NCERT Class 12 Hindi Antra Chapter 12 संवदिया

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NCERT Class 12 Hindi Antra Chapter 12 संवदिया

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Chapter: 12

अंतरा गद्य खंड
प्रश्न-अभ्यास

1. संवदिया की क्या विशेषताएँ हैं और गाँववालों के मन में संवदिया की क्या अवधारणा है?

उत्तर: संवदिया कि विशेषताएँ इस प्रकार हैं—

(क) दिए गए संवाद को जैसे है, वैसा ही बोलना पड़ता है।

(ख) संवाद के साथ भावों को भी वैसे का वैसा बताना पड़ता है।

(ग) संवाद को समय पर पहुँचाना एक संवदिया की विशेषता होती है।

(घ) संवदिया को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। उसे संवाद को भावनाओं से अलग रखना चाहिए।

(ङ) उसे मार्ग का ज्ञान होना चाहिए।

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(च) संवाद को पहुँचाने में गोपनियता बहुत आवश्यक है।

गाँव वालों के मन में अवधारणा है कि संवदिया एक कामचोर, निठल्ला तथा पेटू आदमी होता है, जिसके पास कोई काम नहीं होता, वह संवदिया बन जाता है।

2. बड़ी हवेली से बुलावा आने पर हरगोबिन के मन में किस प्रकार की आशंका हुई?

उत्तर: बड़ी हवेली से जब हरगोबिन को बुलावा आया, तो उसके मन में एक प्रकार की चिंता उठी कि शायद उसे कोई गुप्त संदेश देने के लिए भेजा गया है। यह संदेश इतना गोपनीय था कि उसकी खबर चाँद, सूरज, पेड़ों और पक्षियों तक को भी न लगने पाए।

3. बड़ी बहुरिया अपने मायके संदेश क्यों भेजना चाहती थी?

उत्तर: बड़ी बहुरिया अपने मायके को संदेश भेजना चाहती थी क्योंकि मायके ही उसका आश्रय था। वह अपने घरवालों को अपनी दशा बताना चाहती थी और उनसे आने की उम्मीद कर रही थी।

4. हरगोबिन बड़ी हवेली में पहुँचकर अतीत की किन स्मृतियों में खो जाता है?

उत्तर: हरगोबिन ने जब बड़ी हवेली में कदम रखा, तो उसे बीते समय की यादें ताज़ा हो आईं। बड़े भैया के समय में हवेली की रौनक ही कुछ और थी। घर में नौकर-चाकरों, मजदूरों और मेहमानों की भीड़ हमेशा लगी रहती थी। बड़ी बहुरिया अपनी मेंहदी लगे हाथों से पूरे घर की जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाती थीं। अब वह समय पीछे रह गया है। हवेली अब केवल एक नाम रह गई है, और यहाँ की बड़ी बहुरिया की हालत आजकल नौकरानियों से भी बदतर हो गई है।

5. संवाद कहते वक्त बड़ी बहुरिया की आँखें क्यों छलछला आईं?

उत्तर: संवाद के दौरान बड़ी बहुरिया का दुख उनकी आँखों में साफ़ झलकने लगा। संवदिया के सामने उन्हें अपनी कठिन स्थिति का खुलासा करना पड़ा। अब तक उन्होंने अपनी परेशानियों को सभी से छिपाया था, लेकिन अब संवदिया उनकी हालत से अवगत हो चुका था। अपनी दुखभरी अवस्था का बयाँ करते हुए, उनकी आँखों में आंसू आ गए।

6. गाड़ी पर सवार होने के बाद संवदिया के मन में काँटे की चुभन का अनुभव क्यों हो रहा था। उससे छुटकारा पाने के लिए उसने क्या उपाय सोचा?

उत्तर: गाड़ी में सवार होकर संवदिया को बड़ी बहुरिया के एक-एक शब्द जैसे काँटे की तरह चुभ रहे थे। आज तक उसने जितने भी संवाद सुने थे, वे इस तरह के नहीं थे। इस बार एक दीन-हीन बेटी अपनी माँ से मदद की गुहार लगा रही थी। उसकी करुण स्थिति का वर्णन हर शब्द में झलक रहा था। उस महिला के शब्द संवदिया को गहरे दुख में डुबो रहे थे। उन्होंने इन भावनाओं से उभरने के लिए पुराने संदेशों को याद करना शुरू किया, साथ ही एक पुराना संवदिया गीत भी उसके मन में गूंजने लगा।

7. बड़ी बहुरिया का संवाद हरगोबिन क्यों नहीं सुना सका?

उत्तर: बड़ी बहुरिया उस गाँव की प्रतिष्ठा, उसकी लक्ष्मी मानी जाती थी। अपने गाँव की लक्ष्मी की स्थिति दूसरे गाँव में जाकर बताना उसे अपमानजनक लगा। यह सोचकर उसे गहरी शर्म महसूस हुई कि उसकी गाँव की लक्ष्मी इतने कष्टों से गुजर रही है और गाँव अब तक कुछ नहीं कर सका। यह विचार उसे भी चौंका गया कि गाँव की इस लक्ष्मी को दूसरों से मदद माँगनी पड़ रही है— यह तो गाँववालों के लिए अपमानजनक और पीड़ा देने वाली बात थी। इस कारण, वह बड़ी बहुरिया का संवाद सुना नहीं सका।

8. ‘संवदिया डटकर खाता है और अफर कर सोता है’ से क्या आशय है?

उत्तर: ‘संवदिया डटकर खाता है और अफ़र कर सोता है’ का मतलब है कि संवदिया जिन घरों में संवाद लेकर जाता है और संवाद देता है, वहां बहुत आवभगत होती है। परिणामस्वरूप, वह वहाँ आराम से भोजन करता है और यात्रा की थकान दूर करने के लिए चैन से सोता है। यही उसका कर्तव्य है। संवदिया होने के नाते, अपनी आवभगत करवाना और विश्राम करना उसका अधिकार है।

9. जलालगढ़ पहुँचने के बाद बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने क्या संकल्प लिया?

उत्तर: जलालगढ़ पहुँचने के बाद, बड़ी बहुरिया के सामने हरगोबिन ने संकल्प लिया कि अब वह निष्क्रिय नहीं रहेगा। बड़ी बहुरिया के लिए वह एक बेटे की तरह हर काम करेगा। अब वह उसे माँ की तरह समझेगा और उसकी देखभाल करते हुए, उसे सभी कष्टों से दूर रखने का पूरा प्रयास करेगा।

10. ‘डिजिटल इंडिया’ के दौर में संवदिया की क्या कोई भूमिका हो सकती है?

उत्तर: नहीं, डिजिटल इंडिया के दौर में संवदिया की कोई भूमिका नहीं हो सकती। आज के समय में इंटरनेट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से संवाद का आदान-प्रदान पलक झपकते किया जा सकता है। संचार क्रांति में इतना विकास हुआ है कि हर संदेश एक मिनट के अंदर पहुंच जाता है।

भाषा-शिल्प

1. इन शब्दों का अर्थ समझिए—

(क) काबुली-कायदा।

उत्तर: काबुली-कायदा – इसका अर्थ है काबुल से आए व्यक्ति द्वारा बनाए गए नियम और कायदे। हरगोबिन के गाँव में एक व्यक्ति उधार कपड़ा देने आता था, जो काबुल से था। वह उधार कपड़ा देते समय बड़ी विनम्रता से बात करता, लेकिन जब उधार वापस मांगता तो अत्यधिक कड़ी और कठोर हो जाता। इस कारण यह कहावत प्रचलित हुई, “काबुली-कायदा”।

(ख) रोम-रोम कलपने लगा।

उत्तर: रोम-रोम कलपने लगा – इसका अर्थ है कि किसी बात से अत्यधिक परेशान होकर पूरे शरीर के रोम-रोम में दुख और पीड़ा महसूस होने लगना।

(ग) अगहनी धान।

उत्तर: अगहनी धान – अगहन मास में पैदा होने वाले धान को “अगहनी धान” कहा जाता है। यह धान आमतौर पर दिसंबर के आस-पास के समय में होता है।

2. पाठ से प्रश्नवाचक वाक्यों को छाँटिए और संदर्भ के साथ उन पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: फिर उसकी बुलाहट क्यों हुई? – यह वाक्य हरगोबिन के मन में उठता सवाल है, जब उसे बड़ी हवेली से बुलावा आया। वह हैरान था क्योंकि अब समय बदल चुका था और अब संवदिया की जरूरत नहीं थी, फिर भी उसे बुलाया गया था।

कहाँ गए वे दिन? – हरगोबिन बड़ी हवेली की हालत देखकर सोचता है। पहले यह हवेली अपने शानो-शौकत के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब वह स्थिति बदल चुकी है। बड़ी बहुरिया अब नौकरानी  की तरह जीवन जी रही हैं।

और कितना कड़ा करूँ दिल? – यह वाक्य बड़ी बहुरिया द्वारा अपनी स्थिति पर व्यक्त किया गया सवाल है। वह थक-हार चुकी थी, और अपनी परिस्थितियों से जूझते हुए यह सवाल करती है कि अब और कितना कड़ा हो सकती है।

बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? – बड़ी बहुरिया यह सवाल करती है, क्योंकि अब वह केवल बथुआ-साग खाकर अपना जीवन चला रही है, और उम्मीद करती है कि स्थितियाँ सुधरेंगी।

किसके भरोसे यहाँ रहूँ? – बड़ी बहुरिया खुद से यह सवाल करती है, क्योंकि वह जानती है कि अब उसके पास कुछ नहीं बचा और किसी से सहायता की उम्मीद नहीं कर सकती।

3. इन पंक्तियों की व्याख्या कीजिए—

(क) बड़ी हवेली अब नाममात्र को ही बड़ी हवेली है।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति में हरगोबिन बड़ी हवेली की तुलना उसके सुनहरे अतीत से करता है, जब हवेली की रौनक और शानो-शौकत अपार थी। एक समय था जब बड़ी हवेली का गाँव में बड़ा नाम और दबदबा था। बड़े भैया के निधन के बाद, सब कुछ बदल गया। तीन भाइयों ने हवेली का बंटवारा कर लिया, और अब यह लगभग वीरान हो चुकी है। अब यह केवल नाममात्र की हवेली रह गई है, जिसकी पहले जैसी पहचान और रौनक नहीं है।

(ख) हरगोबिन ने देखी अपनी आँखों से द्रौपदी की चीरहरण लीला।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति में हरगोबिन उस समय का वर्णन करता है, जब हवेली की रानी, बड़ी बहुरिया, की साड़ी तक उनके तीन देवरों ने आपस में बाँट ली थी। बड़ी बहुरिया के गहने भी उनसे छीनकर वे आपस में बाँट रहे थे। हरगोबिन ने अपनी आँखों से यह अन्याय होते देखा था। इस अन्याय को व्यक्त करने के लिए, हरगोबिन ने उसकी तुलना द्रौपदी के चीरहरण की घटना से की है। बड़ी बहुरिया के साथ हुआ यह अन्याय, द्रौपदी के चीरहरण से कम भयानक नहीं था।

(ग) बथुआ साग खाकर कब तक जीऊँ?

उत्तर: यह पंक्ति बड़ी बहुरिया उस समय कहती है, जब वह हरगोबिन के माध्यम से अपनी माँ को अपनी व्यथा सुनाने का निर्णय लेती है। वह अपनी आर्थिक तंगी और कठिन परिस्थितियों से पूरी तरह टूट चुकी है। घर में खाने को कुछ भी नहीं है, और जो भी खाती है, वह भी उधार का होता है। बथुआ, जो खेतों और खाली जगहों में स्वतः उग जाता है, अब उसकी एकमात्र भोजन सामग्री बन चुका है। अपनी माँ को अपने दयनीय हालात समझाने के लिए वह कहती है, “बथुआ साग खाकर कब तक जीऊँ?” अर्थात, अब स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि मेरे पास केवल बथुआ साग ही बचा है।

(घ) किस मुँह से वह ऐसा संवाद सुनाएगा।

उत्तर: यह पंक्ति हरगोबिन अपने मन में सोचता है। उसने बड़ी बहुरिया के वे दिन देखे थे, जब वह मेंहदी लगे हाथों से पूरे घर की जिम्मेदारी संभालती थीं। लेकिन पति के निधन के बाद उनकी स्थिति ऐसी हो गई कि सब देख कर हैरान रह गए। देवरों ने सबकुछ हड़प लिया, और बड़ी बहुरिया की हालत बद से बदतर हो गई। उनके दर्द भरे शब्द सुनकर हरगोबिन का दिल भर आया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि बड़ी बहुरिया का यह दुःखभरा संदेश उनकी माँ तक कैसे पहुँचाए। क्या उनकी माँ यह सुन पाएंगी कि जिस बेटी को रानी बनाकर विदा किया था, आज वह एक समय के भोजन के लिए भी संघर्ष कर रही है? यह सोचकर हरगोबिन गहरे द्वंद्व में पड़ गया।

योग्यता-विस्तार

1. संवदिया की भूमिका आपको मिले तो आप क्या करेंगे? संवदिया बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना पड़ता है?

उत्तर: यदि मुझे संवदिया की भूमिका निभाने का अवसर मिले, तो मैं वैसा ही कार्य करूंगी जैसा एक संवदिया को करना चाहिए। दिए गए पाठ में हरगोबिन ने बड़ी बहुरिया का संदेश उनकी माँ को नहीं सुनाया, जो उचित नहीं था। बड़ी बहुरिया का जीवन ससुराल में बेहद कष्टमय था, और वह शायद इसलिए ऐसा संदेश भेजने का निर्णय ले चुकी थीं। हरगोबिन ने संदेश न देकर उनकी कठिनाई और बढ़ा दी।

संवदिया बनने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

1. संवाद को याद रखना – दिए गए संवाद को पूरी तरह याद रखना संवदिया का मुख्य दायित्व है। संवाद भूल जाना उसके पेशे के साथ अन्याय होगा।

2. संवाद के भावों को सही से व्यक्त करना – संवाद केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि उसके साथ जुड़े भावों को भी सही तरीके से प्रस्तुत करना होता है। भाव संवाद की आत्मा होते हैं।

3. समय पर संवाद पहुँचाना – संवदिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संदेश समय पर पहुँचे। विलंब से संवाद पहुँचने पर इसका अर्थ बदल सकता है और गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

4. भावनाओं में न बहना – संवदिया को अपने कार्य में भावनाओं को नहीं लाना चाहिए। यदि वह भावनात्मक हो गया, तो वह अपने कार्य के साथ न्याय नहीं कर पाएगा।

5. मार्ग का ज्ञान – संवदिया को मार्ग और दिशा का पूरा ज्ञान होना चाहिए। यदि उसे रास्तों की जानकारी नहीं है, तो वह संदेश समय पर नहीं पहुँचा सकेगा।

6. गोपनीयता बनाए रखना – सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि संवाद पूर्ण रूप से गोपनीय रहे। इसे किसी और को जानने का अवसर नहीं मिलना चाहिए। संवाद की खबर उसकी छाया तक को भी न होनी चाहिए।

2. इस कहानी का नाट्य रूपांतरण कर विद्यालय के संच पर प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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