NCERT Class 12 Economics Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

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NCERT Class 12 Economics Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन

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Chapter: 2

समष्टि अर्थशास्त्र एक परिचय
अभ्यास

1. उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?

उत्तर: उत्पादन के चार कारक हैं- भूमि, श्रम, पूंजी और उद्यमिता। इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्रमशः किराया, मजदूरी, ब्याज और लाभ कहते हैं।

उत्पादन के चार कारक नीचे उल्लेख किया गया है-

(i) श्रम: ऐसा कोई भी शारीरिक या मानसिक कार्य जो धन अर्जित करने के उद्देश्य से किया जाता है, वह श्रम कहलाता है।

(ii) भूमि: अर्थशास्त्र में उत्पादन के लिए प्रयुक्त सभी प्राकृतिक संसाधनों को भूमि की श्रेणी में शामिल किया जाता है, जैसे– जल, खनिज, जंगल, आदि।

(iii) पूँजी: वे सभी साधन जो मनुष्य द्वारा उत्पादन के लिए निर्मित किए गए हैं। उदाहरणस्वरूप– मशीनें, उपकरण, भवन आदि।

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(iv) उद्यमीता: उद्यमीता वे व्यक्ति होते हैं जो उत्पादन संबंधी प्रमुख निर्णय लेते हैं और व्यापार या उद्योग से जुड़े जोखिमों का वहन करते हैं।

2. किसी अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर: एक अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय, समस्त कारक अदायगी के बराबर होता है, क्योंकि अंतिम व्यय और कारक अदायगी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो प्रकार के बाजार होते हैं। जैसे-

(i) उत्पादन बाज़ार।

(ii) कारक बाज़ार।

परिवार फर्मों के कारक साधन जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी आदि की आपूर्ति करते हैं जिनके बदले में फर्ने। इन्हें लगान, किराया, मजदूरी, ब्याज और लाभ केग रूप में कारक भुगतान करती है। परिवारों को जो आय प्राप्त होती है उससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए फर्मों से अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदते हैं। इस प्रकार उत्पादकों का व्यय लोगों की आय और लोगों का व्यय उत्पादकों की आय बनता है।

इस प्रकार,

फर्मों का व्यय = परिवारों की आय, और

परिवारों का व्यय = फर्मों की आय

इस प्रकार, उत्पादन बाज़ार और कारक बाज़ार में आय और व्यय का चक्रीय प्रवाह निरंतर चलता रहता है।

दो बाज़ारों में चक्रीय प्रवाह को हम निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखा सकते हैं-

3. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह? हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए।

उत्तर: स्टॉक और प्रवाह में भेद निन्न हैं-

स्टॉकप्रवाह
स्टॉक एक समय बिंदु या निश्चित समय पर मापा जाने वाला चर है।प्रवाह वह चर है जो एक निश्चित समयावधि पर मापा जाता है।
किसी निश्चित समय पर उपलब्ध किसी वस्तु की मात्रा।किसी निश्चित अवधि में होने वाला परिवर्तन या गतिविधि।
स्टॉक की प्रकृति स्थाई (अचल) है।प्रवाह की प्रकृति गत्यात्मक (चल) है।
उदाहरण: पूँजी, जनसंख्या, धन संचय।उदाहरण: आय, निवेश, खर्च।

निवल निवेश और पूँजी में -निवेश एक प्रवाह है, जबकि पूंजी एक स्टॉक है।

हौज में पानी के प्रवाह द्वारा निवल निवेश और पूँजी की तुलना निचे दिए गए हैं-

निवल निवेशपूँजी
जैसे हौज में जमा हुआ पानी एक समय विशेष पर मापा जा सकता है, वैसे ही पूँजी किसी समय विशेष पर उपलब्ध संसाधनों की मात्रा होती है।जैसे हर दिन हौज में नया पानी आता है और कुल पानी की मात्रा बढ़ जाती है, वैसे ही निवल निवेश से पूँजी में वृद्धि होती है।
यह स्टॉक का उदाहरण है।यह प्रवाह का उदाहरण है।

4. नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अंतर है? किसी फर्म की माल-सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।

उत्तर: नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में अंतर निन्न हैं-

नियोजित माल-सूची संचयअनियोजित माल-सूची संचय
नियोजित माल-सूची यह वह माल-सूची होती है जिसे फर्म पहले से योजना बनाकर रखती है।अनियोजित माल-सूची यह वह माल-सूची होती है जो फर्म की योजना के विपरीत, अप्रत्याशित रूप से इकट्ठा हो जाती है।
उदाहरण: यदि कोई फर्म सोचती है कि वह 1000 कमीज़ बेचेगी और 100 कमीज़ स्टॉक में रखेगी, तो यह 100 कमीज़ नियोजित माल-सूची कहलाएगी।उदाहरण: यदि फर्म को उम्मीद थी कि वह 1000 कमीज़ बेचेगी, लेकिन वह केवल 600 बेच पाई, तो बची हुई 400 कमीज़ अनियोजित माल-सूची संचय कहलाएंगी।

5. तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?

उत्तर: किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) तीन विधियों से गणना किया जा सकता है- व्यय विधि, आय विधि, और उत्पादन विधि। तीनों विधियों का उपयोग करके GDP का समान मूल्य आना चाहिए क्योंकि वे अर्थव्यवस्था में सभी आर्थिक गतिविधियों को मापते हैं।

GDP मापन की तीन प्रमुख विधियाँ:

(i) उत्पादन विधि: इस विधि में किसी देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य को जोड़कर GDP की गणना की जाती है। मध्यवर्ती वस्तुएँ शामिल नहीं की जातीं, क्योंकि उनका मूल्य पहले से ही अंतिम वस्तुओं में समाहित होता है।

(ii) व्यय विधि: इस विधि में, देश में सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर किए गए कुल खर्च को जोड़कर GDP की गणना की जाती है। यह खर्च उपभोक्ताओं, व्यवसायों, सरकार और विदेशों द्वारा किए गए खर्च को शामिल करता है।

(iii) आय विधि: इस विधि में, देश में सभी उत्पादन कारकों (जैसे श्रम, पूंजी, भूमि) को प्रदान किए गए कुल आय को जोड़कर GDP की गणना की जाती है। इसमें वेतन, लाभ, ब्याज और किराया शामिल हैं।

तीनों विधियों से GDP का एक ही मूल्य आना चाहिए क्योंकि वे सभी एक ही आर्थिक अवधारणा को मापते हैं। यदि किसी विधि से प्राप्त GDP मूल्य अन्य विधियों से प्राप्त मूल्य से अलग है, तो यह आंकड़ों की सटीकता या गणना में त्रुटियों के कारण हो सकता है।

6. बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ रु० था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ रु० थी। उस देश के बजटीय घाटे का परिमाण क्या था?

उत्तर: बजटीय घाटा की परिभाषा: जब किसी देश की सरकार का कुल खर्च उसकी कुल आय (जिसमें कर शामिल होते हैं) से अधिक होता है, तब उस स्थिति को बजटीय घाटा कहते हैं। उदाहरण: बजटीय घाटा = सरकारी खर्च – सरकारी आय (कर सहित)।

व्यापार घाटे की परिभाषा: जब कोई देश जितना निर्यात करता है, उससे अधिक आयात करता है, तब उस अंतर को व्यापार घाटा कहा जाता है। उदाहरण: व्यापार घाटा = आयात – निर्यात।

देश के बजटीय घाटे का परिमाण 

हमें दिया गया है:

निजी निवेश – कुल बचत = 2000 करोड़ रुपये

बजटीय घाटा = 1500 करोड़ रुपये

आर्थिक समीकरण के अनुसार:

N – S = (G – T) + (M – X)

जहाँ:

N = निजी निवेश

S = कुल बचत

G – T = बजटीय घाटा

M – X = व्यापार घाटा

अब,

2000 = 1500 + व्यापार घाटा

⇒ व्यापार घाटा = 2000 – 1500 = 500 करोड़ रुपये

तो उस देश का व्यापार घाटा 500 करोड़ रुपये था।

7. मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाज़ार कीमत पर 1100 करोड़ रु० था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ रु० था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ रु० और राष्ट्रीय आय 850 करोड़ रु० है, तो मूल्यह्रास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।

उत्तर: राष्ट्रीय आय (NNP@FC) = सकल घरेलू 

उत्पाद बाजार मूल्य (GDP@MP) + विदेशों से प्राप्त

निवल कारक आय (NFFI) – मूल्यह्रास – अप्रत्यक्ष कर 

मूल्य – उपदान (T – S)

इसलिए, मूल्यह्रास = GDP@MP + NFFI – NNP@FC + T-S

यहां: GDP@MP = 1100 करोड़ रु०, NFFI = 100 

करोड़ रु०, NNP@FC = 850 करोड़ रु०, T-S = 150 करोड़ रु० A

इसलिए, मूल्यह्रास = 1100 + 100 – 850 + 150 = 200 करोड़ रु०।

8. किसी देश विशेष में एक वर्ष में कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 1900 करोड़ रु० है। फर्मों/सरकार के द्वारा परिवार को अथवा परिवार के द्वारा सरकार/फमों को किसी भी प्रकार का ब्याज अदायगी नहीं की जाती है, परिवारों की वैयक्तिक प्रयोज्य आय 1200 करोड़ रु० है। उनके द्वारा अदा किया गया वैयक्तिक आयकर 600 करोड़ रु० है और फर्मे तथा सरकार द्वारा अर्जित आय का मूल्य 200 करोड़ रु० है। सरकार और फर्म द्वारा परिवार को की गई अंतरण अदायगी का मूल्य क्या है?

उत्तर: NNPFC = 1900

वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 1200

वैयक्तिक आयकर = 600 करोड़

वैयक्तिक आय = 1200 + 600 = 1800

वैयक्तिक आय = NNPFC अवितरित लाभ + सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी

1800 = 1900-200 + अंतरण अदायगी अंतरण

अदायगी = 1800 – 1700 = 100 करोड़।

9. निम्नलिखित आंकडों से वैयक्तिक आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए:

(करोड़ रु० में)
(a) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद8000
(b) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय200
(c) अवितरित लाभ1000
(d) निगम कर500
(e) परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज1500
(f) परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज1200
(g) अंतरण आय300
(h) वैयक्तिक कर500

उत्तर: वैयक्तिक आय 

संकल्पना: यह वह आय है जो घरेलू क्षेत्र  को प्राप्त होती है।

सूत्र:

PI = राष्ट्रीय आय (NNP at FC) + अंतरण आय + ब्याज (परिवारों को मिला – परिवारों ने चुकाया) – (निगम कर + अवितरित लाभ)

अब दिए गए आंकड़ों को सूत्र में डालते हैं:

NNP at FC = 8000

विदेशों से प्राप्त NFI = 200 ⇒ इसे NNP at FC में पहले से जोड़ा गया माना जाता है (इसलिए दुबारा नहीं जोड़ेंगे)।

अंतरण आय (Transfer Income) = 300

परिवारों को प्राप्त ब्याज = 1500

परिवारों द्वारा भुगतान ब्याज = 1200

अवितरित लाभ = 1000

निगम कर = 500

PI = 8000 + 300 + (1500 – 1200) – (1000 + 500)

PI = 8000 + 300 + 300 – 1500 = 7100 करोड़ रु०

2. वैयक्तिक प्रयोज्य आय (Personal Disposable Income – PDI)

संकल्पना: यह वह आय है जो व्यक्ति खर्च या बचत के लिए रख सकता है, यानी वैयक्तिक आय में से वैयक्तिक कर घटा दें।

सूत्र:

PDI = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर

वैयक्तिक आय = 7100

वैयक्तिक कर = 500

PDI = 7100 – 500 = 6600 करोड़ रु०

अंतिम उत्तर:

वैयक्तिक आय (PI) = 7100 करोड़ रु०

वैयक्तिक प्रयोज्य आय (PDI) = 6600 करोड़ रु०

10. हजाम राजू एक दिन में बाल काटने के लिए 500 रु० का संग्रह करता है। इस दिन उसके उपकरण में 50 रु० का मूल्यह्रास होता है। इस 450 रुपये में से राजू 30 रु० बिक्री कर अदा करता है। 200 रु० घर ले जाता है और 220 रु० उन्नति और नए उपकरणों का क्रय करने के लिए रखता है। वह अपनी आय में से 20 रु० आय कर के रूप में अदा करता है। इन पूरी सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित में राजू का योगदान ज्ञात कीजिए: (a) सकल घरेलू उत्पाद (b) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (c) कारक

लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद (d) वैयक्तिक आय (e) वैयक्तिक प्रयोज्य आय।

उत्तर: (a) सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर = कुल प्राप्ति = 500 सकल घरेलू उत्पाद कारक आय पर = सकल उत्पाद बाजार कीमत पर – अप्रत्यक्ष कर = 500 – 30 = ₹ 470

(b) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर मूल्यह्रास ब = 500 – 50 = ₹450

(c) कारक लागत पर निम्न राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर = 450 – 30 = ₹ 420

(d) वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ = 420 – 220 = ₹ 200

(e) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय वैयक्तिक कर = 200 – 20 = ₹ 180

11. किसी वर्ष एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य 2500 करोड़ रु० था। उसी वर्ष, उस देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य किसी आधार वर्ष की कीमत पर 3000 करोड़ रु० था। प्रतिश्त के रूप में वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य की गणना कीजिए। क्या आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि हुई?

उत्तर: सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य = मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद/वास्तविक सकल राष्ट्रीय उत्पाद = 100

= 2500/3000 × 100 = 83.33% 

सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीति (GDP Deflatec) का मान 100% से कम है अतः कीमत स्तर में आधार वर्ष की तुलना में गिरावट आई है।

12. किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।

उत्तर: किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

(i) सकल घरेलू उत्पाद का वितरण: यह संभव है कि किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ रहा हो और उसके साथ-साथ आय की असमानताएँ भी बढ़ रही हो। ऐसी स्थिति में अमीर और अधिक अमीर हो जायेंगे, परन्तु निर्धन और अधिक निर्धन हो जायेंगे, अतः निर्धनों का कल्याण नहीं होगा। उदाहरण के लिए एक देश की आय सन् 2000 में 14000 करोड़ से बढ़कर 320000 करोड़ हो गई। 14000 करोड़ में से 400 करोड़ 50% निर्धनतम को मिल रहे थे जबकि 20000 करोड़ में से ₹2000 करोड़ निर्धनतम वर्ग को मिल रहे थे और 180000 करोड़ अमीरतम वर्ग को तो निर्धनतम को आर्थिक कल्याण स्तर कम हुआ है।

(ii) गैर मौद्रिक विनिमय: अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में नहीं होता। उदाहरण के लिए जो महिलायें अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं, उसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। बहुत सी सेवाओं को एक दूसरे के बदले में प्रत्यक्ष रूप से विनिमय होता है, क्योंकि मुद्रा का यहाँ प्रयोग नहीं होता है, इसीलिए वस्तु विनिमय को आर्थिक कार्यकलाप का हिस्सा नहीं माना जाता। इससे सकल घरेलू उत्पाद का अल्पमूल्यांकन होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर यह देश के कल्याण की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता।

(iii) बाह्य प्रभाव: कुछ गतिविधियाँ ऐसी होती हैं जो दूसरों को हानि या लाभ पहुँचाती हैं, परंतु उनके लिए कोई भुगतान नहीं किया जाता। उदाहरण: एक फैक्टरी प्रदूषण फैलाती है, जिससे समाज को हानि होती है, लेकिन इसकी क्षतिपूर्ति नहीं होती।

दूसरी ओर, यदि कोई व्यक्ति आम का बाग लगाता है, तो उससे आसपास के लोगों को शुद्ध वायु मिलती है, परंतु इस लाभ के लिए बाग के मालिक को कोई भुगतान नहीं मिलता। इन धनात्मक और ऋणात्मक बाह्यताओं को GDP में नहीं मापा जा सकता है, जिससे यह देश के वास्तविक कल्याण को नहीं दर्शाता।

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