NCERT Class 11 Fine Art Chapter 5 परवर्ती भित्ति-चित्रण परंपराएँ

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NCERT Class 11 Fine Art Chapter 5 परवर्ती भित्ति-चित्रण परंपराएँ

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Chapter: 5

भारतीय कला का परिचय: भाग – 1
अभ्यास

1. बादामी के गुफ़ा भित्ति-चित्रों की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर: बादामी के गुफ़ा भित्ति-चित्रों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—

(i) बादामी गुफ़ा के चित्रों में राजमहल के दृश्य चित्रित किए गए हैं।

(ii) इनमें रेखाओं की लयबद्धता, आकृतियों की कोमलता और भाव-प्रदर्शन अत्यंत प्रभावशाली है।

(iii) बादामी के गुफ़ा चित्र छठी शताब्दी के हैं और इनमें दक्षिण भारत की चित्र परंपरा का विस्तार देखा जाता है।

(iv) बादामी गुफ़ा को विष्णु गुफ़ा के नाम से जाना जाता है।

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2. विजयनगर के चित्रों पर एक निबंध लिखें।

उत्तर: बृहदेश्वर मंदिर के चित्रों में कलाकारों की शैलीगत परिपक्वता दृष्टिगोचर होती है जिसका विकास कई वर्षों के अभ्यास के बाद हुआ था। इनमें लहरियेदार सुंदर रेखाओं का प्रवाह, आकृतियों में हाव-भाव और अंगों-प्रत्यंगों की लचक देखते ही बनती है। इस शैली में धार्मिक कथाएँ जैसे रामायण, महाभारत और विष्णु के अवतारों को प्रमुखता से चित्रित किया गया है। आकृतियों की आँखें बड़ी, कमर पतली और मुखर भावों से युक्त होती थीं। चित्रों की रेखाएँ लहरदार और रंग संयोजन प्रभावशाली होते थे। लेपाक्षी का वीरभद्र मंदिर और हम्पी के चित्र विजयनगर शैली के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। चित्रों में गति, जीवन और प्रतीकात्मकता का सुंदर संगम देखा जाता है। परंपरा का पालन करते हुए विजयनगर के चित्रकारों ने एक चित्रात्मक भाषा का विकास किया जिसमें चेहरों को पार्श्वचित्र के रूप में और आकृतियों तथा वस्तुओं को दो आयामों में दिखाया गया है। रेखाएँ निश्चल लेकिन सरल दिखाई गई हैं और संयोजन सरल रेखीय उपखंडों में प्रकट होता है। पूर्ववर्ती शताब्दियों की इन शैलीगत परिपाटियों को दक्षिण भारत में विभिन्न केंद्रों के कलाकारों द्वारा अपना लिया गया था जैसा कि नायक काल के चित्रों में देखने को मिलता है।

3. केरल एवं तमिलनाडु की भित्ति-चित्र परम्पराओं का वर्णन करें।

उत्तर: केरल और तमिलनाडु, दोनों में भित्ति-चित्र (म्यूरल पेंटिंग) की अपनी समृद्ध परम्परा है। केरल में भित्ति चित्रकला, विशेष रूप से मंदिरों और महलों में, जीवन के आकार के पात्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों के चित्रण के लिए जानी जाती है, जिसमें रामायण और महाभारत शामिल हैं। केरल में 16वीं से 18वीं शताब्दी में एक विशिष्ट चित्र शैली विकसित हुई जिसमें चमकीले रंगों, गहराई वाले रेखांकन और त्रिआयामी प्रभावों का उपयोग हुआ। ये चित्र अधिकतर मंदिरों और महलों की दीवारों पर बने हैं, जैसे पद्मनाभपुरम् और श्रीराम मंदिर, चिरप्यार। यहाँ की शैली स्थानीय लोककथाओं और रामायण-महाभारत की कहानियों पर आधारित होती थी।

तमिलनाडु के भित्ति-चित्र, विशेष रूप से यहाँ मंदिरों की दीवारों पर देवी-देवताओं, नृत्यांगनाओं और पौराणिक कथाओं को चित्रित किया गया। चित्रों में बड़े चेहरे, बड़ी आँखें, लयबद्ध रेखाएँ और रंगों की सजीवता प्रमुख विशेषताएँ हैं। द्रविड़ कला और सांस्कृतिक विरासत का सजीव प्रतिनिधित्व करते हैं। ये चित्र देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं और पारंपरिक जीवन के विविध दृश्यों को जीवंत रंगों और भावपूर्ण रेखाओं के माध्यम से दर्शाते हैं।

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