होने के कारण) अनुप्रास अंलकार है।

3. इसकी भाषा सहज सरल है।

2. रोपाई क्षण की

कटाई अनंतता की 

लुटते रहने से जरा भी नहीं कम होती

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तुक आरोह (भाग-2) के काव्य खंड के ‘छोटा मेरा खेत’ नामक कविता से ली गई है। इसके कवि है, उमाशंकर जोशी।

यहाँ कवि ने खेती के रूपक में कवि कर्म के हर चरण को बांधने की कोशिश की है। कवि कहना चाहते है कि क्षण भर की भावनात्मक आँधी के कारण कवि मन में विचार उत्पन्न होते है। और उन विचारों के कारण कागज के चौकोर पन्ने पर शब्दों के जी अंकुर निकलते है, उससे साहित्यिक कृति एक पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है। कवि कहते हैं कि साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा फूटती है, वह क्षण में होने वाली रोपाई का ही परिणाम है। और यह रस धारा अनंत काल तक चलने वाली कटाई से भी कम नहीं होती है। क्योंकि उत्तम साहित्य कालजयी होता है और असंख्य पाठकों द्वारा असंख्य बार पढ़ा जाता है। अतः साहित्य का रस कभी चुकता नहीं।

विशेष:

1. कवि ने उत्तम साहित्य को कालजयी कहा है।

2. कवि के अनुसार साहित्य का रस कभी नहीं चुकता।

3. कवि की भाषा सहज-सरल है।

5. नभ में पाँती-बँधे………बगुलों की पाँखें

शब्दार्थ: नभ- आसमान, पाँती एक ही रेखा में, कजरारे काजल लगे हुए, साँझ -शाम, श्वेत उजला, काया शरीर, हौले-हौले- धीरे धीरे । –

भावार्थ: कवि ने सौंदर्य के ब्यौरों के चित्रात्मक वर्णन के साथ उनके मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का वर्णन किया। कवि कहते है कि काले बादलों से भरे आकाश में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सफेद बगुलों देखा है, जो उनके मन को मोह जाता है। ये बगुलों की पंक्तियां कवि को कजरारे बादलों के ऊपर तैरती साँझ की श्वेत काया के समान प्रतीत होता है। कवि के लिए यह दृश्य इतना नयनाभिराम है, कि कवि सबकुछ भुलकर उसी में अटका सा रह जाता है। कवि कहते है कि धीरे-धीरे वे इस माया से बँध जाते है। और वे इस माया से अपने को बचाने की गुहार लगाते है।

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