NIOS Class 12 Political Science Chapter 13 राज्यों में कार्यपालिका

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 13 राज्यों में कार्यपालिका

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Chapter: 13

मॉड्यूल – 3 सरकार की संरचना

पाठगत प्रश्न 13.1

1. किसी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है?

(क) राष्ट्रपति।

(ख) उपराष्ट्रपति।

(ग) प्रधानमंत्री।

(घ) भारत के मुख्य न्यायाधीश।

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उत्तर: (क) राष्ट्रपति।

2. राज्यपाल की नियुक्ति कितने वर्ष के लिए की जाती है?

(क) चार वर्ष।

(ख) पांच वर्ष।

(ग) छह वर्ष।

(घ) सात वर्ष।

उत्तर: (ख) पांच वर्ष।

3. मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद किसके प्रति उत्तरदायी होती है?

(क) विधानसभा।

(ख) विधानपरिषद।

(ग) राज्यपाल।

(घ) राष्ट्रपति।

उत्तर: (क) विधानसभा।

4. राज्य में किसके द्वारा अध्यादेश जारी किया जाता है?

(क) राज्यपाल।

(ख) राज्य गृहमंत्री।

(ग) मुख्यमंत्री।

(घ) राष्ट्रपति।

उत्तर: (क) राज्यपाल।

5. किसकी सिफारिश पर राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकता है।

(क) राज्य का गृहमंत्री।

(ख) उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश।

(ग) मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद्।

(घ) राष्ट्रपति।

उत्तर: (ग) मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद्।

पाठगत प्रश्न 13.2

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

(क) मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?

उत्तर: मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है।

(ख) राज्य में मंत्रियों को नियुक्ति के लिए कौन चुनता है?

उत्तर: राज्य में मंत्रियों को नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री चुनता है।

2. कोष्ठक में से उपयुक्त शब्दों द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।

(क) राज्यपाल मंत्रियों की नियुक्ति _______________ की सलाह पर करता है। (प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उपराष्ट्रपति)

उत्तर: राज्यपाल मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर करता है।

(ख) राज्य मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता ________________ करता है। (राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधान सभा अध्यक्ष)

उत्तर: राज्य मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता मुख्यमंत्री करता है।

(ग) मंत्रिपरिषद ______________ के प्रति उत्तरदायी होती है। (राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधान सभा)

उत्तर: मंत्रिपरिषद विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

(घ) मुख्यमंत्री ______________ होता है। (राज्य का प्रमुख, सरकार का प्रमुख)

उत्तर: मुख्यमंत्री सरकार का प्रमुख होता है।

पाठांत प्रश्न

1. राज्यपाल की नियुक्ति किस प्रकार होती है?

उत्तर: राज्यपाल का नियुक्ति-प्रक्रिया पूर्णतः केंद्र सरकार पर निर्भर होती है। किसी भी राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। चूँकि राज्यपाल एक निर्वाचित पद नहीं है बल्कि नियुक्त पद है, इसलिए उसकी नियुक्ति में जनता या राज्य की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती। राष्ट्रपति राज्यपाल को पाँच वर्ष के लिए नियुक्त करता है, परंतु वह वास्तव में राष्ट्रपति (और उसके पीछे प्रधानमंत्री के परामर्श) की इच्छा तक अपने पद पर बना रह सकता है। आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रपति उसे समय से पहले पद से हटाने का अधिकार भी रखता है।

2. राज्यपाल किन शक्तियों का प्रयोग करता है?

उत्तर: राज्यपाल निम्न शक्तियों का प्रयोग करता है—

(i) मुख्यमंत्री की नियुक्ति की शक्ति: राज्यपाल विधान सभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है।

(ii) मंत्रियों की नियुक्ति की शक्ति: मुख्यमंत्री की सिफारिश पर राज्यपाल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

(iii) विभागों का विभाजन: राज्यपाल मंत्रियों के विभागों का विभाजन मुख्यमंत्री की सलाह पर करता है।

(iv) जानकारी प्राप्त करने की शक्ति: संविधान के अनुसार राज्यपाल को यह शक्ति है कि वह मुख्यमंत्री से— प्रशासनिक मामलों, राजकीय मामलों, और प्रस्तावित विधेयकों के बारे में जानकारी मांग सकता है। मुख्यमंत्री को राज्यपाल को यह जानकारी देना अनिवार्य है।

(v) मंत्रिपरिषद के निर्णयों की जानकारी लेने की शक्ति: राज्यपाल मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी निर्णयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है।

(vi) मंत्रिपरिषद में किसी विषय को विचारार्थ रखने की शक्ति (वास्तविक नहीं, परंतु अधिकार के रूप में): यदि राज्यपाल चाहे, तो किसी भी मंत्री द्वारा लिए गए निर्णय को मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद में चर्चा हेतु प्रस्तुत कर सकता है।

3. क्या राज्यपाल का कोई विवेकाधिकार है? उसकी विवेकाधिकार की शक्तियों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: हाँ, राज्यपाल के पास विवेकाधिकार (Discretionary Powers) होते हैं। पैराग्राफ के अनुसार ये शक्तियाँ राज्यपाल को केंद्रीय सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मिली होती हैं। इन शक्तियों का प्रयोग राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना, अपने स्वयं के निर्णय से करता है। इसलिए इन्हें स्वविवेक संबंधी शक्तियाँ कहा जाता है।

राज्यपाल की विवेकाधिकार संबंधी शक्तियाँ इस प्रकार हैं—

(i) अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना: यदि राज्यपाल के विचार में राज्य में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है, तो वह बिना मंत्रिपरिषद की सलाह लिए, स्वयं अपने विवेक से राष्ट्रपति को सूचना दे सकता है तथा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है। राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार किए जाने पर राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत आपातकाल लागू किया जा सकता है।

(ii) किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार हेतु सुरक्षित रखना: राज्यपाल किसी भी विधेयक को मंत्रिपरिषद की सलाह लिए बिना अपने विवेक से राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रख सकता है। यह भी उसकी पूर्ण विवेकाधीन शक्ति है।

4. राज्यपाल की स्थिति तथा भूमिका बताइए।

उत्तर: राज्यपाल राज्य का संवैधानिक और औपचारिक मुखिया होता है। संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद के पास होती हैं, इसलिए राज्यपाल सामान्य परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद के परामर्श पर कार्य करता है। इस प्रकार वह दैनिक शासन में सक्रिय भूमिका नहीं निभाता, बल्कि एक औपचारिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है।

हालाँकि, असाधारण परिस्थितियों में राज्यपाल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक बन जाती है। जब राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो या किसी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले, तब वह अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर सकता है। राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना, अस्पष्ट बहुमत की स्थिति में यह तय करना कि किस दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए, तथा दल बदल की स्थिति में सरकार के भविष्य का निर्धारण ऐसे अवसर हैं जब राज्यपाल का विवेक प्रमुख हो जाता है। इन स्थितियों में उसके निर्णय राजनीतिक रूप से काफी प्रभाव डालते हैं।

1967 के बाद बहुदलीय सरकारों और दल-बदल की बढ़ती घटनाओं के कारण राज्यपाल की भूमिका कई बार विवादास्पद मानी गई है। कुछ राज्यपालों ने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी को प्रसन्न करने के लिए पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए, जिससे उनके पद की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगा। सरकारिया आयोग और प्रशासनिक सुधार आयोग ने राज्यपाल के कार्यों को अधिक निष्पक्ष बनाने के सुझाव दिए, परंतु इन पर अपेक्षित रूप से अमल नहीं हो सका।

5. राज्य मंत्रिपरिषद किस प्रकार गठित होती है?

उत्तर: राज्य मंत्रिपरिषद का गठन सबसे पहले राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की नियुक्ति से होता है। राज्यपाल विधान सभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है। इसके बाद मुख्यमंत्री की सिफारिश पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है। मंत्रिपरिषद में शामिल किसी भी व्यक्ति का राज्य विधायिका के किसी एक सदन का सदस्य होना आवश्यक है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति सदस्य नहीं है, तो उसे मंत्री बनाया जा सकता है, बशर्ते कि वह छह महीने के भीतर राज्य विधायिका का सदस्य निर्वाचित हो जाए; अन्यथा उसका मंत्री पद समाप्त हो जाता है। मंत्रियों के विभागों का विभाजन भी राज्यपाल द्वारा किया जाता है, किंतु यह कार्य मुख्यमंत्री की सलाह के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार मंत्रिपरिषद का गठन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्यपाल द्वारा किया जाता है।

6. मुख्यमंत्री के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: मुख्यमंत्री के कार्यों की चर्चा हम इस प्रकार कर सकते है—

(i) मुख्यमंत्री राज्य सरकार का वास्तविक मुखिया है। उसी की सिफारिश पर मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। राज्यपाल मंत्रियों के विभागों का विभाजन भी मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करता है।

(ii) मुख्यमंत्री मंत्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता करता है। वह विभिन्न मंत्रालयों में समन्वय बनाता है तथा मंत्रिपरिषद का मार्ग दर्शन करता है।

(iii) राज्य सरकार के कानून तथा नीतियां बनाने में मुख्यमंत्री की भूमिका प्रमुख होती है। उसकी स्वीकृति से ही कोई मंत्री सदन में विधेयक प्रस्तावित करता है। वह विधान सभा के अंदर तथा बाहर, दोनों जगह सरकार की नीतियों का मुख्य प्रवक्ता होता है।

(iv) संविधान के अनुसार प्रशासन, राजकीय मामले तथा प्रस्तावित विधेयकों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देने का दायित्व मुख्यमंत्री का है।

(v) जब भी राज्यपाल चाहता है, मुख्यमंत्री को उपरोक्त विषयों के बारे में राज्यपाल को जानकारी देनी होती है।

(vi) ऐसा कोई विषय या मामला जिस पर किसी मंत्री ने निर्णय लिया हो परंतु उस पर मंत्रिपरिषद ने विचार नहीं किया हो, राज्यपाल की इच्छा पर मुख्यमंत्री द्वारा मंत्रिपरिषद में विचारार्थ रखा जाता है।

(vii) राज्यपाल और मंत्रिमण्डल के बीच संचार का एक मात्र सेतु मुख्यमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद द्वारा लिए गए सभी निर्णयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार राज्यपाल को है।

7. राज्यपाल का मुख्यमंत्री के साथ संबंधों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संबंध संवैधानिक व्यवस्था पर आधारित होते हैं। राज्यपाल राज्य का औपचारिक प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यपालिका का प्रमुख माना जाता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है और उसकी सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति तथा विभागों का विभाजन करता है। सामान्य परिस्थितियों में राज्यपाल मुख्यमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद के परामर्श से सभी कार्य करता है, इसलिए शासन की वास्तविक शक्ति मुख्यमंत्री के पास होती है।

जब मुख्यमंत्री विधान सभा में बहुमत सिद्ध कर लेता है, तब राज्यपाल का विवेकाधिकार बहुत सीमित हो जाता है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन का वास्तविक नेता होता है और राज्यपाल केवल संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है। हालांकि असाधारण परिस्थितियों में, जैसे संवैधानिक तंत्र की विफलता, राज्यपाल अपने विवेक से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है। इस प्रकार राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संबंध राजनीतिक परिस्थितियों और संवैधानिक दायित्वों पर निर्भर करते हैं।

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