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Class 10 Hindi Elective Chapter 2 छोटा जादूगर
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छोटा जादूगर
पाठ – 2
अभ्यासमाला |
बोध एवं विचार:
1. सही विकल्प का चयन करो:
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद का जन्म हुआ था-
(i) काशी में।
(ii) इलाहाबाद में।
(iii) पटना में।
(iv) जयपुर में।
उत्तर: (i) काशी में।
(ख) जयशंकर प्रसाद जी का साहित्यिक जीवन किस नाम से आरंभ हुआ था?
(i) ‘विद्याधर’ नाम से।
(ii) ‘कलाधर’ नाम से।
(iii) ‘ज्ञानधर’ नाम से।
(iv) ‘करुणाधर’ नाम से।
उत्तर: (ii) ‘कलाधर’ नाम से।
(ग) प्रसाद जी का देहावसान हुआ-
(i) 1936 ई. में।
(ii) 1935 ई. में।
(iii) 1938 ई. में।
(iv) 1937 ई. में।
उत्तर: (iv) 1937 ई. में।
(घ) कार्निवाल के मैदान में लड़का चुपचाप किनको देख रहा था ?
(i) चाय पीने वालों को।
(ii) मिठाई खाने वालों को।
(iii) गाने वालों को।
(iv) शरबत पीने वालों को।
उत्तर: (iv) शरबत पीने वालों को।
(ङ) लड़के को जादूगर का कौन-सा खेल अच्छा मालूम हुआ?
(i) खिलौने पर निशाना लगाना।
(ii) चूड़ी फेंकना।
(iii) तीर से नम्बर छेदना।
(iv) ताश का खेल दिखाना।
उत्तर: (i) खिलौने पर निशाना लगाना।
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम क्या है?
उत्तर: जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रथम कहानी का नाम ग्राम है।
(ख) प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम बताओ?
उत्तर: प्रसाद जी द्वारा विरचित महाकाव्य का नाम लहर और कामायनी।
(ग) लड़का जादूगर को क्या समझता था?
उत्तर: लड़का जादूगर को निकम्मा समझता था।
(ङ) श्रीमान ने कितने टिकट खरीद कर लड़के को दिए थे?
उत्तर: श्रीमान ने बारह टिकट खरीद कर लड़के को दिए थे।
(च) लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय किस प्रकार दिया था?
उत्तर: लड़के ने हिंडोले से अपना परिचय छोटा जादूगर कहकर दिया था।
(छ) बालक (छोटे जादूगर) को किसने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था?
उत्तर: बालक (छोटे जादूगर) को लेखक ने बहुत ही शीघ्र चतुर बना दिया था।
(ज) श्रीमान कलकत्ते में किस अवसर पर की छुट्टी बिता रहे थे?
उत्तर: श्रीमान कलकत्ते में बड़े दिन की छुट्टी बीता रहे थे।
(झ) सड़क के किनारे कपडे पर सजे रंगमंच पर खेल दिखाते समय छोटे जादूगर की वाणी में स्वभावसुलभ प्रसन्नता की तरी क्यों नहीं थी?
उत्तर: क्योंकि उस दिन उसके मां ने उसे जल्दी ही लोटने को कहा है।
(ञ) मृत्यु से ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से कौन-सा अधूरा शब्द निकला था?
उत्तर: मृत्य ठीक पहले छोटे जादूगर की माँ के मुँह से बे… अधूरा शब्द निकला था।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में):
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय किन क्षेत्रों में मिलता है?
उत्तर: बाबू जयशंकर प्रसाद की बहुमुखी प्रतिभा का परिचय उनके कविता, नाटक, कहानी, उपन्यास यानी रचना की सभी विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी। उनकी कामायनी, आंसू, कानन-कुसुम, प्रेम पथिक, झरना और लहर कुछ प्रमुख कृतियों की पक्तियों के माध्यम से मिलते है।
(ख) श्रीमान ने छोटे जादूगर की पहली भेंट के दौरान किस रूप में देखा था?
उत्तर: श्रीमान ने छोटे जादूगर की पहली भेंट के दौरान उस छोटे फुहारे के पास, जहाँ एक लड़का चुपचाप शरबत पीने वालों को देख रहा था। उसके गले में फटे कुरते के ऊपर एक मोटी-सी सूत की रस्सी पड़ी थी और जेब में कुछ ताश के पत्ते थे।
(ग) “वहाँ जाकर क्या कीजिएगा?” छोटे जादूगर ने ऐसा कब कहा था?
उत्तर: लेखक ने लड़के को परदे तक ले जाने के लिए चलने को कहा और मन ही मन वे लड़के को आज की मित्र सोच रहे थे तभी उस लड़के ने आश्चर्य होकर कहा वहाँ जाकर क्या किजीएगा।
(घ) निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर की कार्य कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: निशानेबाज के रूप में छोटे जादूगर एक पक्का निशानेबाज निकला उसका कोई गेंद खाली नहीं गया। देखने वाले दंग रह गए। उसने बारह खिलौनों को बटोर लिया।
(ङ) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान-श्रीमती को छोटा जादूगर किस रूप में मिला था?
उत्तर: कोलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान श्रीमती को छोटा जादूगर इस रूप में मिला की लाल कमलिनी से भरी हुई एक छोटी-सी झील के किनारे घने वृक्षों की छाया में अपनी मण्डली के साथ बैठा हुआ मैं जलपान कर रहा था। इतने में वही छोटा जादूगर दिखाई पड़ा।
(च) कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के !’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में उसने क्या कहा?
उत्तर: कलकत्ते के बोटानिकल उद्यान में श्रीमान ने जब छोटे जादूगर को ‘लड़के!’ कहकर संबोधित किया, तो उत्तर में लड़के ने कहा की छोटा जादूगर कहिए यही मेरा नाम है। इसी से मेरी जीविका है।
(छ) “आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?” इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या कहा?
उत्तर: आज तुम्हारा खेल जमा क्यों नहीं?” इस प्रश्न के उत्तर में छोटे जादूगर ने कहा की माँ ने आज मुझे घर जल्दी आने की हिदायत दी थी क्योंकि उसे यह आभास हो रहा था कि उसकी मृत्यु की घड़ी समीप है।
4. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):
(क) प्रसाद जी की कहानियों की विशेषताओं का उल्लेख करो।
उत्तर: प्रसाद जी ने लगभग सत्तर कहानियाँ हिंदी को भेंट की हैं। ये कहानियां छाया, प्रतिध्वनि, आकाश-दीप, आधी, इंद्रजोल आदि संग्रहों में संकलित हैं। उनकी प्रथम कहानी ‘ग्राम’ 1911 ई. में ‘इंदु’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। कहानीकार के रूप में आप भाववादी धारा के प्रवर्तक कहलाएँ। आपकी अधिकांश कहानियों में चारित्रिक उदारता, प्रेम, करुणा, त्याग बलिदान, अतीत के प्रति मोह से युक्त भावमूलक आदर्श की अभिव्यक्ति हुई है। उन्होंने अपने समकालीन समाज की आर्थिक विपन्नता, निरीहता, अन्याय और शोषण को भी कुछेक कहानियों में चित्रित किया है।
(ख) “क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा? इस प्रश्न का उत्तर छोटे जादूगर ने किस प्रकार दिया था ?
उत्तर: क्यों जी, तुमने इसमें क्या देखा इस प्रश्न का उत्तर देते हुए छोटे जादूगर कहा “मैंने सन देखा। यहाँ चूड़ी फेंकते हैं। खिलौने पर निशाना लगाते हैं। तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौने पर निशाना लगाना अच्छा मालूम हुआ। जादूगर तो बिल्कुल निकम्मा है। उससे अच्छा तो ताश का खेल मैं दिखा सकता हूँ।
(ग) अपने माँ-बाप से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादूगर ने क्या क्या कहा था?
उत्तर: अपने माँ बाप के संबंधित प्रश्नों के उत्तर में छोटे जादुगर ने कहा कि – बाबुजी जेल में है और इस बात को बड़े गर्व से कहा कि देश के लिए ही जेल में गया। माँ बीमारी है। यह भी कहा कि माँजी के बीमारी के कारण वह जेल में नही गया। क्योंकि कुछ लोगों को तमाशा दिखाकर माँ के लिए दवादारु के प्रबंध करना है।
(घ) श्रीमान ने तेरह चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को किसलिए आश्चर्य से देखा था?
उत्तर: श्रीमान ने तेरह चौदह वर्ष के छोटे जादूगर को इसलिए आश्चर्य से देखा था क्योंकि उसके मुँह पर तिरस्कार की हँसी फूट पड़ी उसने कहा तमाशा देखने नही दिखाने निकला हूं। कुछ पैसे ले जाऊंगा तो मां को प्थय दूंगा। मुझे शरबत न पिलाकर अपने मेरा खेल देखकर मुझे कुछ दे दिया होता तो मुझे अधिक प्रसन्नता होती है।
(ङ) श्रीमती के आग्रह पर छोटे जादूगर ने किस प्रकार अपना खेल दिखाया?
उत्तर: वह कार्निवल के मैदान में मिले सब खिलौने लेकर श्रीमती के अनुरोध रक्षा करने के कौशिश किया जैसे भालु नाचने लगा। बिल्ली रुठने लगी। बन्दर घुड़कने लगा। गुद्दा को बर बनाकर गुड़िया से व्याह दिया। वह ऐसे ही खिलौने से अभिनय बनाया कि देखते देखते सब आनन्दित हो गया। हँसते हँसते लोटपोट हो गया।
(च) हवड़ा की ओर आते समय छोटे जादूगर और उसकी माँ के साथ श्रीमान की भेंट किस प्रकार हुई थी?
उत्तर: हवड़ा की और आते समय छोटे जदूगर और उसकी मां के साथ श्रीमान की भेंट इस तरह हुई जब उस दिन श्रीमती ने छोटा जादूगर के खेल देखकर एक रुपया दिए थे। श्रीमती ने पूछा की इस पैसे का तुम क्या करोगे उत्तर देते हुए छोटा जादूगर ने कहा पहले भर पेट पकौड़ी खाऊँगा। फिर एक सूती कम्बल लूँगा।”मेरा क्रोध अब लौट आया। मैं अपने पर बहुत कुद्ध होकर सोचने लगा-‘ओह! कितना स्वाथों हूँ।
(छ) सड़क के किनारे कपड़े पर सजे रंगमंच पर छोटा जादूगर किस मनःस्थिति में और किस प्रकार खेल दिखा रहा था?
उत्तर: सड़क के किनारे एक कपड़े पर छोटे जादूगर का रंगमंच सजा था। मोटर रोककर उतर पड़ा। वहाँ बिल्ली रूठ रही थी। भालू मनाने चला था। ब्याह की तैयारी थी, यह सब होते हुए भी जादूगर की वाणी में वह प्रसन्नता की तरी नहीं थी। जब वह औरों को हँसाने की चेष्टा कर रहा था, तब वह जैसे स्वयं कैंप जाता था। मानो उसके रोएँ रो रहे थे। मैं आश्चर्य से देख रहा था। खेल हो जाने पर पैसा बटोर कर उसने भीड़ में मुझे देखा।
(ज) छोटे जादूगर और उसीक माँ के साथ श्रीमान की अंतिम भेंट का अपने शब्दों में वर्णन करो।
उत्तर: श्रीमान ने चलते चलते बोटानिकल उद्यान को देखने की इच्छा हुई थी। साथ ही यह भी इच्छा थी कि कहीं जादूगर को दिखाई पड़े तो अच्छा है। किन्तु सोच ठीक हिसाब से जादूकर को दिखाई पड़ा रास्ते के किनारे वह एक कपड़े पर रंगमंच सजा था। एक समय में खेल शुरु हुआ अंत भी हुआ और उसने भीड़ में श्रीमान को देख लिया। श्रीमान ने पूछा- “आज तुमहारा खेल जमा क्यों नहीं ? लड़का ने कहा- “माँ ने आज तुरंत चले आने को कहा है उसकी घड़ी’ का समीप आ गया।
श्रीमान जी समझ गया और अपने गाड़ी में लड़का को बैठाकर झोपड़ी के पास पहुँचा। जादूगर दौड़कर झोंपड़े में मां- माँ पुकारते हुए घुसा। मैं भी पीछे था, किन्तु स्त्री के मुँह से “बे..” निकल कर रह गया। उसके दुर्बल हाथ उठकर गिर गए। जादूगर उससे लिपटा रो रहा था, श्रीमान स्तब्ध था। उस उज्ज्वल धूप में समग्र संसार जैसे जादू-सा मेरे चारों ओर नृत्य करने लगा।
5. सम्यक उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में):
(क) बाबू जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक देन का उल्लेख करो।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद को हिन्दी काव्य में छायावाद की स्थापना का श्रेय जाता है। उनके द्वारा रचित खड़ी बोली के काव्य में न केवल कमनीय माधुर्य की रससिद्ध धारा प्रवाहित हुई, बल्कि जीवन के सूक्ष्म और व्यापक आयामों के चित्रण की शक्ति भी संचित हुई। साहित्यकार के अलावा आप इतिहास एवं पुरातत्व के विद्वान तथा एक गंभीर चिन्तक भी थे। भारतीय सभ्यता-संस्कृति, धर्म दर्शन, भक्ति-अध्यात्म के प्रति गहरी रुचि रखने वाले प्रसाद जी ने इन्हें अपनी रचनाओं के माध्यम से उजागर करने का भरपूर प्रयास किया है। साथ ही आपने यांत्रिकता, बुद्धिवादिता और भौतिकता की अतिरेकता से उत्पन्न आधुनिक जीवन की विविध मूलभूत समस्याओं को चिह्नित करके अपने ढंग से उनका समाधान निकालने की भी कोशिश की है। इन महान प्रयासों के कारण आपके साहित्य की प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है।
(ख) छोटे जादूगर के मधुर व्यवहार एवं स्वाभिमान पर प्रकाश डालो।
उत्तर: छोटे जादूगर के रूप में प्रस्तुत बालक के मधुर व्यवहार, चतुराई, क्रिया-कौशल, स्वाभिमान और मातृ-भक्ति से पाठक का मन सहज ही द्रवीभूत हो उठता है। लेखक ने पाठ के आधार पर लड़के के माध्यम से उसके मधुर व्यवहार, स्वाभिमान सुन्दर रूप में दिखाया है। कर्नवाल के मैदान में जब बिजली-जगमगाते रहते थे ठीक उस समय एक साधारण बालक अपने गंभीर भावों से, धैर्य के साथ एक कौने में चुपचाप खड़ा रहा। श्रीमान जी के पूछने पर उसने जितनी मधुर व्यवहार से उत्तर दिया, ऐसी व्यवहार उस उम्र वालों में आशा नहीं किया जा सकता। जैसे परदे में जाने के बारे में पूछने पर अत्यंत साधारण से जवाब दिया टिकट लगता है। अपने माँ-बाप के परिचय बडे स्वाभिमान से उत्तर दिया। बाप जेल में है लेकिन देश के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा। चोरी के लिए नहीं। इसलिए वह बड़ा गर्व करते है इस बात पर। बाप जेल में हैं इस पर वह दुख अथवा लज्जा पाने का कोई कारण नहीं।
(ग) छोटे जादूगर की चतुराई और कार्य कुशलता का वर्णन करो।
उत्तर: जयशंकर प्रसाद जी ने इस पाठ के आधर पर छोटा जादूगर की चतुराई और कार्य कुशलता का उल्लेख किया है। छोटा जादूगर लगभग ग्यारह–बारह साल का था लिकन वह बहुत मेहनती और समझदार भी था श्रीमान जी ने लड़के को जब बारह टिकट खरीद कर दिया इससे बारह गेंद से बारह खिलोने पर निशाना लगाकर गिरा दिया और बटोर लिया। वास्तव में वह एक पक्का निशानेबाज है। अपनी चतुराई तथा मधुर व्यवहार से श्रीमानजी को आकर्षित किया। वह बड़ी कुशलता से झुले में हिन्दोल कर लोगों को भी आकर्षित किया। वही खिलोने को लेकर कलकत्ते के वोटानिकल उद्यान में जिस कुशलता से खेल दिखाया और सभी को अपनी कुशलता से सजीब बनाया। मानो ऐसा है कि लड़का का हाथों से सभी खिलोने प्राण पाया। इसके बाद छोटे जादूगर के कार्य कुशलता का प्रमाण मिलता है कि खेल दिखाकर पैसे से माँ को सेवा करने के लिए तत्पर है। इस प्रकार से हमे छोटे जादूगर के कार्य कुशलता का परिचय मिलता है।
(घ) छोटे जादूगर के देश-प्रेम और मातृ-भक्ति का परिचय दो?
उत्तर:छोटा जादूगर प्रसाद जी की एक ऐसी मनोरम कहानी है, जिसमें आर्थिक विपन्नता और प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए तेरह-चौदह साल के एक लड़के के चरित्र को आदर्शात्मक रूप में उभारा गया है। जादूगर देशभक्त और मातृभक्त था। वह सच्चा देशभक्त था और देश की खातिर अपने पिता के जेल जाने पर गर्व करता था। उसमें आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा था। वह बहुत परिश्रमी और स्वाभिमानी बालक था, जो किसी से मांगकर नही बल्कि परिश्रम से धन कमाता था। परिस्थिति की माँग से एक बालक किस प्रकार अपने पाँवों पर खड़ा हो जाता है उसका यहाँ हृदयग्राही चित्रण हुआ है। छोटे जादुकर के रूप में प्रस्तुत बालक के मधुर व्यवहार, चतुराई, क्रिया कौशल, स्वाभिमान, देशप्रेम और मातृ-भक्ति से पाठक का मन सहज ही द्रवीभूत हो उठता है। अपनी माँ की दवा आदि के लिए पैसे का प्रबंध करने के लिए वह सड़क के किनारे खेल-तमाशा दिखाया करता था। वह मेहनत करके पैसे कमाता था, ताकि उसकी माँ ठीक हो सके।
(ङ) छोटे जादूगर की कहानी से तुम्हें कौन-सी प्रेरणा मिलती है?
उत्तर: छोटा जादूगीर कहानी से हमें ये प्रेणना मिलती है कि जीवन में कितनी भी कथिनैया हो हमें अपने लक्ष्य से नहीं हिरना चाहिए। बाल्की हममे उसका दटके सना करना चाहिए।परिश्रम से चरित्र बनता है। लड़का ही इसका उदाहरण। हमे भी छोटे जादूगर के तरह मधुर व्यवहार, कुशलता से दूसरों को आकर्षित करने के कोशिश करना चाहिए। सच्चा कार्यों में हमे गर्व करना सीखना चाहिए। जिस प्रकार छोटे जादूगर ने किया। उसके बाप देश के लिए जेल में है। इसमें वह गर्व करते है। हमे भी उसी से स्वाभिमानी होना चाहिए। मातृ के प्रति जो कर्तव्य हमे भी पालन करना चाहिए। लड़का इसका उदाहरण होकर हमें शिक्षा देते हैं।
6. सप्रसंग व्याख्या करो:
(क) “मैं उसकी ओर न जाने क्यों आकर्षित हुआ। उसके अभाव में भी संपूर्णता थी।”
उत्तर: प्रस्तुत व्याख्या पंक्ति जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित छोटा जादूगर पाठ से लिया गया है। यहा ह लेखक प्रसाद जी ने छोटा जादूगर के प्रति श्रीमानजी किस प्रकार आकर्षित हुआ इसका उल्लेख किया है।व्याख्या के अनुसार प्रसादजी कहा है कि एक श्रीमान जीने कर्निवाल मैदान में खेल देखने के लिए आते समय देखा कि एक तेरह-चौदह उम्रवाले लड़का – छोटे फुहारे के पास चुपचाप खड़ा था। देखने मे गरीब तथा आँखों में उज्ज्वल गंभीर भावों के साथ धैर्य का स्पष्ट निशान था। देखने में लगा कि सम्पूर्ण अभावी लगता था। लेकिन लड़का का व्यवहार ने श्रीमानजी को आकर्षित किया। कभी किसी को सुन्दर चेहरे ने आकर्षण नहीं किया जाता है। यह आकर्षण ऐसे ही होता है जो आप या कोई नहीं जानता है। इससे हमे यह शिक्षा मिलती है कि विशेष रूप से अपने व्यवहार से ही किसी को आकर्षित किया. जाता है धन दौलत से नहीं।
(ख) “श्रीमती की वाणी में वह माँ की सी मिठास थी, जिसके सामने किसी भी लड़के को रोका नहीं जा सकता।”
उत्तर: प्रस्तुत व्याख्या जयशंकर प्रसाद के छोरा जादूगर कहानी से लिया गया। है। यहाँ श्रीम श्रीमती जी की प्यार भरा कचन से लड़का किस प्रकार खेल दिखाने के लिए प्रस्तुत हो गये इसका वर्णन दिया गया है एक दिन श्रीमान अपनी पत्नी तथा दोस्तों के साथ बोटानिकल उद्यान में जलपान कर रहा था इतने में वही छोटा जादूगर पहुँच गया वहाँ पर। लड़का ने बाबूजी को खेल दिखाना चाहता था लेकिन वह माना किया क्यों कि उस समय वे जलपान किया करते थे। फिर लड़का कुछ कहने पर श्रीमान जी ने गाली भड़ी। इस समय श्रीमतीजी ने बड़े प्यार से लड़के को खेल दिखाने को कहा। श्रीमती कहने पर लड़का बड़ा प्रफुलित हो गया। मानों ऐसा लगता है कि उसके माँ ने उसको प्यार भरी। श्रीमती जी ने इतनी मिठास से कही थी कि ऐसी आदेश कोई भी नहीं कहेगा।
भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान |
1. सरल, मिश्र और संयुक्त वाक्यों को पहचानी:
(क) कार्निवल के मैदान में बिजली जगमगा रही थी।
उत्तर: सरल वाक्य।
(ख) माँजी बीमार है, इसलिए मैं नहीं गया।
उत्तर: संयुक्त वाक्य।
(ग) मैं घूमकर पान की दुकान पर आ गया।
उत्तर: सरल वाक्य।
(घ) माँ ने कहा है कि आज तुरंत चले आना।
उत्तर: मिश्र वाक्य।
(ङ) मैं भी पीछे था, किंतु स्त्री के मुँह से ‘बे….’ निकल कर रह गया।
उत्तर: मिश्र वाक्य।
2. अर्थ लिखकर निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करो:
उत्तर: (i) नौ दो ग्यारह होना (भाग हो जाना) = पुलिस आते ही चोरों के दल नौ दो ग्यारह हो गया।
(ii) आँखें बदल जाना (धीरे धीरे दूर होना) = मनोज आजकल अपने दोस्तों से आँखे बदल जाने लगा।
(iii) घड़ी समीप होना (मरने का समीप होना) = बुढ़ा होने के कारण उसके घड़ी समीप आ गया है।
(iv) दंग रह जाना (अचरज होना) = छोटा जादूगर के खेल देखकर लोग दंग रह गया।
(v) श्रीगणेश होना (प्रतिस्तित होना) = मुख्यमंत्री जी ने आज दोपहर नयी पूल की श्रीगणेश किया।
(vi) अपने पाँवों पर खड़ा होना (अपने आप प्रतिष्ठित होना) = रमेश जी ने बचपन से परिश्रम करके आज अपने पाव पर सम्पूर्ण खड़ा हो गया।
(viii) अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (जान बुझक गलती करना) = जो अपने को विश्वास नहीं रखते उसके कामों का फल भी अपने पाँ पर कुल्हाड़ी मारना जैसा होगा।
3. निम्नलिखित शब्दों के लिंग परिवर्तन करो:
रस्सी, जादूगर, श्रीमान, गुड़िया, वर, स्त्री, नायक, माली।
उत्तर: (i) रस्सी – रस्सा।
(ii) जादूगर – जादूगरिन।
(iii) श्रीमान – श्रीमतं।
(iv) वर – बहू।
(v) स्त्री – पुरुष।
(vi) नायक – नायिका।
(vii) माली – मालिन ।
4. निम्नांकित शब्दों के लिंग निर्धारित करो:
रुकावट, हँसी, शरबत, वाणी, भीड, तिरस्कार, निशाना, झोल।
उत्तर: (i) रुकावट – स्त्रीलिंग।
(ii) हँसी – स्त्रीलिंग।
(iii) शरबत – स्त्रीलिंग।
(iv) वाणी – स्त्रीलिंग।
(v) भीड़ – स्त्रीलिंग।
(vi) तिरस्कार – स्त्रीलिंग।
(vii) निशाना – स्त्रीलिंग।
(viii) झील – स्त्रीलिंग।
5. निम्नलिखित शब्दों के वचन परिवर्तन करो:
खिलौना, आँख, दुकान, छात्रा, बिल्ली, साधु, कहानी।
उत्तर:
एकवचन | बहुवचन |
खिलौना | खिलौने |
आँख | आंँखे |
दुकान | दुकानें |
छात्रा | छात्राएँ |
बिल्ली | बिल्लियां |
साधु | साधुएँ |
कहानी | कहानियां |
योग्यता-विस्तार |
1. प्रसाद जी द्वारा रचित ‘ममता’ शीर्षक कहानी का संग्रह करके पढ़ो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
2. किसी किशोर/किशोरी की कर्तव्य परायणता पर एक छोटी-सी कहानी लिखो और अपने भाई-बहन को सुनाओ।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
3. खेल-तमाशे दिखाकर आजीविका कमाने वाले बच्चों के प्रति समाज का कर्तव्य क्या होना चाहिए- इस विषय पर कक्षा में चर्चा करो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
शब्दार्थ एवं टिप्पणी |
शब्द | अर्थ |
विनोद | |
फुहारा | |
निकम्मा | |
दंग रह जाना | |
बोतानिकल | |
चारखाना | |
कुद्ध | |
बड़ा दिन घड़ी समीप | |
होना | |
कलनाद | |
विषाद | |
अभाव | |
प्रगल्भता | |
तिरस्कार नौ दो ग्यारह | |
होना | |
उद्यान | |
मस्तानी | |
वाचलता | |
चिथड़ा | |
स्फूर्तिमान अपने पाँवों पर | |
खड़ा होना |
उत्तर:
शब्द | अर्थ |
विनोद | परिहास, मन बहलावा |
फुहारा | फुहार अथवा हल्की वर्षा छोड़ने वाला उपकरण |
निकम्मा | किसी भी काम का न होना |
दंग रह जाना | आश्चर्यचकित रह जाना |
बोतानिकल | वनस्पति संबंधी |
चारखाना | वह वस्त्र जिसमें रंगीन धारियों के चौखुटे खाने बने हों |
कुद्ध | क्रोध से भरा हुआ |
बड़ा दिन घड़ी समीप | क्रिसमस |
होना | मृत्यु का समय पास आना |
कलनाद | मधुर शब्द |
विषाद | दुःख वेदना |
अभाव | गरीबी, आर्थिक विपन्नता |
प्रगल्भता | निःसंकोच बात करने का भाव |
तिरस्कार नौ दो ग्यारह | अपमान, भर्त्सना |
होना | भाग जाना |
उद्यान | बाग, बगीचा |
मस्तानी | मस्ती भरी |
वाचलता | अधिक बात करने का भाव |
चिथड़ा | फटा कपड़ा |
स्फूर्तिमान अपने पाँवों पर | उत्साहित, आनन्दित |
खड़ा होना | स्वावलंबी बनना |
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