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NCERT Class 12 Fine Art Chapter 8 भारत की जीवंत कला परंपराएँ
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भारत की जीवंत कला परंपराएँ
Chapter: 8
भारतीय कला का परिचय: भाग – 2
अभ्यास
1. पारंपरिक कलाकारों की शिक्षा किस प्रकार होती है?
उत्तर: पारंपरिक कलाकारों की शिक्षा पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरण के माध्यम से होती है।
2. लोक कला का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर: लोक कला का मुख्य आधार स्थानीय परंपराएँ, विश्वास, कहानियाँ और जीवनशैली है।
3. पारंपरिक कलाओं में किस प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग होता है?
उत्तर: पारंपरिक कलाओं में मिट्टी, कपड़ा, लकड़ी, धातु, प्राकृतिक रंग आदि का प्रयोग होता है।
4. पारंपरिक कलाकार किसके लिए कला का निर्माण करते हैं?
उत्तर: वे समुदाय, परंपरा, पूजा, त्योहार और घरेलू आवश्यकताओं के लिए कला का निर्माण करते हैं।
5. दीवार चित्रांकन भारत में क्यों लोकप्रिय रहा है?
उत्तर: दीवार चित्रांकन भारत में इसलिए लोकप्रिय रहा है क्योंकि यह सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है और त्योहारों, विवाहों आदि में इसे सजावट के रूप में प्रयोग किया जाता है।
6. भारत में हस्तकला को किसने पुनर्जीवित किया?
उत्तर: स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार और विभिन्न राज्यों ने मिलकर हस्तकला को पुनर्जीवित किया।
7. पारंपरिक कलाकार अपने जीवन और श्रम में सौंदर्य को कैसे शामिल करते हैं?
उत्तर: वे दैनिक जीवन की वस्तुओं में सुंदर रंगों और डिज़ाइनों के माध्यम से सौंदर्य का शामिल करते हैं।
मध्यम प्रश्नोत्तर |
1. भारत की पारंपरिक कलाएँ कैसे जीवित हैं और उनका समाज में क्या योगदान है?
उत्तर: भारत की पारंपरिक कलाएँ गाँवों और कस्बों में आज भी जीवित हैं। ये कला रूप जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़ा हुआ हैं। जैसे त्योहार, विवाह, खेती आदि। कलाकार अपने अनुभव और पारंपरिक ज्ञान से रंगों, आकृतियों और सामग्रियों के माध्यम से सामाजिक कथाओं को जीवित रखते हैं। ये कलाएँ हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करती हैं।
2. लोक कला और हस्तकला में क्या समानताएँ और अंतर हैं?
उत्तर: लोक कला और हस्तकला दोनों ही रचनात्मकता, सौंदर्यबोध और परंपरा पर आधारित हैं। अंतर यह है कि लोक कला अधिकतर धार्मिक और सांस्कृतिक विषयों पर आधारित होती है जबकि हस्तकला उपयोगी वस्तुओं का सौंदर्यपूर्ण निर्माण करती है। दोनों में स्वदेशी सामग्रियों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग होता है।
3. स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने पारंपरिक कला के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए?
उत्तर: स्वतंत्रता के बाद सरकार ने हस्तकला और लोककला के संरक्षण के लिए योजनाएं शुरू कीं। विभिन्न राज्यों में व्यापार केंद्र बनाए गए, शिल्प मेलों और प्रदर्शनियों के माध्यम से कलाकारों को मंच दिया गया। इससे कलाकारों को आर्थिक सहायता और पहचान मिली।
4. पारंपरिक कलाकार आधुनिकता के साथ कैसे सामंजस्य बैठा रहे हैं?
उत्तर: पारंपरिक कलाकार आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं, लेकिन वे अब नए माध्यमों और डिज़ाइनों को अपनाकर अपने कार्यों को आधुनिक ग्राहकों के अनुसार ढाल रहे हैं। इंटरनेट और प्रदर्शनियों के माध्यम से उनकी पहुँच वैश्विक हो गई है।
5. पारंपरिक कलाएँ किस प्रकार एक समुदाय की पहचान बन जाती हैं?
उत्तर: पारंपरिक कलाएँ स्थानीय प्रतीकों, लोक कथाओं और धार्मिक विश्वासों पर आधारित होती हैं, जिससे वे उस समुदाय की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा बन जाती हैं। वे लोगों की आस्था, रीति-रिवाज और दैनिक जीवन से जुड़ी होती हैं।
6. पारंपरिक कला में प्रयुक्त रंगों का महत्व क्या है?
उत्तर: पारंपरिक कला में रंगों का गहरा प्रतीकात्मक अर्थ होता है। जैसे लाल रंग शक्ति और समृद्धि को दर्शाता है, पीला रंग शुभता का प्रतीक होता है। रंग प्राकृतिक स्रोतों से बनाए जाते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।
7. पारंपरिक कलाएँ आज के समाज में किस प्रकार प्रासंगिक हैं?
उत्तर: पारंपरिक कलाएँ आज भी धार्मिक अनुष्ठानों, सजावट, कपड़ों और हस्तशिल्प वस्तुओं में प्रयोग होती हैं। साथ ही वे सांस्कृतिक विरासत और लोक ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम हैं। ये कला रूप वैश्विक बाजार में भी लोकप्रिय हैं और आधुनिक डिज़ाइन में पारंपरिक तत्वों का समावेश हो रहा है। इस प्रकार ये कलाएँ सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक जीवनशैली में भी प्रासंगिक बनी हुई हैं
8. पारंपरिक कलाओं के संरक्षण में किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर: पारंपरिक कलाओं को संरक्षित रखने में आधुनिक तकनीक, कम आर्थिक लाभ, युवा पीढ़ी की उदासीनता और औद्योगिक वस्तुओं की प्रतिस्पर्धा जैसी समस्याएँ सामने आती हैं। इसके लिए सरकारी नीति, बाजार सहायता और जनचेतना की आवश्यकता होती है।

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