NCERT Class 12 Political Science Chapter 7 वैश्वीकरण

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NCERT Class 12 Political Science Chapter 7 वैश्वीकरण

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Chapter: 7

समकालीन विश्व राजनीति

1. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?

(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।

(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।

(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान हैं।

(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।

उत्तर: (घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।

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2. वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है?

(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।

(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।

(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।

(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यतया सांस्कृतिक समरूपता आती है।

उत्तर: (क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।

3. वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन-सा कथन सही है?

(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।

(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।

(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ।

(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है।

उत्तर: (क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।

4. वैश्वीकरण के बारे कौन-सा कथन सही है?

(क) वैश्वीकरण का संबंध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।

(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।

(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्व गौण है।

(घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।

उत्तर: (घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।

5. वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन गलत है?

(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।

(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज़्यादा बढ़ेगी।

(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।

(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक सनरूपता आएगी।

उत्तर: (ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।

6. विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव’ क्या है? इसके कौन-कौन से घटक है?

उत्तर: विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव’ का यह है कि विचारों, वस्तुओं, लोगों और संसाधनों का विश्व स्तर पर आदान-प्रदान। मानव समाज में इस भावना का विकास होना की सारे संसार के लोग वे चाहे किसी भी देश या क्षेत्र में रहते हों आपस में एक ही परिवार के सदस्य है और उन्हें एक – दूसरे से सहयोग करके ही जीवन व्यतीत करना है।

इसके मुख्य घटक निम्नलिखित हैं—

(i) विचारों और ज्ञान का प्रवाह।

(ii) वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार।

(iii) लोगों का आवागमन (प्रवासन)।

(iv) तकनीक और संचार का विकास।

(v) सांस्कृतिक आदान-प्रदान।

7. वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?

उत्तर: वैश्वीकरण के लिए कोई एक कारक जिम्मेवार नहीं फिर भी प्रौद्योगिकी अपने आप में एक अपरिहार्य कारण साबित हुई है। इसमें कोई शक नहीं कि टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखायी है। शुरू-शुरू में जब छपाई (मुद्रण) की तकनीक आयी थी तो उसने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी। विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की के कारण संभव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अंतर हो सकता है। जैसे विभिन्न भागों के बीच पूँजी और वस्तु की गतिशीलता लोगों की आवाजाही की तुलना में ज्यादा तेज और व्यापक होगी। कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में इजाफा हुआ है। अब राज्यों के हाथ में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इस सूचना के दम पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से काम कर सकते हैं। उनकी क्षमता बढ़ी है; कम नहीं हुई। इस प्रकार नई प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप राज्य अब पहले से ज्यादा ताकतवर हैं।

8. वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें?

उत्तर: वैश्वीकरण ने विकासशील देशों में राज्य की भूमिका को सीमित किया है। पहले राज्य समाज कल्याण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों में सक्रिय था, पर अब निजी कंपनियों और विदेशी निवेशकों का ज्यादा मात्रा में बढ़ रहा है। इससे राज्य केवल नियमन तक सीमित रह गया है और आम जनता की भलाई पर इसका असर पड़ा है। जैसे कानून और व्यवस्था को बनाये रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना। इस तरह के राज्य ने अपने को पहले के कई ऐसे लोक कल्याणकारी कामों से खींच लिया है जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक कल्याण होता था। विश्व की राजनीति में अब भी विभिन्न देशों के बीच मौजूद पुरानी ईर्ष्या और प्रतिद्वंद्विता की दखल है। राज्य कानून और व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अपने अनिवार्य कार्यों को पूरा कर रहे हैं और बहुत सोच-समझकर अपने कदम उन्हीं दायरों से खींच रहे हैं जहाँ उनकी मर्जी हो। राज्य अभी भी महत्त्वपूर्ण बने हुए हैं। कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में इजाफा हुआ है। अब राज्यों के हाथ में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इस सूचना के दम पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से काम कर सकते हैं। उनकी क्षमता बढ़ी है; कम नहीं हुई। इस प्रकार नई प्रौद्योगिकी के परिणामस्वरूप राज्य अब पहले से ज्यादा ताकतवर है।

9. वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस संदर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है।?

उत्तर: वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों में व्यापार और सेवाओं के प्रवाह में वृद्धि, आयात प्रतिबंधों में कमी और विदेशी निवेश में वृद्धि शामिल है। इससे कुछ देशों को आर्थिक समृद्धि मिली, लेकिन सामाजिक असमानता और वंचित वर्गों की स्थिति भी बिगड़ी। कई सरकारों ने सामाजिक कल्याण से अपने हाथ खींच लिए, जिससे सामाजिक न्याय पर असर पड़ा।

भारत में सकल घरेलू उत्पाद और विकास दर में वृद्धि हुई। विदेशी कंपनियों ने भारत को बड़े बाज़ार के रूप में देखा, जिससे निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े। साथ ही, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव और तकनीकी सेवाओं का विस्तार भी हुआ।

10. क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है?

उत्तर: हाँ, में इस तर्क से सहमत हूंँ। क्योंकि वैश्वीकरण ने सांस्कृतिक संपर्क को बढ़ाया है जिससे विभिन्न संस्कृतियाँ एक-दूसरे से प्रभावित हो रही हैं। नए विचार, पहनावे, संगीत, खान-पान आदि का आदान-प्रदान हो रहा है। हालांकि कुछ आलोचक मानते हैं कि इससे सांस्कृतिक समरूपता भी बढ़ रही है।

11. वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर रहा है?

उत्तर: वैश्वीकरण ने भारत जैसे विकासशील देश को गहराई से प्रभावित किया है। अधिकांश विकसित देश अब भारत को एक विशाल उपभोक्ता बाजार के रूप में देखते हैं और यहाँ के लोगों को आकर्षित करने के लिए विविध रणनीतियाँ अपनाते हैं। भारतीय लोगो ने भी वैश्वीकरण के चलते अजीविक के लिए विदेशों में बसना शुरू कर दिया हैं। यूरोप एवं अमेरिका की पश्चिमी संस्कृति बड़ी तेजी से भारत में फैल रही है। भारत में नीली जींस पहनना, पिज्जा खाना, टेलीविजन पर अनेक विदेशी चैनलों को देखना वैश्वीकरण का ही प्रभाव है। दूसरी ओर भारत ने भी वैश्वीकरण को कुछ हद तक प्रभावित हिय हैं। भारत से अधिक लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति एवं रीति-रिवाजों को बढावा दे रहे हैं। भारत में उपलब्ध सस्ता और दक्ष श्रम विश्व के अनेक देशों को आकर्षित करता है। कंप्यूटर और तकनीकी क्षेत्रों में भारत ने तीव्र प्रगति कर वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त पहचान बनाई है।

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