NIOS Class 12 Political Science Chapter 9 आपातकालीन प्रावधान

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 9 आपातकालीन प्रावधान

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Chapter: 9

मॉड्यूल – 2 भारतीय संविधान के मुख्य तत्व

पाठगत प्रश्न 9.1

1. रिक्त स्थानों को भरिए-

(क) आपातकाल की घोषणा केंद्र सरकार को _______________ शक्तियां प्रदान करती है। (अधिक/कम/समान)

उत्तर: आपातकाल की घोषणा केंद्र सरकार को अधिक शक्तियां प्रदान करती है।

(ख) राष्ट्रीय संकट की घोषणा अनुच्छेद _______________ के अंतर्गत की जा सकती है। (325, 232, 352)

उत्तर: राष्ट्रीय संकट की घोषणा अनुच्छेद 352 के अंतर्गत की जा सकती है।

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(ग) आपातकाल के दौरान लोकसभा अपनी अवधि, एक बार में _______________ तक बढ़ा सकती है। (एक वर्ष, तीन वर्ष, पाँच वर्ष)

उत्तर: आपातकाल के दौरान लोकसभा अपनी अवधि, एक बार में एक वर्ष तक बढ़ा सकती है।

(घ) कुल _______________  प्रकार के आपातकाल होते हैं। (एक, दो, तीन)

उत्तर: कुल तीन प्रकार के आपातकाल होते हैं।

(ङ) 25 जून 1975 को _______________ के आधार पर राष्ट्रीय संकट की घोषणा की गई। (बाह्वा आक्रमण, आंतरिक गड़बड़ी, आर्थिक संकट)

उत्तर: 25 जून 1975 को आंतरिक गड़बड़ी के आधार पर राष्ट्रीय संकट की घोषणा की गई।

(च) राष्ट्रपति राष्ट्रीय संकट की घोषणा कर सकते हैं यदि _______________।

(अ) प्रधानमंत्री परामर्श दें।

(ब) मंत्रीमंडल परामर्श दें।

(स) वह स्वंय संतुष्ट हों।

उत्तर: (ब) मंत्रीमंडल परामर्श दें।

(छ) संसद द्वारा पुष्टि हो जाने पर आपातकाल ________________ की अवधि तक प्रभावी रहता है। (छः मास, एक वर्ष, दो वर्ष)

उत्तर: संसद द्वारा पुष्टि हो जाने पर आपातकाल छः मास की अवधि तक प्रभावी रहता है।

पाठगत प्रश्न 9.2

1. रिक्त स्थानों को भरिए-

(क) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद ________________ के अंतर्गत होती है। (352, 356, 360)

उत्तर: राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 356 के अंतर्गत होती है।

(ख) संसद की स्वीकृति के बिना राज्य में राष्ट्रपति शासन ________________ महीने तक जारी रह सकता है। (एक, दो, छह)

उत्तर: संसद की स्वीकृति के बिना राज्य में राष्ट्रपति शासन दो महीने तक जारी रह सकता है।

(ग) राज्य में राष्ट्रपति शासन को अधिकतम _______________ की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। (1 वर्ष, 2 वर्ष, 3 वर्ष)

उत्तर: राज्य में राष्ट्रपति शासन को अधिकतम 1 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है।

(घ) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण संकट की घोषणा ________________ के परामर्श पर की जाती है। (मुख्यमंत्री, विधानसभा के अध्यक्ष, राज्यपाल)

उत्तर: राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण संकट की घोषणा राज्यपाल के परामर्श पर की जाती है।

(ङ) राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्वीकृति एक संसद बार में ________________ के लिए दे सकती है। (तीन महीने, छह महीने, नौ महीने)

उत्तर: राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की स्वीकृति एक संसद बार में छह महीने के लिए दे सकती है।

पाठगत प्रश्न 9.3

(क) अनुच्छेद _______________ वित्तीय संकट के प्रावधानों के बारे में है। (352, 356, 360)

उत्तर: अनुच्छेद 356 वित्तीय संकट के प्रावधानों के बारे में है।

(ख) हमारे देश में _______________ वित्तीय संकट लागू नहीं किया गया है। (एक बार, दो बार, कभी भी)

उत्तर: हमारे देश में कभी भी वित्तीय संकट लागू नहीं किया गया है।

(ग) वित्तीय संकट एक बार में _______________ अवधि के लिए लागू किया जा सकता है। (दो महीने, छः महीने)

उत्तर: वित्तीय संकट एक बार में छः महीने अवधि के लिए लागू किया जा सकता है।

(घ) वित्तीय संकट को लागू होने के _____________ के अंदर इसे संसद द्वारा स्वीकृत किया जाना अनिवार्य है। (एक माह, दो माह, तीन माह)

उत्तर: वित्तीय संकट को लागू होने के दो माह के अंदर इसे संसद द्वारा स्वीकृत किया जाना अनिवार्य है।

(ङ) वित्तीय संकट में राष्ट्रपति _______________ के वेतनों व भत्तों में कटौती के आदेश दे सकता है। (सरकारी कर्मचारियों, निजी व्यापारी, दोनों श्रेणियों)

उत्तर: वित्तीय संकट में राष्ट्रपति सरकारी कर्मचारियों के वेतनों व भत्तों में कटौती के आदेश दे सकता है।

पाठान्त प्रश्न

1. भारत के संविधान में वर्णित आपातकालीन प्रावधानों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।

उत्तर: भारत के संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल की व्यवस्था की गई है— राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता से उत्पन्न आपातकाल या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)।

(i) राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352): राष्ट्रीय आपातकाल युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा घोषित किया जाता है। इसकी घोषणा केवल मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह पर होती है तथा संसद की एक महीने के भीतर पुष्टि आवश्यक है। इस अवधि में केंद्र की शक्तियाँ बढ़ जाती हैं, अनुच्छेद 19 के अधिकार निलंबित हो जाते हैं और संघीय ढांचा अस्थायी रूप से एकात्मक रूप में बदल जाता है।

(ii) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति आपातकाल (अनुच्छेद 356): अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति आपातकाल लागू कर सकते हैं। इस स्थिति में राज्य सरकार के कार्य राष्ट्रपति अपने हाथ में ले सकते हैं तथा राज्य विधानसभा भंग या स्थगित की जा सकती है। यह घोषणा दो महीने के भीतर संसद की मंजूरी से ही जारी रह सकती है।

(iii) वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360): वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 के अंतर्गत तब लगाया जा सकता है जब देश की वित्तीय स्थिरता खतरे में हो। इसमें केंद्र सरकार राज्यों को वित्तीय निर्देश दे सकती है तथा कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को कम किया जा सकता है।

2. राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा नागरिकों के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती है?

उत्तर: राष्ट्रीय संकट की घोषणा से व्यक्तियों के अधिकारों व राज्यों की स्वायत्तता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है, जो इस प्रकार हैं—

(i) सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव यह है कि संघीय संविधान का स्वरूप एकात्मक में बदल जाता है। केंद्र की सत्ता में वृद्धि हो जाती है। संसद को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर भी संपूर्ण देश अथवा उसके किसी भाग के लिए कानून निर्माण की शक्ति प्राप्त हो जाती है।

(ii) भारत का राष्ट्रपति राज्यों को कार्यपालिका संबंधी शक्ति के प्रयोग के तरीके के बारे में निर्देश दे सकता है।

(iii) इस आपातकाल के दौरान लोकसभा एक बार में अपने कार्यकाल में एक वर्ष तक की वृद्धि कर सकती है। परंतु घोषणा का प्रभाव समाप्त होने पर छह महीने से अधिक की वृद्धि नहीं की जा सकती है। इसी प्रकार राज्यों के विधानमण्डलों का कार्यकाल भी बढ़ाया जा सकता है।

(iv) आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति को केन्द्र व राज्यों के बीच राजस्व के बंटवारे से संबंधित प्रावधानों में फेर बदल करने की शक्ति भी प्राप्त हो जाती है।

(v) अनुच्छेद 19 के अंतर्गत आने वाले मौलिक अधिकार, जिनके बारे में आप पहले पढ़ चुके हैं, स्वतः स्थगित हो जाते हैं। यह स्थगन आपातकाल की समाप्ति तक जारी रहता है। परंतु 44वें संशोधन के अनुसार केवल युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर ही इन स्वतंत्रताओं को स्थगित किया जा सकता है।

3. किन परिस्थितियों में किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है?

उत्तर: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) तब लागू किया जा सकता है जब राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता उत्पन्न हो जाए। यदि भारत के राष्ट्रपति को राज्यपाल की रिपोर्ट से या अन्य किसी स्रोत से संतोष हो जाए कि राज्य का प्रशासन संविधान के अनुसार नहीं चल पा रहा है, और वहाँ ऐसी स्थिति बन गई है जिसमें सरकार विधिपूर्वक कार्य नहीं कर सकती, तो राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। इस घोषणा का उद्देश्य राज्य में प्रशासनिक विफलता को रोकना होता है। इसे आम भाषा में राष्ट्रपति शासन कहा जाता है।

4. राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य सरकार की कार्यकारिणी और वैधानिक शक्तियां किस प्रकार प्रयुक्त होती हैं?

उत्तर: राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य सरकार की कार्यकारिणी और वैधानिक शक्तियाँ सीधे राष्ट्रपति के अधीन चली जाती हैं। राष्ट्रपति राज्य सरकार के सभी कार्य स्वयं संभाल सकते हैं या उन्हें राज्यपाल अथवा किसी अन्य कार्यकारी अधिकारी को सौंप सकते हैं। इसी के साथ, राष्ट्रपति राज्य विधानसभा को स्थगित या भंग कर सकते हैं तथा संसद को राज्य विधानमंडल की तरह कानून बनाने के लिए अधिकृत कर सकते हैं। आवश्यक होने पर, राष्ट्रपति घोषित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अन्य विशेष प्रावधान भी लागू कर सकते हैं। इस प्रकार राष्ट्रपति शासन में राज्य की कार्यकारिणी और विधायी शक्तियाँ पूर्णतः केंद्र के नियंत्रण में आ जाती हैं।

5. वित्तीय संकट के प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: वित्तीय संकट की घोषणा के निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं—

(क) केन्द्र सरकार किसी भी राज्य को वित्तीय मामलों से संबंधित निर्देश दे सकती है।

(ख) राष्ट्रपति राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन व भत्तों को कम करने की सिफारिश कर सकता है।

(ग) राज्य विधान मण्डल द्वारा पारित वित्त विधेयकों को संसद में विचार के लिए राष्ट्रपति, राज्य से सुरक्षित रखने के लिए कह सकता है।

(घ) राष्ट्रपति केन्द्रीय कर्मचारियों जिनमें उच्च और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शामिल हैं, उनके वेतन व भत्ते कम करने का निर्देश दे सकता है।

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