NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका

NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका Solutions Hindi Medium to each chapter is provided in the list so that you can easily browse throughout different chapters NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका Notes and select need one. NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका Question Answers Download PDF. NIOS Study Material of Class 12 Political Science Notes Paper Code: 317.

NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका

Join Telegram channel

Also, you can read the NIOS book online in these sections Solutions by Expert Teachers as per National Institute of Open Schooling (NIOS) Book guidelines. These solutions are part of NIOS All Subject Solutions. Here we have given NIOS Class 12 Political Science Chapter 10 संघीय कार्यपालिका, NIOS Senior Secondary Course Political Science Solutions in Hindi Medium for All Chapter, You can practice these here.

Chapter: 10

मॉड्यूल – 3 सरकार की संरचना

पाठगत प्रश्न 10.1

निम्नलिखित प्रश्नों में दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर छांटिए और उसके आगे टिक (√) का निशान लगाइएः

1. राष्ट्रपति पद के लिए न्यूनतम आयु है:

(क) 21 वर्ष।

(ख) 25 वर्ष।

(ग) 30 वर्ष।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

(घ) 35 वर्ष।

उत्तर: (घ) 35 वर्ष।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार में किस का सदस्य बनने की योग्यताएं होनी चाहिए?

(क) लोक सभा।

(ख) राज्य सभा।

(ग) विधान परिषद।

(घ) जिला परिषद।

उत्तर: (क) लोक सभा।

3. निम्नलिखित में से किस सदन के सदस्य निर्वाचक मण्डल के सदस्य नहीं होतेः

(क) राज्य सभा।

(ख) विधान सभा।

(ग) विधान परिषद।

(घ) लोक सभा।

उत्तर: (ग) विधान परिषद।

पाठगत प्रश्न 10.2

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर पर (√) टिक लगाइएः

1. भारत के राष्ट्रपति को कितनी अवधि के लिए चुना जाता है?

(क) तीन साल।

(ख) चार साल।

(ग) पांच साल।

(घ) छह साल।

उत्तर: (ग) पांच साल।

2. राष्ट्रपति के महाभियोग का प्रस्ताव किस सदन में रखा जा सकता है?

(क) लोक सभा।

(ख) राज्य सभा।

(ग) विधान सभा।

(घ) संसद के किसी भी सदन में।

उत्तर: (घ) संसद के किसी भी सदन में।

3. जब राष्ट्रपति या, उपराष्ट्रपति, दोनों ही उपलब्ध नहीं होते, तो राष्ट्रपति का पदभार कौन सम्भालता है?

(क) प्रधान मंत्री।

(ख) भारत के मुख्य न्यायाधीश।

(ग) मुख्य निर्वाचन आयुक्त।

(घ) लोक सभा अध्यक्ष।

उत्तर: (ख) भारत के मुख्य न्यायाधीश।

पाठगत प्रश्न 10.3

(क) भारत की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति कौन है?

उत्तर: भारत की सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति राष्ट्रपति है।

(ख) मंत्री-परिषद के सदस्यों की नियुक्ति किसकी सिफारिश पर की जाती है?

उत्तर: मंत्री-परिषद के सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश पर की जाती है।

(ग) राष्ट्रपति को अपदस्थ करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को क्या कहते हैं?

उत्तर: राष्ट्रपति को अपदस्थ करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को महाभियोग कहते हैं।

(घ) राज्य सभा के कितने सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं?

उत्तर: राज्य सभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।

(ङ) उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदाता कौन होते हैं?

उत्तर: उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदाता संसद सदस्य होते हैं।

(च) राष्ट्रपति की किसी एक न्यायिक शक्ति का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: राष्ट्रपति की एक न्यायिक शक्ति का उल्लेख नीचे किया गया है—

(i) अपराधियों को क्षमा करने का अधिकार।

(छ) राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से, प्रायः किस प्रकार के विधेयक लोक सभा में प्रस्तावित किए जाते हैं।

उत्तर: राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से, धन विधेयक (वित्त विधेयक) प्रकार के विधेयक लोक सभा में प्रस्तावित किए जाते हैं।

पाठगत प्रश्न 10.4

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) भारत में सरकार का अध्यक्ष भारत का ________________ होता है। (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश)

उत्तर: भारत में सरकार का अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है।

(ख) मंत्रियों के विभागों का विभाजन तथा किए जाने वाले परिवर्तन _______________ करता है। (प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति)

उत्तर: मंत्रियों के विभागों का विभाजन तथा किए जाने वाले परिवर्तन प्रधानमंत्री करता है।

(ग) मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता _______________ करता है। (लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति)

उत्तर: मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।

(घ) राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग _________________ द्वारा किया जाता है। (मंत्रिपरिषद, प्रधानमंत्री कार्यालय, केन्द्रीय सचिव)

उत्तर: राष्ट्रपति की कार्यपालिका संबंधी शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है।

(ङ) _______________ के लिखित अनुरोध पर राष्ट्रपति द्वारा लोक सभा भंग की जा सकती है।

उत्तर: मंत्रिमण्डल के लिखित अनुरोध पर राष्ट्रपति द्वारा लोक सभा भंग की जा सकती है।

(च) राष्ट्रपति द्वारा संसद में दिया जाने वाला अभिभाषण _______________ के द्वारा तैयार किया जाता है। (उपराष्ट्रपति, केन्द्रीय मंत्रिमण्डल, प्रधानमंत्री कार्यालय)

उत्तर: राष्ट्रपति द्वारा संसद में दिया जाने वाला अभिभाषण केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के द्वारा तैयार किया जाता है।

(छ) मंत्रिपरिषद _______________ के प्रति उत्तरदायी होती है। (लोकसभा, राज्य सभा, संसद)

उत्तर: मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

पाठात प्रश्न

1. राष्ट्रपति की निर्वाचन प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल (Electoral College) द्वारा किया जाता है। इस मण्डल में लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य तथा सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। लेकिन संसद के मनोनीत सदस्य और राज्य विधान परिषदों के मनोनीत सदस्य इसमें भाग नहीं लेते।

मतों का मूल्य (Value of Vote): सभी सांसदों और विधायकों के मतों का समान महत्व सुनिश्चित करने के लिए उनके मत का मूल्य तय किया गया है।

(i) विधायक (MLA) के मत का मूल्य:

सूत्र:

राज्य की कुल जनसंख्या/राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्य ÷ 1000

उदाहरण (पंजाब):

जनसंख्या = 1,35,51,660

विधायक = 104

मत का मूल्य = 130 (पूर्ण संख्या)

(ii) सांसद (MP) के मत का मूल्य:

सूत्र:

सभी विधायकों के कुल मत ÷ संसद के कुल निर्वाचित सांसद

उदाहरण:

विधायकों के कुल मत = 5,44,971

सांसद = 776

मत का मूल्य = 702

एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote System): राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली तथा एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। मतपत्र पर सभी प्रत्याशियों के नाम लिखे होते हैं। मतदाता अपनी पसंद के अनुसार वरीयता क्रम लिखता है— 1, 2, 3, 4…

2. भारत के राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताओं का वर्णन कीजिए। उसका कार्यकाल कितना होता है तथा वह कैसे अपने पद से हटाया जा सकता है?

उत्तर: भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए—

(i) वह भारत का नागरिक होना चाहिए।

(ii) वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।

(iii) वह लोक सभा का सदस्य बनने की योग्यताएं रखता हो।

(iv) वह किसी लाभकारी पद पर आसीन न हो अर्थात प्रत्याशी सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए। इस संदर्भ में, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल, तथा केन्द्र या राज्यों में मंत्री के पद को लाभ का पद नहीं माना जाता।

राष्ट्रपति के पद पर आसीन व्यक्ति संसद का सदस्य या राज्यों में विधायक नहीं हो सकता। यदि कोई सांसद या विधायक राष्ट्रपति के पद के लिए निर्वाचित हो जाता है तो उस का संसद, अथवा विधानमण्डल में स्थान उस दिन से रिक्त माना जाता है जिस दिन वह राष्ट्रपति का पद ग्रहण करता है।

3. भारत के राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: भारत का राष्ट्रपति, संसद का अभिन्न अंग होने के कारण अनेक महत्वपूर्ण विधायी शक्तियों से सम्पन्न है। वह संसद के दोनों सदनों— लोकसभा और राज्यसभा के अधिवेशन बुलाने और बैठक स्थगित करने की शक्ति रखता है। राष्ट्रपति यह सुनिश्चित करता है कि संसद का सत्र वर्ष में कम से कम दो बार अवश्य बुलाया जाए और दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतर न हो। प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकता है। सामान्य परिस्थितियों में लोकसभा केवल पाँच वर्ष के बाद भंग की जाती है, लेकिन आवश्यकता होने पर राष्ट्रपति इसे पहले भी भंग कर सकता है।

राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को नामित करता है, जो साहित्य, विज्ञान, कला एवं समाजसेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान रखते हों। यदि लोकसभा में आंग्ल-भारतीय समुदाय का उचित प्रतिनिधित्व न हो, तो राष्ट्रपति इस समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में नामित कर सकता है। जब किसी साधारण विधेयक पर लोकसभा और राज्यसभा में सहमति न बने, तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकता है। अब तक ऐसी तीन संयुक्त बैठकें हो चुकी हैं। राष्ट्रपति को संसद को संबोधित करने और संदेश भेजने का भी अधिकार है। वह हर वर्ष संसद के पहले सत्र तथा आम चुनावों के बाद पहली बैठक को संबोधित करता है।

संसद द्वारा पारित प्रत्येक विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति इसे स्वीकृत कर सकता है या पुनर्विचार के लिए संसद को वापस भेज सकता है। लेकिन यदि संसद इसे फिर से पारित कर दे, तो राष्ट्रपति को स्वीकृति देनी ही पड़ती है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना कोई भी विधेयक कानून नहीं बन सकता। जब संसद सत्र में न हो, तब राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। अध्यादेश को कानून की शक्ति प्राप्त होती है, परंतु उसे संसद के अगले सत्र में दोनों सदनों के सामने रखा जाना आवश्यक है। यदि संसद छह सप्ताह के भीतर अध्यादेश को न स्वीकार करे, तो वह स्वतः समाप्त हो जाता है।

4. भारत के राष्ट्रपति की भूमिका तथा शक्तियों का परीक्षण कीजिए।

उत्तर: भारत का राष्ट्रपति देश का राष्ट्रप्रमुख तथा संघीय कार्यपालिका का प्रमुख होता है। संविधान के अनुसार सभी कार्यपालिका शक्तियाँ उसके नाम पर निहित रहती हैं, परंतु वह इन शक्तियों का प्रयोग मुख्यतः प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद की सलाह पर करता है।

(i)  नियुक्ति संबंधी शक्तियाँ: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है तथा उसकी सलाह पर मंत्रियों को नियुक्त करता है और विभागों का वितरण करता है। आवश्यकता होने पर वह किसी मंत्री को पद से हटा भी सकता है। न्यायपालिका में, वह सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। 1993 और 1999 के फैसलों के बाद न्यायिक नियुक्तियों में राष्ट्रपति को कोलेजियम की सलाह माननी आवश्यक है। इसके अतिरिक्त वह राज्यपाल, उपराज्यपाल, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, मुख्य निर्वाचन आयुक्त, चुनाव आयुक्त तथा संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है।

(ii) सैन्य शक्तियाँ: राष्ट्रपति सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है। वह थल, जल और वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है तथा युद्ध की घोषणा और शांति संधि करने का अधिकार रखता है।

(iii) कूटनीतिक शक्तियाँ: राष्ट्रपति विदेश मामलों का सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। वह राजदूतों और उच्च आयुक्तों की नियुक्ति करता है तथा विदेशी राजनयिकों का स्वागत करता है। सभी अंतरराष्ट्रीय संधियाँ उसके नाम से होती हैं।

(iv) विधायी एवं प्रशासनिक शक्तियाँ: संसद द्वारा पारित विधेयकों को लागू कराने का अंतिम अधिकार राष्ट्रपति का होता है। वह अपने द्वारा नियुक्त अधिकारियों जैसे राज्यपाल और राजदूतों को हटाने या वापस बुलाने का भी अधिकार रखता है।

(v) सलाह पर आधारित भूमिका: राष्ट्रपति अपने सभी कार्य प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है। वह किसी निर्णय पर केवल एक बार पुनर्विचार के लिए कह सकता है, लेकिन दूसरी बार ऐसा नहीं कर सकता।

5. भारत के उपराष्ट्रपति के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है और उसे संविधान द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कार्य सौंपे गए हैं—

(i) राज्य सभा के पदेन सभापति: उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है। इस रूप में उसका मुख्य कार्य सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना है। वह सदन में व्यवस्था बनाए रखता है, सदस्यों को बोलने तथा प्रश्न पूछने की अनुमति देता है, और विधेयकों एवं अन्य प्रस्तावों पर मतदान करवाता है। हालाँकि वह राज्य सभा का सदस्य नहीं होता, इसलिए मतदान नहीं कर सकता, लेकिन यदि मत बराबर हो जाएँ तो वह निर्णायक मत देकर निर्णय सुनिश्चित कर सकता है।

(ii) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य: यदि राष्ट्रपति की मृत्यु, त्यागपत्र या महाभियोग के कारण पद रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति अधिकतम छह महीने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति का कार्य करता है। इस दौरान उसे राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ प्राप्त रहती हैं। कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने पर वह राज्य सभा का सभापतित्व नहीं कर सकता।

(iii) राष्ट्रपति की अस्थायी अनुपस्थिति में दायित्व निभाना: यदि राष्ट्रपति अस्थायी रूप से अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हो, तो उपराष्ट्रपति बिना कार्यवाहक राष्ट्रपति बने ही उसके दायित्वों का निर्वाह करता है।

6. भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर: भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, परंतु राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री चुनने में पूर्ण स्वतंत्रता नहीं होती। संसदीय प्रणाली में प्रधानमंत्री वही व्यक्ति बन सकता है, जिसे लोक सभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त हो।

(i) बहुमत दल के नेता की नियुक्ति: सामान्य परिस्थितियों में राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जो लोक सभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है।

(ii) स्पष्ट बहुमत न होने पर: यदि किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत न मिले, तो राष्ट्रपति उस नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जिसे दो या अधिक दलों के समर्थन से लोक सभा में बहुमत प्राप्त हो।

(iii) राज्य सभा के सदस्य भी बन सकते हैं प्रधानमंत्री: प्रधानमंत्री सदैव लोक सभा सदस्य हो, यह आवश्यक नहीं।

राज्य सभा के सदस्य भी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। उदाहरण–

(क) 1966: इंदिरा गांधी।

(ख) 1997: इंद्रकुमार गुजराल।

(ग) 2004: डॉ. मनमोहन सिंह।

(iv) किसी भी सदन का सदस्य न होने पर: यदि नियुक्त व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य न हो, तो भी उसे छह महीने तक मंत्री/प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन उसे छह महीने के भीतर किसी एक सदन का सदस्य बनना आवश्यक है।

(v) मंत्रिपरिषद की नियुक्ति में भूमिका: प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति करता है। मंत्रियों का चयन करते समय क्षेत्रीय, जातिगत एवं धार्मिक विविधता का ध्यान रखा जाता है, विशेषकर गठबंधन सरकारों में।

(vi) प्रधानमंत्री का महत्व: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का गठन और नेतृत्व करता है। उसकी मृत्यु या त्यागपत्र की स्थिति में पूरा मंत्रिपरिषद पद मुक्त हो जाता है, क्योंकि मंत्रिपरिषद का अस्तित्व प्रधानमंत्री पर निर्भर होता है।

7. भारत के प्रधानमंत्री की शक्तियां, कार्य तथा भूमिका की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: भारत का प्रधानमंत्री केन्द्रीय सरकार का सबसे महत्वपूर्ण और शक्तिशाली पदाधिकारी होता है। वह सरकार का प्रमुख, लोकसभा का नेता, राष्ट्रपति का मुख्य सलाहकार तथा देश का प्रमुख प्रवक्ता माना जाता है।

उसकी शक्तियाँ और भूमिका अनेक क्षेत्रों में फैली होती हैं—

(i) मंत्रियों की नियुक्ति और नियंत्रण संबंधी शक्तियाँ: प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष होता है और मंत्रियों के चयन में निर्णायक भूमिका निभाता है। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सभी मंत्री वास्तविक रूप से प्रधानमंत्री द्वारा चुने जाते हैं और वे तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक प्रधानमंत्री का उन पर विश्वास बना रहता है।

(क) प्रधानमंत्री मंत्रियों के विभाग बाँटता है।

(ख) आवश्यकता होने पर विभागों में परिवर्तन कर सकता है।

(ग) किसी मंत्री को हटाने या इस्तीफा देने को कहने का अधिकार भी प्रधानमंत्री के पास होता है।

(ii) मंत्रिमण्डल का नेतृत्व और समन्वय: प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है और उन बैठकों की कार्यवाही को नियंत्रित करता है। वह मंत्रियों के बीच समन्वय स्थापित करता है तथा किसी भी विवाद या असहमति को सुलझाता है।

प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल और राष्ट्रपति के बीच की कड़ी है, सभी सरकारी नीतियाँ और निर्णय राष्ट्रपति तक वही पहुँचाता है। बिना उसकी अनुमति के कोई मंत्री राष्ट्रपति से नहीं मिल सकता।

(iii) राष्ट्रपति से संबंधित शक्तियाँ: प्रधानमंत्री की सलाह भारतीय राष्ट्रपति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उसकी सलाह से ही राष्ट्रपति संसद का अधिवेशन बुलाते और स्थगित करते हैं, तथा आवश्यकता पड़ने पर लोकसभा को भंग भी करते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति की लगभग सभी महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की सलाह पर ही होती हैं।

(iv) संसद में भूमिका:

(क) प्रधानमंत्री संसद में सरकार का नेता और प्रमुख प्रवक्ता होता है।

(ख) वह सरकारी नीतियों का बचाव करता है।

(ग) मंत्रियों की गलतियों या कमजोरियों की स्थिति में संसद में उनका बचाव करता है।

(घ) संसद से बाहर भी जनता के सामने सरकार का प्रतिनिधित्व वही करता है।

(v) राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व: प्रधानमंत्री देश की आंतरिक और बाह्य नीतियों के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाता है। वह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों जैसे— संयुक्त राष्ट्र, दक्षेस (SAARC), और गुट-निरपेक्ष आंदोलन में भारत का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे देशों के साथ होने वाली सभी संधियाँ और समझौते उसकी सहमति से ही होते हैं।

(vi) प्रधानमंत्री के व्यक्तित्व का प्रभाव: प्रधानमंत्री की शक्ति कई बार उसके व्यक्तित्व, लोकप्रियता और राजनीतिक समर्थन पर निर्भर करती है। नेहरू या इंदिरा गांधी जैसे प्रभावशाली नेताओं की तुलना में कमजोर नेतृत्व वाले प्रधानमंत्री की शक्ति कम प्रभावी हो सकती है। यदि सरकार अल्पमत में हो और बाहरी समर्थन पर निर्भर हो, तो प्रधानमंत्री की भूमिका सीमित हो जाती है।

8. मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमण्डल में अंतर कीजिए।

उत्तर: मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमण्डल में अंतर इस प्रकार है—

मंत्रिपरिषदमंत्रिमण्डल
इसमें सभी प्रकार के मंत्री शामिल होते हैं— कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री तथा उपमंत्री। इसकी संख्या 70 या उससे अधिक भी हो सकती है।इसमें केवल वरिष्ठ और महत्वपूर्ण मंत्री शामिल होते हैं। इसकी संख्या सामान्यतः 15 से 20 के बीच होती है।
इसकी बैठकें बहुत कम होती हैं।इसकी बैठकें नियमित तथा आवश्यकता अनुसार बार-बार होती रहती हैं।
यह एक बड़ा निकाय है, परंतु वास्तविक नीतिगत निर्णय नहीं लेता।सरकार की सभी नीतियों और कार्यक्रमों का निर्धारण मंत्रिमण्डल करता है। यही वास्तविक निर्णय लेने वाला निकाय है।
मंत्रिपरिषद संविधान में आरंभ से ही उल्लिखित है।संविधान में मंत्रिमण्डल शब्द का उपयोग 44वें संविधान संशोधन के बाद स्पष्ट रूप से किया गया।

9. मंत्रियों के सामूहिक तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर: भारत की संसदीय शासन प्रणाली में मंत्रिपरिषद का उत्तरदायित्व एक मूल सिद्धांत है। मंत्री राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं, परंतु वास्तविक रूप से वे लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं। मंत्रियों का उत्तरदायित्व दो रूपों में होता है— सामूहिक उत्तरदायित्व और व्यक्तिगत उत्तरदायित्व।

(i) सामूहिक उत्तरदायित्व: संविधान के अनुसार मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

इसका अर्थ है—

(क) सभी मंत्रियों की संयुक्त जिम्मेदारी: मंत्रिमण्डल द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय की जिम्मेदारी हर मंत्री की होती है। चाहे किसी मंत्री ने निर्णय में भाग लिया हो या न हो, उसे उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करना और उसका समर्थन करना पड़ता है। यदि कोई मंत्री निर्णय से सहमत नहीं है, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।

(ख) एक साथ टिकना और गिरना: किसी भी सरकारी निर्णय, बिल या बजट के खिलाफ लोकसभा में बहुमत हो जाए, तो यह पूरे मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास माना जाता है। प्रधानमंत्री के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होना भी पूरे मंत्रिपरिषद के इस्तीफे का कारण बनता है।

(ii) व्यक्तिगत उत्तरदायित्व: सामूहिक उत्तरदायित्व के साथ-साथ मंत्री व्यक्तिगत रूप से भी लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

(क) व्यक्तिगत कार्यों की जिम्मेदारी: किसी मंत्री के व्यक्तिगत कार्य या निर्णय को यदि संसद स्वीकार नहीं करती, तो उसे अपने पद से इस्तीफा देना पड़ता है।

(ख) व्यक्तिगत आचरण की जिम्मेदारी: यदि किसी मंत्री का निजी व्यवहार अभद्र या विवादास्पद हो, तो सरकार पर प्रभाव डाले बिना उसे पद छोड़ना पड़ता है।

(ग) प्रधानमंत्री का अधिकार: यदि कोई मंत्री प्रधानमंत्री के लिए बोझ या असुविधा बन जाए, तो प्रधानमंत्री उसे पद छोड़ने के लिए कह सकता है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This will close in 0 seconds

This will close in 0 seconds

error: Content is protected !!
Scroll to Top