NCERT Class 11 Political Science Chapter 12 स्वतंत्रता

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NCERT Class 11 Political Science Chapter 12 स्वतंत्रता

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Chapter: 12

राजनीतिक सिद्धांत
INTEX QUESTION

1. सभ्य समाज से उनका क्या मतलब है? जिस समाज में कानून का राज नहीं होता वहाँ स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किस प्रकार होता है।

उत्तर: सभ्य समाज में उनका मतलब यह है कि लोग अपने विचारों, भावनाओं, और अभिव्यक्तियों को बिना किसी दबाव या भय के व्यक्त कर सकें। जिस समाज में कानून का राज नहीं होता वहाँ स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किस प्रकार होता है। सभ्य समाज के किसी सदस्य की इच्छा के खिलाफ शक्ति के औचित्यपूर्ण प्रयोग का एकमात्र उद्देश्य किसी अन्य को हानि से बचाना हो सकता है।

2. क्या हमें अपने पर्यावरण को नष्ट करने की आज़ादी है?

उत्तर: नहीं, हमें अपने पर्यावरण को नष्ट करने की आज़ादी नहीं है। क्योंकि यह न केवल प्रकृति के प्रति अन्याय है, बल्कि समाज और भविष्य की पीढ़ियों के अधिकारों का भी हनन है। सच्ची स्वतंत्रता जिम्मेदारी के साथ आती है, और पर्यावरण का संरक्षण हमारे अस्तित्व और संतुलित जीवन के लिए आवश्यक है।

प्रश्नावली

1. स्वतंत्रता से क्या आशय है? क्या व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता और राष्ट्र के लिए स्वतंत्रता में कोई संबंध है।

उत्तर: स्वतंत्रता से यह आशय है कि बिना किसी दबाव के अपने मन से काम करना और किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव, बंधन या नियंत्रण से मुक्त होकर अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने की स्थिति। किसी व्यक्ति को बिना किसी बाधा या रोक-टोक के अपनी इच्छा से बोलना, काम करना, और बदलना स्वतंत्रता को अंग्रेज़ी में ‘लिबर्टी’ कहते हैं। स्वतंत्रता का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र की भलाई के लिए सामूहिक जिम्मेदारी का निर्वाह भी है।

हाँ, व्यक्ति की स्वतंत्रता और राष्ट्र की स्वतंत्रता के बीच एक संबंध है एक स्वतंत्र राष्ट्र वाक्तियों पर कम से कम प्रतिबंध लगाकर उनकी प्रतिभा और क्षमता के पूर्ण विकास की अनुमति देता है। यदि राष्ट्र स्वतन्त्र नहीं होगा तो व्यक्ति की स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। स्वतंत्रत राष्ट्र में ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास और उत्तरदायित्वों का निर्वाह भली-भाँति कर सकता है।

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2. स्वतंत्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में क्या अंतर है?

उत्तर: सकारात्मक स्वतंत्रता के पक्षधरों का मानना है कि व्यक्ति केवल समाज में ही स्वतंत्र हो सकता है, समाज से बाहर नहीं और इसीलिए वह इस समाज को ऐसा बनाने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति के विकास का रास्ता साफ करे। दूसरी ओर नकारात्मक स्वतंत्रता का सरोकार अहस्तक्षेप के अनुलंघनीय क्षेत्र से है, इस क्षेत्र से बाहर समाज की स्थितियों से नहीं। नकारात्मक स्वतंत्रता अहस्तक्षेप के इस छोटे क्षेत्र का अधिक से अधिक विस्तार करना चाहेगी। हालाँकि ऐसा करने में वह समाज के स्थायित्व को ध्यान में रखेगी। आमतौर पर दोनों तरह की स्वतंत्रताएँ साथ-साथ चलती हैं और एक दूसरे का समर्थन करती हैं।

3. सामाजिक प्रतिबंधों से क्या आशय है? क्या किसी भी प्रकार के प्रतिबंध स्वतंत्रता के लिए आवश्यक हैं?

उत्तर: सामाजिक प्रतिबंधों से यह आशय है कि उन नियमों और मर्यादाओं से है, जो समाज की व्यवस्था बनाए रखने और उसे सतत विकास की दिशा में गतिशील बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

स्वतंत्रता मानव समाज का केंद्रीय मूल्य है और गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि, स्वतंत्रता पर प्रतिबंध तभी लगाए जाने चाहिए जब वे विशेष परिस्थितियों में समाज की भलाई और संतुलन के लिए आवश्यक हों। प्रतिबंध स्वतंत्रता को नियंत्रित और संरक्षित करने के लिए अनिवार्य होते हैं, क्योंकि बिना प्रतिबंधों के स्वतंत्रता अनुशासनहीनता और अराजकता में परिवर्तित हो सकती है।

4. नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है?

उत्तर: नागरिकों की स्वतंत्रता को बनाए रखने में राज्य की यह भूमिका है–

(i) कानून और संविधान का संरक्षण: राज्य संविधान और कानूनों के माध्यम से नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक की स्वतंत्रता का उल्लंघन न हो।

(ii) सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना: राज्य आंतरिक और बाहरी खतरों से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है ताकि वे बिना किसी भय के स्वतंत्र रूप से अपने जीवन के निर्णय ले सकें।

(iii) सामाजिक और आर्थिक समानता: राज्य असमानता और भेदभाव को दूर करने के लिए नीतियां बनाता है, जिससे सभी नागरिकों को समान स्वतंत्रता और अवसर प्राप्त हो।

(iv) स्वतंत्रता और प्रतिबंधों के बीच संतुलन: राज्य यह सुनिश्चित करता है कि स्वतंत्रता का उपयोग जिम्मेदारी के साथ हो। इसके लिए वह उन गतिविधियों पर उचित प्रतिबंध लगाता है, जो समाज के लिए हानिकारक हो सकती हैं।

(v) न्याय प्रणाली का संचालन: राज्य न्याय प्रणाली के माध्यम से स्वतंत्रता के उल्लंघन की शिकायतों का समाधान करता है और स्वतंत्रता की रक्षा करता है।

5. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का क्या अर्थ है? आपकी राय में इस स्वतंत्रता पर समुचित प्रतिबंध क्या होंगे? उदाहरण सहित बताइये।

उत्तर: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह है कि हर नागरिक को अपने विचारों को बोलकर, लिखकर, या संकेतों के ज़रिए व्यक्त करने का अधिकार है। यह स्वतंत्रता लोकतंत्र की आधारशिला है, जो नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने और समाज में सक्रिय भागीदारी का अवसर प्रदान करती है।

समुचित प्रतिबंध और उदाहरण है–

(i) राष्ट्रीय सुरक्षा: यदि अभिव्यक्ति देश की सुरक्षा को खतरे में डालती है, तो इसे प्रतिबंधित किया जा सकता है।

उदाहरण: गुप्त सैन्य सूचनाओं को सार्वजनिक करना।

(ii) सामाजिक सद्भाव बनाए रखना: ऐसा कोई भी भाषण या सामग्री जो जाति, धर्म, या समुदायों के बीच नफरत फैलाती है, उस पर प्रतिबंध होना चाहिए।

उदाहरण: सांप्रदायिक दंगों को भड़काने वाले भाषण।

(iii) अश्लीलता और नैतिकता: सार्वजनिक स्थानों पर अश्लील या अनैतिक सामग्री का प्रचार प्रतिबंधित किया जा सकता है।

उदाहरण: अश्लील वीडियो या अपमानजनक भाषा का सार्वजनिक उपयोग।

(iv) मानहानि: किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाली झूठी बातें फैलाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है।

उदाहरण: सोशल मीडिया पर झूठे आरोप लगाना।

(v) न्यायालय और विधिक प्रक्रिया का सम्मान: न्यायालय के कार्य में बाधा डालने या उसकी अवमानना करने वाले बयान प्रतिबंधित किए जा सकते हैं।

उदाहरण: चल रहे मुकदमों पर मिथ्या प्रचार।

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