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Class 10 Hindi Elective Chapter 11 कायर मत बन
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कायर मत बन
पाठ – 11
अभ्यासमाला |
बोध एवं विचार:
1. ‘सही’ या ‘गलत’ रूप में उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा व्यक्तिवादी गीतिकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं।
उत्तर: सही।
(ख) नरेंद्र शर्मा की कविताओं में भक्ति एवं वैराग्य के स्वर प्रमुख हैं।
उत्तर: गलत।
(ग) पंडित नरेंद्र शर्मा की गीति-प्रतिभा के दर्शन छोटी अवस्था में ही होने लगे थे।
उत्तर: सही।
(घ) ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता में कवि ने प्रतिहिंसा से दूर रहने का उपदेश दिया है।
उत्तर: गलत।
(ङ) कवि ने माना है कि प्रतिहिंसा व्यक्ति की कमजोरी को दर्शाती है।
उत्तर: सही।
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो:
(क) कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिलांतर्गत जहाँगीर नामक स्थान में हुआ था।
(ख) कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के किस कार्यक्रम के संचालक नियुक्त हुए थे?
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा आकाशवाणी के विविधा भारती के संचालक नियुक्त हुए थे।
(ग) ‘द्रौपदी’ खंड काव्य के रचयिता कौन हैं?
उत्तर: ‘द्रौपदी’ खंड काव्य के रचयिता नरेंद्र शर्मा है।
(घ) कवि ने किसे ठोकर मारने की बात कही है?
उत्तर: कवि ने लक्ष्य के मार्ग पर पाहन जैसे कठिन बाधाओं को ठोकर मारने की बात कही है।
(ङ) मानवता ने मनुष्य को किस प्रकार सींचा है?
उत्तर: मानवता ने मनुष्य को खून पशीना बहाकर सींचा है।
(च) व्यक्ति को किसके समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए?
उत्तर: व्यक्ति को दुष्ट व्यक्ति के समक्ष आत्म-समर्पण नहीं करना चाहिए।
3. अति संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में):
(क) कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं की विषयगत विविधता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा के गीतों एवं कविताओं में विषयगत विविधता पाई जाती है। इनमें मिलन-विरह, सुख-दुख, प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिकता रहस्यानुभूति, राष्ट्रीय भावना, सामाजिक विषमता आदि का चित्रण भी हमें देखने को मिलता है।
(ख) नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-भाषा पर टिप्पणी प्रस्तुत करो।
उत्तर: कवि नरेन्द्र शर्मा जी की काव्य-भाषा सरल, प्रांजल, और सांगीतिक लययुक्त खड़ी बोली है। उनके भाषा प्रवाहमयी है। ओज, माधुर्य और प्रसाद गुणों से युक्त उनकी रचनाओं में आत्मीयता, चित्रात्मकता और आलंकारिकता- ये तीन आपके काव्य-भाषा के निराले गुण है।
(ग) कवि ने कैसे जीवन को जीवन नहीं माना है?
उत्तर: प्रतिकूल परिस्थितियों के समय सीर झुकाकर तथा दुःख के आँसुओं को पीते रहना जीवन-यापन करना जीवन नहीं है। वैसा जीवन बिताना कवि के अनुसार भीरुता का जीवन है जिसका कोई मूल्य नहीं है।
(ङ) कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप क्या है?
उत्तर: कवि की दृष्टि में जीवन के सत्य का सही माप यह है की आनेवाले बाधाओं से डर जीवन के लक्ष्य मार्गस्य की प्राप्ति कभी नहीं होती और भागता है उसे लक्ष्य बनाने में परिस्थितियों के साथ लड़ाई करता पसिना बहाकर आया है उनकी ही उन्नति होती है।
4. संक्षेप में उत्तर दो (लगभग 50 शब्दों में):
(क) ‘कायर मत बन’ शीर्षक कविता का संदेश क्या है?
उत्तर: ‘कायर मत बन’ कविता में कवि नरेंद्र शर्मा जी ने हमें संदेश देते हुए कहा है कि कुछ भी बन, बस कायर मत बन। मानवता को कभी मत छोड़ना। मूर्ख वैरी जब ललकारता है तो उसे पीठ मत दिखाना, उसके सामने कभी घुटने मत टेकना।
(ख) ‘कुछ न करेगा? किया करेगा- रे मनुष्य – बस कातर क्रंदन’- का आशय स्पष्ट करो।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा जी यह कहना चाहते हैं है कि यदि कोई आपसे में लड़ने आए तो पहले आप उसे प्रेम से जीतने की कोशिश करे अगर नहीं तो फिर आप “डटकर उसका मुकाबला करो। उसके सामने कभी रोओ, गिड़गिड़ाओ नहीं। उसके साथ कभी भी समझौता मत करो।
(ग) ‘या तो जीत प्रीति के बल पर, या तेरा पथ चूमे तस्कर’ का तात्पर्य बताओ।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा जी ने मनुष्य को कायर न बनने का संदेश देते हुए कहा है कि मनुष्य को मनुष्यता का ध्यान भी रखना अवश्यक है। स्पष्टीकरण: नरेंद्र शर्मा जी कह रहे हैं- हे मनुष्य! तुम कुछ भी बनो बस कायर मत बनो। अगर कोई दुष्ट या क्रूर व्यक्ति तुमसे टक्कर लेने खड़ा हो जाए, तो उसकी ताकत से डरकर तू पीछे मत हटना।
(घ) कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने प्रतिहिंसा को व्यक्ति की दुर्बलता कहा है क्योंकि मानव एक विचारशील प्राणी है। वह कोई हिंसक पशु नहीं है। हिंसा के प्रति की गई हिंसा तो मानव की विवेकहीनता होगी उसके मानवीय स्वभाव की दुर्बलता होगी। हिंसा को प्रेम से जीतना ही मानवता की जीत होती है।
5. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में):
(क) सज्जन और दुर्जन के प्रति मनुष्य के व्यवहार कैसे होने चाहिए? पठित ‘कायर मत बन’ कविता के आधार पर उत्तर दो।
उत्तर: कवि के अनुसार समाज में सज्जन और दुर्जन दोनों प्रकार के व्यक्ति है। सज्जन व्यक्ति अपनी सज्जनता, पवित्रता, नम्रता, मनुष्यत्व, अहिंसा, प्रेम आदि अनेक सत्गुणों के कारण लोगों का प्रियपात्र बन जाते है। लोग उन्हे आदर करते है और उनके गुणों को अपनाने की कोशिश करती है। सज्जन के प्रति हमें ऐसा व्यवहार करना नहीं चाहिए, जिससे उनके हृदय में कोई चोट लग जाए। उनसे हम प्रेम विनम्रता और कोमलता से व्यवहार करना चाहिए। इसके विपरीत जो व्यक्ति दुर्जन है और अपने हिंसा, अन्याय आदि दुष्कर्म द्वारा सभ्य-मानव समाज को वर्वर-मानवता की और ले जाते है उसके प्रति हमारा व्यवहार भी कठोर होना चाहिए। मानवता की रक्षा के मार्ग में बाधा डालनेवाले वैसे दुर्जन व्यक्ति के दुष्कर्म, अन्याय को रोकने के लिए विरुद्ध व्यवहार करना चाहिए। उनके आगे सर न झुकाकर साहस और दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए।
(ख) ‘कायर मत बन’ कविता का सारांश लिखो।
उत्तर: ‘कायर मत बन’ कविता में कवि नरेंद्र शर्मा जी ने हमें संदेश देते हुए कहा है कि कुछ भी बन, बस कायर मत बन। मानवता को कभी मत छोड़ना। मूर्ख वैरी जब ललकारता है तो उसे पीठ मत दिखाना, उसके सामने कभी घुटने मत टेकना। मनुष्य को अपने लक्ष्य मार्ग पर बाधा डालने वाले से डरकर भागना नहीं चाहिए । दुःख के आंसुओं को पीते रहकर जीवन गुजरना कायरता का ही जीवन है। मानवता की रक्षा के लिए व्यक्ति को अपने जीवन के सर्वस्व त्याग करने को तैयार रहना चाहिए। अपना अस्तित्व कायम रखना मनुष्य का परम कर्तव्य है । इसके लिए व्यक्ति को साहस और दृढ़ता का जरूरत है ताकि वह अपने मार्ग रोकनेवाले दुर्जनों से लोहा से ले सकता, अन्याय को रोक सकता।
(ग) कवि नरेंद्र शर्मा का साहित्यिक परिचय दो।
उत्तर: कवि नरेंद्र शर्मा जी का साहित्यिक प्रतिभा के दर्शन छोटी उम्र में हुई है। विद्यार्थी जीवन में ही उनके दो गीत-संग्रह प्रकाशित हुए। जीवन के अंतिम समय तक उनकी लेखनी चलती रही। वे आधुनिक हिन्दी काव्य धारा के अन्तर्गत छायावाद एवं छायावादोत्तर युग में होने वाले व्यक्तिवादी गीति कविता के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध है। कुछेक कविताओं में प्रगतिशीलता के भी दर्शन होते है। आपकी काव्य-कृतियों में ‘प्रभात फेरी’, ‘प्रवासी के गीत’, ‘पलाशवन’, ‘मिट्टी के फुल’, हंसावली, ‘रक्तचंदन’, ‘कदलीवन’, द्रौपदी’ (खण्डकाव्य), ‘उत्तरजय’ (खण्डकाव्य) और ‘सुवर्ण’ (खण्डकाव्य) विशेष रूप से उल्लेखनीय है। ‘कड़वी मीठी बातें उनका कहानी संग्रह है।
(क) “ले-दे कर जीन ____ युगों तक खून-पसीना।”
उत्तर: प्रसंग: यह पंक्तियां हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक आलोक भाग-२ के अंतर्गत गीति कवि नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित “कायर मत बन” शीर्षक कविता से ली गई है।
संदर्भ: इसमें कवि ने मानव को साहस और दृढ़ता से प्रतिकुल परिस्थितीओं का सामना करते हुए सही जीवन-यापन करने की प्रेरणा दिया है ।
व्याख्या: कवि शर्मा जी का यह कहना है कि मनुष्य अपना खून-पसीना बहाकर मानव के स्वतंत्र अस्तित्व को बनाए रखता है। परिस्थितियों से डरकर भागना और दुःख के आँसुओं को पीकर रहता सही जीवन की निशानी नहीं है। हिंसा और अन्यायों से बढ़कर मानवता की रक्षा करना सबके लिए जरूरी है। वरना किसी को लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती।
शब्दार्थ: गम = दुःख। कातर क्रंदन = कष्ट से भरा विलाप। खुन-पसीना = कठोर परिश्रम करना, कष्ट उठाना, वहाना।
(ख) “युद्धं देहि’ कहे जब…. तेरा पथ चूमे तस्कर।”
उत्तर: प्रसंग: यह पंक्तियां हमारी हिंदी पाठ्यपुस्तक “आलोक भाग-२” के अन्तर्गत गीति कवि नरेंद्र शर्मा जी द्वारा रचित “कायर मत बन” शीर्षक कविता से लि गई है।
संदर्भ: इसमें कवि ने मनुष्य की शत्रुओं का सामना करने के लिए प्रेरणा दी है।
व्याख्या: कवि मानव को सम्बोधित करते हुए कहता है कि जब शत्रु तुम्हें युद्ध करने के लिए ललकारते है तब तुम साहस के साथ युद्ध कर जवाब देना चाहिए। प्रेम के बल पर विरोधियों को जित लेना पवित्र कर्म है। सज्जन व्यक्तियों से भरा समाज में द्दीयह संभव है। पर इसके विपरीत परिस्थिति में अर्थात हिंसा के सामने सिर झुकाकर कायरता देखना जीवन ही नहीं। जो वीरता से परिस्थितियों का सामना कर सकता उन्हें ही लक्ष्य प्राप्ति होती। शब्दार्थ : युद्धं देहि = युदध के लिए ललकारना। पामर = दुष्ट, शत्रु, नीच। दुहाई = शपथ।पीठ फेरना = लड़ाई के मैदान से भाग खड़ा होना। प्राप्ति = प्यार, मोहब्बत। तस्कर = बुरा कार्य करने वाला।
भाषा एवं व्याकरण-ज्ञान |
1. खाली जगहों में ‘न’, ‘नहीं’ अथवा ‘मत’ का प्रयोग करके वाक्यों को फिर से लिखो:
(क) तू कभी भी कायर____ बन।
उत्तर: तू कभी कायर मत बन।
(ख) तुम कभी भी कायर____ बनो।
उत्तर: तुम भी कभी कायर मत बनो।
(ग) आप कभी भी कायर ____बनें।
उत्तर: आप कभी भी कायर न बनें।
(घ) हमें कभी भी कायर बनना____चाहिए।
उत्तर: हमें कभी भी कायर बनना नही चाहिए।
2. अर्थ लिखकर निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग करो:
ले-दे कर जीना, गम के आँसू पीना, खून-पसीना बहाना, पीठ फेरना, टस से मस न होना, कालिख लगना, कमर कसना, आँचल में बाँधना।
उत्तर: (i) ले-दे कर जीना (समझोता करके जीना): कवि नरेंद्र शर्मा के अनुसार ले-दे कर जीना जीवन ही नहीं है।
(ii) गम के आँसू पीना (दुःख को दबाकर रहजाना): कभी भी शत्रु के सामने सिर झुकाकर गम के आंसुओं को पीते रहना नहीं चाहिए।
(iii) खून-पसीना बहाना (बहुत कष्ट उठाना): मानवता की रक्षा के लिए मनुष्य को खून-पसीना बहाना ही पड़ता है।
(iv) पीठ फेरना (लड़ाई की मैदान से भाग खड़ा होना): जब कोई दुष्ट युद्ध के लिए ललकारता है तब हमें पीठ फेरना नहीं चाहिए।
(v) टस से मस न होना (अविचलित रहना): अनेक अत्याचार करने पर भी मीराबाई टस से मस न हुई थी।
(vi) कालिख लगना (कलंकित होना): सज्जन व्यक्ति कभी भी दुष्ट का साथ देकर कालिख लगाना नहीं चाहता।
(vii) कमर कसना (प्रस्तुत होना): विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए कमर कसना चाहिए।
(viii) आँचल में बाँधना (किसी बात को अच्छी तरह से याद रखना): शिक्षकों की बातें सिर्फ बुद्धिमान विद्यार्थी ही आँचल में बाँध सकता है।
3. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखो:
(क) सभा में अनेकों लोग एकत्र हुए हैं।
उत्तर: सभा में अनेक लोग पधारे है।
(ख) मुझे दो सौ रुपए चाहिए।
उत्तर: मुझे दो सौ रुपया चाहिए।
(ग) बच्चे छत में खेल रहे हैं।
उत्तर: बच्चे छत पर खेल रहे है।
(घ) मैंने यह घड़ी सात सौ रुपए से ली है।
उत्तर: मैंने यह घड़ी सात सौ रुपए में ली है।
(ङ) मेरे को घर जाना है।
उत्तर: मुझे घर जाना है।
(च) बच्चे को काटकर गाजर खिलाओ।
उत्तर: बच्चे को गाजर काटकर खिलाओ।
(छ) उसने पुस्तक पढ़ चुका।
उत्तर: उसे पुस्तक पढ़ चुकी।
(ज) जब भी आप आओ, मुझसे मिलो।
उत्तर: जब भी आप आए, मुझसे मिलें।
(झ) हम रात को देर से भोजन खाते हैं।
उत्तर: हैम रात को देर से भोजन करते हैं।
(ञ) बाघ और बकरी एक ही घाट पानी पीती है।
उत्तर: बाघ और बकरी एक ही घाट पानी पीते है।
4. निम्नलिखित शब्दों से प्रत्ययों को अलग करो:
आधुनिक, विषमता, भलाई, लड़कपन, बुढ़ापा, मालिन, गरीबी।
उत्तर: (i) अधुना + इक = आधुनिक। (इक्)
(ii) बिषम + ता = बिषमता। (ता)
(iii) भला + आई = भलाई। (आई)
(iv) लड़का + पन = लड़कपन। (पन)
(v) बुढ़ा + पा = बुढ़ापा। (पा)
(vi) माली + इन = मालिन। (इन)
(vii) गरीब + ई = गरीबी। (ई)
5. आधुनिक, विषमता, भलाई, लड़कपन, बुढ़ापा, मालिन, गरीबी कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार वाक्यों को परिवर्तित करो:
(क) मैंने एक दुबला-पतला आदमी देखा था। (मिश्र वाक्य बनाओ)
उत्तर: मैंने एक आदमी को देखा था जो दुबला-पतला था।
(ख) जो विद्यार्थी मेहनत करता है वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य बनाओ)
उत्तर: विद्यार्थी मेहनत करने से अवश्य सफल होता है।
(ग) किसान को अपने परिश्रम का लाभ नहीं मिलता। (संयुक्त वाक्य बनाओ)
उत्तर: किसान परिश्रम करता पर उसे लाभ नहीं मिलता।
(घ) लड़का बाजार जाएगा। (निषेधवाचक वाक्य बनाओ)
उत्तर: लड़का बाजार नहीं जाएगा।
(ङ) लड़की गाना गाएगी। (प्रश्नवाचक वाक्य बनाओ)
उत्तर: लड़की क्या करेगी।
योग्यता-विस्तार |
1. कवि नरेंद्र शर्मा द्वारा रचित किसी अन्य प्रेरणाप्रद कविता का संग्रह करके कक्षा में सुनाओ।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
2. ‘कायर इंसान मृत्यु से पहले सौ बार मरता है’ विषय पर मित्र-मंडली में परिचर्चा का आयोजन करो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
3. ‘प्रतिहिंसा दुर्बलता है’ विषय पर एक अनुच्छेद लिखो।
उत्तर: छात्र–छात्री खुद करे।
शब्दार्थ एवं टिप्पणी |
शब्द | अर्थ |
कायर | |
राह | |
ले-दे कर जीना | |
खून-पसीना बहाना | |
युद्धं देहि | |
दुहाई | |
प्रीति | |
अपावन | |
मोल | |
अमोल | |
मनुज | |
कमर कसना | |
पाहन | |
राह रोकते पाहन | |
गम के आंसू पीना | |
कतार क्रंदन | |
पामर | |
पीठ फेरना | |
तस्कर | |
प्रतिहिंसा | |
मानव | |
तोल | |
सर्वस्व | |
टस से मस न होना | |
कालिख लगाना | |
आँचल में बाँधना |
उत्तर:
शब्द | अर्थ |
कायर | डरपोक, भीरू |
राह | रास्ता, मार्ग |
ले-दे कर जीना | समझौता करके जीना |
खून-पसीना बहाना | बहुत कष्ट उठाना |
युद्धं देहि | युद्ध दो, युद्ध करो, लड़ाई करो |
दुहाई | शपथ, किसी बात को उचित ठहराने के लिए अन्य कोई बात जोर देकर कहा जाना |
प्रीति | प्यार, मोहब्बत |
अपावन | अपवित्र |
मोल | मूल्य,कीमत |
अमोल | अमूल्य, जिसे मूल्य देकर खरीदा न जा सके |
मनुज | मनु से जो जन्मा हो मनुष्य |
कमर कसना | किसी काम के लिए पूरी तरह तैयार होना |
पाहन | पत्थर |
राह रोकते पाहन | मार्ग में आनेवाली बाधाएँ |
गम के आंसू पीना | मन के दुःख को मन में ही दबा कर रह जाना |
कतार क्रंदन | आर्त विलाप, कष्ट से आकुल होकर रोना |
पामर | दुष्ट, नीच, अहेतुक शत्रु |
पीठ फेरना | चुनौती से भागना, लड़ाई के मैदान से भाग खड़ा होना |
तस्कर | बुरा कार्य करने वाला |
प्रतिहिंसा | हिंसा के बदले में की जाने वाली हिंसा |
मानव | मनुष्य, मानवता |
तोल | माप |
सर्वस्व | सब कुछ |
टस से मस न होना | अडिग- अविचलित रहना |
कालिख लगाना | कलंक लगना, बदनामी होना |
आँचल में बाँधना | किसी बात को अच्छी तरह से याद रखना |
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