NIOS Class 12 Political Science Chapter 8 भारतीय संघीय व्यवस्था

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 8 भारतीय संघीय व्यवस्था

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Chapter: 8

मॉड्यूल – 2 भारतीय संविधान के मुख्य तत्व

पाठगत प्रश्न 8.1

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(क) संघ में शक्तियाँ ________________ के होती हैं। (केन्द्र के पास, राज्य के पास, केन्द्र तथा राज्य के बीच विभाजित)

उत्तर: संघ में शक्तियाँ केन्द्र तथा राज्य के बीच विभाजित के होती हैं।

(ख) संघ के पास अपना _______________ संविधान होता है। (लिखित, अलिखित, समयानुसार विकसित)

उत्तर: संघ के पास अपना लिखित संविधान होता है।

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(ग) भारतीय संविधान में _______________ सूची है। (2, 3, 4)

उत्तर: भारतीय संविधान में 3 सूची है।

(घ) ______________ सूची में 66 विषय वर्णित हैं। (केन्द्र, राज्य, समवर्ती)

उत्तर: राज्य सूची में 66 विषय वर्णित हैं।

(ङ) समवर्ती सूची में _______________ विषय वर्णित हैं। (97, 47, 66)

उत्तर: समवर्ती सूची में 47 विषय वर्णित हैं।

पाठगत प्रश्न 8.2

1. सही विकल्प से पूर्ति करें।

(क) ______________ को किसी भी राज्य के क्षेत्र में परिवर्तन का अधिकार प्राप्त है। (संसद, विधानमंडल, नगर महापालिका)

उत्तर: संसद को किसी भी राज्य के क्षेत्र में परिवर्तन का अधिकार प्राप्त है।

(ख) अखिल भारतीय सेवाओं का नियंत्रण _______________ द्वारा होता है। (केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, जिला)

उत्तर: अखिल भारतीय सेवाओं का नियंत्रण केन्द्र सरकार द्वारा होता है।

(ग) संघ में यह आवश्यक विधान होता है कि संसद के ऊपरी सदन में ________________ प्रतिनिधित्व की व्यवस्था हो। (असमान, समान, आनुपातिक)

उत्तर: संघ में यह आवश्यक विधान होता है कि संसद के ऊपरी सदन में समान प्रतिनिधित्व की व्यवस्था हो।

पाठगत प्रश्न 8.3

1. सही विकल्प चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(क) केन्द्रीय सूची में ________________ विषय सम्मिलित हैं। (97, 66, 47)

उत्तर: केन्द्रीय सूची में 97 विषय सम्मिलित हैं।

(ख) डाक एवं तार ______________ सूची में सम्मिलित विषय हैं। (केन्द्रीय, राज्य, समवर्ती)

उत्तर: डाक एवं तार केन्द्रीय सूची में सम्मिलित विषय हैं।

(ग) राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य सूची में निबद्ध विषयों पर _______________ द्वारा कानून बनाया जा सकता है। (विधानमंडल, संसद, दोनों)

उत्तर: राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य सूची में निबद्ध विषयों पर संसद द्वारा कानून बनाया जा सकता है।

(घ) वाणिज्य तथा व्यापार _________________ सूची का विषय है। (केन्द्र, राज्य, समवर्ती)

उत्तर: वाणिज्य तथा व्यापार राज्य सूची का विषय है।

पाठगत प्रश्न 8.4

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) संविधान संशोधन की प्रक्रिया की पहल _______________ सरकार द्वारा की जा सकती है।

उत्तर: संविधान संशोधन की प्रक्रिया की पहल केन्द्रीय सरकार द्वारा की जा सकती है।

(ख) भारतीय संविधान ________________ संघीय है।

उत्तर: भारतीय संविधान अर्द्ध संघीय है।

(घ) राज्य _______________ स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं।

उत्तर: राज्य अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं।

(घ) _______________ आयोग ने केन्द्र-राज्य संबंधों के बारे में रिपोर्ट सौंपी है।

उत्तर: सरकारिया आयोग ने केन्द्र-राज्य संबंधों के बारे में रिपोर्ट सौंपी है।

पाठांत प्रश्न

1. भारतीय संविधान के एकात्मक लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: भारतीय संविधान यद्यपि संघीय ढाँचा प्रस्तुत करता है, फिर भी इसमें कई ऐसे एकात्मक लक्षण निहित हैं जो केंद्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाते हैं। 

भारतीय संविधान के प्रमुख एकात्मक लक्षण इस प्रकार हैं—

(i) भारत राज्यों का “समूह” है, न कि राज्यों के बीच अनुबंध: संविधान स्पष्ट करता है कि भारतीय संघ राज्यों के आपसी समझौते का परिणाम नहीं है। इसलिए कोई भी राज्य न तो संघ से अलग हो सकता है और न ही स्वतंत्र रूप से व्यवहार कर सकता है। संघ अविनाशी है और इसे समाप्त नहीं किया जा सकता।

(ii) राज्यों के लिए पृथक संविधान का अभाव: भारत में केंद्र और राज्य दोनों के लिए एक ही संविधान है। किसी भी राज्य के पास अपना अलग संविधान बनाने की शक्ति नहीं है।

(iii) राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र द्वारा: राज्यपाल केंद्र का प्रतिनिधि होता है और उसे केंद्र द्वारा नियुक्त किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर केंद्र राज्य प्रशासन को अपने हाथ में भी ले सकता है, जिससे राज्य पर केंद्र का नियंत्रण बढ़ता है।

(iv) राज्यसभा में असमान प्रतिनिधित्व: संघीय व्यवस्था में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए, लेकिन भारतीय राज्यसभा में प्रतिनिधित्व राज्यों की जनसंख्या के आधार पर है। राज्यों के लिए समान सीटें नहीं हैं।

(v) महत्त्वपूर्ण पदों की नियुक्ति केंद्र द्वारा: मुख्य चुनाव आयुक्त, महालेखा परीक्षक आदि महत्वपूर्ण पदों की नियुक्ति केंद्र करता है, जिससे केंद्र की शक्ति अधिक होती है।

(vi) एकल नागरिकता: भारत में केवल भारतीय नागरिकता है। राज्यों की अलग नागरिकता नहीं है, जो एकात्मक प्रवृत्ति को दर्शाती है।

(vii) संविधान संशोधन की पहल केवल केंद्र कर सकता है: राज्य सरकारें संविधान संशोधन का प्रस्ताव नहीं ला सकतीं। संशोधन की प्रक्रिया मुख्यतः केंद्र के हाथ में है।

(viii) अखिल भारतीय सेवाएँ: आईएएस और आईपीएस जैसी सेवाओं का गठन केंद्र द्वारा किया गया है। राज्य इन सेवाओं पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रख सकते।

(ix) वित्तीय निर्भरता: राज्य अपनी आय स्वयं पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न नहीं कर सकते। वित्तीय संकट के समय राज्य पूरी तरह केंद्र पर निर्भर हो जाते हैं।

(x) कानून-व्यवस्था की आपात स्थिति में केंद्र का हस्तक्षेप: राज्य में अशांति होने पर केंद्र को पुलिस बल भेजने का अधिकार है। केंद्र राज्य के प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप कर सकता है।

(xi) संसद द्वारा राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन: संसद किसी राज्य की सीमा, नाम या क्षेत्र में परिवर्तन कर सकती है। यह शक्ति पूर्णतः केंद्र के हाथ में है।

2. केंद्र तथा राज्यों के बीच विधायी संबंधों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर: भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच विधायी संबंधों को स्पष्ट और संतुलित रूप से निर्धारित करने के लिए विषयों का त्रि-स्तरीय विभाजन किया गया है। इसके अंतर्गत केंद्रीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का प्रावधान है।

केंद्रीय सूची में 97 विषय शामिल हैं, जिन पर संपूर्ण देश के लिए कानून बनाने का विशेष अधिकार संसद को प्राप्त है। इनमें रक्षा, रेलवे, डाक-तार, आयकर आदि राष्ट्रीय महत्व के विषय सम्मिलित हैं।

राज्य सूची में 66 विषय दिए गए हैं, जैसे पुलिस, वाणिज्य, मत्स्य पालन, वन तथा उद्योग आदि। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल को है, और राज्य केवल अपने राज्यक्षेत्र से संबंधित मामलों पर ही कानून बना सकता है।

समवर्ती सूची में 47 विषय आते हैं, जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। परंतु यदि किसी विषय पर दोनों के बनाए गए कानूनों में टकराव उत्पन्न होता है, तो केंद्र का कानून ही प्रभावी होता है।

इन तीन सूचियों के अतिरिक्त किसी विषय पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त है। साथ ही विशेष परिस्थितियों में संसद राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बना सकती है।

3. केंद्र तथा राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर: भारतीय संविधान में केंद्र एवं राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है। यद्यपि केंद्र और राज्य दोनों के लिए स्वतंत्र राजस्व स्रोतों का प्रावधान है, फिर भी वित्तीय संसाधनों पर केंद्र का दबदबा अधिक दिखाई देता है।

संविधान के अनुसार संघ सूची में दिए गए विषयों पर कर लगाने का अधिकार संसद को और राज्य सूची के विषयों पर कर लगाने का अधिकार राज्य सरकारों को प्राप्त है। सामान्यतः अंतर्राज्यीय करों की वसूली केंद्र करता है, जबकि स्थानीय करों की उगाही राज्य सरकारें करती हैं।

केंद्र द्वारा लगाए गए करों की उगाही एवं बंटवारे की व्यवस्था कई श्रेणियों में बँटी हुई है—

(i) कुछ करों का निर्धारण केंद्र करता है, पर उनका संकलन राज्यों द्वारा किया जाता है, जैसे मुद्रांक शुल्क या प्रसाधन सामग्री पर कर।

(ii) रेलवे, समुद्री और हवाई कर केंद्र द्वारा वसूल किए जाते हैं, परंतु इनकी राशि राज्यों को दे दी जाती है।

(iii) कुछ करों पर संसद बंटवारे का कानून बना सकती है, जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क, और इनका संकलन केंद्र करता है लेकिन राशि केंद्र और राज्यों में बाँटी जाती है।

(iv) आयकर और केंद्रीय आबकारी जैसे कर केंद्र द्वारा संकलित व संचय किए जाते हैं।

(v) कुछ करों की उगाही केंद्र करता है और फिर राज्यों के साथ उनका बंटवारा किया जाता है।

इन सभी व्यवस्थाओं से स्पष्ट होता है कि केंद्र के पास वित्तीय संसाधन अधिक हैं और राज्यों की निर्भरता केंद्र पर बनी रहती है। राज्यों की विकास योजनाएँ भी केंद्र की सहमति पर आधारित होती हैं, और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को राज्यों को अनिवार्य रूप से लागू करना पड़ता है।

4. ‘भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है परन्तु आत्मा एकात्मक।’ व्याख्या करें।

उत्तर: भारतीय संविधान में लिखित एवं विस्तृत संविधान, कठिन संशोधन प्रक्रिया, शक्तियों का विभाजन तथा सर्वोच्च न्यायपालिका जैसे संघीय लक्षण मौजूद हैं। इसी कारण संविधान का ढाँचा संघात्मक प्रतीत होता है। लेकिन व्यवहार में केंद्र की शक्तियाँ अधिक हैं। अनुच्छेद-1 भारत को राज्यों का समूह कहता है, पर राज्यों को अलग होने का अधिकार नहीं है। राज्यपाल केंद्र द्वारा नियुक्त होते हैं और अक्सर केंद्र के प्रतिनिधि की तरह कार्य करते हैं। राज्यसभा में राज्यों को समान प्रतिनिधित्व नहीं मिलता। अखिल भारतीय सेवाएँ, एकल नागरिकता, एकल न्यायपालिका तथा वित्तीय मामलों में राज्यों की केंद्र पर निर्भरता ये सब एकात्मक तत्व हैं।

इसके अतिरिक्त केंद्र राज्य की सीमाएँ बदल सकता है, आपातकाल में राज्य प्रशासन को नियंत्रित कर सकता है और महत्वपूर्ण पदों की नियुक्ति भी केंद्र करता है। इस प्रकार संविधान की संरचना संघात्मक होने के बावजूद वास्तविक शक्ति केंद्र के पास केंद्रित है।

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