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Sankardev Class 5 Hindi Chapter 11 बढ़े चलो
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बढ़े चलो
Chapter – 11
HINDI
SANKARDEV SISHU VIDYA NIKETAN
मूलभाव: प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने देश के बालक बालिकाओं को उजागर करते हुए निरंतर अपने कर्तव्य मार्ग पर आगे बढ़ने को कहा है। रास्ते पर आये हे कठिनाइयों का डटकर सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए चलते रहना चाहिए।
মূলভাৱঃ এই কবিতাটিৰ জৰিয়তে কবিয়ে দেশৰ বালক – বালিকা সকলক জাগ্ৰত কৰি নিৰন্তৰ নিজৰ কৰ্তব্যৰ পথত আগবাঢ়িবলৈ কৈছে। ৰাস্তাত অহা বিপদবোৰ ধৈৰ্যৰে, সাহসেৰে সন্মুখীন হৈ নিজৰ লক্ষ্য পাবলৈ আগবঢ়া উচিত।
शब्दार्थ:
वीर — बहादुर (বীৰ, সাহসী)
धीर— धैर्यवान (ধৈর্যশীল)
ध्वजा — झंडा (পতাকা)
दल — समूह (দল, সমূহ)
दहाड़ – गर्जन (গর্জন)
प्रात — सवेरा (ৰাতিপুৱা)
निडर – निर्भय (निৰ্ভয়)
संग — मेल — मिलाप (মিলিজুলি)
सिंह — शेर (সিংহ)
अभ्यास
1. (अ) किसको कभी झुकना नहीं चाहिए?
उत्तरः वीरों को कभी झुकना नहीं चाहिए।
(आ) किसको कभी रुकना नहीं चाहिए?
उत्तरः जो धीर-वीर हैं, उन्हें कभी रुकना नहीं चाहिए।
(इ) निडर कौन है और उसे क्या करना चाहिए?
उत्तरः निडर वीर लोग है। उसे कभी पीछे हटना नहीं चाहिए, बल्कि वही डटकर परिस्थिति का सामना करना चाहिए।
(ई) सूर्य और चन्द्र के उदाहरण से कवि ने क्या कहना चाहा है?
उत्तरः जिस प्रकार सूर्य और चन्द्र किसी का साथ न होते हुए भी निरंतर अपने काम में लगे रहते हैं, उसी प्रकार हमें भी दिन हो या रात निरंतर अपने काम में आगे बढ़ना चाहिए।
2. खाली स्थानों पर केवल छपे शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखो:
(क) ध्वजा (पताका) हाथ में रहे।
(ख) तुम्हारे सामने पहाड़ (गिरि) है।
(ग) सिंह (शेर) को दहाड़ (गर्जन) हो रही है।
(घ) चाहे प्रातः (सुबह) हो चाहे रात (निशा) हो।
(ङ) सूर्य (रवि) और चन्द्र (चाँद) को तरह जैसे बढ़ते जाओ।