NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

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NCERT Class 10 Social Science Bharat Aur Samakalin Vishav Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

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Chapter: 4

भारत और समकालीन विश्व – २
खण्ड II: जीविका, अर्थव्यवस्था एवं समाज

संक्षेप में लिखें:

1. निम्नलिखित को व्याख्या करें-

(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।

उत्तर: जेम्स हरग्रीव्ज़ द्वारा 1764 में विकसित की गई स्पिनिंग जेनी मशीन ने ऊन उद्योग में कताई की प्रक्रिया को तेज कर दिया और इसके परिणामस्वरूप मजदूरों की मांग घट गई। ब्रिटेन के हथकरघा कारीगरों को यह डर था कि इस नई मशीन के कारण उनका रोजगार समाप्त हो सकता है। इसलिए, ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए और उन्हें नष्ट कर दिया, इसे अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखा।

(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।

उत्तर: सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों की तरफ़ रुख करने लगे थे। वे किसानों और कारीगरों को पैसा देते थे और उनसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिए उत्पादन करवाते थे। उस समय विश्व व्यापार के विस्तार और दुनिया के विभिन्न भागों में उपनिवेशों की स्थापना के कारण चीज़ों की माँग बढ़ने लगी थी। इस माँग को पूरा करने के लिए केवल शहरों में रहते हुए उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता था। वजह यह थी कि शहरों में शहरी दस्तकारी और व्यापारिक गिल्ड्स काफ़ी ताकतवर थे। ये गिल्ड्स उत्पादकों के संगठन होते थे।

(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाशिये पर पहुँच गया था।

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उत्तर: सूरत अठारहवीं सदी के अंत तक व्यापारिक गतिविधियों में आए नए परिवर्तन के कारण सूरत का बंदरगाह ठप हो गया क्योंकि अब सूरत के बंदरगाह से कपड़े निर्यात नहीं होते थे। कच्चे कपास निर्यात किए जाते थे और इन पर बड़ी कंपनियों का अधिकार था, जिससे सूरत बंदरगाह से रोजी-रोटी अर्जित करने वाले व्यापारियों साहूकार और कर्मचारियों का जीवन तबाह हो गया। इन्हीं बंदरगाहों से होने वाले निर्यात में कमी आई और धीरे-धीरे स्थानीय बेनकर दिवालिया हो गए। जहाँ बंदरगाह से पहले प्रतिवर्ष करोड़ों का व्यापार होता था, वह घटकर 20 लाख के बीच सिमट गया।

(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।

उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था। क्योंकि कपड़े की गुणवत्ता की जांच करने, आपूर्ति एकत्र करने और बुनकरों की निगरानी करने के लिए कंपनी ने गुमाश्ता नामक वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किए। ईस्ट इंडिया कंपनी ने सबसे पहले कपड़ा व्यापार से जुड़े मौजूदा दलालों और व्यापारियों को समाप्त कर दिया। गुमाश्ता के माध्यम से कंपनी ने बुनकरों पर अधिक प्रत्यक्ष नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास किया।

2. प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें-

(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।

उत्तर: गलत।

(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार पर भारत का दबदवा था।

उत्तर: सही।

(ग) अमेरिकी गृहयुद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आई।

उत्तर: गलत।

(घ) फ़्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।

उत्तर: सही।

3. पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।

उत्तर: पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब यह है कि इंग्लैंड और यूरोप में फैक्ट्रियों की स्थापना से भी पहले ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन फैक्ट्रियों पर आधारित नहीं था।

चर्चा करें:

1. उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे।

उत्तर: उन्नीसवीं सदी के इंग्लैंड में कुछ उद्योगपतियों ने मशीनों के बजाय हाथ से काम करने को प्राथमिकता दी, क्योंकि बाजार में श्रमिकों की कमी नहीं थी और उच्च मजदूरी लागत की कोई समस्या नहीं थी। इन उद्योगपतियों के लिए मशीनों में निवेश करना आकर्षक नहीं था, क्योंकि इसके लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती थी। साथ ही, ऐसे उद्योगों में जहाँ उत्पादन और श्रमिकों की मांग मौसम पर निर्भर करती थी, हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को कम लागत के कारण प्राथमिकता दी गई। इसके अलावा, कई वस्तुएं केवल हाथ से ही बनाई जा सकती थीं, क्योंकि जटिल डिज़ाइन और आकृतियाँ मशीनों से नहीं बनाई जा सकती थीं। इन उत्पादों के लिए मानवीय कौशल की आवश्यकता थी, न कि यांत्रिक तकनीक की। हस्तनिर्मित उत्पाद अक्सर परिष्कार और वर्ग की स्थिति का प्रतीक माने जाते थे, जबकि मशीन से बने सामान आमतौर पर उपनिवेशों में निर्यात के लिए होते थे।

2. ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया।

उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारतीय वस्त्रों से लाभ कमाने के लिए गुमाश्तों की नियुक्ति की, जिससे कपास और रेशम के वस्त्रों का कारोबार करने वाले बिचौलियों और दलालों को समाप्त कर दिया गया। कंपनी ने वस्त्रों की मात्रा की जांच और बुनकरों से वस्त्रों की आपूर्ति को सीधे एकत्रित करना शुरू किया, ताकि बुनकरों का सीधे खरीदारों से संपर्क न हो सके। इसके परिणामस्वरूप, ईस्ट इंडिया कंपनी को भारतीय बुनकरों पर सीधा नियंत्रण हासिल हुआ, जिससे बुनकरों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई।

3. कल्पना कीजिए कि आपको ब्रिटेन तथा कपास के इतिहास के बारे में विश्वकोश (Encyclopaedia) के लिए लेख लिखने को है। इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना लेख लिखिए।

उत्तर: ब्रिटेन का कपास उद्योग 18वीं और 19वीं शताबदी में महत्वपूर्ण था। औद्योगिक क्रांति के दौरान, कपास के उत्पादन और वस्त्र उद्योग में तेजी आई, जिससे ब्रिटेन को वैश्विक व्यापार में प्रमुख स्थान मिला। ब्रिटेन ने विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप से कपास का आयात किया, और इसे एक प्रमुख कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन में कपास मिलों का विकास हुआ और व्यापारिक वृद्धि हुई। कपास उद्योग ने ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी और दुनिया भर में इसके उत्पादों की मांग बढ़ी।

भारत में ब्रिटिश शासन के तहत कपास उद्योग का दोहन हुआ, जिसके कारण भारत से कपास का निर्यात बढ़ा, लेकिन भारत में इसे उधार देने वाली श्रमिक व्यवस्था और औपनिवेशिक नीति के कारण स्थानीय उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

4. पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा?

उत्तर: पहले विश्व युद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ने का कई कारण है जैसे–

(i) ब्रिटिश माल का आयात घटना: युद्ध के कारण ब्रिटिश कारखाने अपनी सेना की आवश्यकताओं को पूरा करने में व्यस्त हो गए, जिससे मैनचेस्टर का आयात कम हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय बाज़ारों में देशी उत्पादों की मांग बढ़ी और भारतीय उद्योगों को बढ़ावा मिला।

(ii) स्थानीय कारखानों का विस्तार: भारतीय कारखानों ने युद्ध संबंधी वस्तुएं जैसे जूट की बोरियाँ, वर्दी, टेंट, चमड़े के जूते और अन्य सैन्य सामग्री का उत्पादन करना शुरू किया। इसके कारण इन उद्योगों में उत्पादन बढ़ा।

(iii) नए उद्योगों की स्थापना: युद्ध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए नए कारखाने लगाए गए, जिससे औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि हुई।

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