NCERT Class 12 Geography Chapter 2 मानव बस्तियाँ

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NCERT Class 12 Geography Chapter 2 मानव बस्तियाँ

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Chapter: 2

भारत लोग और अर्थव्यवस्था
अभ्यास

1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।

(i) निम्नलिखित में से कौन-सा नगर नदी तट पर अवस्थित नहीं है?

(क) आगरा।

(ख) भोपाल।

(ग) पटना।

(घ) कोलकाता।

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उत्तर: (ख) भोपाल।

(ii) भारत की जनगणना के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सी एक विशेषता नगर की परिभाषा का अंग नहीं है?

(क) जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी.।

(ख) नगरपालिका, निगम का होना।

(ग) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना।

(घ) जनसंख्या आकार 5000 व्यक्तियों से अधिक।

उत्तर: (ग) 75% से अधिक जनसंख्या का प्राथमिक खंड में संलग्न होना।

(iii) निम्नलिखित में से किस पर्यावरण में परिक्षिप्त ग्रामीण बस्तियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती?

(क) गंगा का जलोढ़ मैदान।

(ख) राजस्थान के शुष्क और अर्ध-शुष्क प्रदेश।

(ग) हिमालय की निचली घाटियाँ।

(घ) उत्तर-पूर्व के वन और पहाड़ियाँ।

उत्तर: (क) गंगा का जलोढ़ मैदान।

2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

(i) गैरिसन नगर क्या होते हैं? उनका क्या प्रकार्य होता है?

उत्तर: गैरिसन नगर वे नगर होते हैं जहाँ सैनिक छावनियाँ स्थित होती हैं। इनका मुख्य उद्देश्य सैन्य गतिविधियों, प्रशिक्षण और आवास को सुविधाजनक बनाना होता है। ऐसे नगर राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे- अबाला, जालंधर, महू, बवीना उधमपुर इत्यादि।

(ii) किसी नगरीय संकुल की पहचान किस प्रकार की जा सकती है?

उत्तर: किसी नगरीय संकुल की पहचान 5,000 लाख से अधिक जनसंख्या, उच्चतम जनघनत्व तथा उसका बड़ा भाग द्वितीयक व तृतीयक उच्च स्तरीय व्यावसायिक, प्रशासकीय, प्रबंधकीय सेवाओं, आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने से ही किसी नगरीय संकुल की पहचान आसानी से की जा सकती है।

(iii) मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों के अवस्थिति के कौन-से मुख्य कारक होते हैं।

उत्तर: मरुस्थली प्रदेशों में गाँवों के अवस्थिति का मुख्य कारक जल की उपलब्धता है। जल के अभाव में लोग वहाँ बसते हैं जहाँ कुएँ, टांके और अन्य जल स्रोत उपलब्ध होते हैं। जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग हेतु यहाँ संहत (सघन) बस्तियाँ विकसित होती हैं।

(iv) महानगर क्या होते हैं? ये नगरीय संकुलों से किस प्रकार भिन्न होते हैं?

उत्तर: महानगर वे नगर होते हैं जिनकी जनसंख्या 10 लाख से अधिक होती है तथा जो विविध आर्थिक व सामाजिक गतिविधियों के केंद्र होते हैं। जबकि नगरीय संकुल कई विशेषीकृत नगरों व महानगरों के विकास अथवा विस्तार के परिणामस्वरूप उनके आपस में प्रकार्यात्मक अंतर्संबंध बन जाने के कारण विकसित होते हैं। इनकी जनसंख्या 50 लाख से अधिक होती है तथा जनघनत्व भी उच्च होता है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।

(i) विभिन्न प्रकार की ग्रामीण बस्तियों के लक्षणों की विवेचना कीजिए। विभिन्न भौतिक पर्यावरणों में बस्तियों के प्रारूपों के लिए उत्तरदायी कारक कौन से हैं?

उत्तर: भारत में मानव बसाव के आकार व प्रकार के आधार पर ग्रामीण बस्तियाँ चार प्रमुख वर्गों में विभाजित की जाती हैं-

1. गुच्छित या संकुलित बस्तियाँ: घर एक स्थान पर पास-पास बने होते हैं, चारों ओर खेत व चरागाह होते हैं। यह बस्तियाँ उपजाऊ मैदानों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और जल की कमी वाले क्षेत्रों में मिलती हैं।

2. अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ: यह बड़े गाँव के विखंडन से बनती हैं, जहाँ कोई वर्ग मुख्य गाँव से अलग हो जाता है। ऐसी बस्तियाँ गुजरात व राजस्थान में पाई जाती हैं।

3. पल्ली बस्तियाँ: जब कोई बस्ती भौतिक रूप से अनेक इकाइयों में बँट जाती हैं किंतु उन सबका नाम एक ही रहता है, ऐसी इकाइयों को देश के अलग-अलग भागों में स्थानीय स्तर पर पान्ना, पाड़ा, पाली, नगला, ढाँणी इत्यादि कहा जाता है। यह विखंडन प्रायः सामाजिक एवं मानव जातीय कारकों द्वारा अभिप्रेरित होता है। ऐसे गाँव मध्य और निम्न गंगा के मैदान, छत्तीसगढ़ तथा हिमालय की निचली घाटियों में अधिक पाये जाते।

4. परिक्षिप्त बस्तियाँ: परिक्षिप्त अथवा एकाकी बस्ती प्रारूप भारत के मेघालय, उत्तरांचल, हिमालय प्रदेश तथा केरल के अनेक भागों में छोटी पहाड़ियों की छालों पर, जंगलों में तथा भूभाग की अत्यधिक विखंडित प्रकृति वाले स्थानों पर देखने को मिलता है।

(ii) क्या एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना की जा सकती है? नगर बहुप्रकार्यात्मक क्यों हो जाते हैं?

उत्तर: नगर अपने प्रकार्यों में स्थिर नहीं होते हैं, बल्कि उनका स्वरूप समय के साथ बदलता रहता है। नगरों की यह गतिशील प्रकृति उनके प्रकार्यात्मक स्वरूप में विविधता लाती है, जिससे वे केवल एक विशेष कार्य के लिए नहीं बल्कि कई सेवाओं और गतिविधियों के आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित होते केंद्र ओर आज के समय में किसी एक प्रकार्य वाले नगर की कल्पना कर पाना कठिन है। तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा लोगों की इच्छाओं व आकांक्षाओं को संतुष्ट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नगरों को महानगर या उसके बाद मेगानगर बनने में अधिक समय नहीं लगता है। 20वीं शताब्दी के दौरान भारत में नगरीय जनसंख्या 11 गुना बढ़ी है। भारत की 60 प्रतिशत नगरीय जनसंख्या प्रथम श्रेणी के नगरों में रहती है तथा कुल नगरीय जनसंख्या का 21 प्रतिशत भारत के छः मेगानगरों में निवास करती है। लोगों की आवश्यकताएँ बढ़ने पर विशेषीकृत नगर भी महानगर तथा उसके बाद मेगानगर (नगरीय संकुल) बनने पर बहुप्रकार्यात्मक बन जाते हैं जहाँ उद्योग, वाणिज्य, व्यवसाय, प्रशासन, परिवहन तथा अन्य प्रकार की उच्चस्तरीय सेवाऐं महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं। प्रकार्य इतने अंतग्रधित हो जाते हैं कि नगर को किसी विशेष प्रकार्य वर्ग में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता बल्कि नगर के क्षेत्र विशेष किसी विशेष प्रकार्य के लिए जाने जाने लगते हैं, जैसे दिल्ली में नेहरू प्लेस कम्प्यूटर के लिए, भागीरथ प्लेस इलैक्ट्रीकल सामान के लिए, लाजपतराय मार्केट इलैक्ट्रोनिक्स सामान के लिए तथा गाँधीनगर रेडीमेड गारमेंट्स के लिए इत्यादि।

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