NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद

NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद Solutions to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद and select need one. NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद Question Answers Download PDF. NCERT Class 11 Political Science Bharat Ka Samvidhan Sidhant Aur Vavhar Texbook Solutions.

NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. CBSE Class 11 Political Science Bharat Ka Samvidhan Sidhant Aur Vavhar Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद Notes, CBSE Class 11 Political Science Bharat Ka Samvidhan Sidhant Aur Vavhar in Hindi Medium Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 7

भारत का संविधान सिद्धांत और व्यवहार
INTEX QUESTION

1. केंद्र सरकार के पास ही सारी शक्तियाँ हैं। क्या राज्य इसकी शिकायत नहीं करते?

उत्तर: राज्य सरकारें अक्सर केंद्र पर अत्यधिक शक्ति रखने की शिकायत करती हैं, खासकर वित्तीय संसाधनों, कानून व्यवस्था और समवर्ती सूची के मामलों में हस्तक्षेप को लेकर। संघीय ढांचे में संतुलन बनाए रखना आवश्यक है ताकि राज्यों के अधिकार सुरक्षित रहें।

2. संघवाद का मतलब झगड़ा है क्या? पहले हमने केंद्र और राज्य के झगड़े के बारे में बात की और अब राज्यों के आपसी झगड़ों की बात चल रही है। क्या हम साथ-साथ शांतिपूर्वक नहीं रह सकते?

उत्तर: संघवाद का अर्थ झगड़ा नहीं, बल्कि शक्ति का बंटवारा और सहयोग है। केंद्र और राज्यों या राज्यों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं, लेकिन संवैधानिक व्यवस्था और संवाद से समाधान संभव है। शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व संघीय व्यवस्था की आधारशिला है।

प्रश्नावली

1. नीचे कुछ घटनाओं की सूची दी गई है। इनमें किसको आप संघवाद की कार्य–प्रणाली के रूप में चिहिनत करेंगे और क्यों? 

(क) केंद्र सरकार ने मंगलवार को जीएनएलएफ के नेतृत्व वाले दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल को छठी अनुसूची में वर्णित दर्जा देने की घोषणा की। इससे पश्चिम बंगाल के इस पर्वतीय जिले के शासकीय निकाय को ज़्यादा स्वायत्तता प्राप्त होगी। दो दिन के गहन विचार-विमर्श के बाद नई दिल्ली में केंद्र सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और सुभाष घीसिंग के नेतृत्व वाले गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट (जीएनएलएफ) के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए।

उत्तर: केंद्र, राज्य सरकार और जीएनएलएफ के बीच समझौते में एक संघीय ढांचे का कामकाज शामिल है क्योंकि यह राज्य और प्रांतीय स्तर पर शासन में स्वायत्तता की अनुमति देता है। यह भारत के संघीय ढांचे में विभिन्न स्तरों के बीच आपसी समन्वय और अधिकारों के विभाजन को दर्शाता है। 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(ख) वर्षा प्रभावित प्रदेशों के लिए सरकार कार्य-योजना लाएगी। केंद्र सरकार ने वर्षा प्रभावित प्रदेशों से पुनर्निर्माण की विस्तृत योजना भेजने को कहा है ताकि वह अतिरिक्त राहत प्रदान करने की उनकी माँग पर फौरन कार्रवाई कर सके।

उत्तर: यह संघवाद का उदाहरण है क्योंकि प्राकृतिक आपदा प्रबंधन जैसे विषय में केंद्र और राज्य दोनों की भूमिका होती है। केंद्र द्वारा वित्तपोषित होने पर राज्यों द्वारा की जाती है। 

(ग) दिल्ली के लिए नए आयुक्त। देश की राजधानी दिल्ली में नए नगरपालिका आयुक्त को बहाल किया जाएगा। इस बात की पुष्टि करते हुए एमसीडी के वर्तमान आयुक्त राकेश मेहता ने कहा कि उन्हें अपने तबादले के आदेश मिल गए हैं और संभावना है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अशोक कुमार उनकी जगह संभालेंगे। अशोक कुमार अरुणाचल प्रदेश के मुख्य सचिव की हैसियत से काम कर रहे हैं। 1975 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री मेहता पिछले साढ़े तीन साल से आयुक्त की हैसियत से काम कर रहे हैं।

उत्तर: यह संघवाद का हिस्सा नहीं है क्योंकि यह केंद्र-राज्य या राज्य-क्षेत्रीय संबंधों को नहीं दर्शाता। यह केवल प्रशासनिक नियुक्ति से संबंधित है।

(घ) मणिपुर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा। राज्यसभा ने बुधवार को मणिपुर विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया। मानव संसाधन विकास मंत्री ने वायदा किया है कि अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों में भी ऐसी संस्थाओं का निर्माण होगा।

उत्तर: यह एक संघीय ढांचे को नहीं दर्शाता है क्योंकि एक केंद्रीकृत विश्वविद्यालय केंद्र सरकार के नियंत्रण में आता है। हालांकि, यह शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र और राज्य के बीच अधिकारों के बंटवारे को अप्रत्यक्ष रूप से दिखाता है।

(ङ) केंद्र ने धन दिया। केंद्र सरकार ने अपनी ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश को 553 लाख रुपए दिए हैं। इस धन की पहली किश्त के रूप में अरुणाचल प्रदेश को 466 लाख रुपए दिए गए हैं।

उत्तर: यह संघवाद की कार्यप्रणाली का हिस्सा है क्योंकि इसमें केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय धन प्रदान की गई है। राज्य तब इस धन का उपयोग अपने विकास के लिए कर सकता है।

(च) हम बिहारियों को बताएँगे कि मुंबई में कैसे रहना है। करीब 100 शिवसैनिकों ने मुंबई के जे.जे. अस्पताल में उठा-पटक करके रोजमर्रा के कामधंधे में बाधा पहुँचाई, नारे लगाए और धमकी दी कि गैर-मराठियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की गई तो इस मामले को वे स्वयं ही निपटाएँगे।

उत्तर: शिवसेना का यह कृत्य नागरिकों के अधिकारों के साथ-साथ संघवाद की भावना का भी उल्लंघन है। यह संघवाद का हिस्सा नहीं है। यह एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा है, जो संघीय ढांचे की कार्यप्रणाली से संबंधित नहीं है।

(छ) सरकार को भंग करने की माँग। काँग्रेस विधायक दल ने प्रदेश के राज्यपाल को हाल में सौंपे एक ज्ञापन में सत्तारूढ़ डमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नगालैंड (डीएएन) की सरकार को तथाकथित वित्तीय अनियमितता और सार्वजनिक धन के गबन के आरोप में भंग करने की माँग की है।

उत्तर: राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप संघीय ढांचे का एक विवादास्पद पहलू है। इसमें संघवाद की कार्यप्रणाली शामिल नहीं है क्योंकि विधिवत निर्वाचित राज्य सरकार को बर्खास्त करने की मांग संघीय ढांचे पर हमला है।

(ज) एनडीए सरकार ने नक्सलियों से हथियार रखने को कहा। विपक्षी दल राजद और उसके सहयोगी काँग्रेस तथा सीपीआई (एम) के वॉक आऊट के बीच बिहार सरकार ने आज नक्सलियों से अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ दें। बिहार को विकास के नए युग में ले जाने के लिए बेरोजगारी को जड़ से खत्म करने के अपने वादे को भी सरकार ने दोहराया।

उत्तर: इसमें संघवाद की कार्यप्रणाली शामिल है क्योंकि राज्य स्तर पर सरकार द्वारा नक्सलवाद की समस्या से निपटा जा रहा है। इसमें केंद्र-राज्य संबंध की चर्चा नहीं है।

2. बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही होगा और क्यों?

(क) संघवाद से इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि विभिन्न क्षेत्रों के लोग मेल-जोल से रहेंगे और उन्हें इस बात का भय नहीं रहेगा कि एक की संस्कृति दूसरे पर लाद दी जाएगी।

(ख) अलग-अलग किस्म के संसाधनों वाले दो क्षेत्रों के बीच आर्थिक लेनदेन को संघीय प्रणाली से बाधा पहुँचेगी।

(ग) संघीय प्रणाली इस बात को सुनिश्चित करती है कि जो केंद्र में सत्तासीन हैं उनकी शक्तियाँ सीमित रहें।

उत्तर: मुझे यह (ग) कथन सही लगा क्योंकि संघीय प्रणाली सत्ता के विकेंद्रीकरण को सुनिश्चित करती है, जिससे केंद्र सरकार की शक्तियाँ सीमित रहती हैं। यह विभिन्न क्षेत्रों और समूहों को स्वायत्तता प्रदान करता है, जिससे उनकी भाषा, परंपरा और संस्कृति सुरक्षित रहती है। भारत जैसे बहुसांस्कृतिक देश में यह संघवाद की एक बड़ी उपलब्धि है।

3. बेल्ज़ियम के संविधान के कुछ प्रारंभिक अनुच्छेद नीचे लिखे गए हैं। इसके आधार पर बताएँ कि बेल्ज़ियम में संघवाद को किस रूप में साकार किया गया है। भारत के संविधान के लिए ऐसा ही अनुच्छेद लिखने का प्रयास करके देखें।

शीर्षक-Ⅰ: संघीय बेल्ज़ियम, इसके घटक और इसका क्षेत्र:

अनुच्छेद-1- बेल्ज़ियम एक संघीय राज्य है जो समुदायों और क्षेत्रों से बना है।

अनुच्छेद-2- बेल्ज़ियम तीन समुदायों से बना है फ्रेंच समुदाय, फ्लेमिश समुदाय और जर्मन समुदाय।

अनुच्छेद-3 – बेल्ज़ियम तीन क्षेत्रों को मिलाकर बना है वैलून क्षेत्र, फ्लेमिश क्षेत्र और ब्रूसेल्स क्षेत्र।

अनुच्छेद-4 – बेल्जियम में 4 भाषाई क्षेत्र हैं फ्रेंच भाषी क्षेत्र, डच भाषी क्षेत्र, ब्रूसेल्स की राजधानी का द्विभाषी क्षेत्र तथा जर्मन भाषी क्षेत्र। राज्य का प्रत्येक ‘कम्यून’ इन भाषाई क्षेत्रों में से किसी एक का हिस्सा है।

अनुच्छेद-5 – वैलून क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले प्रांत हैं वैलून ब्राबैंट, हेनॉल्ट, लेग, लक्जमबर्ग और नामूर। फ्लेमिश क्षेत्र के अंतर्गत शामिल प्रांत हैं – एंटीवर्ष, फ्लेमिश ब्रावेंट, वेस्ट फ्लैंडर्स, ईस्ट फ्लैंडर्स और लिंबर्ग।

उत्तर: भारतीय संविधान के लिए कुछ अनुच्छेद है–

शीर्षक-Ⅰ: संघीय भारत, इसके घटक और इसका क्षेत्र।

अनुच्छेद-1: भारत एक संघीय गणराज्य है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से मिलकर बना है।

अनुच्छेद-2: भारत राज्यों के समूहों से बना है, जिनमें भाषा, संस्कृति, और क्षेत्रीय पहचान के आधार पर विविधता है।

अनुच्छेद-3: भारत में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:

(i) उत्तरी क्षेत्र।

(ii) दक्षिणी क्षेत्र।

(iii) पूर्वी क्षेत्र।

(iv) पश्चिमी क्षेत्र।

(v) पूर्वोत्तर क्षेत्र।

अनुच्छेद-4: भारत में विभिन्न भाषाई क्षेत्रों को मान्यता दी गई है, जैसे हिंदी भाषी क्षेत्र, तमिल भाषी क्षेत्र, बांग्ला भाषी क्षेत्र, मराठी भाषी क्षेत्र, और अन्य। प्रत्येक राज्य और क्षेत्र को अपनी भाषा, संस्कृति और शासन के संबंध में स्वायत्तता प्राप्त है।

अनुच्छेद-5: भारत के संघीय ढांचे के अंतर्गत सभी राज्यों को समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उनके विशिष्ट सांस्कृतिक और भौगोलिक कारकों को ध्यान में रखकर विशेष प्रावधान लागू किए जा सकते हैं।

4. कल्पना करें कि आपको संघवाद के संबंध में प्रावधान लिखने हैं। लगभग 300 शब्दों का एक लेख लिखें जिसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर आपके सुझाव हों-

(क) केंद्र और प्रदेशों के बीच शक्तियों का बँटवारा।

(ख) वित्त-संसाधनों का वितरण।

(ग) राज्यपालों की नियुक्ति।

उत्तर: (क) केंद्र और राज्य सरकार की शक्तियों को अलग किया जाना चाहिए जहां राज्य अपनी स्वायत्तता का आनंद लेते हैं और केंद्र सरकार को राज्य सरकार की तुलना में अधिक शक्ति होने का फायदा होता है। संघीय प्रणाली के आधार पर केंद्र और प्रदेशों के बीच शक्तियों का स्पष्ट और संतुलित बँटवारा सुनिश्चित किया जाना चाहिए। संविधान को तीन सूचियाँ-केंद्र सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची-के माध्यम से विषयों का विभाजन करना चाहिए। केंद्र सूची में राष्ट्रीय महत्व के विषय (रक्षा, विदेश नीति, संचार), राज्य सूची में क्षेत्रीय महत्व के विषय (कृषि, पुलिस, स्वास्थ्य), और समवर्ती सूची में साझा विषय (शिक्षा, वन, श्रम) शामिल किए जा सकते हैं। किसी भी विवाद के समाधान के लिए न्यायपालिका को अंतिम मध्यस्थ के रूप में कार्य करना चाहिए।

कृषि, रोजगार, बुनियादी ढांचा और सार्वजनिक स्वास्थ्य को समवर्ती सूची में आना चाहिए।

जल वितरण संघ सूची में आना चाहिए।

संघ विधायिका की अवशिष्ट शक्ति का विस्तार किया जाना चाहिए और आवश्यकता के अनुसार लचीला होना चाहिए। केंद्रीय विधायिका को इस तरह की शक्ति का प्रयोग करने के अपने निर्णय और कदमों को कानूनी रूप से स्पष्ट करना होगा ताकि राज्यों के बीच भेदभाव न हो सके।

5. निम्नलिखित में कौन-सा प्रांत के गठन का आधार होना चाहिए और क्यों?

(क) सामान्य भाषा।

(ख) सामान्य आर्थिक हित।

(ग) सामान्य क्षेत्र।

(घ) प्रशासनिक सुविधा।

उत्तर: मेरे विचार में सामान्य भाषा प्रांत के गठन का आधार होना चाहिए क्योंकि भाषा एक प्रमुख सांस्कृतिक पहचान होती है और लोगों के बीच आपसी संचार, प्रशासन और सामाजिक एकता को मज़बूत करती है।

उदाहरण: भारत में भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन (1956) किया गया था, जिससे प्रशासनिक और सांस्कृतिक समरसता बनी।

6. उत्तर भारत के प्रदेशों-राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार के अधिकांश लोग हिंदी बोलते हैं। यदि इन सभी प्रांतों को मिलाकर एक प्रदेश बना दिया जाय तो क्या ऐसा करना संघवाद के विचार से संगत होगा? तर्क दीजिए।

उत्तर: उत्तर भारत के राज्यों को केवल हिंदी भाषा के आधार पर मिलाकर एक प्रदेश बनाना संघवाद के विचार के विपरीत होगा। संघीय व्यवस्था विविधता, विकेंद्रीकरण और स्वायत्तता पर आधारित होती है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से, एक विशाल जनसंख्या वाले एक बहुत बड़े राज्य के निर्माण से पूरे क्षेत्र में संसाधनों के वितरण में असंतुलन पैदा हो जाएगा। इससे असमान विकास होगा और सभी लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफलता के साथ विभिन्न क्षेत्रों के बीच संघर्ष होगा।

7. भारतीय संविधान की ऐसी चार विशेषताओं का उल्लेख करें जिसमें प्रादेशिक सरकार की अपेक्षा केंद्रीय सरकार को ज़्यादा शक्ति प्रदान की गई है।

उत्तर: भारतीय संविधान की  चार विशेषताए है–

(i) केन्द्र के पक्ष में शक्तियों का विभाजन।

(ii) राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ।

(iii) राज्यों में राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था।

(iv) अखिल भारतीय सेवाओं की भूमिका।

8. बहुत-से प्रदेश राज्यपाल की भूमिका को लेकर नाखुश क्यों हैं?

उत्तर: राज्यपाल की भूमिका को लेकर कई राज्य नाखुश हैं क्योंकि राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार करती है। इस वजह से, राज्य सरकार को नियंत्रित करने के लिए राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल करने की आशंका रहती है। भारतीय राजनीति में वर्तमान में राज्यपाल का पद अत्यधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। देश के अधिकांश राज्यों में राज्यपालों के प्रति शिकायतें देखने को मिलती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि अधिकांश राज्यपालों की राजनीतिक पृष्ठभूमि होती है, और इनकी नियुक्ति केन्द्र के शासक दल द्वारा की जाती है। इस कारण राज्यपाल अपने कर्तव्यों को निष्पक्ष रूप से नहीं निभा पाते। उनकी भूमिका केन्द्र के प्रतिनिधि के रूप में होती है, और उनकी जिम्मेदारी केन्द्र के हितों की रक्षा करना होती है। लेकिन राज्यपाल अक्सर उस दल के समर्थक बन जाते हैं जो केन्द्र में सत्ता में होता है, जिससे राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच टकराव उत्पन्न हो जाता है।

9. यदि शासन संविधान के प्रावधानों के अनुकूल नहीं चल रहा, तो ऐसे प्रदेश में राष्ट्रपति-शासन लगाया जा सकता है। बताएँ कि निम्नलिखित में कौन-सी स्थिति किसी देश में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिहाज से संगत है और कौन-सी नहीं। संक्षेप में कारण भी दें।

(क) राज्य की विधान सभा के मुख्य विपक्षी दल के दो सदस्यों को अपराधियों ने मार दिया है और विपक्षी दल प्रदेश की सरकार को भंग करने की माँग कर रहा है।

उत्तर: विपक्षी दल के दो सदस्यों की हत्या और सरकार को भंग करने की मांग, राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है। यह राजनीतिक विरोध या स्थानीय असहमति का मामला हो सकता है, जो संविधान के अनुसार राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता को प्रमाणित नहीं करता है।

(ख) फिरौती वसूलने के लिए छोटे बच्चों के अपहरण की घटनाएँ बढ़ रही हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में इजाफ़ा हो रहा है।

उत्तर: बढ़ते अपराधों और कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने पर सरकार से जवाबदेही की आवश्यकता होती है, लेकिन यह राष्ट्रपति शासन लगाने का सीधा कारण नहीं बनता। इसे राज्य सरकार द्वारा निपटाया जा सकता है, और केवल गंभीर स्थिति में ही राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता होती है।

(ग) प्रदेश में हुए हाल के विधान सभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला है। भय है कि एक दल दूसरे दल के कुछ विधायकों से धन देकर अपने पक्ष में उनका समर्थन हासिल कर लेगा।

उत्तर: यदि विधानसभा चुनाव में कोई दल बहुमत प्राप्त नहीं करता है और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न होती है, तो यह राष्ट्रपति शासन के लिए एक कारण हो सकता है। यदि यह खतरा पैदा होता है कि दल अपने पक्ष में समर्थन हासिल करने के लिए अनुचित तरीके अपना रहे हैं, तो यह संविधान के तहत राष्ट्रपति शासन की स्थिति बना सकता है।

(घ) केंद्र और प्रदेश में अलग-अलग दलों का शासन है और दोनों एक-दूसरे के कट्टर शत्रु हैं।

उत्तर: केंद्र और राज्य के बीच राजनीतिक भिन्नताएँ होने पर राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता नहीं होती, जब तक कि यह संविधान या कानून के अनुसार राज्य में असंवैधानिक स्थिति उत्पन्न नहीं कर देती। राजनीतिक विरोध के कारण राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता।

(ङ) सांप्रदायिक दंगे में 200 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।

उत्तर: यदि सांप्रदायिक दंगे अत्यधिक हिंसा और असंवैधानिक स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं, तो यह राष्ट्रपति शासन लगाने का कारण बन सकता है, विशेषकर यदि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हो।

(च) दो प्रदेशों के बीच चल रहे जल विवाद में एक प्रदेश ने सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानने से इनकार कर दिया है।

उत्तर: यदि राज्य सर्वोच्च न्यायालय का आदेश नहीं मानता है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, तो यह राष्ट्रपति शासन लगाने का आधार बन सकता है। यह केंद्र के आदेशों का पालन नहीं करने की स्थिति में राज्य के असंवैधानिक व्यवहार को दर्शाता है।

10. ज़्यादा स्वायत्तता की चाह में प्रदेशों ने क्या माँगें उठाई हैं?

उत्तर: 1960 से निरंतर विभिन्न राज्यों से प्रांतीय स्वतंत्रता की मांग उठाई जाती रही है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और कुछ उत्तर-पूर्वी राज्यों से यह मांग की जाती रही है कि:

(i) केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन राज्यों के पक्ष में होना चाहिए।

(ii) राज्यों की आर्थिक निर्भरता केन्द्र से कम होनी चाहिए, और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहिए।

(iii) राज्यों के मामलों में केन्द्र का हस्तक्षेप न्यूनतम होना चाहिए।

(iv) राज्यपाल के पद का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और राज्यपाल की नियुक्ति में राज्यों के मुख्यमंत्रियों का परामर्श लिया जाना चाहिए।

(v) राज्यों को सांस्कृतिक स्वायत्तता प्राप्त होनी चाहिए।

(vi) सभी राज्यों का समान रूप से विकास होना चाहिए, और क्षेत्रीय असमानता को समाप्त किया जाना चाहिए।

(vii) संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, और इन्हें निष्पक्षता से काम करने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।

11. क्या कुछ प्रदेशों में शासन के लिए विशेष प्रावधान होने चाहिए? क्या इससे दूसरे प्रदेशों में नाराज़गी पैदा होती है? क्या इन विशेष प्रावधानों के कारण देश के विभिन्न क्षेत्रों के बीच एकता मजबूत करने में मदद मिलती है?

उत्तर: कुछ प्रदेशों में शासन के लिए विशेष प्रावधान होना भारतीय संघीय व्यवस्था का हिस्सा है, और यह संविधान द्वारा निर्धारित है। इन विशेष प्रावधानों का उद्देश्य उन प्रदेशों की विशिष्ट सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भाषायी और भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उनके विकास और आत्मनिर्णय में मदद करना है। 

हां, कई बार इन विशेष प्रावधानों के कारण अन्य राज्यों में नाराज़गी हो सकती है। विशेष रूप से, जब इन प्रावधानों को लेकर राज्य और केन्द्र सरकार के बीच मतभेद होते हैं, तो इससे दूसरे प्रदेशों में असंतोष पैदा हो सकता है। अन्य राज्यों को लगता है कि यह प्रावधान उनके साथ न्याय नहीं कर रहे या समान अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।

हां, इन प्रावधानों का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों की विविधताओं का सम्मान करना और उन्हें एकजुट रखना है। जब किसी प्रदेश को अपनी विशिष्ट पहचान और स्वायत्तता मिलती है, तो वह अपनी संस्कृति, भाषा, और जीवनशैली को बेहतर तरीके से संरक्षित कर सकता है। इससे उन क्षेत्रों में स्थानीय पहचान और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलता है, जो अंततः देश की एकता और अखंडता को मज़बूत करने में सहायक होते हैं। हालांकि, इसका एक संतुलित दृष्टिकोण होना ज़रूरी है ताकि ये प्रावधान देश की एकता को कमजोर न करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top