NCERT Class 9 Social Science Loktantrik Rajniti Chapter 3 चुनावी राजनीति

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NCERT Class 9 Social Science Loktantrik Rajniti Chapter 3 चुनावी राजनीति

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Chapter: 3

लोकतांत्रिक राजनीति-१
प्रश्नावली:

1. चुनाव क्यों होते हैं, इस बारे में इनमें से कौन-सा वाक्य ठीक नहीं है?

(क) चुनाव लोगों को सरकार के कामकाज का फ़ैसला करने का अवसर देते हैं।

(ख) लोग चुनाव में अपनी पसंद के उम्मीदवार का चुनाव करते हैं।

(ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

(घ) लोग चुनाव से अपनी पसंद की नीतियाँ बना सकते हैं।

उत्तर: (ग) चुनाव लोगों को न्यायपालिका के कामकाज का मूल्यांकन करने का अवसर देते हैं।

कारण: विधायिका और कार्यपालिका के गठन के लिए होते हैं। बल्कि सरकार और उसके कामकाज के लिए जनप्रतिनिधियों को चुनने का माध्यम हैं। लेकिन न्यायपालिका का मूल्यांकन चुनाव का उद्देश्य नहीं होता।

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2. भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं, यह बताने के लिए इनमें कौन-सा वाक्य सही कारण नहीं देता?

(क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

(ख) भारत में चुनाव आयोग काफ़ी शक्तिशाली है।”

(ग) भारत में 18 वर्ष से अधिक उम्र का हर व्यक्ति मतदाता है।

(घ) भारत में चुनाव हारने वाली पार्टियाँ जनादेश स्वीकार कर लेती हैं।

उत्तर: (क) भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा मतदाता हैं।

कारण: यह तथ्य भारत के चुनावों के बड़े पैमाने को दर्शाता है, लेकिन यह यह साबित नहीं करता कि भारत के चुनाव लोकतांत्रिक हैं। लोकतांत्रिकता का प्रमाण स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव, मताधिकार और जनादेश का सम्मान जैसे कारणों से मिलता है।

3. निम्नलिखित में मेल ढूँढ़ें:

(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
(ख) कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु-जाति और अनु-जनजाति के लिए आरक्षित हैं2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि 3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि4. संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।

उत्तर: 

(क) समय-समय पर मतदाता सूची का नवीनीकरण आवश्यक है ताकि4. संभव है कुछ लोग उस जगह से अलग चले गए हों जहाँ उन्होंने पिछले चुनाव में मतदान किया था।
(ख) कुछ निर्वाचन-क्षेत्र अनु-जाति और अनु-जनजाति के लिए आरक्षित हैं1. समाज के हर तबके का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके।
(ग) प्रत्येक को सिर्फ एक वोट डालने का हक है ताकि 2. हर एक को अपना प्रतिनिधि चुनने का समान अवसर मिले।
(घ) सत्ताधारी दल को सरकारी वाहन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं क्योंकि3. हर उम्मीदवार को चुनावों में लड़ने का समान अवसर मिले।

4. इस अध्याय में वर्णित चुनाव संबंधी सभी गतिविधियों की सूची बनाएँ और इन्हें चुनाव में सबसे पहले किए जाने वाले काम से लेकर आखिर तक के क्रम में सजाएँ। इनमें से कुछ मामले हैं:

चुनाव घोषणा पत्र जारी करना, वोटों की गिनती, मतदाता सूची बनाना, चुनाव अभियान, चुनाव नतीजों की घोषणा, मतदान, पुनर्मतदान के आदेश, चुनाव प्रक्रिया की घोषणा, नामांकन दाखिल करना।

उत्तर: चुनाव से संबंधित गतिविधियाँ और उनका सही क्रम इस प्रकार है:

1. चुनाव प्रक्रिया की घोषणा।

2. मतदाता सूची बनाना।

3. चुनाव घोषणा पत्र जारी करना।

4. नामांकन दाखिल करना।

5. चुनाव अभियान।

6. मतदान।

7. पुनर्मतदान के आदेश।

8. वोटों की गिनती।

9. चुनाव नतीजों की घोषणा।

5. सुरेखा एक राज्य विधानसभा क्षेत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने वाली अधिकारी है। चुनाव के इन चरणों में उसे किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए?

(क) चुनाव प्रचार।

उत्तर: चुनाव प्रचार:

1. राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को आचार संहिता का पालन कराना।

2. प्रचार के दौरान किसी भी तरह के अनुचित साधनों (जैसे पैसा या हिंसा का उपयोग) पर नजर रखना।

3. चुनाव प्रचार समाप्ति की समय-सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना।

4. शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष निपटारा।

(ख) मतदान के दिन।

उत्तर: मतदान के दिन:

1. मतदान केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना।

2. मतदाता सूची के अनुसार सभी पात्र मतदाताओं को मतदान का अधिकार देना।

3. ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) मशीनों की सही स्थिति सुनिश्चित करना।

4. बूथ कैप्चरिंग और फर्जी मतदान जैसी घटनाओं को रोकने के लिए सतर्क रहना।

5. शारीरिक रूप से अक्षम और वृद्ध मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्था।

(ग) मतगणना के दिन।

उत्तर: मतगणना के दिन:

1. मतगणना केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना।

2. प्रत्येक चरण की गिनती के दौरान पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना।

3. उम्मीदवारों और उनके एजेंटों की उपस्थिति में वोटों की गिनती कराना।

4. किसी विवाद की स्थिति में तत्काल और निष्पक्ष निर्णय लेना।

5. अंतिम नतीजों की सही और समय पर घोषणा।

6. नीचे दी गई तालिका बताती है कि अमेरिकी कांग्रेस के चुनावों के विजयी उम्मीदवारों में अमेरिकी समाज के विभिन्न समुदाय के सदस्यों का क्या अनुपात था। ये किस अनुपात में जीते इसकी तुलना अमेरिकी समाज में इन समुदायों की आबादी के अनुपात से कीजिए। इसके आधार पर क्या आप अमेरिकी संसद के चुनाव में भी आरक्षण का सुझाव देंगे? अगर हाँ तो क्यों और किस समुदाय के लिए? अगर नहीं, तो क्यों?

समुदाय का प्रतिनिधित्व (प्रतिशत में)

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा मेंअमेरिकी समाज में
अश्वेत813
हिस्पैनिक513
श्वेत8670

उत्तर: 

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा मेंअमेरिकी समाज में
अश्वेत813
हिस्पैनिक513
श्वेत8670

उपरोक्त तालिका के आधार पर हिस्पैनिक समुदाय के लिए आरक्षण एक अच्छा विचार है। उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।

7. क्या हम इस अध्याय में दी गई सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल सकते हैं? इनमें से सभी पर अपनी राय के पक्ष में दो तथ्य प्रस्तुत कीजिए।

(क) भारत के चुनाव आयोग को देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करा सकने लायक पर्याप्त अधिकार नहीं हैं।

उत्तर: नहीं, यह सही नहीं है। वास्तव में, चुनाव आयोग भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पूरी तरह सक्षम और शक्तिशाली है। यह चुनाव आचार संहिता को सख्ती से लागू करता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों या दलों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी सीधे चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं, न कि सरकार के।

(ख) हमारे देश के चुनाव में लोगों की जबर्दस्त भागीदारी होती है।

उत्तर: हाँ, यह सही है। भारत में चुनावों में जनता की भागीदारी मतदान प्रतिशत से स्पष्ट होती है। यह प्रतिशत दर्शाता है कि योग्य मतदाताओं में से कितने लोगों ने वास्तव में मतदान किया। पिछले 50 वर्षों में भारत में मतदान प्रतिशत या तो स्थिर रहा है या बढ़ा है। आम लोग चुनावों को अत्यधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं। उनका विश्वास है कि चुनावों के माध्यम से वे राजनीतिक दलों पर अपनी पसंद की नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने का दबाव बना सकते हैं। उन्हें यह भी लगता है कि उनके वोट से देश के शासन-संचालन पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

(ग) सत्ताधारी पार्टी के लिए चुनाव जीतना बहुत आसान होता है।

उत्तर: नहीं, यह सही नहीं है। सत्ताधारी दलों के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होता। भारत में सत्ता-विरोधी लहर (anti-incumbency) एक आम परिघटना है, जिसके कारण सत्ताधारी दल अक्सर चुनाव हार जाते हैं। इसके अलावा, अधिक पैसा खर्च करने वाले उम्मीदवार भी हमेशा जीतते नहीं हैं; कई बार ऐसे उम्मीदवार चुनाव में हार जाते हैं।

(घ) अपने चुनावों को पूरी तरह से निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाने के लिए कई कदम उठाने ज़रूरी हैं।

उत्तर: हाँ, यह सही है। चुनाव प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ दल और उम्मीदवार, जिनके पास अधिक धनबल है, चुनाव में अनुचित लाभ प्राप्त कर लेते हैं। साथ ही, देश के कुछ क्षेत्रों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति अन्य उम्मीदवारों को पीछे छोड़कर मुख्य दलों से चुनावी टिकट हासिल करने में सफल हो जाते हैं। यह चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित करता है, जिसे सुधारने के लिए कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत है।

8. चिनप्पा को दहेज के लिए अपनी पत्नी को परेशान करने के ज़ुर्म में सज़ा मिली थी। सतबीर को छुआछूत मानने का दोषी माना गया था। दोनों को अदालत ने चुनाव लड़ने की इजाज़त नहीं दी। क्या यह फ़ैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ़ जाता है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर: यह फ़ैसला लोकतांत्रिक चुनावों के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ नहीं जाता है क्योंकि लोकतंत्र में प्रत्याशियों से नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी की अपेक्षा की जाती है। दहेज उत्पीड़न और छुआछूत जैसे अपराध संविधान और समाज के मूल्यों के खिलाफ हैं। ऐसे व्यक्तियों को चुनाव लड़ने देना संविधान के मौलिक अधिकारों, विशेष रूप से समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध होगा। भारतीय संविधान और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम अपराधियों को चुनाव से अयोग्य ठहराने की अनुमति देते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो कि प्रतिनिधि कानून का सम्मान करने वाले और नैतिक रूप से अनुकरणीय हों। जनता के प्रतिनिधि का चयन सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, और अपराधियों को चुनाव लड़ने देना समाज में गलत संदेश भेज सकता है। इसलिए, यह फ़ैसला लोकतंत्र की नैतिकता और कानून के पालन की आवश्यकताओं को बनाए रखने के लिए उपयुक्त है।

9. यहाँ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चुनावी गड़बड़ियों की कुछ रिपोर्टें दी गई हैं। क्या ये देश अपने यहाँ के चुनावों में सुधार के लिए भारत से कुछ बातें सीख सकते हैं? प्रत्येक मामले में आप क्या सुझाव देंगे?

(क) नाइजीरिया के एक चुनाव में मतगणना अधिकारी ने जान-बूझकर एक उम्मीदवार को मिले वोटों की संख्या बढ़ा दी और उसे जीता हुआ घोषित कर दिया। बाद में अदालत ने पाया कि दूसरे उम्मीदवार को मिले पाँच लाख वोटों को उस उम्मीदवार के पक्ष में दर्ज कर लिया गया था।

उत्तर: इस मामले में प्रत्येक उम्मीदवार का प्रतिनिधि गिनती स्थल पर मौजूद होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वोटों की गिनती निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो रही है।

(ख) फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गई थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी।

उत्तर: चुनाव आयोग को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और ऐसे पर्चे बांटने वाले दल या उम्मीदवार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जिसमें उनकी उम्मीदवारी रद्द करना भी शामिल हो सकता है।

(ग) अमेरिका के हर प्रांत में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 के चुनाव में फ्लोरिडा प्रांत के अधिकारियों ने जॉर्ज बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फ़ैसले लिए पर उनके फ़ैसले को कोई भी नहीं बदल सका।

उत्तर: चुनाव आयोग को पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए, जो किसी भी राजनैतिक प्रभाव से मुक्त रहकर पूरे देश में चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाए।

10. भारत में चुनावी गड़बड़ियों से संबधित कुछ रिपोर्टें यहाँ दी गई हैं। प्रत्येक मामले में समस्या की पहचान कीजिए। इन्हें दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है?

(क) चुनाव की घोषणा होते ही मंत्री महोदय ने बंद पड़ी चीनी मिल को दोबारा खोलने के लिए वित्तीय सहायता देने की घोषणा की।

उत्तर: चीनी मिल को आर्थिक सहायता देने का वादा करते हुए मंत्री महोदय ने एक नीतिगत निर्णय की घोषणा की है, जो चुनावों की घोषणा के बाद आचार संहिता का उल्लंघन है। चुनाव घोषित होने के बाद नीतिगत निर्णयों की घोषणा करना उचित नहीं है। ऐसे में मंत्री को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

(ख) विपक्षी दलों का आरोप था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी पर उनके बयानों और चुनाव अभियान को उचित जगह नहीं मिली।

उत्तर: विपक्षी दलों के बयानों और चुनाव अभियान को दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर पर्याप्त स्थान न देकर सरकार ने अपने पद का दुरुपयोग किया है। इसके समाधान के रूप में विपक्षी दलों को राष्ट्रीय मीडिया में समान और पर्याप्त समय प्रदान किया जाना चाहिए।

(ग) चुनाव आयोग की जाँच से एक राज्य की मतदाता सूची में 20 लाख फर्ज़ी मतदाताओं के नाम मिले।

उत्तर: फर्ज़ी मतदाताओं की उपस्थिति यह दर्शाती है कि मतदाता सूची तैयार करने में गंभीर खामियां हुई हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका बढ़ जाती है। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी और सत्यापन की कड़ी निगरानी करनी चाहिए।

(घ) एक राजनैतिक दल के गुंडे बंदूकों के साथ घूम रहे थे, दूसरी पार्टियों के लोगों को मतदान में भाग लेने से रोक रहे थे और दूसरी पार्टी की चुनावी सभाओं पर हमले कर रहे थे।

उत्तर: राजनैतिक दलों द्वारा गुंडों का उपयोग कर प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने की घटनाएं गंभीर हैं। चुनाव आयोग को ऐसे हथियारबंद व्यक्तियों की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश देना चाहिए और संबंधित दलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें चुनाव प्रक्रिया से अयोग्य घोषित करना चाहिए।

11. जब यह अध्याय पढ़ाया जा रहा था तो रमेश कक्षा में नहीं आ पाया था। अगले दिन कक्षा में आने के बाद उसने अपने पिताजी से सुनी बातों को दोहराया। क्या आप रमेश को बता सकते हैं कि उसके इन बयानों में क्या गड़बड़ी है?

(क) औरतें उसी तरह वोट देती हैं जैसा पुरुष उनसे कहते हैं इसलिए उनको मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है।

उत्तर: यह कथन पूरी तरह से गलत और भेदभावपूर्ण है। महिलाओं को भी पुरुषों के समान स्वतंत्र विचार और निर्णय लेने का अधिकार है। भारतीय संविधान ने 1950 से ही महिलाओं और पुरुषों को समान मताधिकार प्रदान किया है, जो लोकतंत्र की मूल भावना है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी और उनके मताधिकार का सम्मान लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करता है।

(ख) पार्टी-पॉलिटिक्स से समाज में तनाव पैदा होता है। चुनाव में सबकी सहमति वाला फ़ैसला होना चाहिए, प्रतिद्वंद्विता नहीं होनी चाहिए।

उत्तर: यह सच है कि दलगत राजनीति समाज में तनाव का कारण बन सकती है, लेकिन यह कहना उचित नहीं है कि चुनाव में केवल सबकी सहमति से निर्णय लिए जाने चाहिए। राजनीति में प्रतिद्वंद्विता एक सकारात्मक पहलू हो सकती है, क्योंकि यह नेताओं को जनता के हित में काम करने के लिए प्रेरित करती है। भले ही सभी राजनेता पूरी तरह ईमानदार न हों, लेकिन उन्हें यह समझ होता है कि जनता का विश्वास जीतने और निर्वाचित होने के लिए उन्हें अपने वादों को पूरा करना होगा। इस प्रकार, राजनीतिक प्रतिस्पर्धा लोकतंत्र को अधिक प्रभावी और उत्तरदायी बनाती है।

(ग) सिर्फ स्नातकों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए।

उत्तर: यह कथन गैर-लोकतांत्रिक है। चुनाव लड़ने का अधिकार हर नागरिक को है, भले ही उसकी शैक्षिक योग्यता कुछ भी हो। लोकतंत्र समानता का सिद्धांत अपनाता है, और किसी व्यक्ति को उसकी शिक्षा के आधार पर चुनाव लड़ने से रोकना संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन होगा। इसके अलावा, जनप्रतिनिधि का चयन जनता के निर्णय पर निर्भर करता है, न कि उनकी शैक्षिक योग्यता पर।

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