Assam Jatiya Bidyalay Class 6 Hindi Chapter 15 मैं सबसे छोटी होऊँ

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मैं सबसे छोटी होऊँ

Chapter – 15

অসম জাতীয় বিদ্যালয়

পাঠভিত্তিক ক্রিয়াকলাপৰ প্রশ্নোত্তৰ


কবিয়ে ইয়াত এজনী ছোৱালীৰ শিশুকালৰ মধুৰ স্মৃতি পল্লবিত কৰিছে। ছোৱালীজনীয়ে মৌসনা মধুৰ শিশুকাল বাৰে বাৰে পাব বিচাৰিছে। মাকৰ মৰমে তেওঁক সদায় প্রতি মুহূর্ততে আমনি কৰি থাকে ; এইবাবে তেওঁ ডাঙৰ হ’ব নিবিচাৰে, বৰং মাকৰ কোলাত সদায়ে সৰু হৈ বাচি থাকিব বিচাৰে।

মই সকলোতকৈ সৰু হওঁ

তোৰ কোলাত শোওঁ

তোৰ আঁচল ধৰি ধৰি

ঘূৰি ফুৰোঁ সদায় মা! তোৰ লগত 

কেতিয়াওঁ নেৰোঁ তোৰ হাত।

ডাঙৰ কৰি প্ৰথমে আমাক 

তই পচি থাক মা।

হাতত ধৰি পুনৰ সদায় আমাক 

লগত নাথাক দিন ৰাতি।

নিজ হাতেৰে খুৱাই, ধুৱাই মুখ, 

ধুলি মচি, সজ্জিত কৰি দেহটো

পুতলা নিদিয়, নুশুনাব তই 

আমাক মোহনীয় পৰীৰ কথা।

ইমান ডাঙৰ নহওঁ মই

তোৰ স্নেহ মই নেহেৰুৱাওঁ

তোৰ আঁচলৰ ছায়াত 

লুকাই থাকো নিস্পৃহ, নির্ভয়ে,

কওঁ– দেখুৱাই দে চদ্ৰোদয়।

शब्द (শব্দ)अर्थ (অৰ্থ)
होऊँबनूँহওঁ
सोऊँसो जाऊँশোওঁ
मातमाँ, मातृমাতৃ
करहाथহাত
गातशरीरদেহ
अंचलआँचलআঁচল
निस्पृहलोभ या कामनारहितনিস্পৃহ

सुमित्रानन्दन पंत : सुमित्रानन्दन पंतजी का जन्म 21 मई सन् 1900 ई. में उत्तर प्रदेश के कौचानी नामक जगह पर हुई। आपकी माँ के देहान्त जन्म के पश्चात हो गयी। आपकी नानी और बुआ ने उनकी लालन-पालन की। उनके रति वीणा, ग्रन्थि, पल्लव, गुंजन, युगान्त, युगवाणी, ग्राम्या, शिल्पी आदि अनेक काव्यग्रन्थ हैं। आपकी एकमात्र उपन्यास है ‘हार’। सन् 1961 में आपने ‘पद्मभुषण’ उपाधि प्राप्त की। इस बर्ष में बी उन्होंने ‘कला और बूढ़ा चाँद’

दूध के लिए साहित्य अकाडेमी का पुरस्कार प्राप्त की। सन् 1969 में आपको पीठ पुरस्कार से सन्मानित किए गये। सन् 1977 के 24 डिसम्बर को आप का देहान्त हुआ।

प्रश्न- अभ्यास (প্ৰশ্ন অভ্যাস)

प्रश्न : 1. कविता से (কবিতাৰ পৰা) 

(i) प्रस्तुत कविता के कवि का नाम लिखो। 

उत्तर : कविता के कवि का नाम सुमित्रानन्दन पंत । 

(ii) प्रस्तुत कविता को कण्ठस्थ कर श्रेणी में सुनाओ। 

उत्तर : (कण्ठस्थ लिखो।)

(iii) लड़की हमेशा क्या बनकर रहना चाहती है ? 

उत्तर : लड़की हमेशा छोटी बनकर रहना चाहती है। 

(iv) वह क्या नहीं बनना चाहती ? 

उत्तर : वह बड़ी नहीं बनना चाहती।

(v) लड़की कहाँ छिपी रहना चाहती है ? 

उत्तर : लड़की सदा माँ की अंचल की छाया में छिपी रहना चाहती है।

प्रश्न : 2. चर्चा में : (আলোচনা কৰা) 

(i) लड़की हमेशा छोटी बनकर रहना चाहती है ? क्या तुम भी लड़की से सहमत हौ ? 

उत्तर : हा! माँ के आँचल की छाया में रहने से सुख और विपदमुक्त मेहसूस होता है। इसलिए माँ के अंचल की छाया में हम भी छिपे रहना चाहते हैं। 

(ii) क्या तुम बड़े बनना नहीं चाहते ? अपना मत व्यक्त करो।

उत्तर : हम बड़े बनना चाहते हैं। लेकिन इतने भी बड़े बनना नहीं चाहते जो माँ अपने से दूर हो जाए, माँ के अंचल की छाया हमें न मिले। 

प्रश्न : 3. पढ़ो, समझो और लिखो (পঢ়া, বুজা আৰু লিখা)

(i) लड़की क्यो छोटी बनकर रहना चाहती है ? 

उत्तर : क्योंकि लड़की अपने मधुर बचपन को बार-बार पाना चाहती हैं। माँ की याद उसे हर वक्त सताती रहती है। इसलिए वह बड़ा होना नहीं चाहती, माँकी गोद में ही हमेशा छोटी बनकर जीनह चाहती है। 

(ii) लड़की को बड़ी न बनने की चाहत का कारण क्या है ? 

उत्तर : लड़की को बड़ी न बनने की चाहत है माँ की गोद में रहना I

(iii) प्रस्तुत कविता का मूल उद्देश्य क्या है ? 

उत्तर : कविता का मूल उद्देश्य है लड़की की अपने बचपन की मधुर स्मृति को याद करना।

प्रश्न : 4. कविता से उत्तर दो : (কবিতাৰ পৰা উত্তৰ দিয়া) 

कविता की किन पंक्तियदः से लड़की शिकायत कर बैठती है कि बड़ी होने पर माँ हमारा हाथ पकड़ कर नहीं चलती है ? 

उत्तर : 

अपने कर से खिला, धुला मुख,

धूल पोंछ, सज्जित कर गात,

थमा खिलोने, नहीं सुनाती

हमें सुखद परियों की बात।

प्रश्न : 5. खाली जगह की पूर्ति करो : (খাलि ঠাই পূৰণ কৰা)

ऐसी ___न होऊँ मैं

उत्तर : ऐसी बड़ी न होऊँ मैं

तेरा ___न खोऊ मैं 

उत्तर : तेरा स्नेह न खोऊ मैं

तेरे अंचल की ___में

उत्तर : तेरे अंचल की छाया में

छिपी रहूँ__, __

उत्तर : छिपी रहूँ निस्पृह, निर्भय

प्रश्न : 6. वाक्य बनाओ (বাক্য সাজা)

निर्भय, आँचल, दिन-रात, धूलपोछ

उत्तर : निर्भय- सदा निर्भय होकर रहना चाहिए। 

आँचल- माँ की में छिप कर रहना चाहता हूँ। 

दिन-रात- माँ की याद दिन-रात सताती है। 

धूलपोछ- बचपन में माँ हमें धूलपोछ कर गले लगाती थी।

प्रश्न : 7. उदाहरण को देखकर निम्नलिखित खाली जगहों की पूर्ति करो : (উদাহৰণ চাই নিম্নলিখিত খালি ঠাই পূৰণ কৰা)

उत्तर : 

दिन-रातहँसना-रोनाखाना-उपवासउठना-बैठना
आना-जानातन-मनजीना-मरना

प्रश्न : 8. विपरीतार्थक शब्द : (বিপৰীত শব্দ লিখা) 

उत्तर :  

छोटा-बड़ाएक-अनेकऊँचा-नीचादिन-रात
सुख-दुःखशान्त- अशान्तआकाश-पातालजीवन-मरण
स्नेह घृणाभय-निर्भय

प्रश्न : 9. श्याम अच्छा लड़का है।

वह रोज स्कूल जाता है।

श्याम और रतन स्कूल जा रहें हैं।

उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित सभी शब्द पद है। 

পৰিভাষা— বাক্যত ব্যৱহাৰ হোৱা প্ৰত্যেক শব্দকে পদ বোলে। 

परिभाषा―

पद- वाक्य में व्यवहृत शब्दों को पद कहते हैं।

पद पाँच प्रकारके हैं―

1) संज्ञा

2) सर्वनाम

3) विशेषण

4) क्रिया

5) अव्यय

1) संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया वाक्य में व्यवहृत होते समय रूपान्तरित होते हैं। इसलिए इन्हें विकारी शब्द कहते हैं। 

2) अव्यय पद वाक्या में व्यवहृत समय रूपान्तरित नहीं होते हैं, इन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।

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