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NCERT Class 6 Hindi Chapter 4 हार की जीत
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हार की जीत
Chapter: 4
मल्हार |
पाठ से |
मेरी समझ से
आइए, अब हम ‘हार की जीत’ कहानी को थोड़ा और निकटता से समझ लेते हैं।
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए–
1. सुलतान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
(i) बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
(ii) बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
(iii) बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
(iv) बाबा भारती असावधान हो गए।
उत्तर: (iv) बाबा भारती असावधान हो गए।
2. “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
(i) बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
(ii) बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
(iii) बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
(iv) बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर: (ii) बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: (i) सुलतान के छीने जाने का बाबा भारती पर यह प्रभाव हुआ कि शुरुआत में खड्गसिंह के भय से वह सतर्क और चौकस हो गए। उन्होंने रात-रात भर जागकर अस्तबल की रखवाली की। लेकिन जब लंबे समय तक खड्गसिंह नहीं आया, तो उनका भय कम होने लगा और वह इसे स्वप्न जैसा मिथ्या मानकर असावधान हो गए। अंततः, वह सुलतान की सवारी करते हुए पहले की तरह प्रसन्न और निश्चिंत महसूस करने लगे। यही असावधानी आगे की घटना का कारण बनी।
(ii) “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे” इस कथन का समर्थन इस तथ्य से होता है कि उनके हृदय में अपनी प्रिय वस्तु की प्रशंसा दूसरों से सुनने की लालसा थी। सुलतान के प्रति अपने मोह के कारण वे घोड़े को बाहर लाए, उसकी पीठ पर हाथ फेरा और सवारी करते हुए उसकी चाल का प्रदर्शन किया। यह व्यवहार उनकी मानवीय कमजोरी को दर्शाता है, जो खड्गसिंह जैसे डाकू के लिए अवसर बन गया।
शीर्षक |
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने ‘हार की जीत’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर: सुदर्शन ने इस कहानी का नाम ‘हार की जीत’ इसलिए रखा है क्योंकि यह कहानी यह दर्शाती है कि बाहरी रूप से हारने पर भी नैतिक मूल्यों और आदर्शों के साथ खड़े रहना असली जीत है। बाबा भारती ने घोड़ा खोने के बावजूद अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ा और डाकू खड्गसिंह को यह सिखाया कि उसकी चोरी से दूसरों की भलाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा। बाबा भारती की ईमानदारी और उच्च विचारों ने खड्गसिंह के मन में परिवर्तन ला दिया, जिससे उसने अपनी गलती स्वीकारते हुए घोड़ा वापस कर दिया। इस प्रकार, बाबा भारती की यह हार वास्तव में उनके आदर्शों और नैतिकता की जीत बन गई, जो कहानी के नाम को सार्थक बनाती है।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए।
उत्तर: यदि मुझे इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो, तो मैं इसे “सच्चाई की शक्ति” नाम दूँगा। यह नाम इसलिए उपयुक्त है क्योंकि बाबा भारती ने सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए, भले ही उन्हें बाहरी रूप से हार का सामना करना पड़ा, अपनी नैतिकता और आदर्शों को कभी नहीं छोड़ा। उनकी सच्चाई ने न केवल उन्हें मानसिक शांति दी, बल्कि खड्गसिंह जैसे डाकू को भी प्रभावित किया, जिससे उसने अपनी गलती स्वीकारते हुए घोड़ा वापस कर दिया। यह कहानी सच्चाई की शक्ति को दर्शाती है, जो अंततः एक नैतिक जीत में बदल जाती है।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से कौन-सा वचन लिया?
उत्तर: बाबा भारती ने खड्गसिंह से वचन लिया कि वह इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करे। इसका कारण था कि बाबा भारती नहीं चाहते थे कि इस घटना से लोगों का गरीबों पर से विश्वास उठ जाए।
पंक्तियों पर चर्चा |
1. कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए-
(i) “भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
उत्तर: “भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।” यह वाक्य यह दर्शाता है कि बाबा भारती अपनी आध्यात्मिक साधना में इतना व्यस्त रहते थे कि उनका अधिकतर समय भगवत-भजन में ही बीतता था, और जो थोड़ी सी समय बचता, वह अपने प्रिय घोड़े की देखभाल और उसे समय देने में खर्च कर देते थे। यह उनके जीवन में आध्यात्मिकता और भौतिक प्रेम का संतुलन दिखाता है।
(ii) “बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।”
उत्तर: “बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।” यह वाक्य बाबा भारती और खड्गसिंह के दृष्टिकोण को दर्शाता है। बाबा भारती ने घोड़े का प्रदर्शन अपने अभिमान और गर्व से किया, जबकि खड्गसिंह ने उस घोड़े को विस्मय और हैरानी से देखा, क्योंकि ऐसा शानदार घोड़ा आम आदमी के लिए देखना असामान्य था। यह दोनों के व्यक्तित्व और स्थितियों के अंतर को स्पष्ट करता है।
(iii) “वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
उत्तर: “वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।” यह वाक्य खड्गसिंह के चरित्र को स्पष्ट करता है। वह एक डाकू था, जो अपनी इच्छाओं के प्रति अधीन था और अपनी पसंदीदा चीज़ों को बिना किसी संकोच के छीन लेता था। इस वाक्य से उसकी जिद, अहंकार और हिंसक स्वभाव को समझा जा सकता है।
(iv) “बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
उत्तर: “बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।” यह वाक्य बाबा भारती की स्थिति और मनोभाव को व्यक्त करता है। बाबा भारती को यह समझ में आ गया था कि अब उनका घोड़ा खड्गसिंह के पास है और वह उसे वापस नहीं पा सकते। बकरा और कसाई के उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि बाबा का मनोभाव एकदम निराश था, क्योंकि वह घोड़े को खो चुके थे, जैसे कोई असहाय प्राणी अपनी नियति को समझकर मौन पीड़ा सहता है।
(v) “उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
उत्तर: “उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।” यह वाक्य बाबा भारती के आत्म-संयम और जागरूकता को दर्शाता है। जब वह अस्तबल की ओर लौटे, तो रास्ते में ही उन्हें यह एहसास हुआ कि उनकी यात्रा और प्रयास व्यर्थ थे। यह वाक्य दर्शाता है कि कभी-कभी हम अपनी गलतियों को वक्त आने पर समझ जाते हैं और अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हैं।
सोच-विचार के लिए |
1. कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।”
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था?
उत्तर: बाबा भारती और खड्गसिंह के आँसुओं का मेल हो गया था।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था?
उत्तर: दोनों के आँसुओं में यह अंतर है कि बाबा भारती के आँसू खुशी के आँसू थे और खड्गसिंह के आँसू दुख के थे।
दिनचर्या |
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं।
उत्तर: बाबा भारती की दिनचर्या बहुत साधारण और अनुशासित थी। वे सुबह सूर्योदय से पहले उठते थे और सबसे पहले भगवत-भजन करते थे, ताकि उनका मन शांति और आस्था से भरा रहे। इसके बाद वे नित्यकर्मों से निपटते और अपने प्रिय घोड़े की देखभाल करते, उसे घास और पानी देते थे। फिर वे दिनभर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद में व्यस्त रहते, उनका हालचाल पूछते और उनकी मदद करते। शाम को वे फिर अपने घोड़े के साथ समय बिताते, उसकी सवारी करते और उसकी प्रशंसा सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। रात को वे ध्यान और भजन करते हुए शांति से सोने जाते थे। उनका जीवन साधना, सेवा और प्रेम से भरा हुआ था।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए।
उत्तर: मेरी दिनचर्या इस प्रकार है:
सुबह: 6:00 AM: मैं जल्दी उठकर ताजगी के लिए कुछ मिनट ध्यान और योग करती हूँ।
6:30 AM: नाश्ते के लिए फल, ओट्स या पोहा तैयार करती हूँ।
7:00 AM: फिर नहाकर तैयार हो जाती हूँ और दिनभर की योजनाओं को जांचती हूँ।
दोपहर: 12:00 PM: हल्का भोजन करती हूँ जिसमें दाल, चावल और सब्जियाँ शामिल होती हैं।
1:00 PM: थोड़ी देर आराम करती हूँ या पढ़ाई करती हूँ।
2:00 PM: फिर अपने काम या अध्ययन में व्यस्त रहती हूँ।
शाम: 5:00 PM: हल्की सैर या कुछ समय अपनी पसंदीदा गतिविधियों में बिताती हूँ।
7:00 PM: परिवार के साथ समय बिताती हूँ।
रात: 9:00 PM: रात का भोजन करती हूँ।
10:00 PM: किताबें पढ़कर सोने जाती हूँ।
कहानी की रचना |
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर: इस कहानी की कई बातें मुझे पसंद आईं:
(i) उच्च आदर्शों का पालन: बाबा भारती का अपने उच्च आदर्शों पर अडिग रहना बहुत प्रेरणादायक है। चाहे उन्होंने अपना घोड़ा खो दिया, लेकिन उन्होंने अपनी नैतिकता और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यह दिखाता है कि सच्चे आदर्शों का पालन किसी भी परिस्थिति में किया जाना चाहिए।
(ii) सच्चाई की जीत: बाबा भारती की हार असल में एक नैतिक जीत थी। उनके अच्छे कर्म और सच्चाई ने डाकू खड्गसिंह पर इतना प्रभाव डाला कि उसने घोड़ा वापस कर दिया। यह संदेश देता है कि सच्चाई और अच्छाई हमेशा जीतती है, चाहे यह समय ले।
(iii) मानवता की महत्ता: इस कहानी में यह भी दर्शाया गया है कि इंसानियत और अच्छाई कभी भी व्यर्थ नहीं जाती। बाबा भारती ने अपना घोड़ा खो दिया, लेकिन उनका इंसानियत का भाव और अच्छाई ने उन्हें जीत दिलाई।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे- शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें।
उत्तर: (i) संवादों ने पात्रों की भावनाओं और सोच को साफ़-साफ़ दिखाया है।
(ii) बाबा भारती की गहरी लगन और खड्गसिंह की हैरानी, इन सब ने कहानी को जीवंत बना दिया है।
(iii) संवाद नाटक स्वरूप में था जिसने पाठकों का ध्यान आकर्षित किया।
(iv) शब्द चयन एवं प्रस्तुतीकरण बेहद सराहनिए हैं (बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से।)
मुहावरे कहानी से |
(क) कहानी से चुनकर कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं- लड्डू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए।
उत्तर: (i) लड्डू होना:
कहानी में – बाबा भारती का घोड़े को देखकर बहुत खुश होना और फूले न समाना।
प्रयोग: “बाबा भारती के घोड़े के पास जाने पर उनका चेहरा लड्डू हुआ।”
(ii) हृदय पर साँप लोटना:
कहानी में – खड्गसिंह का घोड़े की खूबसूरती को देखकर मन में लालच होना।
प्रयोग: “जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ, तो उसके हृदय पर साँप लोटने लगा।”
(iii) फूले न समाना:
कहानी में – बाबा भारती का घोड़े को देखकर गर्वित होना और अत्यधिक खुशी महसूस करना।
प्रयोग: “अपनी मेहनत से अच्छे परिणाम मिलने पर वह फूले न समाया।”
(iv) मुँह मोड़ लेना:
कहानी में – बाबा भारती ने सुलतान की ओर से इस तरह मुँह मोड़ लिया जैसे उनका उससे कभी कोई संबंध ही न रहा हो।
प्रयोग: “जब उसे विश्वासघात का पता चला, तो वह मुँह मोड़ लिया और किसी से बात नहीं की।”
(v) मुख खिल जाना:
कहानी में – बाबा भारती का घोड़े को देखकर प्रसन्न होना।
प्रयोग: “सभी दोस्तों की सराहना पाकर उसका मुख खिल गया।”
(vi) न्योछावर कर देना:
कहानी में – बाबा भारती ने अपनी भावनाओं को घोड़े पर न्योछावर किया।
प्रयोग: “अपने परिवार के लिए उसने अपनी सारी खुशियाँ न्योछावर कर दी।”
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए।
उत्तर: (i) “सुनकर अच्छा परिणाम, उसका चेहरा लड्डू हुआ।”
(ii) “दूसरे की अच्छाई देखकर उसका हृदय पर साँप लोटने लगा।”
(iii) “नयी सफलता पाने के बाद वह फूले न समाया।”
(iv) “घमंड के कारण उसने मुँह मोड़ लिया और किसी से बात नहीं की।”
(v) “किसी ने उसकी मेहनत की सराहना की, तो उसका मुख खिल गया।”
(vi) “माँ ने अपने बच्चों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया।”
कैसे-कैसे पात्र |
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं- बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुलतान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द-चित्रों को पूरा कीजिए-
उत्तर: बाबा भारती – उदार, सहनशील, धार्मिक, प्रेमी, ईमानदार।
डाकू खड्गसिंह – बलशाली, प्रभावशाली, पछताया हुआ, भावुक।
सुलतान घोड़ा – मनमोहक, चमकदार, अद्भुत, बलवान, वफ़ादार।
आपने जो शब्द लिखे हैं, वे किसी की विशेषता, गुण और प्रकृति के बारे में बताने के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। ऐसे शब्दों को विशेषण कहते हैं।
पाठ से आगे |
सुलतान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुलतान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती? स्वयं को सुलतान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए।
(संकेत- आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते हैं— मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ……)
उत्तर: मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ और मेरे जीवन में एक ऐसी घटना घटी जिसने सबकुछ बदल दिया। मेरे मालिक बाबा भारती मुझे अपने बेटे की तरह प्यार करते थे और मेरे बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। एक दिन, जब हम टहलने निकले, तो डाकू खड्गसिंह ने छल से मुझे उनसे छीन लिया। मैं बेहद डर गया था और समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या होगा। लेकिन कुछ दिनों बाद, खड्गसिंह ने मुझे बाबा भारती को लौटा दिया। शायद उसे एहसास हो गया था कि मैं केवल एक घोड़ा नहीं, बल्कि बाबा भारती की दुनिया और उनकी खुशियों का केंद्र हूँ।
मन के भाव |
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था-
(i) चकित।
उत्तर: चकित: खड्गसिंह जब पहली बार सुलतान को देखता है, तो वह आश्चर्य से चकित हो जाता है।
बाबा भारती तब चकित हो जाते हैं जब वे देखते हैं कि अपाहिज व्यक्ति घोड़े को लेकर भाग रहा है।
(ii) अधीर।
उत्तर: अधीर: खड्गसिंह अधीर हो जाता है जब वह सुलतान की चाल देखने की इच्छा प्रकट करता है।
बाबा भारती सुलतान को खड्गसिंह को दिखाने के लिए अधीर हो जाते हैं।
(iii) डर।
उत्तर: डर: बाबा भारती तब डरते हैं जब खड्गसिंह उन्हें बताता है कि वह घोड़ा छीन लेगा।
(iv) प्रसन्नता।
उत्तर: प्रसन्नता: बाबा भारती प्रसन्न होते हैं जब वह सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे होते हैं।
जब बाबा भारती को अपना घोड़ा वापस मिलता है, तब वे प्रसन्न होते हैं।
(v) करुणा।
उत्तर: करुणा: बाबा भारती के मन में करुणा आती है जब वह अपाहिज व्यक्ति को देखता है और उसकी मदद करने के लिए तैयार हो जाते है।
(vi) निराशा।
उत्तर: निराशा: बाबा भारती निराश हो जाते हैं जब घोड़ा उनके हाथ से छिन जाता है और वे उसे रोक नहीं पाते।
घोड़े की चोरी के बाद बाबा भारती निराश हो जाते हैं जब वे घोड़ा वापस नहीं मिलने की संभावना पर सोचते हैं।
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए।
(संकेत – जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा आदि का अनुभव करना)
(i) चकित।
उत्तर: चकित: जब मैं पहली बार किसी खूबसूरत इंद्रधनुष को देखती हूँ या अचानक कोई आश्चर्यजनक खबर सुनती हूँ।
(ii) अधीर।
उत्तर: अधीर: जब मैं अपने जन्मदिन के उपहार खोलने का इंतजार कर रही होती हूँ या किसी प्रियजन के आने की प्रतीक्षा कर रही होती हूँ।
(iii) डर।
उत्तर: डर: जब गली में कोई बड़ा कुत्ता भौंकता है या जब बिजली कड़कती है।
(iv) प्रसन्नता।
उत्तर: प्रसन्नता: जब मुझे अपने दोस्तों से मिलने का मौका मिलता है या कोई मेरी पसंदीदा चीज लाता है।
(v) करुणा।
उत्तर: करुणा: जब मैं किसी भूखे जानवर को देखती हूँ या किसी जरूरतमंद इंसान की मदद करती हूँ।
(vi) निराशा।
उत्तर: निराशा: जब मैं कोई परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती या जब मेरी कोई प्रिय चीज खो जाती है।