Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 16 सम्पुर्ण सुन्द

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सम्पुर्ण सुन्द

Chapter – 16

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ


এই কাহিনীটোৰ জৰিয়তে আমি এইটোৱে শিকিব পাৰো যে যেনেকৈ ৰঙ বিলাকে মিলি ৰামধেনুৰ মহত্ব প্রকাশ কৰে, ঠিক তেনেকৈ আমিও উচ্চ-নীচ সকলোবে লগত মিলি সুন্দৰ, সুস্থ, সমৃদ্ধ সমাজ গঢ়িব পাৰো। যাঁত কেৱল শান্তি আৰু শাস্তিহে থাকে।

বিধাতাই প্রকৃতিক সুন্দৰ বনোৱাৰ বাবে কোনো ধৰণৰ ত্রুটি কৰা নাই। বিধাতাই প্রকৃতিক মূলত সাধাৰণ আকর্ষণীয় বং দিছে আৰু ইয়াৰ পৰা আন ৰঙৰ সৃষ্টি হৈছে। 

এদিন সাত ৰঙে নিজকে শ্রেষ্ঠ বনাবলৈ যুক্তি-তর্কত লিপ্ত হ’ল। প্রত্যেক বঙে এইটো প্ৰতিপন্ন কৰিবলৈ যত্ন কৰিলে যে সেই বিশেষ ৰঙটোহে সুন্দৰ আৰু শ্রেষ্ঠ। 

প্রথমে সেউজীয়া ৰঙটোৱে ক’লে— “মই জীৱন আৰু প্ৰকৃতিৰ প্ৰতীক। সেয়েহে প্ৰকৃতিয়ে বিশেষ ৰূপত মোক সেউজীয়া ৰঙটো পাতত লগাইছে। পৃথিৱীৰ এটা ডাঙৰ ভাগ সেউজীয়া ৰঙেৰে ভৰা”।

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এইটো শুনি নীলা ৰঙৰ খং উঠি গ’ল। নীলা ৰঙে সেউজীয়া ৰঙৰ কথা নুশুনি খঙতে ক’লে— “সাগৰৰ পানী আৰু আকাশ নীলা, কেনেকৈ তুমি শ্রেষ্ঠ হ’ব পাৰা? পানীয়ে জীৱন! পানী নোহোৱাকৈ জীবন সম্ভৱ নহয়। সেয়েহে তোমাতকৈ মোৰ আদৰ বেচি। সেয়েহে তুমি মোক শ্রেষ্ঠ মানা।”

হালধীয়া ৰঙে সকলো চুপ-চাপ শুনি আছিল। “খুব সম্ভৱ হালধীয়া সুৰুযমুখীক তোমালোকে পাহৰি গৈছা? সূৰ্যৰ ৰঙ হালধীয়া হোৱা বাবে সুখৰ প্রতীক। সেয়েহে মইহে শ্রেষ্ঠ। হালধীয়াৰ কথা শুনি বেগুনীয়া ৰঙেও মনে মনে থাকিব নোৱাৰিলে। ক’লে মইহে শ্রেষ্ঠ। মনৰ শান্তি আৰু প্ৰেমৰ গভীৰতা কেবল মোৰ তাতহে আছে। 

সকলোৰে কথা শুনি সুমথিৰা ৰঙে অধিক উৎসাহিত হৈ ক’লে-সকলো সুস্বাদু ফল— গাজৰ, আম, অমিতা ইত্যাদি মোৰ ৰঙৰ কাৰণেহে হৈছে।

যেতিয়া ৰঙ বিলাকে কথা পাতি আছিল তেতিয়া বৰ্ষা ৰাণীয়ে তেওঁলোকৰ কথা শুনি আছিল। তেতিয়া বৰ্ষাৰাণী ৰঙ বিলাকৰ ওচৰত আহিক’লে, তোমালোক আঁটাইয়ে সুন্দৰ আৰু শ্ৰেষ্ঠ এই কথাটো মনলৈ নাহেনে? কাৰণ তোমালোক আটাইকে প্রকৃতিয়ে কিবা নহয় কিবা বিশেষ কাৰণৰ কাৰণে বনাইছে। তোমালোক এই কাৰণে শ্রেষ্ঠ যে তোমালোক বেলেগ বেলেগ ৰঙৰ হৈও একেলগে মিলি আছা।

ইয়াৰ আগতে বৰ্ষা ৰাণীয়ে আৰু কিবা কৈছিল। মেঘে বিজুলী ঢেৰেকণিৰে গাজনি ধৰিলে। সকলো ৰঙে সৰু ল’ৰাৰ দৰে ভয়ত এটাই আনটোক আকোৱালি ধৰিলে। ইয়াৰ পিচত বৰ্ষাৰাণীয়ে আকাশলৈ দেখুৱাই সকলো ৰঙকে ক’লে, ‘চোৱা তোমালোকৰ অপূৰ্ব সমাহাৰৰ সুন্দৰ ৰামধেনু”।

তেওঁলোকক বুজালে, “এই পৃথিৱীত তোমালোকক বেলেগ বেলেগ ৰূপত প্রশংসা কৰা বহুতো লোক আছে। কিন্তু তোমালোক একেলগে ৰামধেনুৰ ৰূপ লৈ সুন্দৰ জীৱনৰ বাৰ্তাপ্ৰেৰকহে”। 

সেইদিনাখনৰ পৰা ৰঙবোৰে কেতিয়াও নিজৰ মাজত কাজিয়া নকৰে আৰু পৰস্পৰে লগ হৈ থাকিব ল’লে।

शब्दार्थ :

साबित – सिद्ध (প্রমাণ কৰা)

श्रेष्ठ – सबसे अच्छा (সকলোতকৈ উত্তম) 

बहस – वद-ववद, झगড়া (বাদ-বিবাদ, কাজিয়া)

चयन – चुनना (শুনা)

अनसुनी – ध्यान न देना (মনযোগ নিদিয়া)

खास – विशेष (বিশেষ)

अभ्यास माला

पशन – १ : उचित विकल्प पर (✓) क नशान लगओ :

(क) सूर्य का पीला रंग किसका प्रतीक ? 

(i) खशहल

(ii) बदहवासी

(iii) हरियाली

उत्तर : खुशहाली ✓

(ख) सभी रंग किसकी बात को ध्यान से सुन रहे थे ? 

(i) ग्रीष्म रानी

(ii) वर्षा रानी

(iii) शरद रानी

उत्तर : वर्षा रानी ✓

(ग) इस धरती पर रंगों को पसन्द करने वाले उनके अनेक

(i) निंदक हैं

(ii) आलोचक हैं

(iii) प्रशंसक हैं 

उत्तर : प्रशांसक हैं ✓

प्रश्न – २ : प्रश्नों के उत्तर दो :

(क) हरे रंग ने स्वंय को श्रेष्ठ बताने हुए क्या कहा ?

उत्तर : हरे रंग ने स्वयं को श्रेष्ठ बताने हुए कहा “मैं जीवन और हरियाली का प्रतीक हूँ। इसलिए प्रकृति ने मेरा चयन विशेष रूप से पत्तों के हरे रंग के लिए किया है। धरा का एक बड़ा भाग हरियाली से ढका है।”

(ख) नीले रंग ने अपनी प्रशंसा किस प्रकार की ? 

उत्तर : नीले रंग ने अपनी प्रशंसा करते हुए कहा-“समुद्र का जल और सारा आकाश नीला है, तो तुम श्रेष्ट कैसे हो सकते हो? जल ही जीवन है। बिना जल के तो जीवन संभव ही नहीं, इसलिए तुमसे अधिक महानता मेरी हैं, इसलिए तुम मुझे श्रेष्ठ मानो।”

(ग) विधाता ने प्रकृति को कितने रंग दिए ?

उत्तर : विधाता ने प्रकृति को सात रंग दिए।

(घ) आपस में झगड़ा कौन कर रहे थे ? 

उत्तर : आपस में झगड़ा सातों रंग कर रहे थे।

(ङ) किस रंग को गुस्सा आया ?

उत्तर : नील रंग की गुस्सा आया। 

(च) नारंगी रंग के उत्साहित होने का क्या कारण था ?

उत्तर : नारंगी रंग ने उत्साहित हो कर बोल उठा, “मिठास व स्वास्थ्य मेरी वजह से है। सभी लाभकारी फल गाजर, संतरा, आम, पपीता इत्यादि स्वास्थ्यवर्धक हैं। यदि मैं नहीं, तो कुछ भी नहीं।”

(छ) अंत में वर्षा रानी ने सभी रंगों को समझाते हुए क्या कहा ? 

उत्तर : अंत में वर्षा रानी सभी रंगों को समझाते हुए कहा- “क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम सभी श्रेष्ठ हो, क्योंकि तुम सवको प्रकृति ने किसी-न-किसी खास कारण से बनाया है।” वर्षा रानी ने फिर कहा, “तुम इसलिए श्रेष्ठ नहीं कि तुम अलग-अलग रूपों में सुन्दर हो बल्कि तुम इसलिए श्रेष्ठ हो क्यों कि तुम सब साथ में हो, इकट्ठे हो।”

(ज) प्रस्तुत कहानी से क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर : प्रस्तुत कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है, कि हमें कभी भी किसी सुरत में आपस में झगड़ना नहीं चाहिए। एकता में ही बल है। एकत्र रहने से हमारे भविष्य सुधर सकते हैं। अलग-अलग रहकर सभी का अस्तित्व मिट जाता है। जिस प्रकार ‘इन्द्रधनुष’ का सातों अलग होने पर ‘इन्द्रधनुष’ नहीं रह जाता ठीक उसी प्रकार हमारे अलग-अलग रहने से हमारा अस्तित्व नहीं रहेगा।

प्रश्न – ३ : प्रकृति ने हमें अनगिनत सुन्दर चीजें भेट की है। कौन-से रंग किन चीजों में तुम्हें अपनी ओर आकर्षित करता है ? संक्षेप में लिखो।

उत्तर : छात्र खुद करें।

प्रश्न – ४ ( क ) भाववाचक संज्ञा बनाओ :

उत्तर : हरा – हरापन

पीला – पीलापन

स्वस्थ – स्वास्थ्य

मीठा – मिठास

सुन्दर – सौन्दर्य

ईश्वर – ईश्वरीय

(ख) दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखो : 

दिन, प्रयत्न, बिजली, जल, प्रण, धरा, बादल, सूर्य

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