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NCERT Class 8 Social Science Samajik Aur Rajnitik Jeevan Chapter 1 भारतीय संविधान
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भारतीय संविधान
Chapter: 1
सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-III
इकाई एक भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता
अभ्यास
1. किसी लोकतांत्रिक देश को संविधान की ज़रूरत क्यों पड़ती है?
उत्तर: लोकतांत्रिक देश को संविधान की ज़रूरत इसलिए पड़ती है क्योंकि यह देश के संचालन के लिए एक प्रत्यक्ष ढांचा और दिशा प्रदान करता है। संविधान न केवल नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है। सरकार की ताकत और सीमाओं को भी परिभाषित करता है। यह सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, और न्याय की गारंटी देता है। संविधान यह सुनिश्चित करता है कि सरकार कानून के दायरे में काम करे और किसी भी व्यक्ति या संस्था को मनमाने ढंग से काम करने से रोका जा सके। इसके बिना, देश में अराजकता फैल सकती है और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।
2. नीचे दिए गए दो दस्तावेज़ों के हिस्सों को देखिए। पहला कॉलम 1990 का नेपाल के संविधान का है। दूसरा कॉलम नेपाल के ताज़ा संविधान में से लिया गया है।
1990 का नेपाल का संविधान भाग-7: कार्यपालिका | 2015 का नेपाल का सविधान भाग-7: संघीय कार्यपालिका |
अनुच्छेद 35: कार्यकारी शक्तियाँ नेपाल अधिराज्य की कार्यकारी शक्तियाँ महामहिम नरेश एवं मंत्रिपरिषद् में निहित होंगी। | अनुच्छेद 75: कार्यकारी शक्तियाँ नेपाल की कार्यकारी शक्तियाँ, संविधान और कानून के अनुसार मंत्रिपरिषद् में निहित होंगी। |
नेपाल के इन दोनों संविधानों में ‘कार्यकारी शक्ति’ के उपयोग में क्या फ़र्क दिखाई देता है? इस बात को ध्यान में रखते हुए क्या आपको लगता है कि नेपाल को एक नए संविधान की ज़रूरत है? क्यों?
उत्तर: (i) 1990 के संविधान में कार्यकारी शक्तियाँ राजा के हाथ में केंद्रित हैं, जबकि 2007 के अंत संविधान में सत्ता की कार्यकारी शक्तियाँ मंत्रिपरिषद के हाथ में रहेगी।
(ii) हाँ, नेपाल को नए संविधान की ज़रूरत है, क्योंकि 1990 के संविधान में वे आदर्श निहित नही है। जो नेपाल की जनता चाहती है।
पहले उदाहरण में कार्यकारी शक्ति राजा और मंत्रिपरिषद के बीच साझा की जाती है। लेकिन दूसरे उदाहरण में कार्यकारी शक्ति मंत्रिपरिषद का एकमात्र अधिकार बन गया है। नेपाल राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। नेपाल के सफल संक्रमण को सुनिश्चित करने के लिए सरकारी प्रणाली में कई बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए देश को संविधान के रूप में नियमों और विनियमों के बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।
3. अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों की शक्ति पर कोई अंकुश न होता तो क्या होता?
उत्तर: अगर चुने हुए प्रतिनिधियों की शक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा तो नेता अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं। संविधान हमारे राजनीतिक नेताओं द्वारा सत्ता के इस दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। संविधान ऐसे नियम निर्धारित करता है जो नागरिकों को सत्ता के दुरुपयोग से बचाते हैं।
4. निम्नलिखित स्थितियों में अल्पसंख्यक कौन हैं? इन स्थितियों में अल्पसंख्यकों के विचारों का सम्मान करना क्यों महत्त्वपूर्ण है। इसका एक-एक कारण बताइए।
(क) एक स्कूल में 30 शिक्षक हैं और उनमें से 20 पुरुष हैं।
उत्तर: एक स्कूल में 30 शिक्षक हैं और उनमें से 20 पुरुष हैं।
अल्पसंख्यक: क्योंकि केवल 10 शिक्षक महिलाएँ हैं।
(i) महिलाओं के विचारों का सम्मान करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देती है और कार्यस्थल पर महिला अधिकारों की रक्षा करती है।
(ख) एक शहर में 5 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं।
उत्तर: एक शहर में 5 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं।
अल्पसंख्यक: बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग।
(i) बौद्ध धर्म के अनुयायियों के विचारों का सम्मान करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि बौद्ध धार्मिक विविधता और सहिष्णुता को प्रोत्साहित करता है।
(ग) एक कारखाने के भोजनालय में 80 प्रतिशत कर्मचारी शाकाहारी हैं।
उत्तर: एक कारखाने के भोजनालय में 80 प्रतिशत कर्मचारी शाकाहारी हैं।
अल्पसंख्यक: मांसाहारी कर्मचारी।
(i) मांसाहारी कर्मचारियों के विचारों का सम्मान करना इसलिए महत्त्वपूर्ण है ताकि विविध आहार प्राथमिकताओं का सम्मान किया जाए और समग्र कार्य वातावरण में सामंजस्य बना रहे।
(घ) 50 विद्यार्थियों की कक्षा में 40 विद्यार्थी संपन्न परिवारों से हैं।
उत्तर: 50 विद्यार्थियों की कक्षा में 40 विद्यार्थी संपन्न परिवारों से हैं।
अल्पसंख्यक: गरीब या मध्यम वर्गीय परिवारों के विद्यार्थी।
(i) गरीब विद्यार्थियों के विचारों का सम्मान करना आवश्यक है ताकि सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके और उन्हें बेहतर अवसर मिल सकें।
5. नीचे दिए गए बाएँ कॉलम में भारतीय संविधान के मुख्य आयामों की सूची दी गई है। दूसरे कॉलम में प्रत्येक आयाम के सामने दो वाक्यों में लिखिए कि आपकी राय में यह आयाम क्यों महत्त्वपूर्ण है-
मुख्य आयाम | महत्त्व |
संघवाद | |
शक्तियों का बँटवारा | |
मौलिक अधिकार | |
संसदीय शासन पद्धति |
उत्तर:
मुख्य आयाम | महत्त्व |
संघवाद | सभी राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों को मानना पड़ता है। कार्यक्षेत्र की स्पष्टता के लिए संविधान में कुछ सूचियाँ दी गई हैं जिनमें बताया गया है कि कौन से स्तर की सरकार किन मुद्दों पर कानून बना सकती है। इसके साथ संविधान यह भी तय करता है कि प्रत्येक स्तर की सरकार अपने कार्यों के लिए पैसे का इंतज़ाम कहाँ से कर सकती है। |
शक्तियों का बँटवारा | संविधान के अनुसार सरकार के तीन अंग हैं – विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका। विधायिका में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। कार्यपालिका ऐसे लोगों का समूह है जो कानूनों को लागू करने और शासन चलाने का काम देखते हैं। |
मौलिक अधिकार | मौलिक अधिकारों वाला खंड भारतीय संविधान की ‘अंतरात्मा’ भी कहलाता है। औपनिवेशिक शासन ने राष्ट्रवादियों के दिमाग में राज्य के प्रति संदेह का भाव पैदा कर दिया था। इसीलिए राष्ट्रवादी चाहते थे कि स्वतंत्र भारत में राज्य की सत्ता के दुरुपयोग से बचने के लिए कुछ लिखित अधिकार होने चाहिए। |
संसदीय शासन पद्धति | लोकतांत्रिक कार्यपद्धति में प्रतिनिधित्व क्यों महत्त्वपूर्ण होता है, इसके बारे में आप इसी पुस्तक की दूसरी इकाई में और विस्तार से पढ़ेंगे। |
6. उन भारतीय राज्यों के नाम लिखिए जिनकी सीमाएँ निम्नलिखित पड़ोसी देशों से लगती हैं।
(क) बांग्लादेश।
उत्तर: पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम, मेघालय, और मिजोरम।
(ख) भूटान।
उत्तर: अरुणाचल प्रदेश, असम, सिक्किम, और पश्चिम बंगाल।
(ग) नेपाल।
उत्तर: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, और बिहार।