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NCERT Class 12 Hindi Antra Chapter 2 सरोज स्मृति
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सरोज स्मृति
Chapter: 2
अंतरा काव्य खंड |
प्रश्न-अभ्यास |
1. सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर: सरोज के नव-वधू रूप का वर्णन उसकी सुंदरता, सजावट और सौम्यता को दर्शाता है। सरोज विवाह के समय अति सुन्दर लाग रही थी। उसमें उसकी माँ की छवि साफ़ दिखाई दे रही थी। उसके माथे पर सिंदूर की लकीर और मांगटीका उसकी शोभा को बढ़ाते हैं। हाथों में मेंहदी सजे हुए थे और कंगन उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहे थे। उसकी आंखों में संकोच और लज्जा की हल्की सी परछाई होती है, जो उसे और भी आकर्षक बनाती है। सरोज उस समय अपने जीवन के नए पहलु को देख पा रही थी जिसमें उसके साथ उसके पति थे जिसकी वजह से जो उसके होठों और मन में खुशी थी वह फ़ूट फ़ूट कर बाहर आना चाह रही थी। कुल मिलाकर, सरोज का नव-वधू रूप एक परिपूर्ण और दिव्य सौंदर्य का प्रतीक है।
2. कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद क्यों आई?
उत्तर: कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद तब आई जब उसने अपनी बेटी सरोज को दुल्हन के रूप में सजा देखा। दुल्हन के कपड़ों में उनकी पुत्री बहुत सुंदर प्रतीत हो रही थी। नव-वधू के रूप में सरोज में उसकी माँ की छवि साफ़ दिखाई दे रही थी। कवि को अपने यौवन के दिन याद आ गए और उसे उसमें उस श्रृंगार के दर्शन हो रहे थे जो उसके काव्य में रसधारा बनकर उमड़ रहा था। अपनी पत्नी के साथ मिलकर गायी गई कविताएँ उन्हें अपनी पुत्री सरोज के रूप में साकार होती दिखती है। ऐसे महत्वपूर्ण समय में पत्नी का अभाव उसे उसकी याद दिला देता है।
3. ‘आकाश बदल कर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ शब्द किनकी ओर संकेत करते हैं?
उत्तर: आकाश बदल कर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ यह दोनों शब्द कवि की पुत्री सरोज की ओर संकेत करते हैं। कवि के अनुसार वह अपनी कविताओं में श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ किया करता था। कवि को ऐसा लगता है कि वातावरण में दांपत्य भाव व्याप्त है, इसलिए आकाश भी ऊपर रहने के भाव को त्यागकर अपनी प्रियतमा धरती से मिलने नीचे आकर उसके साथ एकाकार हो गया है। इस पंक्ति में कवि ने ‘आकाश’ को नायक और ‘मही’ को नायिका के रूप में चित्रित किया है। अत: आकाश को वह श्रृंगार भाव से युक्त कल्पनाएँ तथा मही के रूप में अपनी पुत्री सरोज की ओर संकेत करता है।
4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर: सरोज का विवाह अन्य विवाहों की तरह चमक-दमक, शोर-शराबे से रहित था। सरोज का विवाह बहुत सादे तरीके से हुआ था। सरोज के विवाह में कोई भी आत्मीय स्वजन उपस्थित नहीं था, जबकि अन्य विवाहों में वर-वधू के बहुत सारे सगे-संबंधी शामिल होते हैं। विवाह में रात-दिन कभी मंगल गीत-गायन और राग-रंग भरे मनोरंजन कार्यक्रम नहीं हुए। जबकि अन्य विवाहों में हास्य-विनोद भरे अनेक मनोरंजक कार्यक्रम होते हैं और विभिन्न रस्मों पर मंगल-गीत गाए जाते हैं। विवाह में पुष्प-सेज को सजाने का कार्य महिलाएँ करती हैं, परंतु मातृविहीन होने के कारण सरोज की पुष्प-सेज पिता द्वारा ही सजाई गई।
5. ‘वह लता वहीं की, जहाँ कली तू खिली’ पंक्ति के द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है?
उत्तर: कवि निराला जी इस पंक्ति के माध्यम से सरोज के लालन-पालन के प्रसंग को उद्घटित करते हैं। इस पंक्ति में ‘लता’ का मतलब सरोज की मां मनोहारी जी से है, जो सरोज को जन्म देकर चली गई थीं। वहीं, ‘कली’ का मतलब सरोज से है, जो अपनी मां की तरह ही उस लता रूपी मां में खिली थीं। उनकी पत्नी मनोहारी जी के निधन के बाद उनकी पुत्री का लालन-पालन उनके नाना-नानी के द्वारा किया गया था।
6. ‘मुझ भाग्यहीन की तू संबल’ निराला की यह पंक्ति क्या ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे कार्यक्रम की माँग करती है।
उत्तर: निराला जी की यह पंक्ति बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम की मांग करते है क्योंकि पत्नी के गुजर जाने के बाद कवि का इकलौता सहारा उनकी पुत्री ही थी। यह पंक्ति उनके जीवन के कठिन समय में उनकी बेटी द्वारा दिए गए सहारे और समर्थन का प्रतीक है।
7. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए–
(क) नत नयनों से आलोक उतर।
उत्तर: कवि के अनुसार उसकी पुत्री विवाह के समय बहुत प्रसन्न है। नववधू बनी उसकी पुत्री की आँखें लज्जा तथा संकोच के कारण चमक रही थी। कुछ समय पश्चात यह चमक आँखों से उतर कर उसके अधरों तक जा पहुँच जाती है।
(ख) श्रृंगार रहा जो निराकार।
उत्तर: श्रृंगार रहा जो निराकार इसका अर्थ है ऐसा श्रृंगार जो बिना आकार के होता है। कवि के अनुसार इस प्रकार श्रृगार ही रचनाओ में अपना प्रभाव छोड़ पाता है।
(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला।
उत्तर: कविता में निराला अपनी बेटी की शिक्षा, व्यवहार और उसकी विशिष्ट पहचान को याद करते हुए कहते हैं कि वह साधारण नहीं, बल्कि अपनी तरह की अनूठी है। वह सरोज को शकुंतला से तुलना करते हैं, लेकिन यह तुलना सामान्य नहीं है। सरोज की शिक्षा और आचरण उसे एक अलग पहचान देते हैं। “पाठ अन्य” का अर्थ है कि सरोज का जीवन और सीखने का तरीका दूसरों से अलग है, और “कला अन्य” यह बताता है कि वह अपनी अलग कला और विशिष्टता के साथ जी रही थी। इस पंक्ति में कवि यह बताना चाह रहे हैं कि शकुंतला और सरोज की कहानी भले ही कुछ हद तक समान हो परंतु अनेक विषयों में यह दो काफी भिन्न पाठ हैं।
(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ।
उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति में कवि अपने पिता धर्म को निभाने के लिए दृढ़ निश्चयी है। वह अपने पिता धर्म का पालन सदा माथा झुकाए करना चाहते है।
योग्यता-विस्तार |
1. निराला के जीवन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए रामविलास शर्मा की पुस्तक ‘महाकवि निराला’ पढ़िए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
2. अपने बचपन की स्मृतियों को आधार बनाकर एक छोटी सी कविता लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
3. ‘सरोज स्मृति’ पूरी पढ़कर आम आदमी के जीवन संघर्षों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।