NIOS Class 12 Political Science Chapter 6 मौलिक अधिकार

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NIOS Class 12 Political Science Chapter 6 मौलिक अधिकार

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Chapter: 6

मॉड्यूल – 2 भारतीय संविधान के मुख्य तत्व

पाठगत प्रश्न 6.1

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से _________________ वें संविधान संशोधन द्वारा हटाया गया था। (24वां/43वां/44वां)

उत्तर: सम्पत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से 44वां संविधान संशोधन द्वारा हटाया गया था।

(ख) संविधान के भाग III में दिए गए अधिकार को _________________ अधिकार के रूप में जाना जाता है। (वैधानिक/आर्थिक/मौलिक)

उत्तर: संविधान के भाग III में दिए गए अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में जाना जाता है।

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पाठगत प्रश्न 6.2

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) समानता के अधिकार का लक्ष्य _______________ विभेद समाप्त करना है। (नैतिक/सामाजिक/राजनैतिक)

उत्तर: समानता के अधिकार का लक्ष्य सामाजिक विभेद समाप्त करना है।

(ख) समानता के अधिकार में _______________ प्रकार की समानताएं होती हैं। (3/4/5)

उत्तर: समानता के अधिकार में 5 प्रकार की समानताएं होती हैं।

(ग) ______________ का अधिकार अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है। (समानता/स्वतंत्रता/धर्म)

उत्तर: समानता का अधिकार अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है।

(घ) राज्य ______________ प्रावधानों का सृजन, शोषण के विरुद्ध महिलाओं तथा बच्चों के लिए कर सकता है। (सामान्य/विशेष/साधारण)

उत्तर: राज्य विशेष प्रावधानों का सृजन, शोषण के विरुद्ध महिलाओं तथा बच्चों के लिए कर सकता है।

(ङ) समानता का अधिकार का लक्ष्य _______________ समानता प्रतिष्ठापित करना है। (सामाजिक/नैतिक/राजनैतिक)

उत्तर: समानता का अधिकार का लक्ष्य सामाजिक समानता प्रतिष्ठापित करना है।

पाठगत प्रश्न 6.3

हर प्रश्न के चार विकल्प हैं। सही विकल्प के आगे (√) सही का निशान लगाईए।

1. स्वतंत्रता के अधिकार में संख्या में कितनी स्वतंत्रताएं दी गई हैं:

(क) 5

(ख) 6

(ग) 7

(ङ) 8

उत्तर: (ख) 6

2. जब किसी व्यक्ति को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो कितने समय के अंदर निकटतम दंडाधिकारी के सामने प्रस्तुत करना पड़ेगाः

(क) 12 घंटा।

(ख) 24 घंटा।

(ग) 36 घंटा।

(ङ) 48 घंटा।

उत्तर: (ख) 24 घंटा।

3. जब किसी व्यक्ति को बंदी निवारक कानून के अन्तर्गत गिरफ्तार किया जाता है तो उसे कितनी अवधि तक बिना मुकदमे के जेल में रखा जा सकता है:

(क) तीन महीने।

(ख) छः महीने।

(ग) बारह महीने।

(घ) अठारह महीने।

उत्तर: (क) तीन महीने।

4. शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार _____________ संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा बनाया गया है। (84वें/86वें/88वें)

उत्तर: शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार 86वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा बनाया गया है।

पाठगत प्रश्न 6.4

रिक्त स्थान भरिए-

(क) कारखानों में बच्चों की नियुक्ति ______________ वर्ष से कम आयु को कानून के द्वारा निषेध किया गया है। (14/16/18)

उत्तर: कारखानों में बच्चों की नियुक्ति 14 वर्ष से कम आयु को कानून के द्वारा निषेध किया गया है।

पाठगत प्रश्न 6.5

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में धर्म का संबंध _________________ से है। (व्यक्तिगत/समाज/राज्य)

उत्तर: एक धर्मनिरपेक्ष राज्य में धर्म का संबंध व्यक्तिगत से है।

(ख) ______________ शिक्षा का प्रसार राज्य कोष द्वारा पूर्ण रूप से प्रबंधित संस्थान में नहीं हो सकता। (नैतिक/धार्मिक/दोनों में से कोई नहीं)

उत्तर: धार्मिक शिक्षा का प्रसार राज्य कोष द्वारा पूर्ण रूप से प्रबंधित संस्थान में नहीं हो सकता।

पाठगत प्रश्न 6.6

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) धार्मिक या भाषाई _______________ अपना शैक्षिक संस्थान प्रतिष्ठापित कर सकते हैं। (अल्पसंख्यकों/बहुसंख्यकों)

उत्तर: धार्मिक या भाषाई अल्पसंख्यकों अपना शैक्षिक संस्थान प्रतिष्ठापित कर सकते हैं।

(ख) भारत में आज्ञापत्र ________________ न्यायालय द्वारा जारी होते हैं। (निम्न/अधीनस्थ/उच्च)

उत्तर: भारत में आज्ञापत्र उच्च न्यायालय द्वारा जारी होते हैं।

(ग) न्यायालय का निर्देश कि बंदी प्राधिकारी के द्वारा व्यक्ति को समक्ष प्रस्तुत करने वाली रिट ________________ है। (परमादेश/निषेध/बंदी प्रत्यक्षीकरण)

उत्तर: न्यायालय का निर्देश कि बंदी प्राधिकारी के द्वारा व्यक्ति को समक्ष प्रस्तुत करने वाली रिट बंदी प्रत्यक्षीकरण है।

(घ) रिट जो किसी व्यक्ति को सार्वजनिक कार्यालयों में कार्य करने से रोकता है जिसका अधिकार उसे नहीं है _______________। (अधिकार पृच्छा/उत्प्रेषण/परमादेश)

उत्तर: रिट जो किसी व्यक्ति को सार्वजनिक कार्यालयों में कार्य करने से रोकता है जिसका अधिकार उसे नहीं है अधिकार पृच्छा

(ङ) एक आदेश जो लघु न्यायालयों को उसके समुचित विचारार्थ के लिए दूसरे न्यायालय में स्थानांतर कराने वाला आज्ञापत्र है ________________। (बंदी प्रत्यक्षीकरण/निषेध/उत्प्रेषण)

उत्तर: एक आदेश जो लघु न्यायालयों को उसके समुचित विचारार्थ के लिए दूसरे न्यायालय में स्थानांतर कराने वाला आज्ञापत्र है उत्प्रेषण

पाठात प्रश्न

1. संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों के महत्व की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक के शारीरिक, मानसिक और नैतिक विकास को सुनिश्चित करते हैं। ये अधिकार व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से जीने के लिए आवश्यक आधारभूत स्वतंत्रताएँ प्रदान करते हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत बनाते हैं। मौलिक अधिकार देश के अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का अहसास कराते हैं तथा बहुसंख्यक शासन को लोकतांत्रिक वैधता प्रदान करते हैं।

भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकारों के बिना कोई भी लोकतंत्र सही तरीके से कार्य नहीं कर सकता। ये अधिकार सरकार के कार्यों पर नियंत्रण और जाँच रखने का कार्य भी करते हैं। विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं वाले देश भारत में इन अधिकारों का महत्व और भी बढ़ जाता है।

संविधान के भाग–3 में धारा 14 से 32 तक उल्लिखित ये अधिकार न्यायसंगत (justiciable) हैं। यदि किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में जाकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है। न्यायालय किसी भी ऐसे कानून को निरस्त कर सकता है जो मौलिक अधिकारों के विरुद्ध हो। हालाँकि ये अधिकार अनंत नहीं हैं; सरकार लोकहित में कुछ उचित प्रतिबंध लगा सकती है। पहले मौलिक अधिकारों की संख्या सात थी, लेकिन 44वें संशोधन के बाद संपत्ति का अधिकार हटाकर कानूनी अधिकार बना दिया गया। 86वें संशोधन द्वारा शिक्षा का अधिकार भी जोड़ा गया।

इन सभी कारणों से मौलिक अधिकार नागरिकों के जीवन में स्वतंत्रता, समानता, सुरक्षा और न्याय को सुनिश्चित करते हुए लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

2. समानता के अधिकार के किन्हीं तीन पहलुओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: समानता के अधिकार के तीन पहलुओं का वर्णन नीचे किया गया है—

(i) विधि के समक्ष समानता: संविधान के अनुसार भारत में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समान सुरक्षा और समान व्यवहार मिलने का अधिकार है। इसका अर्थ है कि हर व्यक्ति को न्यायालय में जाने का समान अधिकार प्राप्त है तथा यदि दो लोग समान अपराध करते हैं तो दोनों को समान दंड मिलेगा।

(ii) धर्म, वंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध समानता का अधिकार: यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, वंश या जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। सभी नागरिक दुकानों, सार्वजनिक स्थानों, सड़कों, तालाबों, स्नान घाटों आदि का समान रूप से उपयोग कर सकते हैं। साथ ही, राज्य महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान भी कर सकता है।

(iii) सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता: संविधान प्रत्येक नागरिक को सरकारी नौकरियों और सार्वजनिक सेवाओं में समान अवसर की गारंटी देता है। नियुक्ति केवल योग्यता के आधार पर होगी और धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या निवास के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

3. स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत छः मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: स्वतंत्रता के अधिकार के अन्तर्गत छः मौलिक अधिकार है—

(i) भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।

(ii) बिना हथियार, शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस निकालने की स्वतंत्रता।

(iii) संघ और संगठन बनाने की स्वतंत्रता।

(iv) भारत में कहीं भी स्वतंत्र रूप से जाने की स्वतंत्रता।

(v) भारत के किसी भी भाग में रहने एवं जीविकोपार्जन की स्वतंत्रता।

(vi) किसी भी कार्य, व्यापार, व्यवसाय, नौकरी करने की स्वतंत्रता।

4. शोषण के विरुद्ध अधिकार का वर्णन कीजिए।

उत्तर: शोषण के विरुद्ध अधिकार नागरिकों को हर प्रकार के अत्याचार, उत्पीड़न और मजबूरन कराए जाने वाले कार्यों से सुरक्षा प्रदान करता है। स्वतंत्रता से पहले भारत के लोग अंग्रेजों के साथ-साथ महाजनों और जमींदारों द्वारा भी बंधुआ मजदूरी के रूप में शोषित होते थे। संविधान बंधुआ मजदूरी तथा मानव-व्यापार दोनों को पूर्णतः प्रतिबंधित करता है। इन प्रथाओं का कोई भी रूप कानून के अंतर्गत दंडनीय अपराध माना जाता है।

राज्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, आग, या विदेशी आक्रमण के समय नागरिकों से सेवाएँ ले सकता है, परंतु यह किसी भी प्रकार के शोषण का रूप नहीं माना जाएगा।

हमारा संविधान 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सुरक्षा के विशेष प्रावधान भी देता है। इस आयु के बच्चों को कारखानों, खानों और खतरनाक व्यवसायों में काम पर रखना कानूनन प्रतिबंधित है। यह प्रावधान बच्चों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण से बचाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मानव व्यापार का अर्थ है मनुष्यों को वस्तु की तरह खरीदना-बेचना, और उन्हें वेश्यावृत्ति या गुलामी जैसे अनैतिक कामों में मजबूर करना। संविधान ऐसे अमानवीय कृत्यों पर पूरी तरह रोक लगाता है।

5. किस प्रकार स्वतंत्रता का अधिकार भारत में एक धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था प्रतिष्ठापित करने में मदद करता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर: स्वतंत्रता का अधिकार भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह सभी व्यक्तियों और धार्मिक समूहों को समान रूप से धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करता है। संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अंतःकरण की स्वतंत्रता, किसी भी धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार करने का अधिकार देता है। इससे किसी एक धर्म को राज्य द्वारा विशेष महत्व नहीं दिया जाता, बल्कि सभी धर्मों को समान सम्मान मिलता है।

यह अधिकार धार्मिक समूहों को अपने धार्मिक संस्थान स्थापित करने, उनका प्रबंधन करने तथा अपने धर्म से जुड़े कार्य करने की स्वतंत्रता देता है। साथ ही, राज्य यह सुनिश्चित करता है कि राज्य-कोष से संचालित शैक्षणिक संस्थानों में किसी विशेष धर्म की शिक्षा न दी जाए, जिससे किसी एक धर्म का प्रभाव राज्य पर न पड़े।

इसके अलावा, यह अधिकार पूर्णत: असीम नहीं है; राज्य कानून-व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के आधार पर आवश्यक प्रतिबंध लगा सकता है ताकि स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो। इस प्रकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी धर्मों को समान स्थान देते हुए भारत में एक निष्पक्ष, तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था को मजबूत करता है।

6. आज्ञा पत्र (रिट) क्या है? इसे जारी करने का अधिकार किसे प्राप्त है?

उत्तर: आज्ञा पत्र (रिट) न्यायालय द्वारा जारी एक विशेष प्रकार का आदेश है, जिसका उद्देश्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना होता है। जब राज्य, कोई संस्था या व्यक्ति किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तब न्यायालय इन रिटों के माध्यम से हस्तक्षेप करता है।

इन आज्ञा पत्रों—जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, प्रतिषेध, अधिकार पृच्छा और उत्प्रेषण को जारी करने का अधिकार हमारे संविधान ने उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को दिया है। ये न्यायालय नागरिकों को उनके मौलिक अधिकार लागू कराने में सहायता करते हैं और राज्य तथा अन्य संस्थानों के मनमाने व्यवहार पर रोक लगाते हैं।

7. “मौलिक अधिकार न्याय संगत है”, कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: “मौलिक अधिकार न्यायसंगत हैं” का अर्थ है कि यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन राज्य, किसी संस्था या किसी व्यक्ति द्वारा किया जाता है, तो वह नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय में जा सकता है। हमारा संविधान नागरिकों को यह शक्ति देता है कि वे न्यायालय में जाकर अपने मौलिक अधिकारों को लागू करा सकें।

संविधान विधायिका और कार्यपालिका को यह अनुमति नहीं देता कि वे किसी कानून या कार्यकारी आदेश के माध्यम से मौलिक अधिकारों को तोड़-मरोड़ सकें। यदि कोई कानून मौलिक अधिकारों के विरुद्ध है, तो उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय उसे निरस्त भी कर सकते हैं। इस प्रकार, मौलिक अधिकारों का न्यायसंगत होना नागरिकों को यह सुनिश्चित सुरक्षा प्रदान करता है कि उनके अधिकार केवल कागज़ पर नहीं, बल्कि न्यायालयों द्वारा संरक्षित और लागू किए जाने योग्य हैं।

8. स्वतंत्रता के अधिकार के सभी प्रावधानों का वर्णन कीजिए।

उत्तर: स्वतंत्रता का अधिकार लोकतंत्र की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है और हमारा संविधान भारतीय नागरिकों को छः मौलिक स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है।

ये प्रावधान इस प्रकार हैं—

(i) भाषण तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: नागरिक स्वतंत्र रूप से बोल सकते हैं, विचार व्यक्त कर सकते हैं तथा प्रेस की स्वतंत्रता का लाभ ले सकते हैं। हालांकि, यह अधिकार पूर्ण नहीं है; राज्य सुरक्षा, कानून-व्यवस्था एवं नैतिकता के आधार पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है।

(ii) बिना हथियारों के शांतिपूर्ण जुलूस निकालने की स्वतंत्रता: नागरिक शांतिपूर्वक रैली या जुलूस निकाल सकते हैं।

(iii) संघ एवं संगठन बनाने की स्वतंत्रता: कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से संगठन, समिति या संघ बना सकता है।

(iv) भारत में कहीं भी स्वतंत्र रूप से जाने की स्वतंत्रता: नागरिक देश के किसी भी भाग में स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं।

(v) भारत के किसी भी भाग में रहने एवं जीविकोपार्जन की स्वतंत्रता: कोई भी नागरिक भारत में कहीं भी रह सकता है और अपनी आजीविका कमा सकता है।

(vi) किसी भी कार्य, व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतंत्रता: नागरिक अपनी पसंद का कोई भी वैध पेशा, व्यापार या नौकरी चुन सकते हैं।

9. 86वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गए ‘शिक्षा के अधिकार’ का उल्लेख कीजिए।

उत्तर: संविधान के 86वें संशोधन अधिनियम द्वारा एक नई धारा 21-A को धारा 21 के बाद जोड़ा गया है। इस संशोधन अधिनियम के द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया है तथा राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धान्त की सूची से इसे हटा दिया गया है। इसके अनुसार, राज्य को 6 से 14 वर्ष के आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा कानूनी रूप से स्वीकृत तरीके से प्रदान करना होगा। आगे यह कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना माता-पिता या अभिभावक की जिम्मेदारी है।

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