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NCERT Class 9 Social Science Loktantrik Rajniti Chapter 2 संविधान निर्माण
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संविधान निर्माण
Chapter: 2
लोकतांत्रिक राजनीति-१ |
प्रश्नावली: |
1. नीचे कुछ गलत वाक्य दिए गए हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
(क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
उत्तर: स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक होगा या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
उत्तर: भारतीय संविधान सभा के अधिकांश सदस्य संविधान में कही गई बातों पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
उत्तर: जिन देशों में संविधान है, वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था होना आवश्यक नहीं है।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर: संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, लेकिन इसमें बदलाव किया जा सकता है।
2. दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में, इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्वपूर्ण थाः
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का।
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का।
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का।
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का।
उत्तर: (ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का।
3. लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन प्रमुख के अधिकार।
(ख) शासन प्रमुख का नाम।
(ग) विधायिका के अधिकार।
(घ) देश का नाम।
उत्तर: (ख) शासन प्रमुख का नाम।
4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ:
नेताए | भूमिका |
(क) मोतीलाल नेहरू | 1. संविधान सभा के अध्यक्ष |
(ख) बी. आर. अंबेडकर | 2. संविधान सभा की सदस्य |
(ग) राजेंद्र प्रसाद | 3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष |
(घ) सरोजिनी | 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया |
उत्तर:
नेताए | भूमिका |
(क) मोतीलाल नेहरू | 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया |
(ख) बी. आर. अंबेडकर | 3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष |
(ग) राजेंद्र प्रसाद | 1. संविधान सभा के अध्यक्ष |
(घ) सरोजिनी | 2. संविधान सभा की सदस्य |
5. जवाहर लाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें:
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
उत्तर: नेहरू का मानना था कि अब वह समय आ गया है जब हम अपने आपको न केवल भारत की, बल्कि पूरी मानवता की सेवा के लिए समर्पित करें। उनका विचार था कि स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारियाँ आती हैं, और अब आराम करने का समय नहीं, बल्कि उन जिम्मेदारियों को निभाने का है।
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?
उत्तर: नए भारत के सपने संविधान सभा के माध्यम से विश्व से जुड़े हैं, क्योंकि स्वतंत्रता और सत्ता अपने साथ जिम्मेदारियाँ लाती हैं। इन जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाना संविधान सभा का कर्तव्य है, ताकि भारत विश्व पटल पर शांति और सहयोग का उदाहरण बन सके।
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
उत्तर: नेहरू चाहते थे कि संविधान निर्माता यह शपथ लें कि वे भारत की सेवा करेंगे और इसके नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और कल्याण को प्राथमिकता देंगे। उनके लिए यह एक ऐसा मिशन था जो केवल संविधान बनाने तक सीमित नहीं था, बल्कि एक सशक्त और न्यायपूर्ण भारत के निर्माण से जुड़ा था।
(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है।” वे इस कथन में किसका जिक्र कर रहे थे?
उत्तर: “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है।” इस कथन में नेहरू महात्मा गांधी का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने गांधीजी को करुणा और मानवता के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया और उन्हें भारत के पुनर्निर्माण के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
6. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु | 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
(ख) गणतंत्र | 2. फ़ैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
(ग) बंधुत्व | 3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है। |
(घ). धर्मनिरपेक्ष | 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए। |
उत्तर:
(क) संप्रभु | 2. फ़ैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है। |
(ख) गणतंत्र | 3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है। |
(ग) बंधुत्व | 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए। |
(घ) धर्मनिरपेक्ष | 1. सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी। |
7. कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज़्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की मांग कर रही थीं। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
उत्तर: प्रिय मित्र,
आपका पत्र प्राप्त हुआ और नेपाल की राजनैतिक स्थिति के बारे में जानकर विचार करने का अवसर मिला। आपकी बातों से यह स्पष्ट है कि वहाँ राजनीतिक परिवर्तन की एक लहर चल रही है, और जनता के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए जा रहे हैं।
मुझे लगता है कि इस समय नेपाल के नागरिकों की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। यदि मौजूदा संविधान में संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को अधिक अधिकार दिए जा सकते हैं और जनता की अपेक्षाएँ पूरी हो सकती हैं, तो यह विकल्प समय और संसाधन की बचत कर सकता है। हालांकि, अगर मौजूदा संविधान जनता के अधिकारों और उनके स्वशासन की इच्छाओं को पूरी तरह प्रतिबिंबित नहीं करता, तो नई संविधान सभा का गठन भी एक सही कदम हो सकता है।
यह निर्णय पूरी तरह जनता की इच्छाओं पर आधारित होना चाहिए। मेरे विचार में, एक ऐसा संविधान, जो जनता के मूल अधिकारों, समानता और न्याय को सुरक्षित करता हो, सबसे उपयुक्त होगा। नेपाल को एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ना चाहिए, जहाँ सभी राजनीतिक दल आपसी सहमति से राष्ट्रहित में काम करें।
आपकी जानकारी से यह भी लगता है कि यह केवल राजनैतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता के सपनों और उनके भविष्य से जुड़ा विषय है। मैं आशा करता हूँ कि नेपाल जल्द ही स्थिरता और समृद्धि की ओर बढ़ेगा।
आपसे आग्रह है कि इस विषय में अपने विचार साझा करें।
आपका मित्र,
[आपका नाम]
8. भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्त्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज़ शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकत्तांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
उत्तर: अंग्रेज़ शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
यह कथन आंशिक रूप से सही है, लेकिन इसे मुख्य कारण नहीं माना जा सकता। ब्रिटिश शासन का उद्देश्य भारत में लोकतंत्र स्थापित करना नहीं, बल्कि अपने उपनिवेश का प्रबंधन करना था। हालांकि, प्रांतीय असेंबलियों और परिषदों ने भारतीय नेताओं को संसदीय प्रक्रिया और लोकतांत्रिक व्यवस्था के सिद्धांतों का अनुभव दिया। इसने भारत को स्वतंत्रता के बाद लोकतांत्रिक संस्थाओं को लागू करने में मदद की, लेकिन यह कहना कि यह “उपहार” था, सही नहीं होगा।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आज़ादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
उत्तर: हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था। यह कथन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। स्वतंत्रता संग्राम ने भारत के लोगों को अपने अधिकारों, समानता और स्वतंत्रता के महत्व को समझाया। भारत की आज़ादी केवल विदेशी शासन से मुक्ति नहीं थी, बल्कि यह एक ऐसा अवसर था जिसमें स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुनिश्चित करना आवश्यक था। स्वतंत्रता संग्राम ने लोकतांत्रिक चेतना और नागरिक अधिकारों की समझ विकसित की, जो भारत में लोकतंत्र की आधारशिला बनी।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
उत्तर: यह सबसे प्रासंगिक और निर्णायक कारण है। भारत के राष्ट्रवादी नेताओं, जैसे महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, डॉ. अंबेडकर आदि ने लोकतंत्र को न केवल एक शासन प्रणाली के रूप में देखा, बल्कि इसे एक आदर्श के रूप में अपनाया। इन नेताओं ने संविधान का निर्माण करते समय यह सुनिश्चित किया कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय मिले। अन्य नव स्वतंत्र देशों में तानाशाही और सैन्य शासन का उदय इस बात को और अधिक रेखांकित करता है कि भारत में लोकतंत्र की सफलता हमारे नेताओं की सोच और दृष्टिकोण की वजह से ही संभव हुई।
9. 1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण’ पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें:
“ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है। उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है-कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।” क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
उत्तर: यह अनुच्छेद संविधान के दर्शन और उसके मूल्यों के खिलाफ है। भारतीय संविधान समानता, स्वतंत्रता और लैंगिक समानता जैसे मूलभूत अधिकारों को प्राथमिकता देता है।
1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14): संविधान हर व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण का अधिकार देता है। अनुच्छेद में स्त्री और पुरुष के बीच भेदभाव का समर्थन किया गया है, जो इस अधिकार का उल्लंघन करता है।
2. लैंगिक समानता (अनुच्छेद 15): संविधान राज्य को लैंगिक आधार पर भेदभाव करने से रोकता है। अनुच्छेद में औरतों को ‘नाजुक’ और ‘पुरुषों पर निर्भर’ बताया गया है, जो लैंगिक समानता के विरुद्ध है।
3. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21): संविधान हर व्यक्ति को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार देता है। इस अंश में महिलाओं को पुरुषों की ‘सेवा में समर्पित’ होने की बात कही गई है, जो उनके स्वतंत्र अस्तित्व और सम्मान के अधिकार को नकारता है।
10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत है? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
उत्तर: मैं इससे सहमत नहीं हूँ, संविधान को सर्वोच्च कानून माना जाता है। इसका स्थान अन्य सामान्य कानूनों से ऊपर है। यदि किसी सामान्य कानून का कोई प्रावधान संविधान के विपरीत पाया जाता है, तो वह असंवैधानिक घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार, संविधान की हैसियत अन्य कानूनों से ऊंची है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
उत्तर: मैं इससे सहमत हूँ, संविधान शासन व्यवस्था के तीन मुख्य अंगों—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका—के गठन और उनके कार्यों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है। यह अंगों के बीच शक्तियों का विभाजन और संतुलन सुनिश्चित करता है।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
उत्तर: मैं इससे सहमत हूँ, भारतीय संविधान में मूल अधिकारों के माध्यम से नागरिकों के अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं और सरकार की शक्ति पर सीमाएं लगाई गई हैं। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है, और अनुच्छेद 21 जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
उत्तर: मैं इससे सहमत नहीं हूँ, संविधान न केवल संस्थाओं की संरचना और प्रक्रिया को परिभाषित करता है, बल्कि इसके मूल में संवैधानिक मूल्य भी हैं। संविधान की प्रस्तावना में समता, स्वतंत्रता, न्याय, और बंधुत्व जैसे आदर्श उल्लिखित हैं, जो संविधान के मूल दर्शन को व्यक्त करते हैं। इन मूल्यों का पालन प्रत्येक संस्था और कानून को करना अनिवार्य है।