Sankardev Class 5 Hindi Chapter 16 हमारा हिंदुस्तान is the answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapters Sankardev Sishu Niketan Class 5 Hindi Chapter 16 हमारा हिंदुस्तान and select need one.
Sankardev Class 5 Hindi Chapter 16 हमारा हिंदुस्तान
Also, you can read the Assam Board book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per SCERT (CBSE) Book guidelines. These solutions are part of Sankardev Sishu Niketan All Subject Solutions. Here we have given Assam Board Sankardev Vidya Niketan Class 5 Hindi Chapter 16 हमारा हिंदुस्तान Solutions for All Subjects, You can practice these here…
हमारा हिंदुस्तान
Chapter – 16
HINDI
SANKARDEV SISHU VIDYA NIKETAN
मूलभाव: प्रस्तुत कविता में भारतवर्ष की महिमा का गुण – गान किया गया है। यह देश भगवान की अपूर्व देन है। अतः हमें इसकी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए इसकी जयगान करनी चाहिए।
মূলভাৱঃ এই কবিতাটোত ভাৰতবৰ্ষৰ মহিমাৰ গুণ – গান কৰা হৈছে। এই দেশখন ভগৱানৰ এক অপূৰ্ব বৰদান। গতিকে আমি ইয়াৰ বিশেষত্বৰ প্ৰতি মন দি ইয়াৰ জয়গান কৰিব লাগে।
शब्दार्थ:
धरती – पृथ्वी পৃথিৱী)
इन्सान — आदमी (মানুহ)
ज्वाला — आग की लपट (জুইৰ শিখা)
मान — प्रतिष्ठा (প্রতিষ্ঠা)
ईमान — नीयत (চৰিত্র)
चमन – फुलवारी (ফুলনি)
बियावान — सुनसान (শূন্যতা)
खलिहान — कटे हुए अनाज को रखने का स्थान (কাটি থোৱা শস্য ৰখা ঠাই)
पर्वत — पहाड़ (পাহাৰ)
गतिवान — गतिशील (গতিশীল)
अभ्यास
1. अर्थ स्पष्ट करो:
(क) जिसकी मिट्टी सोना देती।
उत्तरः जिस धरती पर खेत करने से फसल उगते हैं, विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ निकलते हैं, उस धरती की मिट्टी सोने के समान है।
(ख) जन्मभूमि इन्सान की।
उत्तरः जिस जन्मभूमि के लोगों के हृदय में दया, प्रेम, करुणा, आदि सात्विक भाव पनपते है, मानवता जगते हैं वो जन्मभूमि महान है।
(ग) ज्वाला जलती मान की।
उत्तरः जहाँ मान – सम्मान के लिए लोग अपना सबकुछ त्याग कर सकते है, जहाँ लोग एक – दूसरे को सम्मान की दृष्टि से देखते है।
2. हिन्दुस्तान के संबंध में कवि ने क्या कहा है?
उत्तरः हिन्दुस्तान की मिट्टी सोने की तरह है। इसकी उर्वर भूमि में अनेक फसल उगते हैं तथा यह भूमि भगवान की अमुल्य देन है। यहाँ लोगों के दिलों में दया, धर्म, करुणा आदि भाव हैं तथा गाँव – गाँव में बहती हुई नदियों की तरह मान – सम्मान की ज्वाला जलती है। यहाँ फुलझारी के रूप में गीत गाये जाते हैं और ईमान का शान बढ़ता है। हम सबको मिलकर हिंदुस्तान की जयगान करनी चाहिए। यहाँ फूल – पत्तों से लदी हुई फुलवारी भी है और सुनसान खलिहान भी है। ऊँचे पर्वत, चौड़ी खाई, तथा गतिशील जलधारा इसकी सुंदरता में वृद्धि करती है। अतः हमारे प्यारे हिंदुस्तान तुम्हारी जय हो।
3. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो:
(क) जिसकी मिट्टी सोना देती, धरती है भगवान की।
(ख) दया – धर्म की शिक्षा मिलती, जन्मभूमि इन्सान की।
(ग) गाँव – गाँव में नदियाँ बहती, ज्वाला जलती मान की।
(घ) यहाँ चमन है बाग – बगीचा, बियावान खलिहान भी।
4. वाक्य बनाओ:
धरती: — यह धरती परमात्मा की सुंदर सृष्टि है।
इन्सान: — इन्सानों में भेद – भाव नहीं रखना चाहिए।
ईमान: — किसी भी कार्य में अपना ईमान ठीक रखना चाहिए।
चमन: — हिंदुस्तान एक चमन की तरह है, जहाँ सभी लोग मिलजुल कर रहते हैं।
बियावान: — फसल काटने के बाद खेत बिल्कुल बियावान की तरह हो गया है।
5. निम्नलिखित के जोड़ बैठाओ:
दया — धर्म।
जन्म — भूमि।
बाग – बगीचा।
ऊँचा — पर्वत।
चौड़ी — खाई।
जल — थल।