NCERT Class 12 Geography Chapter 10 आंकड़े: स्त्रोत और संकलन

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NCERT Class 12 Geography Chapter 10 आंकड़े: स्त्रोत और संकलन

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Chapter: 10

भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य: भाग – 2

अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

(i) एक संख्या अथवा लक्षण को जो मापन को प्रदर्शित करता है कहते हैं-

(क) अंक।

(ख) आँकड़े।

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(ग) संख्या।

(घ) लक्षण।

उत्तर: (ग) संख्या।

(ii) एकल आधार सामग्री एकमात्र माप है-

(क) तालिका।

(ख) आवृत्ति।

(ग) वास्तविक संसार।

(घ) सूचना।

उत्तर: (घ) सूचना।

(iii) एक मिलान चिह्न में, फोर एंड क्रांसिंग फिफ्थ द्वारा समूहीकरण को कहते हैं-

(क) फोर एंड क्रास विधि।

(ख) मिलान चिह्न विधि।

(ग) आवृत्ति अंकित विधि।

(घ) समावेश विधि।

उत्तर: (क) फोर एंड क्रास विधि।

(iv) ओजाइव एक विधि है जिसमें-

(क) साधारण आवृत्ति नापी जाती है।

(ख) संचयी आवृत्ति नापी जाती है।

(ग) साधारण आवृत्ति अंकित की जाती है।

(घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।

उत्तर: (घ) संचयी आवृत्ति अंकित की जाती है।

(v) यदि वर्ग के दोनों अंत आवृत्ति समूह में लिए गए हों, इसे कहते हैं-

(क) बहिष्कार विधि।

(ख) समावेश विधि।

(ग) चिह्न विधि।

(घ) सांख्यिकीय विधि।

उत्तर: (ख) समावेश विधि।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) आंकड़ा और सूचना के बीच अंतर।

उत्तर: आंकड़ा और सूचना के बीच अंतर-

आंकड़ासूचना
आंकड़ा संख्यात्मक सूचना को कहते हैं।लेकिन प्रत्येक सूचना संख्यात्मक ह़ो आवस्यक नहीं। 
इनको मापन में प्रदर्शित किया जाता है।यह किसी प्रश्न के अर्थपूर्ण उत्तर या अर्थपूर्ण उद्दीपक का रुप हे। 
आंकड़ा को संख्याओं में लिखा जाता है।सूचना नवीनतम जानकारी भी कहलाती है।

(ii) आंकड़ों से आप क्या समझते हैं?

उत्तर: आंकड़े संख्यात्मक तथ्यों का संग्रह होते हैं,जो यथार्थ विश्व के मापन को प्रदर्शित करती हैं। अन्य शब्दों में, संख्यात्मक सूचना आँकड़ा कहलाती है।

(iii) एक तालिका में पाद टिप्पणी से क्या लाभ है?

उत्तर: एक तालिका में दी गई पाद टिप्पणी का सबसे प्रमुख लाभ यह होता है कि इससे हमें व्यक्ति स्रोतों से एकत्रित आँकड़ों से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त होती है। जिससे पाठक आँकड़ों को सही संदर्भ में समझ पाते हैं।

(iv) आंकड़ों के प्राथमिक स्रोतों से आपका क्या तात्पर्य है?

उत्तर: जो आंकड़े प्रथम वार व्यक्तिगत रूप से अथवा व्यक्तियों के समूह, संस्था या संगठन द्वारा एकत्रित किए जाते हैं, तब वह आंकड़ों के प्राथमिक स्त्रोत कहलाते हैं।

(v) द्वितीयक आंकड़ों के पाँच स्त्रोत बताइए।

उत्तर: द्वितीयक आंकड़ों के पाँच स्त्रोत है-

1. सरकारी प्रकाशन: सरकार द्वारा जारी आधिकारिक दस्तावेज़, नीति, रिपोर्ट और जानकारी का स्रोत।

2. अर्ध सरकारी प्रकाशन: इस श्रेणी के अंतर्गत नगर विकास प्राधिकरणों और विभिन्न नगरों और शहरों के नगर निगमों और जिला परिषदों के प्रकाशन और रिपोर्ट आते हैं।

3. अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन: विश्व स्तर पर प्रकाशित जानकारी, शोध, रिपोर्ट और डेटा का आधिकारिक स्रोत।

4. निजी प्रकाशन: इस श्रेणी के अंतर्गत समाचारपत्र और निजी संस्थाओं द्वारा प्रकाशित वार्षिकी पुस्तिका, सर्वेक्षण शोध रिपोर्ट और प्रबंध आते हैं।

5. समाचारपत्र और पत्रिकाएँ: समाचारपत्र और पत्रिकाएँ दैनिक समाचारपत्र और साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक पत्रिकाएँ द्वितीयक आंकड़ों के आसानी से प्राप्य स्रोत है।

(vi) आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधि क्या है?

उत्तर: आवृत्ति वर्गीकरण की अपवर्ती विधि वह विधि है जीसमे एक वर्ग की उच्च सीमा अगले वर्ग की निम्न सीमा के जैसी होति है। यानी यदि वर्ग 20-30 है, तो इसमें वे मान शामिल होंगे जो 20 से बराबर या अधिक और 30 से कम हैं (20 ≤ x < 30)। यह विधि सतत आंकड़ों के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दीजिए:

(i) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों की चर्चा कीजिए जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं।

उत्तर: द्वितीयक आँकड़े वे आँकड़े होते हैं जो पहले से अन्यत्र एकत्र किए गए होते हैं और जिन्हें विभिन्न उद्देश्यों के लिए पुनः उपयोग किया जाता है। इन आँकड़ों का संग्रह सरकारी, निजी या अन्य संगठनों द्वारा किया जाता है। 

यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों का विवरण है, जहाँ से द्वितीयक आँकड़े एकत्र किए जा सकते हैं:

(क) राष्ट्रीय अभिकरणों के अन्तर्गत सरकारी प्रकाशन और सरकारी प्रलेख से प्राप्त द्वितीयक आँकड़े शामिल किए जाते हैं।

(ख) सरकारी प्रकाशन-इसके अन्दर वे सब प्रकाशन शामिल हैं, जिन्हें किसी देश की केन्द्रीय या राज्य सरकार के विभिन्न विभाग या मंत्रालय प्रकाशित करते हैं। भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित भारत की जनगणना, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण की रिपोर्ट, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की मौसम रिपोर्ट, राज्य सरकारों द्वारा प्रकाशित सांख्यिकीय सारांश और विभिन्न आयोगों द्वारा प्रकाशित आवधिक रिपोर्ट सरकारी प्रकाशन के उदाहरण हैं।

(ग) सरकारी प्रलेख-ये प्रलेख सरकार के विभिन्न स्तरों पर अप्रकाशित रिकॉर्ड के रूप में तैयार किए और अनुरक्षित रखे जाते हैं। उदाहरण के लिए, गाँव के स्तर पर, राजस्व अभिलेख गाँव के पटवारियों के द्वारा बनाए जाते हैं, जो एक गाँव स्तर की सूचना का महत्त्वपूर्ण साधन हैं।

(घ) अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशन द्वारा द्वितीयक आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं। इसके अन्तर्गत वार्षिकी, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभिकरणों जैसे-संयुक्त राष्ट्र अभिकरण, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच.ओ.), खाद्य व कृषि परिषद् (एफ.ए.ओ.) आदि द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट और मोनोग्राफ सम्मिलित किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाशन जो आवधिक छपते हैं, वे हैं- डैमोग्राफिक इयर बुक, स्टेटिस्टीकल इयर बुक और मानव विकास रिपोर्ट।

(ii) सूचकांक का क्या महत्त्व है? सूचकांक की परिकलन की प्रक्रिया को बताने के लिए एक उदाहरण लीजिए और परिवर्तनों को दिखाइए।

उत्तर: सूचकांक चर अथवा एक सांख्यिकीय माप है जिसे, स्थान या अन्य विशेषताओं के अनुसार संबंधित चरों में हुए परिवर्तनों को दर्शाता है। इसका उपयोग मुख्यतः अर्थशास्त्र और व्यवसाय में लागत, मात्रा और आर्थिक दशाओं की तुलना के लिए किया जाता है।

सूचकांक का परिकलन सूचकांक के परिकलन के लिए साधारण समुच्चय विधि सर्वाधिक उपयोगी होती है।

इस विधि में निम्म्रलिखित सूत्र का उपयोग किया जाता है-

यहाँ ∑q₁ = वर्तमान वर्ष के उत्पादन का योग 

∑q0 = आधार वर्ष के उत्पादन का योग।

इस विधि में साधारणतया आधार वर्ष का मूल्य 100 लिया जाता है और उसके आधार पर ही सूचकांक की गणना की जाती है।

उदाहरण- निम्नलिखित तालिका भारत में लौह अयस्क के उत्पादन को दर्शाती हैं। इसमें 1970-71 को आधार वर्ष मानते हुए 1970 71 से 2000-01 तक के सूचकांकों में परिवर्तन को दर्शाया गया है।

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