Class 9 Hindi Elective Chapter 12 नर हो, न निराश करो मन को, The answer to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapter Assam Board Class 9 Hindi Elective Chapter 12 नर हो, न निराश करो मन को and select needs one.
Class 9 Hindi Elective Chapter 12 नर हो, न निराश करो मन को
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नर हो, न निराश करो मन को
पाठ – 12
बोध एवं विचार
अभ्यासमाला
(अ) सही विकल्प का चयन करो :
1. कवि ने हमें प्रेरणा दी है–
(क) कर्म की।
(ख) आशा की।
(ग) गौरव की।
(घ) साधना की।
उतर : (क) कर्म की ।
2. कवि के अनुसार मनुष्य को अमरत्व प्राप्त हो सकता है―
(क) अपने नाम से।
(ख) धन से।
(ग) भाग्य से।
(घ) अपने व्यक्तित्व से।
उत्तर : (क) अपने नाम से ।
3. कवि के अनुसार ‘न निराश करो मन को’ क्या आशय है―
(क) सफलता प्राप्त करने के लिए आशावान होना ।
(ख) मन में निराशा तो हमेशा बनी रहती है ।
(ग) मनुष्य अपने प्रयत्न से असफलता को भी सफलता में बदल सकता है ।
(घ) आदमी को अपने गौरव का ध्यान हमेशा रहता है ।
उत्तर : (क) सफलता प्राप्त करने के लिए आशावान होना ।
(आ) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लिखो :
1. तन को उपयुक्त बनाए रखने के क्या उपाय है ?
उत्तर : तन को उपयुक्त बनाए रखने के लिये―हमे (मनुष्य) अपने कर्म में मन को निहित करना चाहिये क्योंकि कर्म करके हि हम हमारे शरीर को उपयुक्त बनाए रख सकते है ।
2. कवि के अनुसार जग को निरा सपना क्यों नहीं समझना चाहिए ?
उत्तर : कवि के अनुसार इस संसार को हमें केवल निरा सपना नहीं समझाना चाहिए। हमें इस संसार को वास्तव के रूप में देखना
चाहिए। उनके अनुसार मनुष्य को अनुकूल अवसर हाथ से जाने देना नहीं चाहिए ।
3. अमरत्व विधान से कवि का क्या तात्पर्य है ।
उत्तर : पृथ्वी में मनुष्य अपने किये हुए महत्वपूर्ण काम से अपना नाम हमेशा के लिये रोशन कर सकते है । इसि तरह मनुष्य अमरत्व प्राप्त कर सकता है ।
4. अपने गौरव का किस प्रकार ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर : कभी किसी के आगे नतसिर न होकर समझना चाहिए की “हम भी कुछ है”। हमे अपने पर ध्यान रखना चाहिए ।
5. कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्द में लिखो ।
उत्तर : कविता का सारांश : कवि कहते है कि इस दुनिया में हमे अपने जीवन को व्यार्थ न होने दे। अपने को उपयुक्त बनाकर ऐसा काम करना चाहिए जिससे अपने नाम प्रसिद्ध बने। इसलिए काम करने को कहा है ।
निराश न होकर हाथ में आए हुए सूयोग को अपनाना चाहिए। कवि कभी व्यर्थ का भाव मन में लेने में माना किया है। दुनिया में काम करके अपना पथ प्रसस्त करना चाहिए। क्योंकि इस दुनिया में सब प्राप्त है तो हमारे अधिकार कहाँ जाएगा ? यह प्रश्न कवि का है। अपने कामों में सूधा पान करने को भी वह कहते है। अपने गौरव को अपने अनुभवों में लेने को कवि याद दिलाते है। हम भी मनुष्य है यह हमेशा याद रखना चाहिए। एक दिन सब चला जाएगा लेकिन मान-सम्मान अक्षत रहेगा। यह मरने के बाद में ही गुंजित रहेगा। इसलिए हमे अपने साधना को कभी त्याग करना नहीं चाहिए, निराश न होना चाहिए। अपना काम करना चाहिए। जिसमें एकदिन जीत होगा ।
(इ) सप्रसंग व्याख्या करो :
1. संभालो कि सु–योग……..सदुपाय भला ?
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी की “नर हो न निराश करो मन को” नामक कविता से ली गई है ।
कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने मनुष्य को कर्मठता का संदेश दिया है। इस संसार में मनुष्य को हमेशा कर्म में व्यस्त रहना चाहिए ।
कवि गुप्त जी कहते हैं कि मनुष्य को हमेशा कर्म में व्यस्त रहना चाहिए। क्योंकि वह कर्म के द्वारा ही अपनी पहचान बना सकता है। हर मनुष्य के लिए अनुकूल अवसर आता है। अतः हमें इसका कर्म से लाभ उठाना चाहिए। अगर हम इसका लाभ उठा न सके तो बाद में पछताना पड़ेगा। अतः हमें हमेशा कर्मठ रहना चाहिए ।
2. जब प्राप्त तुम्हें……..वह सत्व कहाँ ?
उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि मैथिलीशरण गुप्त जी रचित ‘नर हो न निराश करो मन को’ नामक कविता से उद्धृत है ।
कवि कहते है, यह संसार सभी तत्वों से परिपूर्ण हैं। यह संसार उपलब्धियों का भंडार है ।
यह संसार सभी तत्वो अर्थात यथार्थता से परिपूर्ण है। यह संसार साधना क्षेत्र है। क्या नहीं है यहाँ, तुम अपनी पहचान बनाओ, इन्ही तत्वों से अमृत पान करो। उद्यम करने से ही कार्य सफल होते है ।
Sl. No. | Contents |
Chapter 1 | हिम्मत और जिंदगी |
Chapter 2 | परीक्षा |
Chapter 3 | आप भोले तो जग भला |
Chapter 4 | बिंदु बिंदु विचार |
Chapter 5 | चिड़िया की बच्ची |
Chapter 6 | चिकित्सा का चक्कर |
Chapter 7 | अपराजिता |
Chapter 8 | मणि-कांचन संयोग |
Chapter 9 | कृष्ण- महिमा |
Chapter 10 | दोहा दशक |
Chapter 11 | चरैवेती |
Chapter 12 | नर हो, न निराश करो मन को |
Chapter 13 | मुरझाया फुल |
Chapter 14 | गाँँव से शहर की ओर |
Chapter 15 | साबरमती के संत (सधु) |
Chapter 16 | टूटा पहिया |
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. कविता के आधार पर इन शब्दों के तुकांत शब्द लखो ।
उतर : अर्थ ― व्यर्थ।
तन ― मन।
तत्व ― सत्व।
ज्ञान ― ध्यान।
चला ― भला।
सपना ― अपना।
यहाँ ― कहाँ।
मान ― पान।
2. इन शब्दों में से उपसर्ग अलग करो ।
उतर : व्यर्थ ― व।
उपयुक्त ― उप।
अवलम्बन ― अब।
सु―योग ― सु।
प्रशस्त ― प्र।
सदुपाय ― उ।
निराश ― नि।
3. इन शब्दों के विलोम शब्द लिखो :
उतर : नज ― पर।
उपयुक्त ― अनुपयुक्त।
निराश ― आशावादी।
अपना ― पराया।
सुधा ― विष/गरল।
ज्ञान ― अज्ञान।
मान ― अपमान।
जन्म ― मृत्यु ।
4. इन शब्दों के तीन तीन पर्यायवासी शब्द लिखो :
उत्तर : नर ― मनुष्य, मानव , आदमी ।
जग ― पृत्थी, धरती , धरनी ।
अर्थ ― धन, रुपया , सम्पत्ति ।
पथ ― रास्ता, मार्ग , बाट ।
अखिलेश्वर ― ईश्यर, परमात्मा, भगवान ।
5. ‘अमरत्व’ शब्द में ‘त्व’ प्रत्यय लगा है। भाववाचक ‘त्व’ प्रत्यय खासकर भाववाचक संज्ञा का घोतक है। ‘त्व’ प्रत्यवाले किन्हीं दस शब्द लिखो ।
उत्तर : स्वत्व, बंधुत्व, पुरुषत्व, देवत्व, ईश्वरत्व, गुरुत्व, व्यक्तित्व, मातृत्व, नेतृत्व, भ्रातृत्व ।

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