NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद

NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद Solutions, in Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse through different chapters NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद Notes and select need one. NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद Question Answers Download PDF. NCERT Class 8 Solutions for Social Science Hamare Atit III (Itihas).

NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद

Join Telegram channel

Also, you can read the NCERT book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per Central Board of Secondary Education (CBSE) Book guidelines. NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Chapter 5 जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद Textual Solutions are part of All Subject Solutions. Here we have given NCERT Class 8 Social Science Hamare Atit Notes. CBSE Class 8 Social Science Hamare Atit III (Itihas) Textbook Solutions for All Chapters, You can practice these here.

Chapter: 5

हमारे अतीत – III

फिर से याद करें

1. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेज़ों से ऐसी क्या माँग थी जिसे अंग्रेज़ों ने ठुकरा दिया?

उत्तर: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की अंग्रेज़ों से यह माँग थी कि उसके पति की मृत्यु के बाद गोद लिए गए बेटे को उसके राज्य का वैध उत्तराधिकारी मान ले परंतु अंग्रेज़ों ने ठुकरा दिया।

2. ईसाई धर्म अपनाने वालों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेज़ों ने क्या किया?

उत्तर: ईसाई धर्म अपनाने वालों के हितों की रक्षा के लिए अंग्रेज़ों ने 1850 में एक नया कानून बनाया। इस कानून में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई भारतीय व्यक्ति ईसाई धर्म अपनाता है तो पुरखों की संपत्ति पर उसका अधिकार दे दिया जाएगा।

3. सिपाहियों को नए कारतूसों पर क्यों ऐतराज़ था?

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

उत्तर: सिपाहियों को नए कारतूसों पर इसीलिए ऐतराज़ था क्योंकि बंदूक में कारतूस लगाने के लिए कारतूस पर लगी एक पट्टी को दाँत से काटना पड़ता था। सिपाहियों को लगता था कि कारतूस पर लगी पट्टी को बनाने में गाय और सुअर का चर्बी इस्तेमाल किया गया है। ऐसी चीजों के उपयोग से हिंदू एवं मुसलमान सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती थी।

4. अंतिम मुग़ल बादशाह ने अपने आखिरी साल किस तरह बिताए?

उत्तर: कंपनी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर विद्रोह को कुचलने का फैसला लिया। उन्होंने इंग्लैंड से और फ़ौजी मँगवाए, विद्रोहियों को जल्दी सज़ा देने के लिए नए कानून बनाए और विद्रोह के मुख्य केंद्रों पर धावा बोल दिया। सितंबर 1857 में दिल्ली दोबारा अंग्रेज़ों के कब्ज़े में आ गई। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र पर मुकदमा चलाया गया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा दी गई। उनके बेटों को उनकी आँखों के सामने गोली मार दी गई। बहादुर शाह और उनकी पत्नी बेगम जीनत महल को अक्तूबर 1858 में रंगून जेल में भेज दिया गया। इसी जेल में नवंबर 1862 में बहादुर शाह ज़फ़र ने अंतिम साँस ली।

आइए विचार करें

5. मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज़ शासकों के आत्मविश्वास के क्या कारण थे?

उत्तर: मई 1857 से पहले भारत में अपनी स्थिति को लेकर अंग्रेज़ शासकों के आत्मविश्वास के कई कारण थे जैसे–

(i) 1857 से पहले उन्होंने भारतीय सिपाहियों की सहायता से कई लड़ाइयाँ जीती थीं तथा बड़े-बड़े विद्रोह कुचले थे।

(ii) भारतीय सैनिक उनके प्रति वफादार और निष्ठावान थे।

(iii) मुगल बादशाह ने प्रांतों पर अपना नियंत्रण खो दिया था।

(iv) अंग्रेज़ शासक जानते थे कि कई स्थानीय राजा व जमींदार उनके शासन का समर्थन करते हैं, क्योंकि स्थानीय शासकों ने अपने हितों की रक्षा के लिए कंपनीके साथ बातचीत की।

6. बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा विद्रोहियों को समर्थन दे देने से जनता और राज-परिवारों पर क्या असर पड़ा?

उत्तर: बहादुर शाह ज़फ़र द्वारा विद्रोहियों को दिए गए अपना समर्थन ने लोगों और शासन करने वाले परिवारों का मनोबल बढ़ाया। इससे उनमें आशा का संचार हुआ। वे सोचने लगे कि अब शायद अत्याचारी एवं शोषक अंग्रेज़ी सत्ता को उखाड़ फेंका जा सकेगा। वे दोहरी भावना के साथ ब्रिटिश सत्ता से लड़ने के लिए एकजुट हो गए। शहर और गांवों के लोग विद्रोह में उठ खड़े हुए और स्थानीय नेताओं, जमींदारों और सरदारों के इर्द-गिर्द लामबंद हो गए। वे अब सोचने लगे थे कि अगर मुगल बादशाह पुनः शासन स्थापित कर लें तो वे मुगल आधिपत्य में दोबारा अपने इलाकों का शासन बेफिक्र होकर चलाने लगेंगे।

7. अवध के बागी भूस्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेज़ों ने क्या किया?

उत्तर: अवध के बागी भूस्वामियों से समर्पण करवाने के लिए अंग्रेज़ों ने यह किया–

(i) अंग्रेज़ों ने कुछ भू-स्वामियों, राजाओं व नवाबों पर मुकदमे चलाए तथा उन्हें फाँसी दे दी।

(ii) अंग्रेज़ों ने घोषणा की कि जो भू-स्वामी ब्रिटिश राज के प्रति स्वामिभक्त बने रहेंगे, उन्हें अपनी जमीन पर पारंपरिक अधिकार का उपभोग करने स्वतंत्रता बनी रहेगी।

(iii) जिन भू-स्वामियों ने विद्रोह किया था यदि उन्होंने किसी अंग्रेज़ की हत्या नहीं की है और वे आत्मसमर्पण करना चाहते हैं तो उन्हें सुरक्षा की गारंटी दी जाएगी और जमीन पर उनका अधिकार और दावेदारी बनी रहेगी।

8. 1857 की बग़ावत के फलस्वरूप अंग्रेज़ों ने अपनी नीतियाँ किस तरह बदलीं?

उत्तर: 1857 की बग़ावत के फलस्वरूप अंग्रेज़ों ने अपनी नीतियाँ कुछ इस तरह बदलीं थी-

(i) ब्रिटिश संसद ने 1858 में एक नया कानून पारित किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के सारे अधिकार ब्रिटिश साम्राज्य के हाथ में सौंप दिए ताकि भारतीय मामलों को ज़्यादा बेहतर ढंग से सँभाला जा सके। ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य को भारत मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

(ii) देश के सभी शासकों को भरोसा दिया गया कि भविष्य में कभी भी उनके भूक्षेत्र पर कब्ज़ा नहीं किया जाएगा। उन्हें अपनी रियासत अपने वंशजों, यहाँ तक कि दत्तक पुत्रों को सौंपने की छूट दे दी गई। लेकिन उन्हें इस बात के लिए प्रेरित किया गया कि वे ब्रिटेन की रानी को अपना अधिपति स्वीकार करें। इस तरह, भारतीय शासकों को ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन शासन चलाने की छूट दी गई।

(iii) सेना में भारतीय सिपाहियों का अनुपात कम करने और यूरोपीय सिपाहियों की संख्या बढ़ाने का फ़ैसला लिया गया। यह भी तय किया गया कि अवध, बिहार, मध्य भारत और दक्षिण भारत से सिपाहियों को भर्ती करने की बजाय अब गोरखा, सिखों और पठानों में से ज़्यादा सिपाही भर्ती किए जाएँगे।

(iv) मुसलमानों की ज़मीन और संपत्ति बड़े पैमाने पर ज़ब्त की गई। उन्हें संदेह व शत्रुता के भाव से देखा जाने लगा। अंग्रेज़ों को लगता था कि यह विद्रोह उन्होंने ही खड़ा किया था।

(v) अंग्रेज़ों ने फ़ैसला किया कि वे भारत के लोगों के धर्म और सामाजिक रीति-रिवाज़ों का सम्मान करेंगे।

(vi) भूस्वामियों और जमींदारों की रक्षा करने तथा जमीन पर उनके अधिकारों को स्थायित्व देने के लिए नीतियाँ बनाई गईं।

आइए करके देखें

9. पता लगाएँ कि सन सत्तावन की लड़ाई के बारे में आपके इलाके या आपके परिवार के लोगों को किस तरह की कहानियाँ और गीत याद हैं? इस महान विद्रोह से संबंधित कौन-सी यादें अभी लोगों को उत्तेजित करती हैं?

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

10. झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में और पता लगाएँ। आप उन्हें अपने समय की एक विलक्षण महिला क्यों मानते हैं?

उत्तर: झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक अद्वितीय नायिका थीं। उनका जन्म 1828 में वाराणसी में हुआ और बचपन से ही उन्होंने घुड़सवारी, तलवारबाजी, और युद्ध कौशल सीखा। पति गंगाधर राव की मृत्यु के बाद, अंग्रेजों ने “डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स” के तहत झाँसी पर कब्जा करना चाहा, लेकिन रानी ने इसे स्वीकार नहीं किया। 

उन्होंने झाँसी की रक्षा के लिए सेना तैयार की और अंग्रेज़ों के खिलाफ अद्भुत वीरता से लड़ीं। 1857 के विद्रोह में उनकी भूमिका ने उन्हें अमर बना दिया। 1858 में ग्वालियर के पास लड़ाई में वीरगति प्राप्त करने तक उन्होंने संघर्ष जारी रखा। उनकी साहसिकता, बलिदान और नेतृत्व ने उन्हें अपने समय की एक विलक्षण महिला बना दिया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

Scroll to Top