NCERT Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे

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NCERT Class 6 Hindi Chapter 5 रहीम के दोहे

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रहीम के दोहे

Chapter: 5

मल्हार
पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सबसे सही (सटीक) उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (☆) बनाइए-

1. “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल। आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।” दोहे का भाव है-

(i) सोच-समझकर बोलना चाहिए।

(ii) मधुर वाणी में बोलना चाहिए।

(iii) धीरे-धीरे बोलना चाहिए।

(iv) सदा सच बोलना चाहिए।

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उत्तर: (i) सोच-समझकर बोलना चाहिए।

2. “रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।” इस दोहे का भाव क्या है?

(i) तलवार सुई से बड़ी होती है।

(ii) सुई का काम तलवार नहीं कर सकती।

(iii) तलवार का महत्व सुई से ज्यादा है।

(iv) हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

उत्तर: (iv) हर छोटी-बड़ी चीज़ का अपना महत्व होता है।

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइए कि आपने यही उत्तर क्यों चुने?

उत्तर: (i) पहले दोहे में बिना सोच-समझकर बोले गए शब्दों की हानिकारकता पर जोर दिया गया है। इससे स्पष्ट होता है कि बोलने से पहले विचार करना जरूरी है।

(ii) दूसरे दोहे में यह शिक्षा दी गई है कि हर वस्तु का अपना महत्व होता है। इसे आकार या दिखावट के आधार पर कमतर नहीं आंकना चाहिए।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से कुछ दोहे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और उनके भाव स्तंभ 2 में दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और रेखा खींचकर सही भाव से मिलान कीजिए।

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।1. सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचित करते हैं।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।2. सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में साथ रहते हैं।
3. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।3. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।

उत्तर: 

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।3. प्रेम या रिश्तों को सहेजकर रखना चाहिए।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। बिपति कसौटी जे कसे, ते ही साँचे मीत।।2. सच्चे मित्र विपत्ति या विपदा में साथ रहते हैं।
3. तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।1. सज्जन परहित के लिए ही संपत्ति संचित करते हैं।
पंक्तियों पर चर्चा

नीच दिए गए दोहों पर समूह में चर्चा कीजिए और उनके अर्थ या भावार्थ अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) “रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय। 

हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय।।”

उत्तर: इस दोहे में रहीम कहते हैं कि जीवन में संकट (बिपदा) का आना भी अच्छा होता है, बशर्ते वह संकट थोड़े समय के लिए हो। विपत्ति के समय ही मनुष्य को यह समझ में आता है कि इस संसार में कौन उसका सच्चा मित्र है और कौन शत्रु। विपत्ति की घड़ी सच्चे और झूठे संबंधों को परखने का अवसर प्रदान करती है।

(ख) “रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल। 

आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।।”

उत्तर: रहीम इस दोहे में कहते हैं कि जीभ (जिह्वा) बहुत चंचल और असंयमी होती है। बिना सोचे-समझे कुछ भी बोल देती है, जिसका परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकता है। इसका प्रभाव स्वर्ग (अच्छा) या पाताल (बुरा) जैसा हो सकता है। हालांकि, स्वयं जीभ सुरक्षित रहती है, लेकिन जो व्यक्ति असंयमित वाणी बोलता है, उसे ही अपमान का सामना करना पड़ता है और दूसरों से फटकार (जूते) मिलती है।

सोच-विचार के लिए

दोहों को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

1. “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय। 

टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।”

(क) इस दोहे में ‘मिले’ के स्थान पर ‘जुड़े’ और ‘छिटकाय’ के स्थान पर ‘चटकाय’ शब्द का प्रयोग भी लोक में प्रचलित है। जैसे-

“रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। 

टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय।।”

इसी प्रकार पहले दोहे में ‘डारि’ के स्थान पर ‘डार’, ‘तलवारि’ के स्थान पर ‘तरवार’ और चौथे दोहे में ‘मानुष’ के स्थान पर ‘मानस’ का उपयोग भी प्रचलित हैं। ऐसा क्यों होता है?

उत्तर: भाषा में शब्दों का यह अंतर स्थानीय बोलियों, लयबद्धता, और सरलता के कारण होता है। लोकभाषा में लोग उच्चारण को अपनी सुविधा और क्षेत्रीय प्रभाव के अनुसार बदल लेते हैं। उदाहरण के लिए, “डारि” को “डार” और “तलवारि” को “तरवार” कहना सरल और सहज लगता है। इसी तरह, “चटकाय” जैसे शब्द लय और प्रभाव बढ़ाते हैं। यह बदलाव भाषा को अधिक जनप्रिय और प्रभावशाली बनाता है, जिससे साहित्य लोक में आसानी से समा जाता है।

(ख) इस दोहे में प्रेम के उदाहरण में धागे का प्रयोग ही क्यों किया गया है? क्या आप धागे के स्थान पर कोई अन्य उदाहरण सुझा सकते हैं? अपने सुझाव का कारण भी बताइए।

उत्तर: इस दोहे में प्रेम के लिए धागे का प्रयोग उसकी नाजुकता और आसानी से टूटने की क्षमता को दर्शाने के लिए किया गया है। धागे को जोड़ने पर गाँठ पड़ जाती है, जैसे प्रेम टूटने पर रिश्ते में दरार आ जाती है।

इसके स्थान पर कांच का उदाहरण दिया जा सकता है, क्योंकि कांच भी नाजुक होता है और टूटने पर उसे जोड़ना कठिन होता है, यह प्रेम की नाजुकता और उसकी पुनर्निर्माण की कठिनाई को दर्शाता है।

2. “तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिँ न पान। 

कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान।।”

इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से मनुष्य के किस मानवीय गुण की बात की गई है? प्रकृति से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं?

उत्तर: इस दोहे में प्रकृति के माध्यम से त्याग, परोपकार और समर्पण जैसे मानवीय गुण की बात की गई है। जैसे वृक्ष अपने फल नहीं खाते और सरोवर अपने जल का सेवन नहीं करते, बल्कि दूसरों को लाभ पहुंचाते हैं, उसी प्रकार हमें भी अपने कार्यों और संसाधनों का उपयोग दूसरों के भले के लिए करना चाहिए, न कि सिर्फ स्वार्थ के लिए।

प्रकृति से हम और सहनशीलता, संतुलन, और आत्मनिर्भरता भी सीख सकते हैं। प्रकृति हमें यह सिखाती है कि हमें अपनी शक्ति और संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करते हुए दूसरों की मदद करनी चाहिए, और सभी के लिए समर्पण का भाव रखना चाहिए।

शब्दों की बात

हमने शब्दों के नए-नए रूप जाने और समझे। अब कुछ करके देखें-

शब्द-संपदा

कविता में आए कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इन शब्दों को आपकी मातृभाषा में क्या कहते हैं? लिखिए।

कविता में आए शब्दमातृभाषा में समानार्थक शब्द
तरुवर
बिपति
छिटकाय
सुजान
सरवर
साँचे
कपाल

उत्तर:

कविता में आए शब्दमातृभाषा में समानार्थक शब्द
तरुवरपेड़
बिपतिकष्ट
छिटकायतोड़ना
सुजानसज्जन
सरवरतालाब
साँचेसच्चे
कपालदिमाग

शब्द एक अर्थ अनेक

“रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून। 

पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।”

इस दोहे में ‘पानी’ शब्द के तीन अर्थ हैं- सम्मान, जल, चमक।

इसी प्रकार कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आप भी इन शब्दों के तीन-तीन अर्थ लिखिए। आप इस कार्य में शब्दकोश, इंटरनेट, शिक्षक या अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

कल – …………, ……………, ………………।

उत्तर: कल – आने वाला दिन – “कल में स्कूल जाऊँगा।”

समय की एक अवधि – “भविष्य के कल की चिंता करो।

पिछला दिन (इतिहास में) – “कल की घटना याद है।”

पत्र – …………, ……………, ………………।

उत्तर: पत्र – अधिकार पत्र (दस्तावेज) – यह एक सरकारी पत्र है।

कागज का टुकड़ा (चिट्ठी) – मैंने उसे एक पत्र लिखा।”

पत्ते (पौधे के) – वृक्ष पर हरे-हरे पत्र हैं।

कर – …………, ……………, ………………।

उत्तर: कर – हाथ (शरीर का अंग) – वह अपने कर से काम करता है।

कार्य (क्रिया) – किसी कार्य को करना।

कर (करदात) (कर या टैक्स) – सरकार ने कर की दर बढ़ा दी है।

फल – …………, ……………, ………………।

उत्तर: फल – वृक्ष का उत्पाद (फलों का सेवन) – आम का फल बहुत स्वादिष्ट है।

परिणाम (परिणाम प्राप्ति) – मेहनत का फल अच्छा होता है।

लाभ (सकारात्मक परिणाम) – अच्छे कार्य का फल हमेशा मिलता है।

पाठ से आगे

आपकी बात

“रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। 

जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।”

इस दोहे का भाव है- न कोई बड़ा है और न ही कोई छोटा है। सबके अपने-अपने काम हैं, सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्ता है। चाहे हाथी हो या चींटी, तलवार हो या सुई, सबके अपने-अपने आकार-प्रकार हैं और सबकी अपनी-अपनी उपयोगिता और महत्व है। सिलाई का काम सुई से ही किया जा सकता है, तलवार से नहीं। सुई जोड़ने का काम करती है जबकि तलवार काटने का। कोई वस्तु हो या व्यक्ति, छोटा हो या बड़ा, सबका सम्मान करना चाहिए।

अपने मनपसंद दोहे को इस तरह की शैली में अपने शब्दों में लिखिए। दोहा पाठ से या पाठ से बाहर का हो सकता है।

उत्तर: दोहा:

“रहिमन जिह्वा बावरी, कहि गइ सरग पताल।

आपु तो कहि भीतर रही, जूती खात कपाल।।”

भावार्थ:

इस दोहे में रहीम जी ने जीभ की चंचलता और असंयमित प्रवृत्ति पर ध्यान केंद्रित किया है। जीभ बिना सोच-विचार के जो शब्द बोल देती है, वह किसी भी व्यक्ति के जीवन को स्वर्ग जैसा खुशहाल या पाताल जैसा दुखद बना सकती है। हालांकि, बोलने से खुद जीभ को कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन बोलने वाला ही अपमानित होता है। इस दोहे से यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा सोच-समझकर बोलना चाहिए, क्योंकि बिना विचार किए शब्दों का प्रयोग न केवल हमारे लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी हानिकारक हो सकता है।

सरगम

रहीम, कबीर, तुलसी, वृंद आदि के दोहे आपने दृश्य-श्रव्य (टी.वी. रेडियो) माध्यमों से कई बार सुने होंगे। कक्षा में आपने दोहे भी बड़े मनोयोग से गाए होंगे। अब बारी है इन दोहों की रिकॉर्डिंग (ऑडियो या विजुअल) की। रिकॉर्डिंग सामान्य मोबाइल से की जा सकती है। इन्हें अपने दोस्तों के साथ समूह में या अकेले गा सकते हैं। यदि संभव हो तो वाद्ययंत्रों के साथ भी गायन करें। रिकॉर्डिंग के बाद दोहे स्वयं भी सुनें और लोगों को भी सुनाएँ।

रहीम, वृन्द, कबीर, तुलसी, बिहारी आदि के दोहे आज भी जनजीवन में लोकप्रिय हैं। दोहे का प्रयोग लोग अपनी बात पर विशेष ध्यान दिलाने के लिए करते हैं। जब दोहे समाज में इतने लोकप्रिय हैं तो क्यों न इन दोहों को एकत्र करें और अंत्याक्षरी खेलें। अपने समूह में मिलकर दोहे एकत्र कीजिए। इस कार्य में आप इंटरनेट, पुस्तकालय और अपने अभिभावकों की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

आज की पहेली

1. दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम उल्टा होकर नाच दिखाऊँ, मैं क्यों अपना नाम बताऊँ।

उत्तर: चना।

2. एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार टकराएँ जब दीवारों से, जल उठे सारा संसार।

उत्तर: माचिस।

खोजबीन के लिए

1. रहीम के कुछ अन्य दोहे पुस्तकालय पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।

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