NCERT Class 10 Social Science Arthik Vikas ki Samajh Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

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NCERT Class 10 Social Science Arthik Vikas ki Samajh Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

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Chapter: 2

आर्थिक विकास की समझ
अभ्यास

1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ……………। (हुई है/नहीं हुई है)

उत्तर: नहीं हुई है।

(ख) …………… क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)

उत्तर: तृतीयक।

(ग) ………….. क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोज़गार-सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)

उत्तर: संगठित।

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(घ) भारत में ………….. अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़े/ छोटे)

उत्तर: बड़े।

(ङ) कपास एक ………….. उत्पाद है और कपड़ा एक ………….. उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित)

उत्तर: प्राकृतिक, विनिर्मित।

(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ …………… हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)

उत्तर: परस्पर निर्भर।

2. सही उत्तर का चयन करें-

(अ) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है:

(क) रोजगार की शर्तों।

(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव।

(ग) उद्यमों के स्वामित्व।

(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या।

उत्तर: (ग) उद्यमों के स्वामित्व।

(ब) एक वस्तु का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ..………… क्षेत्रक की गतिविधि है।

(क) प्राथमिक।

(ख) द्वितीयक।

(ग) तृतीयक।

(घ) सूचना प्रौद्योगिकी।

उत्तर: (क) प्राथमिक।

(स) किसी वर्ष में उत्पादित ……….. कुल मूल्य को स. घ. उ. कहते हैं।

(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं।

(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं।

(ग) सभी मध्यवर्ती बस्तुओं और सेवाओं।

(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं।

उत्तर: (ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं।

(द) स.घ.उ. के पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी प्रतिशत है।

(क) 20 से 30

(ख) 30 से 40

(ग) 50 से 60

(घ) 60 से 70

उत्तर: (ग) 50 से 60

3. निम्नलिखित का मेल कीजिए-

कृषि क्षेत्रक की समस्याएँकुछ संभावित उपाय
1. असिंचित भूमि(अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
2. फसलों का कम मूल्य(आ) सहकारी विपणन समितियाँ
3. कर्ज भार(इ) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव(ई) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता(उ) कम व्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना

उत्तर:

कृषि क्षेत्रक की समस्याएँकुछ संभावित उपाय
1. असिंचित भूमि(ई) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण
2. फसलों का कम मूल्य(इ) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
3. कर्ज भार(उ) कम व्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव(अ) कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
5. कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता(आ) सहकारी विपणन समितियाँ

4. विषम की पहचान करें और बताइए क्यों?

(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार।

उत्तर: पर्यटन-निर्देशक की गतिविधियाँ विषम हैं, क्योंकि धोबी, दर्जी और कुम्हार जैसे व्यक्ति आर्थिक गतिविधियों में लगे रहते हैं और धन कमा रहे हैं, वहीं पर्यटन-निर्देशक एक गैर-आर्थिक क्रिया कर रहा है।

(ख) शिक्षक डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील।

उत्तर: सब्जी विक्रेता विषम है क्योंकि बाकी तीनों व्यक्ति तृतीयक क्षेत्र में लगे हैं, जबकि सब्जी विक्रेता तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा नहीं है।

(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल।

उत्तर: “मोची द्वितीयक क्षेत्र में कार्य करता है, जबकि अन्य तृतीयक क्षेत्र में कार्य करते हैं।”

(घ) एम.टी.एन.एल. भारतीय रेल, एयर इण्डिया, जेट एयरवेज, ऑल इण्डिया रेडियो।

उत्तर: “सहारा एयरलाइंस प्राइवेट सेक्टर में है, जबकि अन्य एयरलाइंस पब्लिक सेक्टर में हैं।”

5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों का अध्ययन करके निम्न आँकड़े जुटाए–

कार्य स्थानरोजगार की प्रकृति श्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहितबाज़ारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक15
सड़कों पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक20
छोटी कार्यशालाओं में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं है

तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है?

उत्तर: 

कार्य स्थानरोजगार की प्रकृति श्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहितबाज़ारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिकसंगठित15
सड़कों पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिकअसंगठित20
छोटी कार्यशालाओं में काम करते लोग, जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैअसंगठित50

असंगठित क्षेत्रक में 70% श्रमिक काम करते हैं।

6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?

उत्तर: हाँ में सहमत हूँ कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में विभाजन की उपयोगिता है क्योंकि विभिन्न लोग विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़े होते हैं यह रोजगार की स्थिति को दर्शाता है।

आर्थिक गतिविधियों का विभाजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति को स्पष्ट करता है। उदाहरण के लिए, भारत जैसे विकासशील देशों में अधिकांश लोग प्राथमिक क्षेत्र में, जो कृषि और संबंधित गतिविधियाँ हैं, लगे हुए हैं। वहीं, विकसित देशों जैसे अमेरिका में अधिकांश लोग द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में कार्यरत होते हैं।”

7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) पर ही क्यों केन्द्रित करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।

उत्तर: “इस अध्याय में प्रत्येक क्षेत्र को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर केंद्रित किया जाना चाहिए, क्योंकि ये दोनों आर्थिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन दोनों पर ध्यान केंद्रित करने से किसी देश की अर्थव्यवस्था को समझने में मदद मिलती है। इसके अलावा, इन पर ध्यान केंद्रित करने से कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है, जैसे कि गरीबी में कमी, आधुनिक तकनीक का विकास, और आर्थिक क्षेत्र में विकास की असमानताओं को कम करना।”

8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: “मैं अपने आसपास के वयस्कों को विभिन्न कार्य करते हुए देखती हूँ। जैसे–

(i) प्राथमिक क्षेत्र: किसान, फल और फूल उत्पादक, सब्जी उत्पादक, पशु-पालक।

(ii) द्वितीयक क्षेत्र: निर्माण स्थल पर काम करना, कारखाना मालिक।

(iii) तृतीयक क्षेत्र: इंजीनियर, चिकित्सक, इलेक्ट्रीशियन, शिक्षक, दुकानदार, धोबी, बीमा प्रबंधक, सरकारी कर्मचारी, घरेलू कार्यकर्ता, सफाई कर्मचारी।

(iv) संगठित क्षेत्र: डॉक्टर, इंजीनियर।

(v) असंगठित क्षेत्र: दुकानदार, बिजली मिस्त्री, धोबी, स्वीपर, घरेलू कार्यकर्ता, बीमा प्रबंधक।”

9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।

उत्तर: तृतीयक क्षेत्रक परिवहन, संचार, बीमा, बैंकिंग, भण्डारण व व्यापार आदि से सम्बन्धित सेवाएँ प्रदान करता है। तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहते हैं। तृतीयक क्षेत्रक अन्य दो क्षेत्रकों से भिन्न है। इसका कारण है कि अन्य दो क्षेत्रक (प्राथमिक व द्वितीयक क्षेत्रक) वस्तुएँ उत्पादित करते हैं जबकि यह क्षेत्रक अपने आप कोई वस्तु उत्पादित नहीं करता है बल्कि इस क्षेत्रक में सम्मिलित क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रकों के विकास में माध्यम होती हैं अर्थात् ये प्राथमिक क्रियाएँ उत्पादन प्रक्रिया में मदद करती हैं।

“उदाहरण के लिए, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र द्वारा उत्पादित वस्तुओं को थोक और खुदरा विक्रेताओं तक पहुँचाने के लिए ट्रैक्टर, ट्रक और रेलगाड़ी द्वारा परिवहन की आवश्यकता होती है। इन वस्तुओं को कभी-कभी गोदाम या शीतगृह में भंडारण करने की आवश्यकता भी पड़ती है। इसके अलावा, उत्पादन और व्यापार की सुविधा के लिए कई बार टेलीफोन पर बातचीत करनी पड़ती है या पत्राचार करना होता है, और कभी-कभी बैंक से पैसे भी उधार लेने पड़ते हैं। इस प्रकार, परिवहन, भंडारण, संचार और बैंकिंग तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ हैं, जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र के विकास में सहायक होती हैं। अतः यह स्पष्ट है कि तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ, प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।”

10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।

उत्तर: “प्रच्छन्न बेरोज़गारी का मतलब यह है कि लोग काम करने के लिए तैयार होते हैं, लेकिन उन्हें पर्याप्त काम नहीं मिल पाता। इसे छिपी हुई बेरोज़गारी भी कहा जाता है, और यह अल्पकालिक बेरोज़गारी का एक रूप है। 

प्रच्छन्न बेरोज़गारी के कुछ उदाहरण हैं:

(i) शहरी क्षेत्र में, कोई व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी दुकान पर काम कर रहा है।

(ii) ग्रामीण क्षेत्र में, कोई किसान केवल मौसम के अनुसार काम करता है।

(iii) एक हैक्टेयर ज़मीन को जोतने के लिए 10 मज़दूरों की आवश्यकता होती है, लेकिन 15 मज़दूर काम कर रहे हैं। इस स्थिति में, 5 मज़दूर छिपे हुए बेरोज़गार माने जाते हैं।

(iv) एक छोटे पारिवारिक फ़ार्म में दस कर्मचारी एक ही काम कर रहे हैं। यदि तीन या चार व्यक्ति काम करना बंद कर दें, तो भी फ़ार्म का कुल उत्पादन नहीं बदलेगा।”

11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।

उत्तर: खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद है –

खुली बेरोज़गारीप्रच्छन्न बेरोज़गारी
खुली बेरोज़गारी में, योग्य व्यक्ति को प्रचलित मज़दूरी पर काम नहीं मिल पाता।प्रच्छन्न बेरोज़गारी में, व्यक्ति काम में लगे हुए दिखाई देते हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता शून्य होती है।
खुली बेरोज़गारी में, व्यक्ति को नौकरी मिलने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं होता।प्रच्छन्न बेरोज़गारी में, व्यक्ति को काम मिलता है, लेकिन वह काम ज़्यादा होता है, जो ज़रूरी नहीं होता।
खुली बेरोज़गारी में, व्यक्ति कुशल और शिक्षित होते हैं, लेकिन उन्हें अवसर का लाभ नहीं मिल पाता।प्रच्छन्न बेरोज़गारी में, व्यक्ति को पूरे दिन अपनी क्षमता से कम काम करने के लिए मजबूर किया जाता है।
खुली बेरोज़गारी से निपटने के लिए रोज़गार सृजन, कौशल विकास, और शिक्षा नीतियों की ज़रूरत होती है।प्रच्छन्न बेरोज़गारी के लिए उचित संसाधन आवंटन, प्रशिक्षण, और श्रम को ज़्यादा उत्पादक क्षेत्रों में स्थानांतरित करने की ज़रूरत होती है।

12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।

उत्तर: “मैं इस कथन से पूर्णतः सहमत नहीं हूँ कि तृतीयक क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।

(i) भारत में तृतीयक क्षेत्र या सेवा क्षेत्र कई अलग-अलग प्रकार के लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

(ii) प्राथमिक क्षेत्र को पीछे छोड़ते हुए, यह क्षेत्र अब भारत का सबसे बड़ा उत्पादन क्षेत्र बन गया है। जी.डी.पी. में तृतीयक क्षेत्र का हिस्सा अब 50% से अधिक है।”

13. भारत में सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है। ये लोग कौन हैं?

उत्तर: “हम इस कथन से पूर्णतः सहमत हैं कि भारत में सेवा क्षेत्र में दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित होते हैं।

भारत में ये दो प्रकार के लोग हैं: 

(i) अत्यंत कुशल और शिक्षित श्रमिक।

(ii) अकुशल और अशिक्षित श्रमिक।

सेवा क्षेत्र में अत्यंत कुशल और शिक्षित श्रमिक इसलिए लगे हैं क्योंकि आधुनिकीकरण के साथ-साथ सेवा क्षेत्र का विस्तार हो रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वृद्धि के कारण, अत्यंत कुशल श्रमिकों की आवश्यकता बढ़ी है।

दूसरी ओर, बहुत बड़ी संख्या में लोग छोटी दुकानों, मरम्मत कार्यों, परिवहन आदि सेवाओं में लगे हुए हैं। ये अकुशल और अशिक्षित श्रमिक हैं। ये लोग बड़ी मुश्किल से जीविका चला पाते हैं और वे इन सेवाओं में इसलिए लगे हुए हैं क्योंकि उनके पास कोई अन्य वैकल्पिक अवसर उपलब्ध नहीं हैं।”

14. “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।

उत्तर: असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की नौकरी सुरक्षित नहीं होती। उन्हें किसी भी समय बिना कारण बताए नौकरी से निकाला जा सकता है। उन्हें कम वेतन देकर अधिक समय तक काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। सरकारी नियम जो श्रमिकों सहायता के लिए बनाए गए है उनका इसमें कोई अनुसरण नहीं होता।

15. अर्थव्यवस्था में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती है?

उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की ज़िम्मेदारी एकल व्यक्ति या कंपनी के हाथों में होता है। रेलवे अथवा डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण है, जबकि टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड (टिस्को) अथवा रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कम्पनियाँ निजी स्वामित्व में हैं। कुछ गतिविधियाँ ऐसी हैं, जिन्हें सरकारी समर्थन की जरूरत पड़ती है। निजी क्षेत्रक उन उत्पादनों अथवा व्यवसायों को तब तक जारी नहीं रख सकते, जब तक सरकार उन्हें प्रोत्साहित नहीं करती है। जैसे, उत्पादन मूल्य पर बिजली की बिक्री से बहुत से उद्योगों में वस्तुओं की उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है। अनेक इकाइयाँ, विशेषकर लघु इकाईयाँ बन्द हो सकती हैं। यहाँ सरकार उस दर पर बिजली उत्पादन और वितरण के लिए कदम उठाती है जिस पर ये उद्योग बिजली खरीद सकते हैं। सरकार लागत का कुछ अंश वहन करती है।

16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार-परिस्थितियों की तुलना करें।

उत्तर: संगठित और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार-परिस्थितियों की तुलना है–

संगठित असंगठित क्षेत्रकअसंगठित क्षेत्रक
संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य-स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है।असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, जो अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं।
संगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा के लाभ मिलते हैं।असंगठित क्षेत्रक को अनौपचारिक क्षेत्र भी कहा जाता है।
उन्हें सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है।यह क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं होता।
कुछ लोग किसी के द्वारा नियोजित नहीं होते बल्कि वे स्वतः काम कर सकते हैं।इस क्षेत्रक में नियम और विनियम होते हैं, लेकिन उनका पालन नहीं होता।

17. मनरेगा 2005 (MGNREGA 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: म.गाँ.रा. ग्रा.रो.गा.अ.-2005 के अन्तर्गत उन सभी लोगों, जो काम करने में सक्षम हैं और जिन्हें काम की ज़रूरत है, को सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में वर्ष में 100 दिन के रोज़गार की गारंटी दी गई है। यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रहती है तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता देगी। अधिनियम के अन्तर्गत उस तरह के कामों को वरीयता दी जाएगी, जिनसे भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना तथा वैषम्य कीजिए।

उत्तर: सार्वजनिक क्षेत्र – वे उद्योग जो सरकारी तंत्र के अधीन होते हैं, सार्वजनिक क्षेत्र कहलाते हैं, जैसे भारतीय रेल, लोहा-इस्पात उद्योग, जहाज निर्माण आदि। सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसी वस्तुओं या सेवाओं का निर्माण होता है जो लोगों के कल्याण के लिए होती हैं। इनका उद्देश्य निजी लाभ कमाना नहीं होता, बल्कि सार्वजनिक लाभ होता है। इस क्षेत्र में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाता है।

निजी क्षेत्र – वे उद्योग जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं, निजी क्षेत्र कहलाते हैं। इसमें वे उद्योग आते हैं जो आम जनता की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, जैसे टेलीविजन, एयर कंडीशनर, फ्रिज आदि बनाने वाले उद्योग। ये गतिविधियाँ निजी लाभ कमाने के उद्देश्य से की जाती हैं। निजी क्षेत्र कल्याणकारी कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है, और यदि वह ऐसा करता भी है, तो उसकी अधिक कीमत लेता है, जैसे निजी विद्यालय सरकारी विद्यालयों से अधिक फीस वसूलते हैं। निजी क्षेत्र में वस्तुओं की कीमतों का निर्धारण बाजारी शक्तियों द्वारा होता है।

19. अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठनकुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
सार्वजनिक क्षेत्रक
निजी क्षेत्रक

उत्तर: 

सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठनकुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
सार्वजनिक क्षेत्रकएन.टी.पी.सीबी.एस.एन.एल
निजी क्षेत्रकटाटा पावरस्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी

20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता है? 

उत्तर: सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन (योजना, नीति, निर्णय या प्रोग्राम को वास्तविकता में बदलने की प्रक्रिया) स्वयं किया जाता है क्योंकि इन पर बहुत अधिक धन व्यय करना पड़ता है। इन गतिविधियों का इस्तेमाल करने वाले हजारों लोगों से मुद्रा एकत्र करना भी आसान नहीं है। फिर यदि वे इन गतिविधियों को निजी क्षेत्र के उपलब्ध करवाते हैं तो इसकी ऊंची कीमत लेते हैं।

सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के उदाहरण हैं: 

(i) डाकघर।

(ii) भारतीय रेलवे।

(iii) भारतीय संचार निगम लिमिटेड।

(iv) परिवहन निगम।

(v) विद्युत बोर्ड।

(vi) भारतीय जीवन बीमा निगम।

21. व्याख्या कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?

उत्तर: एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि इस क्षेत्र की अधिकांश परिसंपत्तियाँ सरकार के स्वामित्व में होती हैं, और सरकार इन सेवाओं को प्रदान करती है। अधिकांश आर्थिक गतिविधियाँ ऐसी होती हैं जिनकी प्राथमिक जिम्मेदारी सार्वजनिक क्षेत्र की होती है।

सार्वजनिक क्षेत्र, किसी देश के आर्थिक विकास में कई तरीकों से योगदान करता है। जैसे

(i) बुनियादी ढांचे का विकास: सार्वजनिक क्षेत्र बुनियादी ढांचे के निर्माण और विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उदाहरण के लिए, स्वतंत्रता के बाद सड़क, रेल और हवाई परिवहन से जुड़ी परियोजनाओं का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने ही किया था।

(ii) रोज़गार के अवसर: सार्वजनिक क्षेत्र रोजगार के अवसर पैदा करता है, जिससे बेरोज़गारी कम होती है।

(iii) वित्तीय संसाधन जुटाना: सार्वजनिक क्षेत्र, विकास के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद करता है।

(iv) आय और संपत्ति में समानता: सार्वजनिक क्षेत्र, लोगों के बीच आय और संपत्ति में समानता लाने में योगदान करता है।

(v) क्षेत्रीय विकास: सार्वजनिक क्षेत्र, पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों और कारखानों की स्थापना करता है, जिससे इन क्षेत्रों में आर्थिक विकास होता है।

22. असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।

उत्तर: हां असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- 

(i) मजदूरी: असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को कम वेतन मिलता है। उनका वेतन नियमित नहीं होता और अक्सर समय पर भी नहीं दिया जाता।

(ii) सुरक्षा: असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होती। काम करने की परिस्थितियाँ खतरनाक हो सकती हैं और चोट लगने का जोखिम रहता है।

(iii) स्वास्थ्य: असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को चिकित्सा सहायता नहीं मिलती। यदि कोई श्रमिक बीमार होकर छुट्टी लेता है, तो उसे वेतन भी नहीं दिया जाता।

23. अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997-98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी इसमें से 320 करोड़ रुपए संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी। इस आँकड़े को तालिका में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार-सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए?

उत्तर: 1997-98 में अहमदाबाद नगर के आँकड़े–

संगठित क्षेत्रअसंगठित क्षेत्रकुल
श्रमिकों की संख्या4,00,00011,00,00015,00,000
आय (करोड़ रू)320280600

इन आँकड़ों के अध्ययन से यह निष्कर्ष निकलता है कि संगठित क्षेत्र में असंगठित क्षेत्र की तुलना में कम श्रमिक लगे हैं। किंतु उनकी आय असंगठित क्षेत्र से ज्यादा है। इसका यह अर्थ हुआ कि असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों को बहुत कम वेतन मिलता है। नगर में अधिक रोजगार के सृजन के लिए इन तरीकों पर विचार किया जा सकता है। 

(i) शिक्षा के स्वरूप को बदलना होगा। शिक्षा तकनीकी तथा व्यवसायिक हो ताकि अधिक से अधिक लोग काम में लगें।

(ii) लोगों को स्वरोजगार प्रारंभ करने के लिए उचित वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्राप्त करानी चाहिए।

24. निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) रुपए (करोड़) में दिया गया है:

वर्षप्राथमिकद्वितीयकतृतीयक
200052,00048,5001,33,500
20138,00,50010,74,00038,68,000

(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.घ.उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।

उत्तर:

वर्षप्राथमिकद्वितीयकतृतीयक
200022.22%20.72%57.06%
20131.42%19.03%68.55%

(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।

उत्तर: दण्ड-आलेख में तीनों क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक) की हिस्सेदारी को 2000 और 2013 के वर्षों के लिए दिखाया जाएगा।

(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते हैं?

उत्तर: प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी घट गई।

द्वितीयक क्षेत्र स्थिर रहा।

तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ी, जो सेवाओं के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।

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