Class 10 Ambar Bhag 2 Chapter 18 अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

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Class 10 Hindi Ambar Bhag 2 Chapter 18 अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

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अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल

पाठ – 18

पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर:

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए: 

(क) रेल दुर्घटना में अरुणिमा घायल हुई थी-

(i) 11 जुलाई, 2011 को।

(ii) 11 अप्रैल, 2011 को।

(iii) 15 अप्रैल, 2011 को।

(iv) 20 अगस्त, 2011 को।

उत्तरः (ii) 11 अप्रैल, 2011 को।

(ख) रेल दुर्घटना में घायल अरुणिमा का इलाज पहले हुआ था-

(i) बरेली के अस्पताल में। 

(ii) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में।

(iii) लखनऊ के अस्पताल में।

(iv) उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान संस्थान में।

उत्तर: (i) बरेली के अस्पताल में।

(ग) अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी पड़ी अरुणिमा-

(i) रेल में सफर करने के कारण पछताने लगी। 

(ii) घरवालों की याद करके रोने लगी।

(iii) दिन-रात अपने दुर्भाग्य पर रोने लगी।

(iv) हिमालय के शिखरों पर चढ़ने का सपना देखने लगी।

उत्तरः (iv) हिमालय के शिखरों पर चढ़ने का सपना देखने लगी। 

(घ) चार महीने के बाद जब अरुणिमा अस्पताल से निकली तो-

(i) सीधे बछेन्द्री पाल के पास पहुँच गई।

(ii) सीधे तेनजिंग नरगे के पास पहुँच गई।

(iii) सीधे माँ से मिलने घर पहुँच गई।

(iv) सीधे पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने चली गई।

उत्तरः (i) सीधे बछेन्द्री पाल के पास पहुँच गई।

(ङ) अरुणिमा एवरेस्ट के शिखर पर पहुँची-

(i) 21 मई, 2013 को। 

(ii) 31 मई, 2013 को।

(iii) 21 जून, 2013 को।

(iv) 21 मई, 2015 को।

उत्तर: (i) 21 मई, 2013 को। 

2. उपयुक्त शब्दों का चयन कर वाक्यों को फिर से लिखिए:

(क) अरुणिमा सिन्हा…… कुछ भी देने से इनकार कर रही थी। (भिखारियों को / लुटेरों को / भक्तों को / गरीबों को)

(ख) अरुणिमा लगभग (………. रेल की पटरियों के पास पड़ी रही। (सात घंटे / नौ घंटे / छह घंटे / चौबीस घंटे)

(ग) अरुणिमा लद्दाख में स्थित माउंट शमशेर कांगरि की…..फीट की ऊँचाई तक चढ़ने में सफल हुई। (29,108 फीट / 26,108 फीट/ 21,908 फीट / 21,108 फीट)

(घ) काठमांडू से यात्रा आरंभ करने के 52 दिनों के बाद अरुणिमा…… ऊँचाई पर स्थित माउंट एवरेस्ट के शिखर पर आरोहण किया। (8848 मीटर की / 8948 मीटर की / 8548 मीटर की / 8148 मीटर की )

(ङ) भारत सरकार ने अरुणिमा को सन् 2015 में …… सम्मानित किया। (‘पद्मश्री’ सम्मान से / ‘पद्मभूषण’ सम्मान से ‘पद्मविभूषण’ सम्मान से/ ‘अमेजिंग इंडियन अवार्ड’ से)

उत्तरः (क) अरुणिमा सिन्हा लुटेरों को कुछ भी देने से इनकार कर रही थी।

(ख) अरुणिमा लगभग चौबीस घंटे रेल की पटरियों के पास पड़ी रही। 

(ग) अरुणिमा लद्दाख में स्थित माउंट शमशेर कांगरि की 21, 108 फीट की ऊँचाई तक चढ़ने में सफल हुई।

(घ) काठमांडू से यात्रा आरंभ करने के 52 दिनों के बाद अरुणिमा 8,848 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट एवरेस्ट के शिखर पर आरोहण किया।

(ङ) भारत सरकार ने अरुणिमा को सन् 2015 में ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) किस खेल में अरुणिमा सिन्हा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राज्य की टीम में खेलकर काफी नाम कमाया था? 

उत्तरः वॉलीबॉल में अरुणिमा सिन्हा ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में राज्य की टीम में खेलकर काफी नाम कमाया था।

(ख) चलती रेलगाड़ी में लुटेरे अरुणिमा से क्या माँगते हुए धमकी दे रहे थे?

उत्तरः चलती रेलगाड़ी में लुटेरे अरुणिमा से गले का हार माँगते हुए धमकी दे रहे थे।

(ग) अरुणिमा ने किसकी देखरेख में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था? 

उत्तर: अरुणिमा ने पर्वतारोही बछेन्द्री पाल की देखरेख में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था।

(घ) डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से अरुणिमा को कौन-सा पुरस्कार मिला था?

उत्तरः पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम से अरुणिमा को ‘अमेजिंग इंडियन अवार्ड’ मिला था।

(ङ) अरुणिमा की तरह शारीरिक रूप से अक्षम अन्य एक विरल व्यक्तित्व का उदाहरण दीजिए।

उत्तर: स्टीफन हॉकिंग एक विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं लेखक थे, जो अरुणिमा की तरह शारीरिक रूप से अक्षम थे।

4. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) अरुणिमा की रेल दुर्घटना के बारे में संक्षेप में लिखिए। 

उत्तरः राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा 12 अप्रैल, 2011 को लखनऊ से दिल्ली जा रही थी। पद्मावती एक्सप्रेस में बैठी अरुणिमा एक प्रतियोगिता के सिलसिले में दिल्ली जा रही थी। उसी ट्रेन में कुछ लुटेरे आए और लूट-पाट शुरू कर दिए। अरुणिमा गले में सोने का हार पहनी थी। लुटेरे अरुणिमा के बैग और गले का हार छीनने का प्रयास किए। अरुणिमा लुटेरों से नहीं डरी, उनसे भिड़ गई, लेकिन लुटेरे कुछ नहीं कर पाए तो उन्होंने अरुणिमा को बरेली के निकट चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया। इसके कारण वह समानांतर ट्रैक पर गिर गई और दूसरी ट्रेन की चपेट में आने के कारण उनका पैर कट गया। सारी रात दोनों ट्रैक के बीच में पड़ी रहनेवाली इस खिलाड़ी को सुबह होने पर स्थानीय लोगों ने देखा और इन्हें बरेली के अस्पताल में इलाज के लिए ले गए।

(ख) रेल दुर्घटना के बाद अरुणिमा के संबंध में किस तरह की अफवाहें फैली थीं?

उत्तरः रेल दुर्घटना के बाद अरुणिमा के संबंध में लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। कुछ लोग कहते थे कि अरुणिमा बिना टिकट भ्रमण कर रही थी और जब टी.टी. ने उससे टिकट माँगा तो वह रेलगाड़ी से कूद पड़ी। कोई कहता था कि अरुणिमा आत्महत्या करने के लिए चलती गाड़ी से कूद पड़ी थी। ऐसी ही अनेक अफवाहें लोगों के बीच फैली थीं।

(ग) अस्पताल में रहते समय अरुणिमा के मन में कैसे खयाल आए थे? 

उत्तरः अस्पताल में रहते समय अरुणिमा के मन में एवरेस्ट विजय की इच्छा होने लगी। मन में दृढ़ इच्छा होने के कारण वह अपने पैरों का दर्द और विकलांगता को भूल गई। वह कहाँ, कैसे इस कार्य के लिए प्रशिक्षण ले सकेगी यही सोचने लगी। आखिर उसे मालूम हुआ कि एवरेस्ट विजय करने वाली बछेन्द्री पाल उसका सही मार्गदर्शन कर सकेंगी। चार महीने के बाद जब वह अस्पताल से निकली तो घर न जाकर सीधे बछेंद्री पाल के पास प्रशिक्षण के लिए पहुँच गई।

(घ) पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा को प्रेरणा और प्रशिक्षण किसने और कैसे दिया?

उत्तरः पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा को प्रेरणा और प्रशिक्षण बछेन्द्री पाल ने दिए। अरुणिमा को हिमालय के शिखर पर चढ़ने की प्रबल इच्छा और आत्मविश्वास को देखकर बछेन्द्री पाल ने अनुभव किया कि अगर इस युवती को सही प्रेरणा और प्रशिक्षण मिले तो वह जरूर एक दिन अपने लक्ष्य तक पहुँच पाएगी। इसलिए बछेन्द्री पाल ने अपनी देखरेख में अरुणिमा को प्रशिक्षण देना आरंभ किया। लगभग एक वर्ष तक अरुणिमा ने अद्भुत उत्साह, उद्यम एवं पूरी समर्पण भावना से पर्वतारोहण के अभ्यास में आत्म-नियोजित किया। एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अरुणिमा को प्रशिक्षण कार्य में अधिक समय और अधिक परिश्रम करना पड़ता था। फिर भी अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत के बल पर अरुणिमा सिन्हा ने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

(ङ) विकलांग होने पर भी अरुणिमा एवरेस्ट विजय प्राप्त करने में सफल हुई, क्यों?

उत्तर: विकलांग होने पर भी अरुणिमा सिन्हा एवरेस्ट विजय प्राप्त करने में सफल हुई, क्योंकि उनका हौंसला बुलंद था, प्रबल आत्मविश्वास था। पर्वतारोहण अभियान के दौरान अरुणिमा के लहूलुहान पैरों को देखकर उसे सहायता करनेवाला शेरपा ने कई बार उन्हें जान बचाने के लिए लौट जाने का उपदेश दिया, परंतु अरुणिमा किसी भी विपत्ति के सामने हार मानना नहीं चाहती थीं। वे काठमांडू से यात्रा आरंभ कर 52 दिनों के बाद 21 मई, 2013 को रात आठ बजे 8,848 मीटर की ऊँचाई पर स्थित माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचने में सफल हुई।

5. आशय स्पष्ट कीजिए:

(क) परंतु इस अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और भी दृढ़ हो गया।

उत्तर: अरुणिमा सिन्हा के मन में एवरेस्ट विजय की प्रबल इच्छा और दृढ़ आत्मविश्वास था। पर्वतारोहण अभियान के दौरान अरुणिमा सिन्हा को लद्दाख में स्थित माउंट शमशेर कांगरि की 21,108 फीट की ऊँचाई तक चढ़ने में सफलता मिली। परंतु माउंट कांगरि की कुल ऊँचाई थी 21,798 फीट। उस समय मौसम खराब था। ऐसे मौसम में अभियान को जारी रखना असंभव होने के कारण शिखर तक केवल 690 फीट रहते अभियात्री दल को अभियान समाप्त करके नीचे उतरना पड़ा। परंतु इस अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और भी दृढ़ हो गया। उनके मन में माउंट एवरेस्ट विजय की इच्छा अधिक प्रबल हो उठी। उस समय अरुणिमा प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह के जीवन से अनुप्रेरित हुई। युवराजनसिंह कैंसर से मुकाबला कर अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कैसे सफल हुए। 

अरुणिमा सिन्हा अपने बुलंद हौंसले और आत्मविश्वास के कारण शारीरिक विकलांगता के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब हुई।

(ख) इस प्रकार अनेक व्यक्ति अपनी प्रतिभा के कारण विभिन्न परिवेश में राष्ट्रीय पटल पर सितारों के समान चमकते हुए सहस्र जनों के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं।

उत्तरः अरुणिमा सिन्हा अपनी शारीरिक असमर्थता के बावजूद मन की प्रबल इच्छाशक्ति और अटूट आत्मविश्वास के कारण एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने में कामयाव हुई। कोई भी बाधा उसे लक्ष्य से भ्रमित नहीं कर पाई। भारत सरकार ने अरुणिमा को सन् 2015 में ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा उन्हें तेनजिंग नरगे सम्मान और अमेजिंग इंडियन अवार्ड भी मिले। इस प्रकार अनेक व्यक्ति अपनी प्रतिभा के कारण विभिन्न परिवेश में राष्ट्रीय पटल पर सितारों के समान चमकते हुए सहस्रजनों के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत बन जाते हैं।

6. सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) परंतु अरुणिमा ने इन सबको एक चुनौती मानकर एक नई जिंदगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया था।

उत्तरः प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंबर, भाग-2’ के ‘अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका डॉ. जयश्री गोस्वामी महन्त जी हैं।

लखनऊ से दिल्ली रेलगाड़ी से जाते समय अरुणिमा सिन्हा और लुटेरों बीच हुए झगड़े के दौरान चलती गाड़ी से लुटेरों ने अरुणिमा को फेंक दिया। वह पूरी रात रेल की पटरियों पर पड़ी रही और सुबह होने पर स्थानीय लोगों ने नजदीक के अस्पताल में इलाज के लिए ले गए। उसका एक पैर कट चुका था और दूसरे पैर में काफी चोट लगी थी। यह घटना होने के बाद लोगों में तरह-तरह की अफवाहें फैलने लगीं। कुछ लोग करने लगे कि अरुणिमा बिना टिकट यात्रा कर रही थी और टी. टी. के आने पर रेलगाड़ी से कूद पड़ी। कोई कहता कि अरुणिमा आत्महत्या करना चाहती थी। ये अफवाहें जब अरुणिमा के कानों में पड़ी तब उसे बहुत दुःख हुआ। परंतु अरुणिमा ने इन सबको एक चुनौती मानकर एक नई जिंदगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प कर लिया। वस्तुत: अपने मन की प्रबल इच्छाशक्ति और दृढ़ आत्मविश्वास के बल पर ही अरुणिमा सिन्हा को एवरेस्ट विजय प्राप्ति में सफलता हासिल हुई।

(ख) युवराज से अरुणिमा को प्रेरणा मिली थी कि जो अपना हाँसला और आत्मविश्वास कायम रख सके उसके लिए शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर बनकर खड़ी नहीं हो सकती और न जीवन में आगे बढ़ने में भी कोई बाधा बन सकती है।

उत्तरः प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंबर, भाग-2’ के डॉ. जयश्री गोस्वामी महन्त द्वारा लिखित ‘अरुणिमा सिहा: साहस की मिसाल’ शीर्षक पाठ से लिया गया है।

पर्वतारोहण अभियान के दौरान अरुणिमा सिन्हा को प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह की याद आई और उसी संदर्भ में यह उक्ति व्यक्त की गई है।

अनेक बाधाओं को पार करते हुए अरुणिमा सिन्हा लद्दाख में स्थित माउंट शमशेर कांगरि की 21,108 फीट की ऊँचाई तक पहुँचने में सफल हो चुकी परंतु माउंट कांगरि की कुल ऊँचाई थी 21,798 फीट खराब मौसम की वजह से अभियान को रोकना पड़ा था। इस अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और दृढ़ हो गया। इस समय अरुणिमा को अपनी लक्ष्य-प्राप्ति के लिए क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने प्रेरणा दी थी। अरुणिमा ने देखा था कि अपनी अदम्य मानसिक शक्ति के कारण कैंसर रोग से पीड़ित युवराज सिंह रोगमुक्त होकर कैसे अपने लक्ष्य तक पहुँचने में कामयाब हुए थे। युवराज से अरुणिमा को प्रेरणा मिली थी कि जो अपना हाँसला और आत्मविश्वास कायम रख सके, उसके लिए शारीरिक विकलांगता कोई लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में प्राचीर बनकर खड़ी नहीं हो सकती और न जीवन में आगे बढ़ने में भी कोई बाधा बन सकती है। 

यहाँ मनुष्य की अदम्य इच्छाशक्ति और दृढ़ आत्मविश्वास पर बल दिया गया है।

7. सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क) अरुणिमा सिन्हा के जीवन में जो विपत्ति आई उसकी चुनौती उसने किस प्रकार ग्रहण की?

उत्तर: रेल दुर्घटना में अरुणिमा सिन्हा का एक पैर कट जाता है और उनका जीवन संघर्षों से भर जाता है। अरुणिमा ने अपनी विपत्तियों को चुनौती मानकर एक नई जिंदगी जीने के लिए मन ही मन संकल्प ले लेती है। अस्पताल के बिस्तर पर पड़ी पड़ी अरुणिमा हिमालय के शिखर पर चढ़ने का सपना देखने लगी। उसके मन में एवरेस्ट विजय की इच्छा इस प्रकार बलवती हो गई कि वह अपने पैरों का दर्द और विकलांग दशा को भी भूल गई। कहाँ, कैसे इस कार्य के लिए वह प्रशिक्षण ले सकेगी यही सोचने लगी। चार महीने के बाद अरुणिमा सिन्हा को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद वह सीधे बचेंद्री पाल के पास पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने पहुँच गई।

(ख) माउंट शमशेर कांगरि के शिखर पर पहुँच न सकने के दुःख को अरुणिमा ने किस प्रकार ग्रहण किया?

उत्तर: माउंट शमशेर कांगरि के शिखर पर पहुँच न सकने के दुःख को अरुणिमा ने चुनौती के रूप में ग्रहण किया। अभियान की विफलता के कारण निराशा के स्थान पर अरुणिमा का संकल्प और भी दृढ़ हो गया। उनके मन में माउंट एवरेस्ट विजय की कामना प्रबल हो उठी। इस समय अरुणिमा ने अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह से भी अनुप्रेरणा ली। आखिरकार अपने बुलंद हौंसले और मजबूत इरादों से एवरेस्ट विजय प्राप्त करने में अरुणिमा सफल हुई।

(ग) अरुणिमा ने अपने जीवन के दुर्भाग्य को कैसे सौभाग्य में बदल दिया? 

उत्तर: अरुणिमा सिन्हा शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार से सबल थीं तथा उनमें मन की दृढ़ता और अध्यवसाय की कमी नहीं थी। एक पैर को खोने के दुर्भाग्य को अपने सौभाग्य के रूप में परिवर्तित करने के रूप में संकल्प पूरा करने के लिए उसने कोई कसर नहीं छोड़ी। लगभग एक वर्ष तक उसने अद्भुत उत्साह, उद्यम एवं पूरी समर्पण भावना से पर्वतारोहण प्रक्रिया के अभ्यास में आत्मनियोजित किया और अंततः अपने लक्ष्य प्राप्ति में कामयाब हुई।

(घ) पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा की उपलब्धि क्या है- अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तरः पर्वतारोहण के क्षेत्र में अरुणिमा की उपलब्धि महत्वपूर्ण है। उन्होंने 21 मई, 2013 को माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचकर अपने अद्भुत आत्मविश्वास और बुलंद हौंसले को पूरे विश्व को दिखाया। इस अभूतपूर्व सफलता के लिए भारत सरकार ने अरुणिमा को सन् 2015 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। इसके अलावा अरुणिमा सिन्हा को ‘तेनजिंग नरगे सम्मान’ और ‘अमेजिंग इंडियन अवार्ड’ सहित कई पुरस्कार मिले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक समारोह में अरुणिमा की लिखी पुस्तक का लोकार्पण कर उनकी बहुत प्रशंसा की है।

(ङ) ‘अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर ऐसे काम के लिए आगे बढ़ने के सिवाय एक सामान्य जीवन जीना ही तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा।’- लोग अरुणिमा को ऐसा परामर्श क्यों देते थे?

उत्तर: ‘अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर ऐसे कामों के लिए आगे बढ़ने के सिवाय एक सामान्य जीवन जीना ही तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा’ लोग अरुणिमा को ऐसा परामर्श इसलिए दे रहे थे, क्योंकि दुर्घटना के दौरान एक पैर कट गया था और दूसरा पैर भी मानो बेकार हो गया था। एवरेस्ट विजय के लिए अरुणिमा कृत्रिम पैर के सहारे ही कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास कर रही थी। यह काम अत्यंत चुनौतीपूर्ण था और अरुणिमा के लिए यह तो असंभव प्रतीत हो रहा था। इसलिए लोगों ने अरुणिमा को परामर्श दिया कि अपनी जिंदगी को जोखिम में डालकर ऐसे कामों के लिए आगे बढ़ने के सिवाय एक सामान्य जीवन जीना ही उनके लिए उचित रहेगा।

भाषा एवं व्याकरण:

1. निम्नलिखित शब्दों के बहुबचन रूप लिखिए:

रेलगाड़ी, लुटेरा, पटरी, पहिया, जरूरत, बाधा, सितारा, सफलता

उत्तर:

रेलगाड़ीरेलगाड़ियाँ
लुटेरालुटेरे
पटरीपटरियाँ
पहियापहिए
जरूरतजरूरतें
बाधाबाधाएँ
सितारासितारे
सफलतासफलताएँ

2. निम्नलिखित उर्दू के उपसर्गों से दो-दो शब्द बनाइए:

बे =  __ __         

ला = __  __

हम = __ ___

गैर = __ ___

हर = __ __

खुश =__ ___

बद = __ ___

ता = __ ___

उत्तर: बे  – बेवजह, बेबुनियाद।

हम – हमराही, हमशक्ल।

हर – हरदम, हरपल।

बद – बदनाम, बदसूरत।

ला  – लाजवाब, लाइलाज।

गैर  – गैरहाजिर, गैरकानूनी।

खुश – खुशमिजाज, खुशबू।

ता  – ताउम्र, ताजिंदगी।

3. निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: लड़की, अंधेरा, दायाँ, दुखमय, अक्षम, सुफल

उत्तरः लड़की – लड़का। 

अंधेरा – उजाला।

दायाँ – बायाँ।

दुखमय – सुखमय।

अक्षम – सक्षम।

सुफल – कुफल।

4. पठित पाठ में कई मुहावरों का प्रयोग हुआ है। इन्हें छाँटिए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: (क) हिम्मत जुटाना (साहस होना) – अन्याय के विरुद्ध खड़ा होने के लिए हिम्मत जुटाओ। 

(ख) इनकार करना (मना करना) – रमेश ने मुझे कलम देने से इनकार कर दिया। 

(ग) गुस्से से लाल होना (अत्यंत क्रोधित होना) – शर्मा जी नौकरों के कामों से नाराज होकर गुस्से से लाल हो गए।

(घ) लक्ष्य को पाना (अपेक्षित फल मिलना) – अरुणिमा सिन्हा ने अपने लक्ष्य को पाने के लिए कठोर परिश्रम किया।

(ङ) लहूलुहान होना (घायल होना) – रेल दुर्घटना के दौरान अरुणिमा लहूलुहान होकर पटरियों के पास पड़ी हुई थी।

लेखक संबंधित प्रश्न उत्तर

(1) “अरुणिमा सिन्हा: साहस की मिसाल”  पाठ के लेखिका का नाम क्या हैं?

उत्तर: डॉ. जयश्री गोस्वामी महन्त।

(2) डॉ. जयश्री गोस्वामी महन्त जी किस भाषा की लेखिका थी?

उत्तर: असमिया भाषा में लिखने का कार्य करती थी।

(3) उन्होंने किन किन प्रकार के लेख और निबंध की रचनाएं की है?

उत्तर: कहानी, कविता, उपन्यास, बाल – साहित्य आदि के अतिरिक्त उन्होंने युगीन यथार्थता को लेकर आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक संदर्भ में कई चिंतनप्रधान लेख और निबंध की भी रचनाएं की है।

(4) उनके लेख पर छोटी सी टिपण्णी दीजिए?

उत्तर: कहानी, कविता, उपन्यास बाल – साहित्य आदि के अतिरिक्त उन्होंने युगीन यथार्थता को लेकर आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक संदर्भ में कई चिंतनप्रधान लेख और निबंध की भी रचनाएं की है। बिश्वसहित्य के अनेक उल्लेखनीय ग्रंथो का अनुवाद करके उन्होंने असमिया अनुवाद साहित्य को भी स्मृद्ध किया है। कॉटन कॉलेज के प्राणीविज्ञान विभाग में अध्यापन – कार्य आरंभ करनेवाली डॉ. महन्त के अनेक शोधपारक लेख देश – विदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है।

(5) डॉ महन्त कब से कब तक राजसभा की सांसद में कार्य करती रही?

उत्तर: डॉ. महन्त सन् 1999 से 2002 तक राजसभा की सांसद के रूप में भी दायित्व का निर्वाह किया था।

(6) लेखिका के दो असमिया उपन्यासों के नाम लिखिए?

उत्तर: लेखिका के दो असमिया उपन्यासों के नाम है:

(i) महाकवि।

(ii) गांधारी। और 

(iii) चाणक्य आदि।

(7) लेखिका के कहानी – संकल्प के नाम लिखिए?

उत्तर: लेखिका के कहानी – संकल्प के नाम है:

(i) अन्य एक रत्नाकर। और 

(ii) उवंलि जोवा चादर आदि।

(8) लेखिका द्वारा रचित निबंध – संकल्प का नाम लिखिए?

उत्तर: लेखिका द्वारा रचित निबंध – संकल्प का नाम है:

(i) असम आंदोलन। और 

(ii) युगमिया चिंतार प्रतिफलन आदि।

(9) लेखिका द्वारा रचित बालोपयोगी – साहित्य के नाम लिखिए?

उत्तर: लेखिका द्वारा रचित बालोपयोगी – साहित्य के नाम हैं: चेमनीयार विश्व – साहित्य और विश्वर श्रेष्ठ साधुकथा आदि।

(10) लेखिका वर्तमान में किस समाचार – पत्र में संपादक हैं?

उत्तर: वर्तमान समय में वे “एदिनर संवाद” नमक  समाचार – पत्र में संपादक हैं।

अतिरिक्त प्रश्न उत्तर: 

(1) लुटेरों के गिरोह ने अरुणिमा को क्या धमकी दी थी?

उत्तर: अरुणिमा के द्वारा हार लुटेरों को न देने पर अरुणिमा के सामने एक लुटेरा गरज उठा और बोला – तू हार नही देगी? हमारी बात नही मानेगी? इतनी हिम्मत! इसका अंजाम क्या होगा तुझे नहीं मालूम।

(2) अरुणिमा द्वारा हार न देने की बात सुन के बाकी सहयात्री ने क्या किया और हार ने देने पर लुटेरों की प्रतिक्रिया क्या थीं?

उत्तर: अरुणिमा द्वारा हार न देने की बात सुन के बाकी सहयात्री भी अरुणिमा को आंखो के इशारे से लुटेरों की बात मन लेने के लिए कह चुके थे। हार न देने पर पलक झपक न पाई की दो लुटेरों ने आकर अरुणिमा को उठा लिया और कोई कुछ समझ पाए इससे पहले वे उसे खुले दरवाजे से रेलगाड़ी से बाहर अंधेरे में फेंक दिया। उसी समय पास की पटरी से भी एक रेलगाड़ी गुजर रही थी, अरुणिमा का शरीर उस रेलगाड़ी से टकराया और नीचे गिर गया वह पूरी तरह घायल हो गई थी।

(3) अरुणिमा का इलाज कौन कौन से अस्पताल में कराया गया?

उत्तर: अरुणिमा का इलाज पहले बरेली के अस्पताल में और उसके बाद नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुआ।

(4) अरुणिमा को कौन कौन से पुरस्कार प्राप्त हुए और प्रधानमंत्री ने उनकी प्रशंसा कैसे की?

उतर: अरुणिमा के सफलता के लिए भारत सरकार ने सन् 2015 में “पद्मश्री” सम्मान से सम्मानित किया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उसे सम्मान प्रदान किया। केवल यही ही नही, राष्ट्रपति महोदय ने अरुणिमा जी को सन् 2015 का “टेनजिंग नरगे सम्मान” से समान्नित किया। इससे पहले 2014 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से उन्हे “अमेजिंग इंडियन अवार्ड” भी मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक समारोह में अरुणिमा की लिखी पुस्तक का लोकार्पण करके उनकी प्रशंसा की थी।

(5) अरुणिमा का व्यक्तित्व कैसे लोगो को प्रवाहित करता है? अरुणिमा की साहस और दृढ़ता देख लेखिका को किसकी याद आई और क्यों?

उत्तर: अरुणिमा साहस और दृढ़ता से अपने एवरेस्ट पर चढ़ने के सपने को पूरा करती है, वह अपने प्रतिभा के कारण विभिन्न परिवेश में राष्ट्रीय पटल पर सितारों के समान चमकते हुए सहेज जानो के लिए आशा और प्रेरणा के स्रोत बन गई थी। ऐसे अनुकरणीय व्यक्तित्व अपने अभूतपूर्ण कार्यों से सबके समक्ष उधारण प्रस्तुत कर अनके दुखी लोगो की आनद प्रदान करते है, उन्हे निराशा तथा हताशा से मुक्ति दिलाती है, ऐसे वक्त में लेखिका को महाभारत का एक अनन्य चरित्र एकलव्य का स्मरण हो आता है, जिसने अपनी साधना और एकनिष्ठता से सिद्धि प्राप्त की थी। उन्हे अर्जन की याद आती है जिन्होंने अंधेरी रात को घने जंगल में श्बदभेदी बाण करके सफलता हासिल की थी।

(6) अरुणिमा एवरेस्ट के शिखर पर कब पहुंची और वहा कितने समय तक ठहरी?

उत्तर: अरुणिमा एवरेस्ट के शिखर पर 21 मई, 2013 में पहुंची और वह वहा डेढ़ घण्टे तक ठहरी थी।

(7) हिमालय के चढ़ाई के दौरान अरुणिमा अपने साथ क्या क्या वस्तुएं ले गई थीं?

उत्तर: हिमालय के चढ़ाई के दौरान अरुणिमा अपने साथ कैमरा, ऑक्सीजन और पानी ले गई थी।

(8) पर्वतरोहण के दौरान शेरपा ने अरुणिमा को क्या उपदेश दिया?

उत्तर: यात्रा के दौरान अरुणिमा के पैरों से खून बहने लगे थे, ऑक्सीजन भी लगभग समाप्त होने वाला था, अरुणिमा के लहूलुहान पैरों को देखकर शेरपा अरुणिमा से बार – बार लौट जाने को कह रहा था, परंतु अरुणिमा उसे कहती थी – यह तक आकर लौट जाने का सवाल ही नहीं उठता, जो होगा देखा जाएगा।

(9) एवरेस्ट पर पहुंचने पर अरुणिमा ने शेरपा से क्या अनुरोध किया और शेरपा ने उन्हें क्या सलाह दी?

उत्तर: एवरेस्ट पर पहुंचने पर अरुणिमा ने शेरपा से एवरेस्ट पर खड़ी उसकी तस्वीर और वीडियो लेने का अनुरोध किया था तथा शेरपा ने उन्हें समझाया की ज्यादा देर तक रहने तक जान का खतरा हो सकता है, क्योंकि शेरपा और अरुणिमा के पास ऑक्सीजन थोड़ी – सी ही बची थी, शेरपा ने भारत का तिरंगा लिए अरुणिमा का फोटो और विडियो लिया।

(10) एवरेस्ट विजय के बाद अरुणिमा सिन्हा ने कहा कहा?

उत्तर: एवरेस्ट विजय के बाद अरुणिमा सिन्हा ने कहा – “अरुणिमा सिर्फ एक में ही नही हूं, मेरी तरह और हजारों अरुणिमाए है, जिन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए, अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अगर आपलोग उत्साहित और प्रेरित करे तो सच्चे अर्थों में वह देशसेवा का एक अच्छा उदाहरण होगा।” 

सही विकल्प का चयन कीजिए

(1) अरुणिमा कितने देर तक रेल की पटरियों के पास पड़ी रही?

(i) एक घंटे।

(ii) तीन घंटे।

(iii) पांच घंटे।

(iv) सात घंटे।

उत्तर: सात घंटे।

(2) रेल पटरियों के पास पड़ी रही और उस दौरान लगभग __________ रेलगाड़ियां गुजर गई?

(i) दस।

(ii) पंद्रह।

(iii) पच्चीस।

(iv) उंचालिस।

उत्तर: उंचालिस।

(3) मौसम के खराब होने के कारण अभियान जारी रखना असम्भव था केवल ________ फीट रहते ही अभियात्री दल को अभियान समाप्त करके नीचे उतरना पड़ा।

(i) 680

(ii) 690

(iii) 670

(iv) 688

उत्तर: 690

(4) अरुणिमा को किस भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी ने प्रेरणा दी थी?

(i) महेंद्र सिंह धोनी।

(ii) विराट कोहली। 

(iii) युवराज सिंह।

(iv) कपिल देव।

उत्तर: युवराज सिंह।

(5) युवराज सिंह अपने मानसिक शक्ति के कारण __________ रोग से पीड़ित युवराज सिंह रोगमुक्त होकर अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल हुए थे, खाली स्थान को भरिए।

(i) बुखार।

(ii) स्टोन।

(iii) कैंसर।

(iv) उपरोक्त एक भी नहीं।

उत्तर: कैंसर।

(6) अरुणिमा सिन्हा एक अच्छी खिलाड़ी थी __________

(i) फुटबॉल।

(ii) टेनिस।

(iii) वॉलीबॉल।

(iv) बैटमिंटन।

उत्तर: वॉलीबॉल।

(7) बछेंद्री पाल कौन थी?

(i) वॉलीबॉल खिलाड़ी।

(ii) अंतरिक्ष यात्री।

(iii) अरुणिमा की सहेली।

(iv) पर्वतारोही।

उत्तर: पर्वतारोही।

(8) माउंट कांगरि की कुल ऊंचाई कितनी है?

(i) 21,108 फीट।

(ii) 690 फीट।

(iii) 8,848 फीट।

(iv) 21,798 फीट।

उत्तर: 21,798  फीट।

(9) काठमांडू से यात्रा आरंभ करने के 52 दिनों के बाद उसने रात के __________ बजे 8848 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माउंट एवरेस्ट के शिखर पर आरोहण किया। खाली स्थान की पूर्ति कीजिए.

(i) 7 बजे।

(ii) 6 बजे।

(iii) 8 बजे।

(iv) 9 बजे।

उत्तर: 8 बजे।

(10) अरुणिमा कहा की रहने वाली थी?

(i)  दिल्ली।

(ii) लखनऊ।

(iii) उत्तर प्रदेश।

(iv) बिहार।

उत्तर: उत्तर प्रदेश।

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