Class 9 Hindi Elective Chapter 11 चरैवेती The answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 9 Hindi Elective Chapter 11 चरैवेती and select needs one.
Class 9 Hindi Elective Chapter 11 चरैवेती
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चरैवेती
पाठ – 11
बोध एवं विचार
अभ्यासमाला
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो :
1. कवि ने ‘चलते चलो’ का संदेश किसे दिया है ?
उतर : ‘चलते चलो’ का संदेश कवि ने मनुष्य को दिया है ।
2. कवि ने वसुधा को रत्नमयी क्यों कहा है ?
उत्तर : कवि ने वसुधा को इसलिए रत्नमयी कहा है कि हमारा पृथ्वी अनेक , मणि आदि धातुओं से सम्पन्न है ।
3. कवि ने किस किस के साथ निरंतर चलने का संदेश दिया है ?
उत्तर : कवि ने सूर्य, चन्द्र, मेघ और नदीयों के साथ निरंतर चलने का संदेश दिया है ।
4. किन पंक्तियों में कविने मनुष्य की सामर्थ और अजेयता का उल्लेख किया है ?
उत्तर : ‘आज तुम्हें मुक्ति मिली, कौन तुम्हें दास कहे ? स्वामी तुम ऋतुओं के सवत के संग संग चलते चलो!” “मानव जिस और गया नगर बने, तीर्थ बने तुम से है कौन बड़ा ?”
इन पंक्तियों में कविने मनुष्य की सामर्थ और अजेयता का उल्लेख किया है ।
5. निरन्तर प्रयत्नशील मनुष्य को कौन-कौन से सुख प्राप्त होते है ?
उत्तर : निरन्तर प्रयत्नशील मनुष्य को दासत्व से मुक्त तथा भुमि का योगी होने का सुख प्राप्त होते है ।
6. ‘रुकने को मरण’ कहना कहाँ तक उचित है ?
उत्तर : गति ही जीवन का नाम है। सूर्य, चन्द्र, मेघ, नदी आदि प्राकृतिक चीजों का भी अपना अपना गति है। इस गति के कारण आज सारे विश्व चल रहे है। अगर किसि की गति में रुकावट आ जाय तो सारे विश्व में हलचल मच जायगा। अतः गति में ही कार्य कारण का संबंध रहता है। यह विश्व इस कार्य कारण सम्बन्ध से चलते रहे है। यह बंध होने का मतलब है सारे सृष्टि का ध्वंस होना, यानी मरण होना। अतः रुकने को मरण कहना उचित हुआ है ।
7. कवि ने मनुष्य को “तुमसे है कौन बड़ा” क्यों कहा है ?
उत्तर : कवि ने मनुष्य को “तुमसे है कौन बड़ा” कहकर मनुष्यों को अपने अपने कार्य में लगे रहने के लिए प्रोत्साहित किया है। कवि ने कहा कि मनुष्य जिस स्थान पर गए है वहाँ ही तीर्थ का निर्माण हुए है। नगर का निर्माण हुए है। मनुष्य की तरह दुसरी ऐसी कोई जीव नहीं जो यह कर सकता। दराचल मनुष्य सभी जीवों से श्रेष्ठ है। मनुष्य का ज्यासा चिन्ता विचार क्रिया-कर्म किसि प्राणी नहीं कर सकता ।
8. ‘युग के ही संग-संग चलते चलो’― कथन का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर : इस रत्नमयी विश्व में हमे एक दो चीजो को लेकर चलना नहीं चाहिए। सभी ऋतुओं पर अधिकार जमा लेना हमारा ध्येय होना चाहिए। इस रत्नमयी धरती ही मनुष्य जीवन के सभी सुखों का आधार है। समय और नदी की तरह मनुष्य का जीवन भी गतिशील है। समय या युगों के साथ पैरो से पैर मिलाकर चलकर ही हम नयी चीजों को धारण कर सकते है, नयी चीजों का निर्माण भी कर सकते है। जिस प्रकार समय या नदी पीछे की ओर मुड़ता नहीं उसी प्रकार हमे भी सम्मुख की ओर देखना चाहिए। पुराणे सभी जीर्ण वस्त्र को छोड़कर हमे नयी वस्त्र को धारण करणा चाहिए। यही युग का धर्म है। और वैसे ही हम पृथ्वी का सुख भोग करना चाहिए। वरणा हमारे जीवन असार्थक बन जायगा ।
9. नरेश मेहता ‘आस्था और जागृति के कवि है” – कविता के आधार पर सिद्ध करो ।
उत्तर: कवि नरेश मेहता जी नई कविता के कवि है। वे विश्वबंधुत्व, करुणा तथा समरसता के प्रति आस्थावान कवि है। कवि मेहता जी ने अपनी कविता के द्वारा मनुष्य को प्रगति की ओर चले जाने का आह्वान किया है। आपने मनुष्य को सूर्य की तरह शक्तिमान बनाकर, मृत्यु पर मनुष्य की दासता पर स्वाधीनता की विजय साबित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। कवि के मतानुसार मनुष्य सबसे बुद्धिमान प्राणी है, जो सारे विश्व को अपने वश में लाने को भी तैयारी है। मेघ, नदी की तरह आपने मनुष्यों को धरती में नयी परिवर्तन लाने के लिए कर्म पर गहरा बल देने के साथ शान्ति और सुख भोग करने पर कविने आस्था प्रकट की है। कविने मनुष्य जीवन के वाकि शक्तिओं या सत्य के अपने आन्तरिक सत्य बनाने पर बल देते है ।
कवि मेहता जी को विश्वास है कि सूर्य के बिना मानव जीवन संभव नही है। धरती, आकाश, प्रकाश, मेघ, नदी-इनके बिना वनस्पतिओं का अस्तित्व संभव नहीं है, न अन्य किसि प्राणी का अस्तित्व संभव है। कविने इन सभीको स्वाधीनता, प्रगति, विकाश तथा समृद्धि के प्रतीक बनाकर आगे की और चलने पर दृष्टि डालते है। और वैसे ही कवि को आस्था और जागृति की सेवा का विशेष उल्लेख इस कविता में दिखाई पड़ता है ।
Sl. No. | Contents |
Chapter 1 | हिम्मत और जिंदगी |
Chapter 2 | परीक्षा |
Chapter 3 | आप भोले तो जग भला |
Chapter 4 | बिंदु बिंदु विचार |
Chapter 5 | चिड़िया की बच्ची |
Chapter 6 | चिकित्सा का चक्कर |
Chapter 7 | अपराजिता |
Chapter 8 | मणि-कांचन संयोग |
Chapter 9 | कृष्ण- महिमा |
Chapter 10 | दोहा दशक |
Chapter 11 | चरैवेती |
Chapter 12 | नर हो, न निराश करो मन को |
Chapter 13 | मुरझाया फुल |
Chapter 14 | गाँँव से शहर की ओर |
Chapter 15 | साबरमती के संत (सधु) |
Chapter 16 | टूटा पहिया |
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखो :
(क) जो दूसरों के अधीन हो ।
उत्तर : पराधीन ।
(ख) जो दूसरों के उपकार को मानता हो ।
उत्तर : कृतज्ञ ।
(ग) जो बच्चों को पढ़ाते हो ।
उत्तर: शिक्षक ।
(घ) जो गीत की रचना करते है ।
उत्तर : गीतिकार ।
(ङ) जो खेतीबारी का काम करते है ।
उत्तर : कृषक ।
2. निम्नलिखित समस्त पदो के विग्रह कर समास का नाम लिखो :
उत्तर : पीताम्बर = पीत है अम्बर जिसका = वहुव्रीही समास ।
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार = अव्ययीभाव समास ।
अजेय = जिसे जीता न जा सके = अव्ययीभाव समास ।
धनी निर्धन (सनी निन) = धनी और निर्धन = दन्द्व समास ।
कमल-नयन = कमल जैसा नयन = रुपक कर्मधारय समास ।
त्रिफला = तीन फलों का समाहार = द्विगु समास ।
3. निम्नलिखित मूहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य बनाओ :
उत्तर : 1. अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ पूर्ण करना) : रहीम अपना उल्लू सीधा करके काम हासिल किया ।
2. आँखों का तारा (प्यारा) : हमे दुसरों के आंखों का तारा बनने के लिए कौशिश करना चाहिए ।
3. उन्नीस बीस का अंतर (सामान्य अंतर) : बीना और रीणा दोनों बहनें एक जैसे होने पर भी उनमें उन्नीस बीस का अंतर है ।
4. घी के दीए जलाना (पूजा करना) : मीरा अपनी दुख दूर करने के लिए घीके दीए ज्वलाए ।
5. जान पर खेलना (कठिन कामके लिये कोशिश करना): देश की आजादी के लिए हम अपनी जान पर खेलेंगे ।
6. बाँए हाथ का खेल (अति सूगम): ऐसा निबंध लिखना मोहन के लिए बाँए हाथ का खेल है ।

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