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NCERT Class 12 Political Science Chapter 5 समकालीन विश्व में सुरक्षा
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समकालीन विश्व में सुरक्षा
Chapter: 5
समकालीन विश्व राजनीति |
1. निम्नलिखित पदों को उनके अर्थ से मिलाएँ:
(1) विश्वास बहाली के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स – CBMs)
(2) अस्त्र-नियंत्रण।
(3) गठबंधन।
(4) निरस्त्रीकरण।
(क) कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल से परहेज।
(ख) राष्ट्रों के बीच सुरक्षा-मामलों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की नियमित प्रक्रिया।
(ग) सैन्य हमले की स्थिति से निबटने अथवा उसके अपरोध के लिए कुछ राष्ट्रों का आपस में मेल करना।
(घ) हथियारों के निर्माण अथवा उनको हासिल करने पर अंकुश।
उत्तर:
(1) विश्वास बहाली के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स – CBMs) | (ख) राष्ट्रों के बीच सुरक्षा-मामलों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की नियमित प्रक्रिया। |
(2) अस्त्र-नियंत्रण। | (घ) हथियारों के निर्माण अथवा उनको हासिल करने पर अंकुश। |
(3) गठबंधन। | (ग) सैन्य हमले की स्थिति से निबटने अथवा उसके अपरोध के लिए कुछ राष्ट्रों का आपस में मेल करना। |
(4) निरस्त्रीकरण। | (क) कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल से परहेज। |
2. निम्नलिखित में से किसको आप सुरक्षा का परंपरागत सरोकार/सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार/खतरे की स्थिति नहीं’ का दर्जा देंगे-
(क) चिकेनगुनिया/डेंगू बुखार का प्रसार।
उत्तर: सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार।
(ख) पड़ोसी देश से कामगारों की आमद।
उत्तर: खतरे की स्थिति नहीं।
(ग) पड़ोसी राज्य से कामगारों की आमद।
उत्तर: खतरे की स्थिति नहीं।
(घ) अपने इलाके को राष्ट्र बनाने की माँग करने वाले समूह का उदय।
उत्तर: सुरक्षा का परंपरागत सरोकार।
(ङ) अपने इलाके को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की माँग करने वाले समूह का उदय।
उत्तर: खतरे की स्थिति नहीं।
(च) देश की सशस्त्र सेना को आलोचनात्मक नजर से देखने वाला अखबार।
उत्तर: खतरे की स्थिति नहीं।
3. परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाये रखना इनमें से किस कोटि में आता है?
उत्तर: परंपरागत सुरक्षा मुख्य रूप से किसी देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सैन्य खतरों से संबंधित है, मुख्य रूप से बाहरी स्रोतों से। यह कानून और व्यवस्था के संबंध में आंतरिक सुरक्षा से भी संबंधित है। परंतु अपारंपरिक सुरक्षा की परिभाषा को व्यापक बनाती है, जिसमें स्वास्थ्य महामारी, पर्यावरण क्षरण और अन्य सामाजिक चिंताओं जैसे गैर-सैन्य खतरे शामिल हैं।
गठबंधन पारंपरिक सुरक्षा की श्रेणी में आता हैं, क्योंकि वे राष्ट्रों द्वारा अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने और संभावित खतरों से खुद को बचाने के लिए बनाए जाते हैं।
4. तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में क्या अंतर है?
उत्तर: तीसरी दुनिया के देशों या नए स्वतंत्र राष्ट्रों को विकसित देशों की तुलना में अनोखी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वे पड़ोसी देशों से बहरी खतरों में उनके समक्ष बड़ी शक्तियों के वर्चस्व का खतरा होता है। ये देश उन्हें अपने सैन्य वर्चस्व, राजनैतिक विचारधारा के वर्चस्व और आर्थिक सहायता सशर्त देने के वर्चस्व से डराते रहते हैं।
5. आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत?
उत्तर: आतंकवाद 21वीं शताब्दी में वैश्विक सुरक्षा के सामने एक नई और गंभीर चुनौती बनकर उभरा है। यह असंप्रदायिक या अपरम्परागत सुरक्षा खतरों की श्रेणी में आता है। यद्यपि आतंकवाद का इतिहास काफी पुराना है, लेकिन इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गंभीर सुरक्षा संकट के रूप में तब व्यापक पहचान मिली जब 11 सितम्बर 2001 को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकवादियों ने भीषण हमला किया। इस घटना ने विश्व भर के राष्ट्रों और नागरिकों को आतंकवाद के खतरों के प्रति सचेत कर दिया। आतंकवादी घटनाएँ तब से विभिन्न देशों में घटित होती रही हैं, आतंकवाद का उद्देश्य जनमानस को आतंकित करना अथवा उसमें भय व्याप्त करना है।
6. सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से बताएँ कि अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मंडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?
उत्तर: पारंपरिक दृष्टिकोण के अनुसार, यदि किसी राष्ट्र को सुरक्षा संबंधी खतरा है, तो उसके पास निम्नलिखित विकल्प हैं:
आत्मसमर्पणः संघर्ष में शामिल हुए बिना दूसरे पक्ष की मांगों को स्वीकार करना।
निवारणः दूसरे पक्ष को हमला करने से रोकने के लिए बड़े पैमाने पर विनाश की संभावना का संकेत देना।
रक्षाः युद्ध होने पर खुद की रक्षा करना, हमलावर को उसके उद्देश्यों को प्राप्त करने से रोकना और उन्हें पीछे हटने या पराजित होने के लिए मजबूर करना।
7. ‘शक्ति-संतुलन’ क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?
उत्तर: शक्ति-संतुलन का मतलब है विभिन्न देशों के बीच इतनी शक्ति का संतुलन होना कि कोई एक देश इतना ताकतवर न हो जाए कि दूसरों पर हावी हो सके। कोई देश शक्ति-संतुलन को बनाए रखने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य उपाय अपनाता है। वह खुद को इतना मजबूत बनाता है कि अगर कोई दुसरा देश उसे धमकाए तो वह उसका मुकाबला कर सके। इसके लिए सैन्य तैयारी, तकनीकी विकास, और कभी-कभी अन्य देशों से गठबंधन करना भी शामिल होता है।
शक्ति सन्तुलन का अर्थ एवं परिभाषा शक्ति अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का केन्द्र बिन्दु है। आधुनिक विद्वानों ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति को ‘शक्ति की राजनीति’ की संज्ञा प्रदान की है। शक्ति सन्तुलन सिद्धान्त की सहायता से अन्तर्राष्ट्रीय राजनीतिक घटनाओं और राजनीतिज्ञों की नीतियों की विवेचना की जाती है। अतः शक्ति सन्तुलन की अवधारणा का अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में व्यापक महत्त्व है।
8. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताएँ जो अभी मौजूद है। इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ?
उत्तर: सैन्य गठबंधन का मुख्य उद्देश्य यह होता है कि उसके सदस्य देश मिलकर एक-दूसरे की सुरक्षा करें, यानी अगर किसी एक पर हमला होता है तो सभी मिलकर उसका मुकाबला करें। ऐसे गठबंधन से सदस्य देशों को सामूहिक शक्ति मिलती है। आज के समय में NATO (North Atlantic Treaty Organization) एक सक्रिय सैन्य गठबंधन है। इसका उद्देश्य अपने सदस्य देशों को सामूहिक सुरक्षा देना, शांति बनाए रखना और किसी भी बाहरी हमले के समय सामूहिक प्रतिक्रिया देना है।
9. पर्यावरण के तेजी से हो रहे नुकसान से देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण देते हुए अपने तर्कों की पुष्टि करें।
उत्तर: हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ। पर्यावरण की खराब स्थिति—जैसे जलवायु परिवर्तन, समुद्र का बढ़ता जलस्तर, सूखा और बाढ़—देशों के लिए बड़ा खतरा बन गया है। उदाहरण के लिए, बांग्लादेश में समुद्र का जलस्तर बढ़ने से लाखों लोग विस्थापित हो सकते हैं, जिससे दूसरे देशों पर जनसंख्या और संसाधनों का दबाव बढ़ेगा। अफ्रीका के कई इलाकों में सूखे की वजह से भुखमरी और संघर्ष की स्थिति बन गई है। इन सभी समस्याओं से आंतरिक अस्थिरता और सीमा पर तनाव बढ़ता है, जिससे देशों की सुरक्षा पर खतरा पैदा होता है।
10. देशों के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं उनमें परमाण्विक हथियार का सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है। इस कथन का विस्तार करें।
उत्तर: आज के दौर में परमाणु हथियारों का डर अब पहले की तुलना में काफी सीमित हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि ज्यादातर देश अब यह समझ चुके हैं कि इन हथियारों का प्रयोग विनाश ही लाता है और इसका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं है। अंतरराष्ट्रीय संधियों जैसे परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध संधि (CTBT) ने भी इसके प्रयोग पर अंकुश लगाया है। आज के समय में देश साइबर हमलों, जलवायु संकट, आतंकवाद और जैविक खतरे जैसी नई चुनौतियों को अधिक गंभीरता से ले रहे हैं। इसलिए, परमाणु हथियार अब केवल शक्ति प्रदर्शन के प्रतीक रह गए हैं, न कि इस्तेमाल की जाने वाली रणनीति।
11. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए पारंपरिक या अपारंपरिक? अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगे?
उत्तर: भारत की सुरक्षा नीति चार प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। पहला, सैन्य शक्ति को मजबूत करना, क्योंकि भारत ने पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से युद्ध झेले हैं। 1998 के परमाणु परीक्षण को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से उचित ठहराया गया। दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और कानूनों को मजबूत करना, ताकि वैश्विक शांति और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। भारत ने गुटनिरपेक्षता, निउपनिवेशीकरण, सामूहिक हथियारों के निषेध और पर्यावरण संरक्षण (जैसे क्योटो प्रोटोकॉल) का समर्थन किया है। तीसरा, आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया गया है, जिससे नागालैंड, कश्मीर जैसे क्षेत्रों में उग्रवाद से निपटा जा सके। चौथा, आर्थिक विकास को सामाजिक न्याय से जोड़ने का प्रयास किया गया है, ताकि गरीबी व असमानता कम हो। लोकतंत्र के माध्यम से वंचित वर्गों को आवाज़ मिली है। इस प्रकार, भारत की सुरक्षा नीति सैन्य शक्ति, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, आंतरिक स्थिरता और लोकतांत्रिक विकास का संतुलित समावेश है।
12. नीचे दिए गए कार्टून को समझें। कार्टून में युद्ध और आतंकवाद का जो संबंध दिखाया गया है उसके पक्ष या विपक्ष में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: कार्टून में युद्ध और आतंकवाद दोनों ही हिंसा के माध्यम से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। जब युद्ध भी निर्दोषों की जान लेता है और व्यापक विनाश करता है, तो उसमें और आतंकवाद में मूल अंतर धुंधला हो जाता है। इसलिए यह तर्क प्रासंगिक है कि किसी भी प्रकार की हिंसा, चाहे उसका रूप कोई भी हो, मानवता के विरुद्ध है।

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