समाचार-पत्र – रचना | Samaachaar Patra Rachana

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समाचार-पत्र

‘खीचों न तीर, कमान, न तलवार निकालो। जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।’

व्यक्ति और समाज का आपस में घनिष्ठ संबंध है। मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह समाज में घटित होने वाली घटनाओं से स्वयं को अवगत रखना चाहता है। समाज परिवर्तनशील इकाई है। समय के साथ-साथ समाज में भी परिवर्तन होता रहता है। इन सबकी सूचना देने और हमारी खबर लेने का सबसे सरल और सस्ता माध्यम है- समाचार पत्र। वर्तमान युग में प्रत्येक व्यक्ति समाचार पत्र पढ़ता है। प्रातः काल उठते ही उसको पहली दृष्टि समाचार पत्र की ओर जाती है। वह दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानना चाहता है। आज की दुनिया सिमट कर छोटी हो गई है। हम पर दूसरों के सुख-दुख का प्रभाव पड़ता है। विश्व में सब से पहले लोग मानव हैं और बाद में उस देश विशेष के निवासी है।

समाचार पत्रों के प्रकाश एवं समाचार एकत्रीकरण की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। प्रमुख संवाद एजेंसियों एवं बड़े-बड़े समाचार पत्रों के कार्यालय विश्व के प्रमुख नगरों में बने हुए हैं। विश्व में घटित होनेवाली घटनाओं की सूचना वे तुरंत समाचार पत्रों तक पहुंचा देते हैं। समाचार पत्रों के संपादक अत्यंत तीव्रगति से समाचारों का संपादन करते हैं। और प्रकाशन विभाग मुद्रण में बहुत तेजी बरतता है। समाचार पत्रों को वितरण का कार्य सुचारू ढंग से संपन्न किया जाता है।

समाचार पत्रों की उपयोगिता असंदिग्ध है। प्रजातंत्र का इसे चौथा स्तंभ माना जाता है। प्रजातंत्र में प्रजा के अधिकारों का सच्चा रक्षक समाचार पत्र ही होते हैं। वे ही सरकार तक जनवाणी को पहुंचाते हैं। सरकारी घोटालों का पर्दाफाश भी समाचार पत्र ही करते हैं। कई बार सरकार समाचार पत्रों की आजादी पर कुठाराघात करने का प्रयासकर चुकी है। पर सशक्त विराध के सम्मुख उसे सदैव झुकना पड़ा है। जनतंत्र में समाचार पत्रों की स्वतंत्रता बहुत आवश्यक है। ये जनता को राजनीतिक दृष्टि से शिक्षित करते हैं।

समाचार पत्रों की उपयोगिता कई क्षेत्रों में है। यह ज्ञान-विज्ञान का प्रमुख माध्यम है। इनके संपादकीय एवं विभिन्न लेख हमें विश्व भर के मामलों की निष्पक्ष जानकारी देते हैं। समाचार-पल विश्व की घटनाओं से हमें जोड़ते हैं। समाचार पत्रों में प्रकाशित होने वाले विज्ञापन हमारे और विज्ञापनदाता दोनों के लिए ही बहुत उपयोगी है। इन विज्ञापनों में नौकरी, विवाह, उत्पाद सामग्री आदि का विवरण होता है। इन्हीं के माध्यम से व्यापारी अपनी वस्तुओं का प्रचार करते हैं। समाचार पत्रों में ज्योतिष, भविष्यफल, पुस्तकों की समीक्षा, सिनेमा-नाटकों की समीक्षा आदि भी प्रकाशित होती हैं। इससे पाठकों एवं दर्शकों को पर्याप्त मार्गदर्शन प्राप्त हो जाता है। जिन समाचार पत्रों की मनोवृत्ति संकीर्ण होती है, वे अत्यंत हानिकारक होते हैं। हमें ऐसे समाचार पत्रों को हतोत्साहित करना चाहिए। समाचार पत्रों को सरकार या पूंजीपति वर्ग के हाथों का खिलौना नहीं बनाना चाहिए। अब लोगों में साक्षरता बढ़ने से इनका महत्व भी बढ़ता चला जा रहा है। प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति को कई समाचार पत्र पढ़ने चाहिए। इससे उसका बौद्धिक विकास तीव्रगति से होता है।

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