NIOS Class 12 Political Science Chapter 5 भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा मुख्य विशेषताएँ

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Chapter: 5

मॉड्यूल – 2 भारतीय संविधान के मुख्य तत्व

पाठगत प्रश्न 5.1

1. सही उत्तर के सामने (√) का निशान लगाइएः

(क) किसी देश का संविधान आधार प्रदान करता है—

(अ) अपराधियों को दंड देने का।

(ब) देश के प्रशासन का।

(स) नागरिकों के बीच संबंधों का।

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(द) दूसरे देशों के साथ व्यापारिक संबंधों का।

उत्तर: (स) नागरिकों के बीच संबंधों का।

(ख) भारत की संविधान सभा में शामिल थे—

(अ) ब्रिटिश सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य।

(ब) राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत सदस्य।

(स) प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा निर्वाचित सदस्य तथा देशी रियासतों के मनोनीत सदस्य।

(द) जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य।

उत्तर: (स) प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा निर्वाचित सदस्य तथा देशी रियासतों के मनोनीत सदस्य।

(ग) भारत का संविधान लिखा गया था—

(अ) परामर्शदात्री समिति द्वारा।

(ब) सभा के सचिवालय द्वारा।

(स) सभा के अध्यक्ष द्वारा।

(द) प्रारूप समिति द्वारा।

उत्तर: (द) प्रारूप समिति द्वारा।

पाठगत प्रश्न 5.2

(क) भारत में पंथनिरपेक्ष का अर्थ _______________ है। (धर्म का बहिष्कार/सब धर्मों का सम्मान/मात्र अपने धर्म का सम्मान)

उत्तर: भारत में पंथनिरपेक्ष का अर्थ सब धर्मों का सम्मान है।

(ख) भारत में समाजवाद का अर्थ ________________ है। (सभी उद्योगों पर सरकारी स्वामित्व/राज्य की अर्थ व्यवस्था में प्रमुख भूमिका/धन का समान वितरण)

उत्तर: भारत में समाजवाद का अर्थ राज्य की अर्थ व्यवस्था में प्रमुख भूमिका है।

(ग) भारत ________________ को गणतंत्र बन गया। (15 अगस्त 1947, 26 नवम्बर 1949, 26 जनवरी 1950)

उत्तर: भारत 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र बन गया।

पाठगत प्रश्न 5.3

1. रिक्त स्थानों को भरिए-

(क) न्याय का अर्थ है जनता को वह प्रदान करना ________________ (जिसकी वह हकदार है/जो उनको अधिकार है/जो वह चाहती है।)

उत्तर: न्याय का अर्थ है जनता को वह प्रदान करना जिसकी वह हकदार है

(ख) भारत का संविधान ________________ की गारंटी देता है। (विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता/इच्छाओं से मुक्ति)

उत्तर: भारत का संविधान विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।

पाठगत प्रश्न 5.4

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) संविधान _______________ का संग्रह होता है। (नियमों, आधारभूत कानूनों, सिद्धांतों)

उत्तर: संविधान आधारभूत कानूनों का संग्रह होता है।

(ख) भारत का संविधान ________________ को लागू किया गया था। (15 अगस्त 1947, 26 नवम्बर 1949, 26 जनवरी 1950)

उत्तर: भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

पाठगत प्रश्न 5.5

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) भारत एक _______________ राज्य है। (एकात्मक, संघात्मक, अर्द्धसंघीय)

उत्तर: भारत एक अर्द्धसंघीय राज्य है।

(ख) संसदात्मक लोकतंत्र में असली सत्ता ________________ के पास होती है। (जनता, राष्ट्रपति, मंत्रिमण्डल)

उत्तर: संसदात्मक लोकतंत्र में असली सत्ता मंत्रिमण्डल के पास होती है।

(ग) मौलिक अधिकार _______________ हैं। (संपूर्ण, न्याययोग्य, असीमित)

उत्तर: मौलिक अधिकार न्याययोग्य हैं।

(घ) मौलिक कर्तव्यों को ________________ संशोधन के द्वारा शामिल किया गया। (42वें, 44वें, 46वें)

उत्तर: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन के द्वारा शामिल किया गया।

पाठगत प्रश्न 5.6

1. रिक्त स्थान भरिए-

(क) संयुक्त राज्य अमेरिका में ________________ नागरिकता है। (इकहरी, दोहरी, अस्थायी)

उत्तर: संयुक्त राज्य अमेरिका में दोहरी नागरिकता है।

(ख) इकहरी नागरिकता का अर्थ है __________________। (एक व्यक्ति केवल अपने राज्य का नागरिक है/एक व्यक्ति पूरे देश का नागरिक है/एक व्यक्ति अपने जन्म स्थान का नागरिक है।)

उत्तर: इकहरी नागरिकता का अर्थ है एक व्यक्ति पूरे देश का नागरिक है

(ग) भारत में मतदान के लिए न्यूनतम उम्र है _______________। (18 वर्ष, 21 वर्ष, 25 वर्ष)

उत्तर: भारत में मतदान के लिए न्यूनतम उम्र है 18 वर्ष

(घ) संविधान में दिए गए आपातकालीन प्रावधानों को ________________ लगाया जा सकता है। (साधारण समय में, असाधारण समय में, किसी भी समय में)

उत्तर: संविधान में दिए गए आपातकालीन प्रावधानों को असाधारण समय में लगाया जा सकता है।

पाठात प्रश्न

1. सविधान की प्रस्तावना का क्या महत्व है?

उत्तर: सविधान की प्रस्तावना का महत्व:

भारतीय संविधान की प्रस्तावना संविधान की भूमिका के समान है। यह संविधान के उपबंधों का भाग नहीं होते हुए भी संविधान निर्माण के उद्देश्यों और लक्ष्यों की व्याख्या करती है। प्रस्तावना संविधान की मार्गदर्शिका मानी जाती है क्योंकि यह बताती है कि संविधान किस उद्देश्य से बनाया गया है और स्वतंत्र भारत किन आदर्शों को प्राप्त करना चाहता है। इसमें भारत को संपूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने का संकल्प व्यक्त किया गया है। साथ ही सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी कारण प्रस्तावना को संविधान को समझने की कुंजी कहा गया है और इसका संविधान में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।

2. भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ एवं प्रासंगिकता बताइए?

उत्तर: भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि भारत न तो किसी धर्म को मानने वाला राज्य है, न किसी धर्म का विरोधी है और न ही अधार्मिक है। इसका सीधा अभिप्राय यह है कि राज्य का कोई स्वयं का धर्म नहीं होगा तथा राज्य सार्वजनिक धन या साधन का उपयोग किसी विशेष धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए नहीं करेगा।

भारतीय धर्मनिरपेक्षता के दो प्रमुख पहलू हैं—

(i) धार्मिक स्वतंत्रता: प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसकी उपासना करने की पूर्ण स्वतंत्रता है।

(ii) धार्मिक समानता: राज्य किसी व्यक्ति या समुदाय के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।

भारतीय समाज में इसकी प्रासंगिकता अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत विविध धार्मिक विश्वासों, परंपराओं और समुदायों का देश है। धर्मनिरपेक्षता सामाजिक सद्भाव बनाए रखने, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। इसी कारण धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की प्रस्तावना में विशेष रूप से शामिल की गई है।

3. भारतीय संविधान का दर्शन क्या है?

उत्तर: भारतीय संविधान का दर्शन उसकी प्रस्तावना में निहित आदर्शों और उद्देश्यों पर आधारित है। प्रस्तावना संविधान की मार्गदर्शिका है, जो यह बताती है कि स्वतंत्र भारत किन मूल्यों को अपनाकर आगे बढ़ना चाहता है।

संविधान का दर्शन मुख्य रूप से निम्न विचारों में प्रकट होता है—

(i) संप्रभुता: भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है जो किसी भी बाहरी दबाव से मुक्त होकर अपने निर्णय स्वयं लेता है, विशेषकर विदेश नीति जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में।

(ii) समाजवाद: संविधान आर्थिक असमानताओं को दूर करने, सभी नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने तथा समान कार्य के लिए समान वेतन जैसी नीतियों के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक न्याय स्थापित करने के प्रति प्रतिबद्ध है।

(iii) पंथनिरपेक्षता: राज्य किसी धर्म को न तो मानता है और न ही किसी धर्म का विरोध करता है। प्रत्येक व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता प्राप्त है और राज्य धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।

(iv) लोकतांत्रिक गणराज्य: सत्ता जनता में निहित है। सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है और उसके प्रति उत्तरदायी होती है। भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, चुनाव, मौलिक अधिकार और जवाबदेह सरकार जैसे प्रावधान लोकतांत्रिक मूल्यों को दर्शाते हैं। साथ ही, भारत का गणराज्य होना इंगित करता है कि राष्ट्राध्यक्ष वंशानुगत नहीं, बल्कि निर्वाचित होता है।

(v) लिखित संविधान के रूप में स्पष्टता: भारतीय संविधान एक विस्तृत, लिखित और दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, जो निश्चित समय में तैयार हुआ और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। यह स्पष्ट रूप से बताता है कि देश किस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है।

4. लिखित संविधान के महत्व को बताइए?

उत्तर: भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, जिसका अर्थ है कि इसे निश्चित समय-सीमा में तैयार करके एक दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया गया। इसे बनाने में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे, और इसे 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत तथा 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। 

लिखित संविधान का महत्व इस प्रकार है—

(i) स्पष्टता और निश्चितता: लिखित संविधान में सभी नियम, अधिकार, कर्तव्य और शासन की संरचना स्पष्ट रूप से लिखी होती है। इससे नागरिकों और सरकार दोनों को पता रहता है कि उनके अधिकार और जिम्मेदारियाँ क्या हैं।

(ii) कानूनी स्थिरता: चूंकि संविधान एक लिखित दस्तावेज है, इसलिए यह शासन को स्थिरता और मजबूती प्रदान करता है। विवाद की स्थिति में न्यायालय संविधान में लिखे प्रावधानों के आधार पर निर्णय कर सकता है।

(iii) न्यायिक सुरक्षा: मौलिक अधिकार लिखित रूप में दिए गए हैं और ये न्यायालय द्वारा सुरक्षित होते हैं। किसी भी अधिकार के हनन पर नागरिक न्यायालय की शरण ले सकता है।

(iv) लोकतांत्रिक और पारदर्शी व्यवस्था: संविधान में लोकतंत्र, गणराज्य, मौलिक अधिकार, उत्तरदायी सरकार आदि के प्रावधान स्पष्ट रूप से लिखे गए हैं, जिससे शासन जनता के प्रति जवाबदेह बनता है।

(v) विस्तृत और विश्व का सबसे बड़ा संविधान: भारतीय संविधान में प्रारंभ में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थीं, जिससे यह दुनिया का सबसे विस्तृत और पूर्ण लिखित संविधान बनता है। इतने विस्तार से शासन की सभी आवश्यक बातें स्पष्ट हो जाती हैं।

5. कठोर और लचीले संविधान के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर: भारतीय संविधान एक लिखित, विस्तृत और औपचारिक रूप से अंगीकृत दस्तावेज है। ऐसे संविधान सामान्यतः कठोर माने जाते हैं क्योंकि उन्हें बदलने या संशोधित करने के लिए विशेष प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। 

इसी आधार पर कठोर और लचीले संविधान के बीच अंतर इस प्रकार है—

कठोर संविधानलचीला संविधान
कठोर संविधान वह होता है जिसमें संशोधन की प्रक्रिया कठिन होती है।लचीले संविधान में संशोधन की प्रक्रिया सरल होती है।
इसमें परिवर्तन करने के लिए विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, जैसे— दो-तिहाई बहुमत, राज्यों की सहमति आदि।साधारण कानून की तरह सामान्य बहुमत से ही उसमें परिवर्तन किया जा सकता है।
भारतीय संविधान में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन्हें बदलने के लिए संसद के साथ-साथ राज्यों के कम-से-कम आधे विधानमंडलों की भी सहमति चाहिए।ब्रिटेन का संविधान इसका प्रमुख उदाहरण है, जो अलिखित और परंपराओं पर आधारित होने के कारण बहुत लचीला है।
संविधान की यह कठोरता उसे स्थिरता और सर्वोच्चता प्रदान करती है। (उदाहरण: 42वाँ संशोधन—समाजवादी व पंथनिरपेक्ष शब्द जोड़ना)भारतीय संविधान में भी कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिन्हें संसद साधारण बहुमत से बदल सकती है।

6. ‘भारत एक संघीय राज्य’ के बारे में संक्षेप में लिखिए।

उत्तर: भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संपूर्ण, प्रभुत्वसम्पन्न (संप्रभु), समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करती है। प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों और प्रशासनिक ढांचे की दिशा बताती है।

इसी ढांचे के अनुसार भारत एक संघीय राज्य है, क्योंकि—

(i) संविधान पूरे देश के प्रशासन के लिए एक स्पष्ट, लिखित व्यवस्था प्रदान करता है।

(ii) इसमें केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।

(iii) सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्रदान करने के लिए एक संयुक्त तथा संगठित शासन संरचना बनाई गई है।

(iv) मौलिक अधिकार और कर्तव्य पूरे देश में समान रूप से लागू होते हैं, जो संघीय ढांचे को और मजबूत करते हैं।

7. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें:

(क) न्यायपालिका की स्वतंत्रता।

उत्तर: भारतीय न्यायपालिका पूर्ण रूप से स्वतंत्र है, अर्थात् वह कार्यपालिका और विधायिका के किसी भी प्रकार के दबाव या हस्तक्षेप से मुक्त रहती है। न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी योग्यता के आधार पर की जाती है और उन्हें आसानी से हटाया नहीं जा सकता, जिससे उनके कार्य और निर्णय निष्पक्ष बने रहते हैं। यह स्वतंत्रता सुनिश्चित करती है कि न्यायपालिका संविधान की रक्षा कर सके, नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा कर सके और सरकार की अन्य शाखाओं पर नियंत्रण एवं संतुलन बनाए रख सके। इस प्रकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र की एक अनिवार्य विशेषता है।

(ख) एकीकृत न्याय प्रणाली।

उत्तर: भारत में एक एकीकृत न्याय प्रणाली लागू है, जिसका अर्थ है कि पूरे देश के लिए एक ही न्यायिक संरचना होती है। इस प्रणाली में सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि अदालत के रूप में शीर्ष पर स्थित है। उसके नीचे उच्च न्यायालय आते हैं, जो अपने-अपने राज्यों के अधीनस्थ न्यायालयों की निगरानी एवं नियंत्रण करते हैं।

(ग) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार।

उत्तर: ‘एक व्यक्ति एक वोट’ के आधार पर भारतीय लोकतंत्र कार्य करता है। भारत का 18 वर्ष से ऊपर का प्रत्येक नागरिक जाति, धर्म, लिंग, प्रजाति या संपति के आधार पर बिना किसी भेदभाव के, मताधिकार का अधिकार रखता है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के द्वारा भारतीय संविधान राजनीतिक समानता प्रदान करता है।

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