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NCERT Class 12 Hindi Chapter 10 भक्तिन
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भक्तिन
Chapter: 10
HINDI
अभ्यास |
पाठ के साथ
1. भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा?
उत्तर: भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से छुपाती थी क्योंकि लक्ष्मी नाम होने के बाद भी वह कंगाल है। लोगों द्वारा इस नाम को बुलाना उसे स्वयं का उपहास लगता है। जब भक्तिन से लेखिका ने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम तो बताया मगर साथ में लेखिका से निवेदन किया कि उसे उसके वास्तविक नाम से पुकारा नहीं जाए। लेखिका ने उसकी बात मान ली। लेखिका ने उसका कंठी माला देखकर उसका नाम भक्तिन रख दिया। भक्तिन जैसे कवित्वहीन नाम को पाकर वह गदगद हो उठी।
2. दो कन्या-रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जिठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है। क्या इससे आप सहमत हैं?
उत्तर: हां हम इस बात से पूरी सहमत है क्योंकि भक्तिन के पुत्र न होने पर उसे उपेक्षा अपने ही घर की ओरत अर्थात सास और जिठानियों से मिली सास और जिठानियाँ चोकी पर बेठ कर आराम फरमाती थी क्योंकि उन्होंने लड़को को जन्म दिया था। भले ही व किसी लायक नहीं थे और भक्तिन तथा उसकी नन्ही बेटियों को घर और खेतो का सारा काम करना पड़ता था। इस समाज में एक स्त्री पुरुष के स्थान पर एक दूसरी स्त्री द्वारा किए गए शोषण का शिकार अधिक होती है। एक स्त्री को उसके पति द्वारा कम उसकी सास द्वारा अधिक प्रताड़ित किया जाता है। यह प्रताड़ना कभी पुत्र न होने पर, दहेज़ न लाने पर, गरीब घर की होने पर, सुंदर न होने, अच्छे से काम ने करने इत्यादि बातों पर होती है। स्वयं एक बेटी अपने घर में अपनी माँ का संपूर्ण प्यार इसलिए नहीं पा पाती है क्योंकि वह बेटी होती है।
3. भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे?
उत्तर: भक्तिन की बेटी विवाह नहीं करना चाहती थी। यही कारण है कि जब उसके ताऊओं द्वारा रिश्ता लाया गया, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उन्हें यह इनकार पसंद नहीं आया और उन्होंने उस लड़की के खिलाफ षडयंत्र रचा। लड़के ने घर में लड़की को अकेला पाकर अंदर से दरवाज़ा बंद कर दिया। जब हल्ला हुआ, तो इस फैसले के लिए पंचायत बुलायी गई। पंचायत यह देख चुकी थी कि लड़की ने उस लड़के के मुख पर अपनी इनकार की मुहर पहले से दे दी है। इसके बाद भी उसकी नहीं सुनी गई। उसका विवाह उसकी इच्छा के विरुद्ध करने का निर्णय पंचायत ने दे डाला। पंचायत ने बेकसूर लड़की को एक निकम्मे लड़के के साथ इसलिए शादी करने के लिए विवश किया क्योंकि वह उसके कमरे में घुस बैठा था। यह एक लड़की के अधिकारों का हनन ही तो है। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों के विवाह का निर्णय उसके परिवार वालों द्वारा लिया जाता है। यदि कोई लड़की विरोध करने का साहस करती भी है तो उसके स्वर को दबा दिया जाता है। यह समस्या सामाजिक समस्या के रूप में उभरती है जिसमें महिलाओं की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। पंचायतों द्वारा ऐसे फैसले न केवल विवाहित महिलाओं के व्यक्तिगत अधिकारों को चुनौती देते हैं, बल्कि ये सामाजिक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं जो अक्सर महिलाओं को उनके स्वतंत्र निर्णयों से वंचित करते हैं।
4. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर: भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं है क्योंकि वह अपनी गलत बात को सही करने के हज़ारों तर्क सामने रख देती थी। वह लेखिका की सुविधा नहीं देखती थी, हर बात को वह अपनी सुविधा अनुसार करती थी। वह घर में इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे को भंडार घर की मटकी में छुपा देती थी और अपने इस काम को चोरी नहीं मानती थी। वह दूसरों को अपनी इच्छानुसार बदल देना चाहती थी, लेकिन खुद बिलकुल नहीं बदलती थी।
5. भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?
उत्तर: लेखिका के अनुसार भक्तिन शास्त्र के प्रश्न को अपनी सुविधा से सुलझा लेती है। भक्तिन द्वारा शास्त्र के सवाल को सुलझा लेने का एक उदाहरण यह है कि भक्तिन द्वारा यह कहना कि तीरथ गए मुँडाए सिद्ध। लेखिका भक्तिन के इस जवाब में कुछ नहीं कह पाती। लेखिका भक्तिन को मना करती है कि वह अपना सिर नहीं मुँडवाए। भक्तिन की व्याख्या के मुताबिक, शास्त्रों में सिर मुंडवाना सही माना जाता है। भक्तिन को यह बात किस शास्त्र में लिखी है, इसका पता नहीं था।
6. भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई?
उत्तर: महादेवी, भक्तिन को नहीं बदल पायी पर भक्तिन ने महादेवी को बदल दिया। भक्तिन देहाती महिला थी और शहर में आने के बाद भी उसने अपने-आप में कोई परिवर्तन नहीं किया। लेखिका को भक्तिन द्वारा बनाई गई बाजरे के तिल मिलाकर बने पुए खाने पड़े और ज्वार के भुने हुए भुट्टे की खिचड़ी खानी पड़ी। उसकी बनाई हुई सफेद महुए की लापसी को संसार के श्रेष्ठ हलवे से अधिक स्वादिष्ट मानकर खाना पड़ा। भक्तिन ने लेखिका को देहाती भाषा और कहावतें भी सिखा दीं। इस तरह महादेवी भी देहाती बन गईं।
पाठ के आसपास
1. आलो आँधारि की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?
उत्तर: आलो आँधारि की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में कई समानताएं हैं। जैसे– दोनों ही कहानियां घर में काम करने वाली नौकरानियों के जीवन पर आधारित है। कहानी की दोनों ही नायिकाओं को अपने परिवार एवं समाज की उपेक्षा एवं घृणा का सामना करना पड़ा। दोनों ही शिक्षा के मामले में कमज़ोर थीं। भक्तिन अशिक्षित थी तथा बेबी हालदार ने सातवीं तक पढ़ाई की थी। दोनों की ही कहानियां भिन्न थी परंतु दोनों ही नायिकाओं ने अपने स्वाभिमान और आत्मरक्षा के लिए अपने जीवन में संघर्ष पूर्ण स्थिति का सामना किया।
3. भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह का फ़ैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। अखबारों या टी. वी. समाचारों में आनेवाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
4. पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हजारों अभागिनियाँ हैं। बाल विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
5. महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता बसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़ें। जो मेरा परिवार नाम से प्रकाशित है।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
भाषा की बात
1. नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ छवि स्पष्ट कीजिए–
(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले।
उत्तर: पहली कन्या के जैसे दिखने वाली और दो कन्याओं का जन्म हुआ। लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा है क्योंकि किसी कहानी का पहला संस्करण निकलने के बाद उसके अन्य संस्करण निकाले जाते हैं। वह होते ठीक पहले के समान हैं। ऐसे ही भक्तिन की पहली कन्या के समान अन्य दो कन्याओं का जन्म हुआ।
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी।
उत्तर: ऐसी पत्नी जो ससुराल की नज़रों में खोटे सिक्के की टकसाल के समान थी। यहाँ पर खोटे सिक्के कन्याओं को बताया गया है। भक्तिन ने बेटे को जन्म नहीं दे पायी थी। अतः वह खोटे सिक्के की टकसाल के समान थी। यदि वह बेटों को जन्म दे पाती, तो वह कभी खोटे सिक्के वाली टकसाल नहीं कही जाती। बेटी पैदा करना उसका सबसे बड़ा अवगुण था।
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण।
उत्तर: ऐसी बातें जो बार-बार सुनाई दी जा रही थीं लेकिन वे इतने धीरे बोली जा रही थीं कि साफ़ तौर पर पता नहीं चल रहा था कि बात किस विषय में है। इसके साथ ही जो लोग धीरे-धीरे बोल रहे थे उनकी बातें सुनने में न आए लेकिन उनके चेहरे पर एक सहानुभूति साफ़ रूप से देखी जा सकती थी। मानो कह रहे हों कि हम इस दुख की घड़ी में तुम्हारे हैं।
2. ‘बहनोई’ शब्द ‘बहन (स्त्री.)+ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुलिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, पर स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुलिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदी तथा और भाषाओं में खोज करें।
उत्तर: ननद + ओई = ननदोई।
3. पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझ कर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढाल कर प्रस्तुत कीजिए।
(क) ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल राँध लेइत है, साग-भाजी छंउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
उत्तर: यह कौन सी बड़ी बात है, रोटी बनाना जानती हूँ, दाल बना लेती हूँ, साग-भाजी छौंक सकती हूँ, और बाकी क्या रह गया।
(ख) हमारे मालकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़े लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
उत्तर: हमारी मालकिन तो रात-दिन किताबों में गड़ी रहती हैं। अब मैं भी पढ़ने लगी तो घर-गृहस्थी कौन देखेगा-सुनेगा।
(ग) ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती फिरती हौ, चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
उत्तर: वह बेचारी तो रात-दिन काम में लगी रहती हैं, और तुम पीछे-पीछे घुमती-फिरती हो, चलो थोड़ा हाथ बटाओ।
(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत बजाउत फिरिहैं।
उत्तर: तब वह कुछ करता-धरता नहीं था, बस गली-गली गाता-बजाता फिरता था।
(ङ) तुम पर्चे का का बताईयहै पचास बरिस से संग रहित है।
उत्तर: तुम पर्चे का क्या-क्या बनाती हो, यह पचास वर्षो से साथ रहती हैं।
(च) हम कुकुरी बिलारी न होय, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा भूँजब और राज करब, समुझे रहौ।
उत्तर: मैं कुत्तिया-बिल्ली नहीं हूँ, अगर हमारा मन चाहेगा, तो हम दूसरे के पास जाएँगे नहीं तो मैं सबकी छाती पर चने भूनूँगी और राज करूँगी, सब समझ लो।
4. भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही ये प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक है?
– अरे! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।
– घबरा मत! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।
– जानी टेंसन नई लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।
उत्तर: वाक्यों में निम्नलिखित तीन प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया गया है। जैसे–
(i) वैशिष्ट्यपूर्ण शब्दावली: यह वाक्यों में तकनीकी और विशेष शब्दावली का प्रयोग है। जैसे– “वायरस”, “सिस्टम”, “हैंग कर देता है”, “इनस्वींगर”, “फाउल”, “रेड कार्ड”, “पवेलियन”, “हैडमास्टर”।
(ii) लोकतात्त्विक शब्दावली: वाक्यों में आम बोलचाल की शब्दावली का प्रयोग हुआ है। जैसे– “अरे!”, “मेरी इनस्वींगर”, “घबरा मत!”, “जानी”, “अपुन”, “नई लेने का।
(iii) शैलीशास्त्रिय शब्दावली: वाक्यों में उच्च शैली या विशेष शब्दों का प्रयोग हुआ है। जैसे– “संग रहित है”, “संप्रेषणीय”, “वक्ता”, “समृद्धि”, “सहायक”।
कुछ उदाहरण इस प्रकार है:
(i) “जब सिमोन की इनस्वींगर ने विशेष वायरस को ब्लॉक किया, उसने फिर ट्रैफिक को बहाल किया।” यह वाक्य तकनीकी शब्दों (इनस्वींगर, वायरस, ब्लॉक) के साथ उच्च शैली के शब्द (विशेष) का प्रयोग करता है।