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Class 9 Hindi Elective Chapter 12 मुरझाया फूल
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मुरझाया फूल
पाठ – 12
अभ्यासमाला |
बोध एवं विचार
अ. सही विकल्प का चयन करो:
1. कवयित्री महादेवी वर्मा की तुलना की जाती है –
(i) सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ।
(ii) मीराबाई के साथ।
(iii) उषा देवी मित्रा के साथ।
(iv) मन्नू भंडारी के साथ।
उत्तर: (ii) मीराबाई के साथ।
2. कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?
(i) गाजियाबाद में।
(ii) हैदराबाद में।
(iii) फैजाबाद में।
(iv) फर्रुखाबाद में।
उत्तर: (iv) फर्रुखाबाद में।
3. महादेवी वर्मा की माता का नाम क्या था?
(i) हेमरानी वर्मा।
(ii) पद्मावती वर्मा।
(iii) फूलमती वर्मा।
(iv) कलावती वर्मा।
उत्तर: (i) हेमरानी वर्मा।
4. ‘हास्य करता था, अंक में तुझको पवन।’
(i) खिलाता।
(ii) हिलाता।
(iii) सहलाता।
(iv) सुलाता।
उत्तर: (i) खिलाता।
5 ‘यत्न माली का रहा से भरता तुझे।’
(i) प्यार।
(ii) आनंद।
(iii) सुख।
(iv) धीरे।
उत्तर: (ii) आनंद।
6. करतार ने धरती पर सबको कैसा बनाया है?
(i) सुंदर।
(ii) त्यागमय।
(iii) स्वार्थमय।
(iv) निर्दय।
उत्तर: (iii) स्वार्थमय।
(आ) ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में उत्तर दो:
1. छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा रहस्यवादी कवयित्री के रूप में भी प्रसिद्ध हैं।
उत्तर: हाँ।
2. महादेवी वर्मा के पिता माता उदार विचारवाले नहीं थे।
उत्तर: नहीं।
3. महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की।
उत्तर: हाँ।
4. वायु पंखा झल कर फूल को सुख पहुँचाती रहती है।
उत्तर: नहीं।
5. मुरझाए फूल की दशा पर संसार को दुख नहीं होता।
उत्तर: हाँ।
(इ) पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
1. महादेवी वर्मा की कविताओं में किनके प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है?
उत्तर: महादेवी वर्मा की कविताओं में अपने प्रियतम अज्ञात सत्ता के प्रति विरहानुभूति की तीव्रता परिलक्षित होती है।
2. महादेवी वर्मा का विवाह कब हुआ था?
उत्तर: महादेवी बर्मा का विवाह छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद हुआ था।
3. महादेवी वर्मा ने किस रूप में अपने कर्म जीवन का श्रीगणेश किया था?
उत्तर: महादेवी वर्मा ने महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में अपनी कर्म-जीवन का श्रीगणेश किया था।
4. फूल कौन-सा कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है?
उत्तर: फूल दान कार्य करते हुए भी हरषाता रहता है।
5. भ्रमर फूल पर क्यों मँडराने लगते हैं?
उत्तर: भ्रमर फूल पर लुब्ध मधु पान करने के लिए मँडराने लगते हैं।
(ई) अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में):
1. किन गुणों के कारण महादेवी वर्मा की काव्य-रचनाएँ हिन्दी पाठकों को विशेप प्रिय रही हैं?
उत्तर: महादेवी वर्मा ने अपने काव्य को विरहानुभूति और व्यक्तिगत दुःख- वेदना कि अभिव्यक्ति में सीमित न रखकर उसे लोक कल्याणकारी करुणा भाव से जोड़ दिया है। महादेवी की इन्हीं गुणों के कारण उनकी काव्य रचनाएं हिंदी पाठकों को विशेष प्रिय रही है।
2. महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य रचनाएँ क्या-क्या हैं? किस काव्य संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था?
उत्तर: महादेवी वर्मा की प्रमुख काव्य रचनाएं हैं- ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘संध्यागित’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’।
‘यामा’ काव्य-संकलन पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
3. फूल किस स्थिति में धारा पर पड़ा हुआ है?
उत्तर: मुरझाया हुआ फूल धारा यानी धरती पर बेजान स्थिति में पड़ा हुआ है। आज उसमें पहले जैसी सुगंध और कोमलता नहीं रही, जिसके कारण कोई भी उसे अपनाना नहीं चाहता। जिसने कभी अपनी माधुर्य से सबका दिल जीता था, आज वह मुरझाकर जमीन पर बेजान पड़ा है।
4. खिले फूल और मुरझाए फूल के साथ पवन के व्यवहार में कौन-सा अंतर देखने को मिलता है?
उत्तर: पवन ने खिले फूलों के साथ खूब खेला तथा उसे हमेशा हंसाया है। कली की स्थिति में उसे गोद में लेकर झुलाया है, तो नींद न आने पर वायु के झोंकों से उसे सुलाया भी है। लेकिन मुरझाए हुए फूल को पवन ने ही अपने तीव्र वायु के झोंके से जमीन पर भी गिराया है।
5. खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भौरे के व्यवहार क्या भिन्न- भिन्न होते हैं?
उत्तर: खिले फूल और मुरझाए फूल के प्रति भोरे के व्यवहार भिन्न भिन्न होते हैं। जब बगीचे में खिले फूल लहराते हैं तब फूल की सुंदरता एवं उसकी सुगंध की ओर आकृष्ट होकर भौंरे मधु पान करने हेतु मंडराने लगते हैं। लेकिन जब फूल मुरझाकर जमीन पर गिर जाता है तब उस फूल के प्रति किसी भौरे का ध्यान नहीं जाता है। क्योंकि उस फूल में पहले जैसी सुगंध एवं मधु नहीं बचती और भौरे भी जमीन पर गिरी मुरझाए फूल का मधुपान नहीं करता है।
(उ) संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):
1. महादेवी वर्मा की साहित्यिक देन का उल्लेख करो।
उत्तर: काव्य के साथ कहानियाँ, रेखाचित्र, निबंध लिखे हैं। उन्हें ‘आधुनिक मीरा’ के नाम से भी पहचाना जाता है। महादेवी का हिंदी साहित्य को बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। रेखाचित्रों के माध्यम से महादेवी ने समाज जीवन के साथ भारत वर्ष की ग्रामीण जनता के दुख दर्द का चित्रण किया है।
2. खिले फूल के प्रति किस प्रकार सब आकर्षित होते हैं, पठित कविता के आधार पर वर्णन करो।
उत्तर: महादेवी वर्मा ने इस कविता के जरिए खिले फूल के प्रति पवन, चंद्रमा, भौरे तथा ओस की बूंदे किस प्रकार आकर्षित होते हैं उसका सुंदर वर्णन किया है। जब फूल कली की अवस्था में होती है तब पवन उसे अपने गोदी में लेकर झूलाता है, तथा उसके साथ खेलता है। इसके बाद जब पूर्ण रूप से विकसित होकर फूल खिलने लगता है तो उसकी शोभा बढ़ाने के लिए चंद्रमा अपनी रोशनी से उसे हंसाती है और पवन भी उसे सुलाने की कोशिश में पंखा बन जाता है। तो ओस की बूंदे मुक्त जल से फूल का श्रृंगार करती है।
3. पठित कविता के आधार पर मुरझाए फूल के साथ किए जाने वले बर्ताव का उल्लेख करो।
उत्तर: कवि कह रहे है कि जैसे फूल धरा पर विखरती हुए पड़े रहे, उसके पास चातक, भ्रमर कोई नहीं आते और वृक्ष भी फुल पर दुख नहीं करते है। एक दिन जिस पवन ने फूलको गोद में लिया था उस पवन ने आज तीव्र झोके से मुरझाया फुल को डाल से भूमि पर गिरा दिया।
4. पठित कविता के आधार पर दानी सुमन की भूमिका पर प्रकाश डालो।
उत्तर: सुमन यानी फूल हमेशा से सबका दिल जीतता आया है। उसने अपनी विशेषताओं से सब को खुश किया तथा अपना समस्त मधु दान करके हर एक भौरे का दिल जीता है। सब कुछ दान करने के बाद भी फूल कभी स्वार्थी नहीं होता। कवि के अनुसार इस संसार में विधाता ने सबको स्वार्थमय ही बनाया है। इसलिए कवि ने फूल को समझाते हुए कहा है कि जब दानी फूल की दशा पर किसी को रोना आता नहीं तो मनुष्य के लिए कौन रोएगा।
(ऊ) सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में):
1. कवयित्री महादेवी वर्मा का साहित्यिक परिचय प्रस्तुत करो।
उत्तर: कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म 1907 ई. को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था। छठी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही महादेवीजी का विवाह हुआ था, परन्तु वैवाहिक संबंध आगे बना नहीं रहा। आपने शिक्षा और साहित्य की सेवा में अपने को समर्पित कर दिया। प्रयाग विश्वविद्यालय से संस्कृत और दर्शन-शास्त्र के साथ बी.ए. करने के पश्चात् आपने 1933 ई. को संस्कृत में एम.ए. किया। इसके बाद उन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्राचार्या के रूप में अपने कर्म-जीवन का श्रीगणेश किया। महादेवी वर्मा ने जीवन भर शिक्षा और साहित्य की साधना की। 1987 ई. को आपका स्वर्गवास हुआ।महादेवी वर्माजी ने गद्य और पद्म दोनों शैलियों में सहित्य की रचना की है। उनकी प्रमुख काव्य-रचनाएँ हैं’नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’ और ‘यामा’। ‘पद्मश्री’ उपाधि से सम्मानित महादेवी वर्मा को ‘यामा’ काव्य-संकलन पर ‘ज्ञापपीठ’ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। उनकी गद्य- रचनाओं में ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘अतीत के चलचित्र’, ‘श्रृंखला की कड़ियाँ’ और ‘पथ के साथी’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। आपकी काव्य-भाषा संस्कृत-निष्ठ खड़ीबोली है, जो कोमलता, मधुरता, गेयता आदि गुणों से संपन्न है।
2. ‘मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में फूल के बारे में क्या-क्या कहा गया है?
उत्तर: कवित्री महादेवी वर्मा जी ने मुरझाया फूल शीर्षक कविता में फूल के बारे में विरहनुभूति भावनाओं को व्यक्तकर कहा है कि खिले हुए फूल को देख सभी आकर्षित होते हैं, पर जब वही फूल मुरझाकर जमीन पर गिर जाता है तो उसे कोई देखता तक नहीं। खिले हुए फूल के साथ पवन खेलता है, उसे हँसाता हैं, पंखा बनकर उसे सुलाने की कोशिश करता है। चंद्रमा अपनी रोशनी से हँसाती है तो ओस की बूंदें अपनी मुक्ता जाल से उसका श्रृंगार कर देती है। भोरे मधु पान करने के हेतु उसके चारों और मँडराने लगते हैं। माली प्यार से उसकी देखभाल करता है। लेकिन जब फूल मुरझाने लगता है तो उसे कोई नहीं देखना चाहता। जिस पवन ने उसे अपनी गोदी में लेकर खिलाया था, वही पवन फूल के मुरझा जाने के बाद अपनी तीव्र झोंकों से जमीन पर गिरा देता है और वृक्ष भी उसके खो जाने का गम नहीं मनाती। भौरे भी उसके पास मँडराने नहीं आते। अर्थात जिस फूल ने अपना समस्त दान कर सबको ख़ुशी दी, आज उसी फूल को कोई अपनाना नहीं चाहता। इसी बात पर कवि ने मुरझाए हुए फूल को दुखी न होने की सलाह दी है और कहाँ है कि इस संसार में भगवान ने सभी को स्वार्थमय ही बनाया है।
3. ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से कवयित्री ने मानव जीवन के संदर्भ में क्या संदेश दिया है?
उत्तर: कवि महादेवी वर्मा ने मुरझाए फूल कविता के माध्यम से फूल के साथ मानव जीवन की तुलना की है। जिस तरह कली से लेकर खिले फूल तक, फूल सबका ध्यान अपनी ओर खींचता है। मधु पान हेतु जिस तरह सभी भौरे उसकी चारों और मंडराने लगते हैं। ठीक उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में शैशव काल से युवा काल तक लोग एक दूसरे से मिलजुल कर रहते हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में एक दूसरे का साथ देते हैं। जब फूल मुरझाने लगता है तो उसके पास कोई नहीं आना चाहता और माली भी उसका देखभाल नहीं करना चाहता। कवियत्री ने इसी बात का उदाहरण देते हुए कहा है कि मानव जीवन में भी मुरझाए हुए फूल की तरह स्थिति आती है जब मनुष्य बुढ़ापे में कदम रखता है। बुढ़ापा छाते ही समाज या घरेलू सदस्यों का आदर कम होने लगता है। कवित्री ने इसी बात का संदेश ‘मुरझाया फूल’ कविता के माध्यम से दिया है।
4. पठित कविता के आधारप र फूल के जीवन और मानव जीवन की तुलना करो।
उत्तर: मुरझाया फूल’ शीर्षक कविता में महादेवी वर्मा ने फूल और मानव जीवन का सुन्दर चित्रण किया है। जिस प्रकार कली खिलकर नवयौवन को प्राप्त करते ही उसको चाहने वाले भी मिल जाते है। कोई उसका रुप सौन्दर्य का मधु पान के लिए आता है तो चन्द्रमा की चाँदनी अपनी स्निग्ध आँचल से उसका श्रृंगार करती। माली भी उसके खिलने तक उसका देखभाल करता पर यही फूल जब वृक्ष से अलग होकर पवन के झोंको से धरा पर बिखर जाता है तब कौन ध्यान देता है इस मुरझाए फूल पर। उसी प्रकार मानव जीवन भी यौवन में सबके लिए आकर्षण का केन्द्र रहता पर जीवन ढलते ही उसकी तरफ कोई नहीं देखता। यह प्रकृति का वास्तव नियम है।
(ई) प्रसंग सहित व्याख्या करो (लगभग 100 शब्दों में):
1. ‘स्निग्ध किरणें चंद्र की _______ श्रृंगारती थी सर्वदा।’
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-1 के अंतर्गत कवित्री महादेवी वर्मा जी द्वारा रचित कविता ‘मुरझाया फूल’ से लिया गया है। इस पंक्ति के जरिए कवियत्री यह कहना चाहती है कि खिले फूल की सौंदर्यता देख सभी मोहित हो जाते है और उसके साथ खेल कूद करने लगते है। उसी प्रकार चंद्रमा कि निर्मल किरणें उसे सदा हंसाती है और ओस की बूंदे मुक्ता जाल से उसका श्रृंगार करती है। अर्थात चंद्रमा और ओस की बूंदों के योगदान से फूलों की शोभा और भी बढ़ जाती है।
2. ‘कर रहा अठखेलियाँ या कभी क्या दयान में।’
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के ‘आलोक’ प्रथम भाग के महादेवी वर्मा रचित ‘मुरझाया फूल’ नामक कविता से ली गई है।
इन पंक्तियाँ में कवयित्री महादेवी वर्मा ने यह संसार की स्वार्थपरता के बारे में सुन्दर वर्णन किया है। यह संसार की विचित्रा लीला-भूमि है। मुरझाया फूल के प्रति अनादर को बातों पर एक गहरी प्रभाव पड़ा है। जब खिले फूल ने विश्व में सबको हृदय स्वर्श कर हर्षित किया है। किसी ने भी दोषी ठहराने का। है। इसलिए कवयित्री महादेवी वर्मा जी की ‘मुरझाया फूल’ कविता से सबको याद दिलाती है। राह नहीं दिखा सकता है। लेकिन आज इसी फूल का दुर्दशा को देखकर मुरझाए फूल का दुःख हुआ। यह संसार में किसी को रोना नहीं देखा। इस दुनिया में केवल सभी अपना स्वार्थ के लिए ही घुमना रहता है। इस ससांर के सभी को स्वार्थमय बना दिया। फूल की दशा पर किसी को भी चिंता नहीं है। इस स्वार्थमय संसार ने एक सामान्य पुष्प नही होने से ससांर का कुछ हानि नहीं पहुँचा हैयह घटना संसार में सर्वदा होता है।
3. ‘मत व्यथित हो पुष्प यहाँ करतार ने।’
उत्तर:प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘मुरझाया फूल’ कविता से ली गई है। यह कविता हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के ‘आलोक’ प्रथम भाग से सन्निविष्ट है और लेखक रहस्यवादी कवयित्री महादेवी वर्मा जी है।
इन पंक्तियों में कवयित्री महादेवी वर्मा ने खिले फूल के व्यथित रूप का वर्णन किया है। कली के खिलकर फूल बनने से लेकर मुरझाते हुए भूमि पर गिरने तक का आकर्षक होता है। कली और खिले फूल के प्रति सब आकर्षित होते हैं। यह संसार की स्वार्थपरता है, लेकिन इससे बेरवबर रहकर फूल अपना सर्वस्व दान करते हुए सबको हरषाता जाता है। पह संसार ने सबको लालची बना दिया है, जिसके कारण फूलों के साथ हुआ है। यह ससांर का नीतिपरक बन गया। कली के खिलकर फूल बनने से लेकर उसी समय पर जान बुझकर थौरे अपना स्वार्थ पूर्ण के लिए उस के पास आ जाता है। जब यही पूष्प धीरे-धीरे मुरझाने लगते है तो भ्रमर क्या हुआ, अपितु वृक्ष भी अश्रु की धारा बरसाती नहीं।
4. जब न तेरी ही दशा पर…. हमसे मनुज निस्सार को।’
उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक हिन्दी के ‘आलोक’ प्रथम भाग के महादेवी वर्मा रचित ‘मुरझाया फूल’ नामक कविता से ली गई है।
इन पंक्तियाँ में कवयित्री महादेवी वर्मा ने यह संसार की स्वार्थपरता के बारे में सुन्दर वर्णन किया है। यह संसार की विचित्रा लीला-भूमि है। मुरझाया फूल के प्रति अनादर को बातों पर एक गहरी प्रभाव पड़ा है। जब खिले फूल ने विश्व में सबको हृदय स्वर्श कर हर्षित किया है। किसी ने भी दोषी ठहराने का। है। इसलिए कवयित्री महादेवी वर्मा जी की ‘मुरझाया फूल’ कविता से सबको याद दिलाती है। राह नहीं दिखा सकता है। लेकिन आज इसी फूल का दुर्दशा को देखकर मुरझाए फूल का दुःख हुआ। यह संसार में किसी को रोना नहीं देखा। इस दुनिया में केवल सभी अपना स्वार्थ के लिए ही घुमना रहता है। इस ससांर के सभी को स्वार्थमय बना दिया। फूल की दशा पर किसी को भी चिंता नहीं है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान |
1. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग करो:
श्रीगणेश करना, आँखों का तारा, नौ दो ग्यारह होना, हवा से बातें करना, अंधे की लकड़ी, लकीर का फकीर होना।
उत्तर: (i) श्रीगणेश करना: (स्थापित करना) आज रघु ने अपने महल का आधारशिला का श्रीगणेश किया।
(ii) आँखों का तारा (प्यारा): मीना अपने माँ-बाप के आँखों का तारा हैं।
(iii) नौ-दो-ग्यारह होना (भाग जाना): पुलिस आने से पहले लड़के नौ दो ग्यारह हो गया।
(iv) हवा से बाते करना (बेकार बाते करना): आलसी होकर हवा से बात करने से लाभ क्या होगा।
(v) अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा): मीरा अपने नाना-नानी के अंधे की लकड़ी जैसी हैं।
(vi) लकीर का फकीर होना (पूरानी रीतिपर चलना): आजकल के दुनिया में लकीर का फकीर नही होना चाहिए।
2. निम्नांकित काव्य-पंक्तियों को गद्य-रूप में प्रस्तुत करो:
(क) खिल गया जब पूर्ण तू,
मंजूल सुकोमल फूल बन।
लुब्ध मधु के हेतु मँडराने
लगे, उड़ते भ्रमर॥
उत्तर: तू जब पूरा खिल गया सुंदर फूल होकर मधु पाइन के लिए भ्रमर उड़ने लगे।
(ख) जिस पवन ने अंक में
ले प्यार था तुझको किया।
तीव्र झोंके से सुला
उसने तुझे भू पर दिया॥
उत्तर: एकदिन हवा ने तुझे गोह में लिया था आज उसी हवा ने तुझे पेड़ से गिरा दिया।
3. लिंग-निर्धारण करो:
कली, शैशव, फूल, किरण, वायु, माली, कोमलता, सौरभ, दशा।
उत्तर: (i) कली – स्त्रीलिंग।
(ii) शैशव – पुंलिंग।
(iii) फुल – पुंलिंग।
(iv) किरण – स्त्रीलिंग।
(v) वायु – स्त्रीलिंग।
(vi) कोमलता – स्त्रीलिंग।
(vii) दशा – स्त्रीलिंग।
(viii) सौरभ – पुंलिंग।
(ix) माली – पुंलिंग।
4. वचन परिवर्तन करो:
भौंरा, किरणें, अठखेलियाँ, झोंके, चिड़िया, रेखाएँ, बात, कली।
उत्तर: (i) भौंरा – भौरे।
(ii) किरणें – किरण।
(iii) अठखेलियाँ – अठखेली।
(iv) झोंके – झोंका।
(v) चिड़िया – चिड़ियाँ।
(vi) रेखाएँ – रेखा।
(vii) बात – बातें।
(viii) कली – कलियाँ।
5. लिंग परिवर्तन करो:
कवयित्री, प्रियतम, पिता, पुरुष, प्राचार्या, माली, देव, मोरनी।
उत्तर: (i) कवयित्री – कवि।
(ii) प्रियतम – प्रियतमा।
(iii) पिता – माता।
(iv) पुरुष – महिला।
(v) प्राचार्या – प्राचार्य।
(vi) माली – मालीन।
(vii) देव – देवी।
(viii) मोरनी – मोर।
6. कार शब्दांश के पूर्व आ, वि, प्र, उप, अप और प्रति उपसर्ग जोड़ कर शब्द बनाओ तथा उन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर: (i) अ + कार = अकार।
(ii) वि + कार = विकार।
(iii) प्र + कार = प्रकार।
(iv) उप + कार = उपकार।
(v) अप + कार = अपकार।
(vi) प्रति + कार = प्रतिकार।
योग्यता-विस्तार |
1. हाव-भाव के साथ प्रस्तुत कविता का पाठ करो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
2. कवि माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक निम्नोक्त कविता को पढ़ो और अपने गुरुजी की सहायता से इसके संदेश को समझने का प्रयास करो:
‘चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँगा जाऊँ। चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ ॥
चाहा नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि, डाला जाऊँ।। चाह नहीं, देवों के सिर पर चढ़ें, भाग्य पर इठलाऊँ ॥ मुझे तोड़ लेना बनमाली। उस पथ पर तुम देना फेंक। मातृ-भूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक॥’
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
3. ‘सो रहा अब तू धरा पर शुष्क बिखराया हुआ गंध, कोमलता, नहीं मुख-मंजु मुरझाया हुआ॥’
रेखांकित काव्य-पंक्ति में आए अलंकार के बारे में अपने-अपने शिक्षक से जान लो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
4. कवयित्री महादेवी वर्मा द्वारा रचित किसी अन्य कविता का संग्रह करके कक्षा में सुनाओ।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
5. प्रकृति से संबंधित किसी विषय पर कविता लिखकर अपने सहपाठियों के साथ चर्चा करो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
शब्दार्थ एवं टिप्पणी |
शब्द | अर्थ |
शैशव | |
सुमन | |
अंक | |
मंजुव | |
लुब्ध | |
भ्रमर | |
स्निग्ध | |
मुक्ता | |
श्रृंगारती थी | |
सदा सर्वदा | |
निद्रा | |
विवश | |
अठखेलियाँ | |
अठखेली |
उत्तर:
शब्द | अर्थ |
शैशव | बचपन |
सुमन | फूल, पुष्प |
अंक | गोद |
मंजुव | मनोहर, सुंदर |
लुब्ध | पूरी तरह लुभाया हुआ, मोहित, लालची |
भ्रमर | भौरा |
स्निग्ध | निर्मल |
मुक्ता | मोती |
श्रृंगारती थी | श्रृंगार करती थी |
सदा सर्वदा | हमेशा |
निद्रा | नींद |
विवश | बाध्य, मजबूर |
अठखेलियाँ अठखेली | चपलता, चुलबुलापन |
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