Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 19 मुझे कुछ चाहिए

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मुझे कुछ चाहिए

Chapter – 19

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ


এদিন এখন গাঁওৰ দুজন খেতিয়কে নিজৰ মাজত লগা কাজিয়া ভাঙিবলৈ বীৰবলৰ ওচৰলৈ গ’ল। সেই সময়তে দিল্লী বহুত ডাঙৰ নগৰ আছিল। সৰু গাঁওত থকা বেচেৰা খেতিয়ক দুজনে বীৰবলৰ ঘৰ চিনি পোৱা নাছিল। দুপৰীয়া সময়ত দিল্লীৰ গলিত খেলি থকা ল’ৰা এজনক তেওঁলোকে ক’লে— ভাইটী আমাক মন্ত্রী বীৰবলৰ ঘৰ দেখুৱাই দিয়া। ল’ৰাজন বৰ খঙাল আছিল আৰু ক’লে দেখা নাই নেকি? মই এতিয়া খেলি আছো। মোৰ হাতত অযথা নষ্ট কৰিবলৈ সময় নাই। এজন খেতিয়কে মৰমেৰে ক’লে— হেৰা ভাইটী বলা, বলানা। আমি তোমাক কিবা এটা দিম। বীৰবলৰ ঘৰ দেখুৱাই দিয়া।

ল’ৰাজনে মনতে ভাবিলে— “এওঁলোক গাৱলীয়া, এওঁলোকৰ লগত অলপ আনন্দ ল’ব লাগিব। তেওঁলোকে কৈছে তোমাক কিবা এটা দিম। মইও আজি তেওঁলোকৰ পৰা কিবা এটা লৈহে এৰিম। নহ’লে ভালকৈ নচুৱাম। ল’ৰাজনে মনে। মনে নিজৰ চালাকীত খুব আনন্দিত হ’ল আৰু খেতিয়কসকলক ক’লে— খুব ভাল কথা, বলা, কিন্তু মোক ‘কিবা’তো নিশ্চয় দিব লাগিব।

দ্বিতীয় খেতিয়কজনে ক’লে— ‘প্ৰথমতে বীৰবলৰ ঘৰতো দেখুৱাই দিয়া। পিচত কিবা নহয় কিবা নিশ্চয় লৈ ল’বা। ‘‘বাৰু বলা’ আগে আগে ল’ৰাজন গ’ল। ল’ৰাজনৰ পিচে পিচে দুইজন খেতিয়ক যাব ধৰিলে। তেওঁলোকে কিছু ৰাষ্টা আৰু চাৰিআলি পাৰ হৈ গ’ল। ল’ৰাজনে এটা সুন্দৰ বিশাল অট্টালিকাৰ সমুখত ৰৈ গ’ল। পিচত খেতিয়ক সকলৰ পিনে মুখ ঘূৰাই ক’লে, “চোৱা এইটোৱে বীৰবলৰ ঘৰ। “এতিয়া মোক ‘কিবা এটা’ দিয়া।

এজন খেতিয়কে নিজৰ জেপৰ পৰা দু’অনা উলিয়াই ক’লে—’লোৱা এই দু’ ল’ৰাজনে মুখ ফুলাই মূৰ ঘুৰাই ক’লৈ ‘ওহো নহব’। 

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তেতিয়া খেতিয়কজনে ল’ৰাজনক ছাৰি অনা বঢ়াই দিলে, কিন্তু এইবাৰো সি ক’লে ‘ওহো নহব, মই এইটো নলওঁ।

বেচেৰা খেতিয়কজনে ক্রমশ পাছ, ছয়, আঠ, দহ আৰু বাৰ অনালৈকে তাক দিলে। কিন্তু ল’ৰাজনে বাৰ বাৰ ‘ওহো নহব’ বুলি কৈ থাকিল। 

শেষত খেতিয়কজনে এটকা দিবলৈ সন্মত হ’ল। কিন্তু এইবাৰো ল’ৰাজনে একেই উত্তৰ দিলে। মইতো টকা পইচা নলও, আপুনি মোক কিবা এটা দিম বুলি কৈছিলে।

সেয়েহে মোক কিবা এটা দিয়ক। মই কিবা এটা লৈহে এৰিম। 

দুইজন খেতিয়ক অসহায় হৈ পৰিল। ল’ৰাজনক কিবা এটা কি দিয়ে? বহুত সময় ভাবিও একো সমিধান নাপালে। বীৰবলে ওপৰ মহলাৰ পৰা নামি আহিল। খেতিয়ক দুজনে সকলো কথা বিৱৰি ক’লে।

বীৰবল বহুত বুধিয়ক আছিল। বীৰবলে ল’ৰাজনৰ দুষ্টালি বুজি পালে, অনাহকত খেতিয়ক দুজনক আমনি কৰিছে। খেতিয়ক দুজনে বৰকৈ আও-ভাও পোৱা নাছিল। শেষত বীৰবলে ল’ৰাজনক ভিতৰলৈ মাতি নিলে আৰু ক’লে— লোৱা এইটো এটকা আৰু গৈ মিঠাই খোৱা।

ল’ৰাজনে ক’লে, “নহয়, মই কিবা এটাহে ল’ম’। তেতিয়া বীৰবলে ল’ৰাজনক দিলে আৰু ক’লে তোমাৰ বাবে কিবা এটা লৈ আহিছো। বীৰবলে এটা বাটিত গাখীৰ আৰু গাখীৰত কয়লা, টিনৰ টুকুৰা মিলাই লৈ আহিলে। গাখীৰৰ বাটিতো ল’ৰাজনৰ হাতত দিলে আৰু গাখীৰ খাব ক’লৈ। এইসময়তে তোমালৈ কিবা এটা আহিব। ল’ৰাজনে গাখীৰৰ বাতিটো হাতত লৈ খাই চালে আৰু কি মিহলোৱা আছে ধৰিব নোৱাৰিলে। ল’ৰাজনে ক’লে গাখীৰত কিবা পৰিছে। এই গাখীৰ মই খাব নোৱাৰো। বীৰবলে তৎক্ষণাৎ ক’লে— তুমি গাখীৰৰ পৰা কিবাটো লোৱা আৰু গাখীৰখিনি মোক ঘূৰাই দিয়া।

ল’ৰাজনে এই কথাটো শুনি খুব লজ্জিত হ’ল। খেতিয়ক দুজনে বীৰবলৰ বুদ্ধি দেখি আচৰিত হ’ল।

शब्दार्थ :

सुलझाना – हल करना (সমাধান কৰা)

सरख्ती – कठोरता (কৰ্কশ)

गँवार – मूर्ख (মূৰ্খ)

असमंजस – दुविधा (বৈষমা, অনৈক্য)

पैंतरा – चतुराई (চতুৰ)

दाँव-पैंय – कौशल (কৌশল)

फौरन तुरंत – (অতি সোনকালে)

अभ्यास माला

प्रश्न – १ : किसने कहा ?

(क) लो, यह रूपया और जाकर मिठाई खा लो। 

उत्तर : किसान ने कहा।

(ख) मेरे पास व्यर्थ का समय नहीं है।

उत्तर : लड़के ने कहा।

(ग) लो, पहले तुम थोड़ा-सा दूध पी लो ।

उत्तर : वीरबल ने कहा।

(घ) मैं तो रूपया-पैसा नहीं लेता।

उत्तर : लड़के ने कहा।

प्रश्न- २ : उत्तर लिखो : 

(क) किसान दिल्ली क्यों गये थे ?

उत्तर : किसान झगड़े सुलझाने के लिए दिल्ली गये थे।

(ख) लड़के ने किसानों को देखकर क्या सोचा ?

उत्तर : लड़के ने किसानों को देखकर सोचा कि यह किसान गँवार है, इसे मजा चखाना चाहिए। 

(ग) बीरबल ने लड़के को किस तरह से फँसाया ?

उत्तर : बीरबल ने लड़के को दूध में कुछ डाल कर फँसाया। 

प्रश्न – ३ : ‘मुझे कुछ चाहिए’ कहानी को सरल हिन्दी में लिखो।

उत्तर : आपसी झगड़ा को लेकर दो किसान दिल्ली बीरवल के पास जाने के लिए घर से निकला। दिल्ली पहुँच कर एक लड़के से पुछा “भैया, हमें जरा बीरबल मंत्री का घर बतला दो।” लड़के खेल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘देखते नहीं हम खेल रहे हैं। मेरे पास समय नहीं है।’ एक किसान ने कहा-‘अरे भैया, चले चलो न हम भी तुम्हें कुछ दे ही देंगे। जरा बीरबल का मकान तो बतला दो।’ लड़के ने मन में सोचा यह किसान गँवार है। इन्हें कुछ मजा चखाना है। इन्होंने कहा कि तुम्हें ‘कुछ’ देंगे। मैं भी आज इनसे ‘कुछ’ लेकर ही छोडूंगा, नहीं तो अच्छा नाच नचाऊँगा। लड़के ने कहा चलो परन्तु मुझे ‘कुछ’ तो जरूर ही देना पड़ेगा।

दूसरे किसान ने कहा, पहले बीरबल का मकान बतला दो। फिर ‘कुछ’ ले लेना। लड़के ने कहा, अच्छा चलो। कुछ दूर ओग जाने पर लड़का खड़ा हो गया और बोला लो बीरबल का घर आ गया। अब मुझे ‘कुछ’ दे दो। किसान ने दो आने देना चाहा, पर लड़के ने नहीं लिया और बोला ‘ऊँ हूँ’। इस तरह चार आने, छ आने, आठ आने, दश आने किसान लड़के को देना चाहा, पर लड़के का एक हो उत्तर था ‘ऊँ हूँ’। किसान थक हार कर एक रुपया को तैयार हो गया। परन्तु लड़के ने कहा मैं रूपया नहीं लेता, मुझे तो ‘कुछ’ ही चाहिए।

दोनो किसान असमंजस में पड़ गये। लड़के को ‘कुछ’ क्या दें? इतने में वीरबल आ गए। किसानों ने अपनी कहानी सुनाई। बीरबल बहुत बुद्धिमान थे।

उन्होंने लड़के का सारा पैंतरा समझ लिया कि व्यर्थ ही इन्हें तंग करना चाहता है। बीरबल अपनी बुद्धि से दुध की एक बाटी ले आए। और उस में कुछ डाल कर लड़के को देकर बोले पहले दुध पी लो बाद में ‘कुछ’ ले लेना। लड़के ने दूध लिया और बोला दूध में ‘कुछ’ गिरा हुआ है। इसे मैं नहीं पी सकता। बीरबल ने फौरन कहा ठीक है, तुम इसमें से ‘कुछ’ ले लो और दुध हमें लौटा दो। लड़का यह सुनकर बहुत लज्जित हुआ। किसान बीरबल की बुद्धिमानी पर चकित रह गया।

प्रश्न – ४ : उत्तर दो :

(क) ‘बीरबल बहुत चतुर थे’- पठीन कहानी के किस-किस वाक्य से इसका पता चलता है, लिखो। 

उत्तर : एक कटोरी में दूध के साथ कोयले के टुकड़े, तिनके, फूस इत्यादि वाक्य से इसका पता चलता है कि वीरवल बहुत चतुर थे।

(ख) प्रस्तुत कहानी के जरिये कहानीकार कौन सा संदेश देना चाहते हैं ? 

उत्तर : प्रस्तुत कहानी के जरिये कहानीकार यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी इन्सान को परेशान नहीं करना चाहिए। 

(ग) प्रस्तुत कहानी का एक उपयुक्त शीर्षक दो।

उत्तर : “चतुर बीरबल” प्रस्तुत कहानी का शीर्षक है।

प्रश्न – ५ : वाक्य बनाओ :

सुलझाना, असमंजस, गँवार, मचल मचल कर, मंजिल, दाँव-पेंच 

उत्तर : सुलझाना- किसान आपस की झगड़ा सुलझाना चाहते थे। 

असमंजस- जब लड़के ने पैसा न लेकर ‘कुछ’ माँगने लगे, तो दोनों किसान असमंजस में पड़ गये।

गँवार- लड़के ने सोचा- ‘ये किसान गँवार हैं।

मचल- मचल कर- मचल मचल कर चलना ठीक नहीं है।

मंजिल- निष्ठा और लगन से लोग अपने मंजिल तक पहुंच सकते हैं। 

दाँव-पेंच- किसान दाँव-पेंच नहीं जानते थे।

भिन्न आदि

1/2 आधा, एक बटे दो আধা, দুই ভাগৰ এক

1/4 चोथाई, एक बटे चार চাৰি ভাগৰ এক

1/3 एक तिहाई, एक बटे तीन তিনি ভাগৰ এভাগ

1/5 एक पँचौथी, एक बटे पाँच পাঁচ ভাগৰ এভাগ

1/6 एक बटे छ: ছয় ভাগৰ এক

11/2 डेढ़, एक सही एक बटे दो এক সমষ্টি দুই ভাগৰ এক

22-2 ढाई, दो सही एक बटे दो দুই সমষ্টি দুই ভাগৰ এক

13/4 पौने दो, एक सही तीन बटे चार দশমিক এক

.1 दशमलव एक এক সমষ্টি চাৰি ভাগৰ তিনি

.25 दशमलव दो पाँच দশমিক দুই পাঁচ

.75 दशमलव सात पाँच দশমিক সাত পাঁচ 

2.25 दो दशमलव दो पाँच দুই দশমিক দুই পাঁচ

3.75 तीन दशमलव सात पाँच তিনি দশমিক সাত পাঁচ

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