NCERT Class 10 Science Chapter 5 जैव प्रक्रम

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NCERT Class 10 Science Chapter 5 जैव प्रक्रम

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जैव प्रक्रम

Chapter – 5

GENERAL SCIENCE

Page no – 90 Question 

1. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?

उत्तर: विसरण क्रिया द्वारा बहुकोशिकीय जीवो में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन शरीर के प्रत्येक अंग में नहीं पहुंचाय जा सकता है। बहुकोशिकीय जीवो में ऑक्सीजन बहुत आवश्यक होता है। बहुकोशिकीय जीवो की संरचना अति जटिल होती है। अतः प्रत्येक अंग को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जो विसरण क्रिया नहीं पूरी कर सकती है।

2. कोई वस्तु सजीव है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मापदंड का उपयोग करेंगे? 

उत्तर: सजीव वस्तुए निरंतर गति करती रहती है। चाहे वे सुप्त अवस्था में ही हो। बाह्य रूप से वे अचेत दिखाई देते है। उनके अणु गतिशील रहते है। इससे उनके जीवित होने का प्रमाण मिलता है।

3. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?

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उत्तर: जीवो को शारीरिक वृद्धि के लिए बाहर से अतिरिक्त कच्ची सामग्री की आवश्यकता होती है। पृथ्वी पर जीवन कार्बन अणुओं पर आधारित है। अतः यह खाद्य पदार्थ कार्बन पर निर्भर है। ये कार्बनिक यौगिक भोजन का ही अन्य रूप है। इनमे ऑक्सीजन व कार्बन-डाइआक्साइड का आदान प्रदान प्रमुख है। इसके अतिरिक्त जल व खनिज लवण अन्य है। हरे पौधे इन कच्चे पदार्थ साथ सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में स्टार्च का निर्माण होता है।

4. जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रमों को आवश्यक मानेंगे?

उत्तर: अनेक जैविक क्रियाएँ जीवन के अनुरक्षण के लिए आवश्यक है जैसे: पोषण, गति, श्वसन, वृद्धि एवं उत्सर्जन।

Page no – 96 Question

1. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है?

उत्तर: 

स्वयंपोषी पोषणविषमपोषी पोषण
स्वयंपोषी पोषण हरे पौधा मै होता है।विषमपोषी पोषण हरे पौधों और कुछ शैवालों को छोड़कर बाकी सभी जीवों में पाया जाता है।
इसमै क्लोरोफिल होता हैं इसमै क्लोरोफिल नहीं  होता हैं
उदाहरण- हरे पौधा, स्वपोषी जीवाणुउदाहरण- अमीबा, मनुष्य आदि।

2. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?

उत्तर: (i) जल – पौधे की जडे भूमि से जल प्राप्त करती है।

(ii) कार्बन – डाइआक्साइड – पौधे इसे वायुमंडल से रंध्रो द्वारा प्राप्त करते है।

(iii) क्लोरोफिल – हरे पत्तो में क्लोरोप्लास्ट होता है, जिसमे क्लोरोफिल मौजूद होता है।

(iv) सूर्य का प्रकाश – सूर्य द्वारा इसे प्राप्त करते है।

3. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?

उत्तर: हमारे आमाशय में अम्ल भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है तथा माध्यम को अम्लीय बनाता है जो पेप्सिन एन्जाइम की क्रिया में सहायक होता है। 

4. पाचक एंजाइमों का क्या कार्य है?

उत्तर: पाचन एंजाइम जटिल भोजन को सरल, सूक्ष्म तथा लाभदायक पदार्थों में बदल देता है। ये सरल अणु रक्त द्वारा आसानी से अवशोषित किए जा सकते हैं और इस प्रकार शरीर की सभी कोशिकाओं में परिवहन किए जाते हैं।

5. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है? 

उत्तर: पचा हुआ भोजन क्षुद्रांत्र में अवशोषित होता है। क्षुद्रांत्र में हजारों सूक्ष्म, अंगुलिनुमा विल्ली होती हैं, जिनकी वजह से इसका आंतरिक क्षेत्रफल बढ़ जाता है। क्षेत्रफल के बढ़ने से अवशोषण की क्षमता भी बढ़ जाती है। यह अवशोषित भोजन रक्त में पहुंचता है।

Page no – 101 Question 

1. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?

उत्तर: स्थलीय जीव श्वसन के लिए वायुमंडल की ऑक्सीजन का उपयोग करते है। जो जीव जल में रहते हैं वे जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते है। जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु मे ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में कम है, इसलिए जलीय जीवो की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा कम होती है।

2. ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?

उत्तर: ग्लूकोज़ सबसे पहले तीन कार्बन वाले अणु पायस्वेट मे विखंडित होता है। यह प्रक्रम कोशिकाद्रव्य में होता है। इसके बाद पायरुवेट इथेनॉल तथा कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होता है। यह प्रक्रम वायु की अनुपस्थिति में होता है इसलिए इसे अवायवीय श्वसन कहते है। ऑक्सीजन का उपयोग करके पायरुवेट के अणु विखंडित होकर तीन कार्बन डाइऑक्साइड के अणु और जल देता है। यह प्रक्रम वायु की उपस्थिति में होता है इसलिए इसे वायवीय श्वसन कहते हैं।

3. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?

उत्तर: मनुष्यों में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन श्वसन प्रक्रिया के द्वारा होता है। यह प्रक्रिया फेफड़ों द्वारा संपन्न की जाती है। फेफड़ों में साँस के द्वारा पहुंची वायु से हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कण) ऑक्सीजन को ग्रहण करता है, जो फिर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचता है। इस प्रकार, ऑक्सीजन शरीर के प्रत्येक अंग तक पहुँचती है।

इसी प्रकार, CO₂, जो हमारे शरीर में ग्लूकोज़ के टूटने से ऊर्जा में बदलने पर बनती है, रक्त में घुलकर प्लाज़्मा में समा जाती है। यह CO₂ फिर प्लाज़्मा के द्वारा पूरे शरीर से रक्त में वापस आ जाती है और अंत में नाक के माध्यम से बाहर निकल जाती है।

4. गैसों के विनिमय के लिए मानव-फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया है? 

उत्तर: फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी-छोटी नलिकाओ में विभाजित हो जाता है जो अत में गुब्बारे जैसी रचना में अतकृत हो जाता है जिसे कूपिका कहते है। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसो का विनिमय हो सकता है।

Page no – 107 Question 

1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?

उत्तर: मानव में वहन तंत्र के प्रमुख घटक है हृदय, रूधिर तथा रूधिर वाहिकाए।

(i) हृदय: हृदय एक पम्प की तरह रक्त का शरीर के विभिन्न अंगो से आदान-प्रदान करता है।

(ii) रूधिर: इनमे तीन रक्त कण होते है। इनका तरल माध्यम प्लाज़्मा है। रक्त शरीर मे CO₂ भोजन, जल, ऑक्सीजन, तथा अन्य पर्दाथ का वहन करती है। RBC कोशिकाओं CO₂ तथा ऑक्सीजन गैसों तथा अन्य पदार्थ का वहन करता है। WBC शरीर में बाहर से आए जीवाणुओं से लड़कर शरीर को रोग मुक्त करता है। प्लेटलेट्स चोट लगने पर रक्त को बहने से रोकता है।

2. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?

उत्तर: स्तनधारी तथा पक्षियो को अपने शरीर के तापमान को वातावरण के अनुकूल बनाए रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ज्यादा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना आवश्यक है।

3. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या है? 

उत्तर: उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के प्रमुख घटक है।

(i) जाइलम ऊतक: जाइलम मृदा से प्राप्त जल और खनिज लवणों को वहन करता है।

(ii) फ्लोएम ऊतक: फ्लोएम पत्तियों से प्रकाशसंश्लेषण के उत्पादों को पौधों के अन्य भागो तक वहन करता है। फ्लोएम अमीनो अम्ल तथा अन्य पदार्थों का परिवहन भी करता हैं।

4. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?

उत्तर: पादप में जल और खनिज लवण का वहन जाइलम ऊतक करता है। जड़ो की कोशिकाए मृदा के अंदर होती है तथा वह आयन का आदान – प्रदान करती है। यह जड़ और मृदा में जड़ के आयन में एक अंतर उत्पन्न करता है। इस अंतर को समाप्त करने के लिए जल गति करते हुए जड़ के जाइलम में जाता है और जल के स्तंभ का निमार्ण करता है, जो लगातार ऊपर की ओर धकेला जाता है। यह दाब जल को ऊपर की तरफ पहुंचा नही सकता है। पत्तियो के द्वारा वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा जल की हानि होती है, जो जल को जड़ो में उपस्थित कोशिकाओ द्वारा खीचता है। अतः वाष्पोत्सर्जन कर्षण जल की गति के लिए महत्वपूर्ण बल होता है।

5. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?

उत्तर: पौधों में पत्तियों प्रकाशसंश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करती है। प्रकाशसंश्लेषण के विलेय उत्पादो का वहन स्थानांतरण कहलाता है और यह सवहन ऊतक के फ्लोएम नामक भाग ‌द्वारा होता है।

Page no – 109 Question 

1. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।

उत्तर: वृक्क उदर मे रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर स्थित होते हैं। वृक्क में आधारी निस्यदन एकक, बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ होता है। प्रत्येक कोशिका गुच्छ एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अंदर होता है। वृक्क में ऐसे अनेक निस्यदन एकक होते है जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते है। प्रारंभिक निस्यद में कुछ पदार्थ जैसे ग्लूकोज़, अमीनो अम्ल, लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लबी नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरवशोषण हो जाता है। 

2. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं।

उत्तर: उत्सर्जी उत्पाद से छूटकारा पाने के लिए निम्न विधिया है-

(i) प्रकाशसंश्लेषण में पौधे ऑक्सीजन उत्पन्न करते है तथा कार्बन डाइआक्साइड श्वसन के लिए रंध्री द्वारा उपयोग में लाते है।

(ii) पौधे अधिक संख्या में उपस्थित जल को वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा कम कर सकते है।

(iii) पौधे कुछ अपशिष्ट पदार्थ को अपने आस पास के मृदा को उत्सर्जित कर देते है।

3. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?

उत्तर: मनुष्य के द्वारा पिया जाने वाले पानी व शरीर द्वारा अवशोषिण पर मूत्र की मात्रा निर्भर करता हैं। जल की बाहर निकलने वाली मात्रा इस आधार पर निर्भर करती है कि उसे कितना विलेय वर्ज्य पदार्थ उत्सर्जित करना है। अतिरिक्त जल का वृक्क में पुनरावशोषण कर लिया जाता है और उसका पुन: उपयोग हो जाता है।

अभ्यास

1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है, जो संबंधित है-

(a) पोषण।

(b) श्वसन।

(c) उत्सर्जन।

(d) परिवहन।

उत्तर: (c) उत्सर्जन।

2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है-

(a) जल का वहन।

(b) भोजन का वहन।

(c) अमीनो अम्ल का वहन।

(d) ऑक्सीजन का वहन।

उत्तर: (a) जल का वहन।

3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है-

(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल।

(b) क्लोरोफिल।

(c) सूर्य का प्रकाश।

(d) उपरोक्त सभी।

उत्तर: (d) उपरोक्त सभी।

4. पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है-

(a) कोशिकाद्रव्य।

(b) माइटोकॉन्ड्रिया।

(c) हरित लवक।

(d) केंद्रक।

उत्तर: (a) कोशिकाद्रव्य।

5. हमारे शरीर में वसा  का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?

उत्तर: हमारे शरीर में वसा का पाचन क्षुद्रांत्र में होता है। यह आहारनाल का सबसे लबा भाग होता है। वसा के पाचन के लिए यह यकृत तथा अग्न्याशय से स्रावण प्राप्त करती है। क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रंथि होती है जो आत्र रस स्रावित करती है। इसमे उपस्थित एंजाइम वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल मे परिवर्तित कर देते है। 

6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?

उत्तर: भोजन को पचाने के लिये उसे दसरल टुकड़ों में खंडित करना जरूरी होता है। लार एक रस है जो लाल ग्रंथि से स्त्रावित होता है। लार में एक एंजाइम होता है जिसे लार एमिलेस कहते हैं, यह जटिल अणुओं को सरल शर्करा में खंडित कर देता है। भोजन को चबाने के दौरान पेशीय जिह्वा भोजन को लार के साथ पूरी तरह से मिला देती है।

7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?

उत्तर: पृथ्वी पर केवल हरे – पौधे स्वपोषी होते है जो अपना भोजन स्वयं बनाते है। इसके लिए कुछ परिस्थितियों कि आवश्यकता पड़ती है-

जैसे:

(i) क्लोरोफिल की उपस्थिति।

(ii) कार्बन डाईऑक्साइड गैस।

(iii) सूर्य का प्रकाश।

(iv) पर्याप्त मात्रा में जल।

(v) स्थलीय पौधे जड़ों द्वारा मिट्टी में उपस्थित जल एवं अन्य पदार्थ जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, लोहा आदि अवशोषित करते है।

8. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर हैं? कुछ जीवो के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।

उत्तर: 

वायवीय श्वसनअवायवीय श्वसन
1 यह प्रक्रम वायु  की  उपस्थिति में होता है।1 . यह प्रक्रम वायु  की अनुपस्थिति में होता है।
2. ग्लूकोज़ पूर्णतः विखंडित होता है।2. ग्लूकोज़ का आंशिक विखंडित होता है।
3. इसके अंतिम उत्पाद: CO₂, जल तथा ऊर्जा है।3. इसके अंतिम उत्पाद: इथाइल एल्कोहॉल व CO₂

9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कूपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?

उत्तर: फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी नलिकाओ में परिवर्तित हो जाता है जो अंत मे गुब्बारे जैसी रचना में अतकृत हो जाता है, इन्हें कूपिका कहते है। कपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसो का विनिमय हो सकता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। 

10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के क्या परिणाम हो सकते हैं?

उत्तर: हीमोग्लोबिन श्वसन वर्णक है जो श्वसन के लिए शरीर की कोशिकाओ में ऑक्सीजन पहुंचाता है। यह वर्णक लाल रुधिर कणिकाओ में उपस्थित होता है। हीमोग्लोबिन की कमी से हमारे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया नामक बीमारी भी हो सकती है। हीमोग्लोबिन की कमी के परिणामस्वरूप कमजोरी महसूस होना, पीलापन, चक्कर आना, साँस लेने में तकलीफ आदि भी हो सकता है। 

11. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?

उत्तर: कार्बन डाईऑक्साइड प्रचुर रुधिर को कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ने के लिए फुफ्फुस में जाना होता है तथा फुफ्फुस से वापस ऑक्सीजनित रुधिर को हृदय में लाना होता है। इस तरह दो चक्र में रुधिर हृदय में जाता है इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं। रुधिर को हमारे शरीर में ऑक्सीजन और कार्बन डाईऑक्साइड दोनों का ही वहन करना होता है। ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर को कार्बन डाईऑक्साइड युक्त रुधिर से मिलने को रोकने के लिए हृदय कई कोष्ठों में बंटा होता है। इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है।

12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?

उत्तर: 

जाइलम द्वारा पदार्थों का वहन फ्लोएम द्वारा पदार्थो का वहन 
1. इसमें जल एवं खनिज लवण केवल उपरिमुखी दिशा में संवाहित होते है।1. इसमें भोजन, अमीनो अम्ल का संवहन दोनों दिशाओ में उपरिमुखी तथा अधोमुखी होता है।
2. इसमें जल तथा लवण का संवहन दाब तथा वाष्पोत्सर्जन कर्षण द्वारा होता है।2. इसमें ATP ऊर्जा का प्रयोग होता है।

13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रान) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।

उत्तर: कृपिकाओ की रचना तथा क्रियाविधि फुफ्फुस के अदर मार्ग छोटी नलिकाओं में परिवर्तित हो जाता है जो अंत मे गुब्बारे जैसी रचना में अतकृत हो जाता है, इन्हें कृपिका कहते है। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसो का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओ का विस्तीर्ण जाल होता है। रुधिर शरीर से कार्बन डाईऑक्साइड कूपिकाओ में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है।

वृक्काणु:

(i) वृक्काणु शुद्ध व अशुद्ध रुधिर वायु का वहन करती है।

(ii) वृक्काणु लुपदार बड़े का आकार के होता है।

(iii) वृक्काणु शरीर में नाइट्रोजन युक्त रसायन मूत्र के रूप में निकलती है।

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