NCERT Class 10 Social Science Arthik Vikas ki Samajh Chapter 3 मुद्रा और साख

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NCERT Class 10 Social Science Arthik Vikas ki Samajh Chapter 3 मुद्रा और साख

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Chapter: 3

आर्थिक विकास की समझ
अभ्यास

1. जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए एक बड़ी समस्या बन सकता है। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई छोटा किसान किसी साहूकार से कर्ज लेता है, ताकि वह खेती के खर्चे पूरे कर सके, और इस आशा में कि फसल अच्छी होगी, वह कर्ज चुका पाएगा और कुछ बचत भी कर सकेगा। लेकिन अगर वर्षा कम या अत्यधिक हो, या फिर कीड़े-मकोड़े के कारण फसल खराब हो जाती है, तो उसकी फसल कम हो सकती है या बिल्कुल नष्ट हो सकती है। ऐसी स्थिति में वह कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाएगा। इससे कर्ज की रकम लगातार बढ़ने लगेगी, जो उसे चुकाना कठिन हो जाएगा। यदि अगले वर्ष फसल अच्छी भी हो, तो भी उसे पिछला कर्ज चुकाने में दिक्कत होगी, क्योंकि उसे अपने परिवार का निर्वाह भी करना होगा। ऐसे में उसे अपनी कुछ भूमि बेचने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे उसकी आय और भी कम हो जाएगी। इसलिए यह सही कहा गया है कि जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए समस्याएँ और भी बढ़ सकती हैं।

2. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।

उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या होती है। उदाहरण के लिए, यदि एक छात्र अपनी पुरानी किताबों को बेचकर बदले में एक गिटार लेना चाहता है, तो उसे ऐसा व्यक्ति ढूँढ़ना पड़ेगा जो अपनी किताबों के बदले गिटार देने के लिए तैयार हो। यह स्थिति काफी कठिन हो सकती है, क्योंकि दोनों पक्षों की आवश्यकताएँ एक-दूसरे से मेल नहीं खा सकतीं। लेकिन यदि वह छात्र अपनी किताबों को मुद्रा के बदले में बेचता है, तो वह आसानी से उस धन का उपयोग गिटार खरीदने के लिए कर सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या का समाधान करती है।

3. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?

उत्तर: जो लोग अतिरिक्त मुद्रा रखते हैं, वे अपनी बचत को बैंक में जमा कर देते हैं। बैंक इन जमाओं को जमा खातों के रूप में स्वीकार करते हैं। दूसरी ओर, कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ऋण की आवश्यकता होती है। ऐसे लोग औपचारिक चैनल के माध्यम से ऋण लेने के लिए बैंक जाते हैं। बैंक अपनी जमा राशि से ऐसे लोगों को ऋण प्रदान करता है। इस प्रकार, बैंक अतिरिक्त मुद्रा रखने वाले लोगों और ऋण की आवश्यकता वाले लोगों के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है।

4. 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?

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उत्तर: दस रुपये के नोट पर सबसे ऊपर भारतीय रिजर्व बैंक लिखा होता है और उसके बाद केंद्र सरकार द्वारा गारंटीकृत एक कथन होता है।

5. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्त्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?

उत्तर: भारत में राष्ट्र के समग्र विकास के लिए औपचारिक ऋण स्रोतों का विस्तार करना आवश्यक है। सस्ता और किफायती ऋण राष्ट्र के विकास की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि गरीब लोग सस्ते ऋणों का लाभ उठा सकें, यह जरूरी है कि औपचारिक ऋणों का वितरण अधिक समान रूप से किया जाए। आमतौर पर गरीबों को अनौपचारिक ऋण स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है, जबकि अमीर परिवार ही औपचारिक ऋण प्राप्त कर पाते हैं।

अनौपचारिक ऋणदाताओं से प्राप्त ऋण उधारकर्ताओं की आय में अत्यधिक वृद्धि करने में सक्षम नहीं होते, क्योंकि इन पर ब्याज दर बहुत अधिक होती है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) यह सुनिश्चित करता है कि बैंक न केवल व्यापारी और लाभ कमाने वाले व्यवसायों को ऋण प्रदान करें, बल्कि छोटे उधारकर्ताओं, लघु उद्योगों और छोटे कृषकों को भी ऋण उपलब्ध कराएं।

6. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या हैं? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।

उत्तर: गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों का मुख्य उद्देश्य उन्हें रोजगार सृजन का अवसर प्रदान करना है। आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋण की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं और उन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए एक उचित ब्याज दर पर ऋण प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, ये गुट ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करने में मदद करते हैं। इससे न केवल महिलाएं स्वावलंबी बनती हैं, बल्कि गुट की नियमित बैठकों के माध्यम से लोग विभिन्न सामाजिक मुद्दों जैसे- स्वास्थ्य, पोषण, और हिंसा आदि पर चर्चा कर सकते हैं।

7. क्या कारण हैं कि बैंक कुछ कर्ज़दारों को कर्ज़ देने के लिए तैयार नहीं होते?

उत्तर: कुछ कर्ज़दारों को बैंक कर्ज़ देने के लिए तैयार नहीं होते, क्योंकि वे भरोसेमंद कर्ज़दार नहीं होते। बैंक द्वारा कर्ज़ देने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं, और इन शर्तों को पूरा न करने पर बैंक कर्ज़ देने से कतराते हैं।

कर्ज़ देने से संबंधित कुछ कारण निम्नलिखित हैं:

(i) कर्ज़दार के पास गिरवी रखने के लिए कोई संपत्ति नहीं होती।

(ii) कर्ज़दार की ऋण चुकाने की क्षमता पर विश्वास नहीं किया जाता।

(iii) कर्ज़दार ने पहले के ऋणों को चुकाया नहीं है।

(iv) कर्ज़दार के पास बैंक को देने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ नहीं होते।

(v) कर्ज़ लेने के लिए कागज़ी प्रक्रिया करनी होती है, और गरीब व्यक्ति सामान्यतः अशिक्षित होने के कारण इस प्रक्रिया से दूर रहता है।

(vi) ग्रामीण इलाकों में बैंक कर्ज़ को अधिक जोखिमपूर्ण मानते हैं, क्योंकि वहां कर्ज़ वसूलना कभी-कभी कठिन हो जाता है।

8. भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह ज़रूरी क्यों है?

उत्तर: भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बैंकों की लेन-देन की जानकारी रखते हुए, बैंक दर में बदलाव कर और खुले बाजार की प्रक्रिया के माध्यम से उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखता है।

यह जरूरी है क्योंकि यदि बैंकों की गतिविधियों पर निगरानी नहीं रखी जाती और उन्हें अपनी इच्छानुसार कार्य करने की छूट दी जाती है, तो अर्थव्यवस्था की प्रगति संभव नहीं हो सकती। इसलिए, रिज़र्व बैंक का अन्य बैंकों की गतिविधियों पर निगरानी रखना अत्यंत आवश्यक है।

9. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर: हमारे जीवन की कई गतिविधियों में ऐसे अनेक सौदे होते हैं, जहाँ किसी-न-किसी रूप में ऋण का प्रयोग किया जाता है। ऋण (उधारी) एक समझौते का परिणाम होता है, जिसमें उधारदाता कर्जदार को धन, वस्तुएं या सेवाएं प्रदान करता है, और बदले में कर्जदार से भुगतान करने का वादा प्राप्त करता है।

10. मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिये ऋण की ज़रूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिये या साहूकार से? चर्चा कीजिए।

उत्तर: यदि कोई व्यक्ति छोटा कारोबार शुरू करने के लिए ऋण लेना चाहता है, तो उसे बैंक या साहूकार से ऋण लेने के बारे में कई पहलुओं पर विचार करना चाहिए:

(i) संपत्ति और कागज़ात: यदि व्यक्ति के पास संपत्ति या ऋणाधार है, तो वह बैंक से ऋण ले सकता है। अगर संपत्ति या ऋणाधार नहीं है, तो उसे साहूकार से ऋण लेना पड़ सकता है।

(ii) ब्याज़ दर: साहूकार अक्सर उच्च ब्याज़ दर पर ऋण प्रदान करता है, जबकि बैंक से ऋण लेने पर ब्याज़ दर कम होती है।

(iii) भुगतान की शर्तें: ऋण देने वाला स्रोत जहाँ शर्तें अधिक सुविधाजनक हों, वहीं से ऋण लेना चाहिए।

(iv) नुकसान: अनौपचारिक क्षेत्र से ऋण लेने के संभावित नुकसानों के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है।

(v) बैंक की उपलब्धता: यदि व्यक्ति के आस-पास कोई बैंक उपलब्ध नहीं है, तो उसे साहूकार से ऋण लेना पड़ सकता है।

(vi) गतिविधियों पर निगरानी: साहूकार की गतिविधियों पर कोई नियामक संस्था निगरानी नहीं रखती, जो एक जोखिम हो सकता है।

11. भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की ज़रूरत होती है।

(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?

उत्तर: बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि वे किसान ऋण की शर्तें पूरी नहीं कर पाते। उनके पास ऋणाधार की कमी होती है, जिससे ऋण प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।

(ख) वे दूसरे स्रोत कौन हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं।

उत्तर: छोटे किसान आमतौर पर साहूकारों से ऋण लेते हैं, जो बिना किसी ऋणाधार के कर्ज़ दे देते हैं, लेकिन इन पर ब्याज दरें अधिक होती हैं।

(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्तें छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं।

उत्तर: ऋण की शर्तें छोटे किसानों के लिए प्रतिकूल हो सकती हैं। ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की मांग, और भुगतान के तरीके आदि ऋण की शर्तों में शामिल होते हैं। उदाहरण स्वरूप, यदि कोई छोटा किसान ऋण लेना चाहता है, तो उसे अपनी आय, संपत्ति आदि से संबंधित कागजात देने होते हैं। यदि किसान के पास ये दस्तावेज़ नहीं होते, तो उसे ऋण प्राप्त नहीं हो पाता।

(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।

उत्तर: छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है। इसके लिए सहकारी समितियों की स्थापना की जा सकती है, जो किसानों, बुनकरों, औद्योगिक श्रमिकों आदि को सस्ते दरों पर ऋण प्रदान कर सकती हैं। ये सहकारी समितियाँ कृषि उपकरण खरीदने, खेती, व्यापार, मछली पकड़ने, घर बनाने और अन्य खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती हैं।

12. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

(क) ………… परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्त्रोतों से पूरी होती हैं।

उत्तर: गरीब।

(ख) ………… ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है।

उत्तर: उच्च।

(ग) ………….. केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।

उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक।

(घ) ………….. बैंक पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक व्याज लेते हैं।

उत्तर: जमा।

(ङ) ………….. सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्ज़दार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।

उत्तर: गरीबी।

13. सही उत्तर का चयन करें-

(क) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिए जाते हैं–

(i) बैंक द्वारा।

(ii) सदस्यों द्वारा।

(iii) गैर सरकारी संस्था द्वारा।

उत्तर: (ii) सदस्यों द्वारा।

(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है-

(i) बैंक।

(ii) सहकारी समिति।

(iii) नियोक्ता।

उत्तर: (iii) नियोक्ता।

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